चाची की सर्दी भतीजे ने दूर की -3

जब वीरेन ने देखा कि मैं झड़ चुकी हूँ, उसने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और 2 मिनट बाद ही उसने भी अपने लंड से वीर्य की पिचकारियाँ मार मार के मेरी चूत को भर दिया।

वो मेरे ऊपर ही गिर गया- ओह चाची, मज़ा आ गया… बहुत गरम हो आप! वो बोला। मैंने कहा- चाची मत कहो मुझे, रोमा पुकारो। ‘ओके रोमा!’ उसने हंस कर कहा।

‘मगर अभी मेरा दिल नहीं भरा है, मुझे और करना है।’ मैंने कहा। ‘मेरा भी दिल नहीं भरा है, थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें एक बार और चुदना है, मेरी जान!’ वीरेन ने कहा तो मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गई और उसके होंठों को चूम लिया। उसका गरम वीर्य चू कर मेरी चूत से बाहर टपकने लगा।

‘बहुत माल छोड़ा तुमने तो?’ मैंने उस से कहा। ‘अरे बहुत कहाँ, यह तो कम है, शाम को जब मैंने बाथरूम में तुमसे प्यार किया, तो यह तो पक्का था के रात को सेक्स भी होगा, मगर कहीं जल्दी न झड़ जाऊँ, इस डर मैंने खाना खाने के बाद एक बार हाथ से करके अपना माल निकाल दिया था, अगर हाथ से न करता तो शायद तुम्हें प्यासा छोड़ कर ही मैं आउट हो जाता, और वो तुमको भी अच्छा नहीं लगता!’ वीरेन बोला।

‘अच्छा जी, तो पहले से ही पूरी तैयारी की थी, अगर मैं मना कर देती तो?’ मैंने कहा। ‘अरे जानेमन, न करनी होती तो पहले ही बाथरूम में कर देती, जो बाथरूम में हुआ, उससे ही यह पक्का था कि अगर मैं ना आता तो तुम खुद आती, मुझे पता है, तुम चाचा से खुश नहीं हो, इस लिए हमारा मिलना तो तय था।’ वीरेन ने बड़े विश्वास के साथ कहा। ‘बदमाश…’ मैंने हंस कर कहा तो वीरेन ने अपने दोनों हाथ मेरे दोनों चूतड़ों पे रख दिये, मैंने अपना सर उसके सीने पे रख दिया, वीरेन ने मेरे दोनों चूतड़ों को खोला और अपनी बीच वाली उंगली से मेरी गान्ड के छेद को छूआ। मैंने आँखें बंद करके उसके सीने पे लेटे लेटे पूछा- ये क्या कर रहे हो? वो बोला- रोमा मैंने आज तक कभी किसी की गान्ड नहीं मारी है, क्या तुमने कभी मरवाई है? मैंने कहा- हाँ, मरवाई है, मगर अभी मेरा गान्ड मरवाने का कोई इरादा नहीं है, मुझे अपनी चूत की आग बुझानी है।

कह कर मैंने उसके लंड को सीधा किया और अपनी चूत उस पर रख दी, मैं उठ कर उसकी कमर पर ही बैठ गई, उसका लंड मेरी चूत के ठीक नीचे था, और मैं धीरे धीरे अपनी कमर हिला कर अपनी चूत से उसके लंड मसल रही थी। मेरे इस मसलने से उसका लंड फिर से टाईट हो गया। उसने मुझे आगे को झुकाया तो मेरे दोनों चूचे उसके चेहरे पर झूल गए, उसने अपने होंठ खोले और मेरे एक स्तन का निप्पल अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

‘बहुत अच्छा लगता है दुदु पीना?’ मैंने पूछा। ‘पूछो मत, यही एक चीज़ और औरत के बदन पर जो मर्दों को सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है, चाहे देखने को मिले, दबाने को या पीने को, साले मज़ा ही देते हैं।’ कह वीरेन फिर से मेरे दुदु पीने लगा। मैं भी कभी दायाँ कभी बायाँ, खुद ही बदल बदल कर अपने स्तन उसको चुसवाती रही, क्योंकि उरोज चुसवाने में मुझको भी बड़ा मज़ा आता है।

बूब्ज़ चूसते चूसते ही वीरेन ने मुझे थोड़ा सा आगे करके एडजस्ट किया और इस बार उसका तना हुआ लंड मेरी चूत के मुँह को चूमने लगा। मैं तो थी ही भूखी, सो बस ज़रा सा पीछे हुई और उसके लंड का टोपा मेरी चूत निगल गई, वीरेन को मैंने कोई ज़ोर नहीं लगाने दिया, खुद ही ऊपर बैठी अपनी कमर हिलाती रही और धीरे धीरे से मैंने उसका सारा लंड अपनी चूत में ले लिया।

बेशक यह थोड़ा दर्दनाक था, क्योंकि 7 इंच का पत्थर की तरह सख्त लौड़ा मेरी चूत में घुसा था, मगर मुझे दर्द की नहीं, मज़े की तमन्ना थी, मैं खुद ब खुद आगे पीछे हो कर आप ही चुदने लगी मगर मेरे कमर हिलाने से सेक्स का वो मज़ा नहीं आ रहा था, तो वीरेन बोला- रोमा, घोड़ी बनोगी? मैं बिना कुछ कहे उसके ऊपर से उठी, मेरे उठते ही उसका लंड मेरी चूत से पिचक करके निकल गया, मैंने देखा, उसके पेट पर उसका किसी मोटे खीरे जैसा लंड, मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ, बिल्कुल सीधा ऊपर को मुँह उठाए पड़ा हुआ था।

एक बार तो मैंने भी देख कर सोचा ‘यार इतना बड़ा और मोटा लंड मैं ले कैसे गई?’ उसकी कमर से उतर कर मैं घोड़ी बन गई, वीरेन ने मेरे पीछे से आकर मेरी चूत पर अपना लंड फिर से टिकाया, थोड़ा सा मैं पीछे को हुई, थोड़ा सा वो आगे को हुआ और पूरा लंड आराम से फिर से मेरी प्यासी चूत में घुस गया, मगर इस पोज़ में मुझे गुदगुदी बहुत होती है, और घोड़ी बन कर चुदते समय अक्सर मेरी हंसी निकल जाया करती है।

तो जब वीरेन ने मुझे पीछे से चोदना शुरू किया, वो पूरा लंड बाहर निकाल लेता सिर्फ लंड का टोपा अंदर रहता और फिर पूरा लंड बिल्कुल अंदर तक घुसेड़ देता, जिससे मेरी चूत की अंदर तक रगड़ाई होती और मेरी खुजली शांत होती। मैं खुद भी अपनी कमर आगे पीछे चला रही थी तो वीरेन रुक गया, मैंने पूछा- क्या हुआ, रुक क्यों गए? वो बोला- तुम करो, मुझे मज़ा आ रहा है।

मैं खुद ही आगे पीछे होने लगी, सच में खुद चुदाई करवाने में भी बहुत मज़ा है। कितनी देर मैं खुद ही चुदती रही। फिर वीरेन बोला- उठो ज़रा, किसी और स्टाइल में करते हैं।

वो मुझे दीवार के पास ले गया, मुझे दीवार के साथ पीठ के बल खड़ा किया, फिर मेरी एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रखी, उसके बाद दूसरी टांग, इस तरह मुझे हवा में टांग कर उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला और चोदने लगा। मगर यह पोज भी थोड़ा तकलीफ वाला था, थोड़ा सा करके हम वापिस बेड पे आ गए, मुझे नीचे लेटा कर वीरेन ऊपर आ गया, मैंने उसके लिए अपनी टाँगें फैलाई और उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पे रखा, उसने अंदर डाल दिया और चोदने लगा।

बहुत समय बाद या यूं कहो कि बरसों बाद मेरी चूत की आग ठंडी हो रही थी, उसके लंड की रगड़ से मेरे रोम रोम में बिजलियाँ टूट रही थी, उसके लंड का टोपा अंदर जाकर मेरी चूत के आखरी किनारे से टकराता तो ऐसे लगता जैसा मेरे पेट के अंदर से होकर मेरे कलेजे तक चोट कर रहा है। करीब 10 मिनट वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा, मैं उसे और वो मुझे कभी चूमते चाटते, अपनी दिल की हर तमन्ना पूरी कर रहे थे, मेरा तो पूरा चेहरा उसके थूक से गीला हो चुका था, बार बार वो मुझे अपनी जीभ से चाट रहा था, जैसे मैं कोई चॉकलेट या टॉफी हूँ।

‘इतना क्यों चाट रहे हो?’ मैंने पूछा। ‘आज मेरी ज़िंदगी की पहली रात है, जिसमे मैं किसी लड़की से इतनी तसल्ली से, इतने प्यार और मज़े से सेक्स कर रहा हूँ, पहले भी किया है पर हमेश जल्दबाज़ी में किया है, तुम बहुत प्यारी हो रोमा, मुझे तुमसे बहुत प्यार हो गया है और मैं इस सेक्स को अपनी ज़िंदगी का आखरी सेक्स समझ कर रहा हूँ, पता नहीं तुम फिर कभी मिलो या न मिलो, फिर कभी हम सेक्स कर पाएँ या नहीं!’ वीरेन ने कहा।

मैं बोली- बात सुनो राजा, आज मैं कसम खा कर कहती हूँ, ज़िंदगी में अगर कभी भी मेरे तन की ज़रूरत पड़े, मैं हमेशा तुम्हारे लिए तैयार हूँ, जो सेक्स का मज़ा तुमने आज मुझे दिया है, वो मैं बरसों से पाना चाह रही थी, मैं भी कहती हूँ कि मुझे तुमसे प्यार हो गया है, तुम्हारे इस लंड से प्यार हो गया है।’ कह कर मैंने उसके होंठ चूम लिए तो वीरेन ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैं उसकी जीभ चूसने लगी।

प्यार में आकर उसने मुझे इतनी ज़ोर से बाहों में भींचा कि मेरी तो पसलियाँ कड़क गई। ‘इतना प्यार, इतना जोश?’ मैंने हंस कर कहा वो जोश में बड़े ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगा। मैं तो चारों खाने चित्त पहलवान की तरह बेड पे हाथ पाँव फैला कर लेटी थी और वो मुझे ताबड़तोड़ चोदने में लगा था, इस जबर्दस्त चुदाई ने मुझे झाड़ दिया, मैं बिस्तर पर पड़ी पड़ी अकड़ गई, जितनी जान मुझमें थी, उतनी जान से मैं अपनी कमर उठा कर उसकी कमर में मार रही थी, ताकि उसका लंड मेरी चूत के अंदर और ज़ोर से चोट करे।

मेरी चूत से गिरने वाले पानी ने बेड की चादर पे एक प्लेट जितना बड़ा निशान बना दिया था। मेरा दिल चाह रहा था कि मैं इस लम्हे में इसी हालत में मर जाऊँ। ज़िंदगी में पहली बार मुझे स्खलित होने में इतना मज़ा आया।

जब मेरा जोश ठंडा हो गया तो मैं निढाल हो कर लेट गई, मेरी सांस तेज़ चल रही थी, वीरेन धीरे धीरे मुझे चोद रहा था। जब मैं थोड़ी संभली तो उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में दे दिया, मैं चूसने लगी, और फिर उसने मेरे मुँह में ही अपने वीर्य की बहार ला दी।

काफी लंबी चुदाई के बाद उसका ढेर सारा वीर्य छूटा, जिससे मेरा मुँह भर गया, कुछ मुँह के बाहर बह गया, कुछ चेहरे पे, माथे पे इधर उधर लग गया, थोड़ा सा शायद मुँह के अंदर भी चला गया।

मैं उठ कर बाथरूम की तरफ भागी और वाश बेसिन पे जा कर थूका, मुँह में पानी लेकर कुल्ला किया, फिर जा कर कमोड पर बैठ गई। कुछ देर पता नहीं क्या क्या सोचती रही, शायद ब्लैंक ही हो गई थी। फिर उठ कर बेडरूम में आ गई, वीरेन बेड पे बिल्कुल नंगा लेटा था, अब उसका लंड भी ढीला पड़ चुका था। मैं उसके साथ चिपक कर लेट गई, न जाने कब नींद आ गई।

सुबह जब उठी तो रात की ज़बरदस्त चुदाई के बाद, अब चूत में हल्का सा दर्द था, पेट भी दुख रहा था मगर फिर भी तन फूल की तरह हल्का था और मन, मन तो बस आसमान में उड़ रहा था क्योंकि जो सर्दी कल मुझे लग रही थी, एक नौजवान ने अपने जिस्म से गर्मी दे कर दूर कर दी थी। [email protected]