सहकर्मी की माँ को चोद कर संतुष्ट किया

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हैलो दोस्तो, मैं मन्नू सहारनपुर से हूँ.. पर पिछले कुछ सालों से दिल्ली के आस-पास ही मस्ती कर रहा हूँ। मैं पिछले 7 सालों से अन्तर्वासना का पाठक हूँ.. कभी-कभी तो इसकी रसीली कहानियों को पढ़े बिना नींद ही नहीं आती और जब कभी रात को उठ जाता हूँ.. तो अपना मोबाइल ऑन करके कहानियाँ पढ़ने लगता हूँ।

अब मैं अपनी बात पर आता हूँ, बात फरवरी 2012 की है.. मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करके एक अंतर्राष्ट्रीय कम्पनी में ज्वाइन किया.. जहाँ दो महीने मैंने बहुत मेहनत की और सबका चहेता बन गया। उसके बाद वहाँ एक हाई प्रोफाइल घर की लड़की ने ज्वाइन किया.. जिससे मेरी काफी अच्छी दोस्ती होने लगी। उसका नाम अंजलि था और वो काफी भरे-पूरे बदन की थी, उसका 34-30-36 का साइज़ रहा होगा.. वो बहुत ही गोरी थी.. क्योंकि उसका जन्म ईरान में हुआ था।

हम दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई और हम एक-दूसरे को छूने का बहाना ढूंढते रहते थे। एक दिन ऑफिस से वापिस जाते समय बहुत तेज बारिश शुरू हो गई। उस दिन उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही थी तो मैंने उसे घर छोड़ने का निर्णय लिया।

अब हम दोनों बारिश में भीगते हुए उसके घर पहुँचे.. जहाँ सिर्फ उसकी नौकरानी थी।

हम दोनों अन्दर गए.. तब उसने मुझे एक तौलिया दिया और बाथरूम की ओर इशारा किया। मैंने उसकी तरफ ध्यान से देखा तो उसकी टी-शर्ट उसके बदन से चिपक गई थी और उसके मम्मे मानो टी-शर्ट फाड़ने के लिए तैयार हो चुके थे।

मैं उसे देखे जा रहा था कि तभी उसकी नौकरानी आई और मैं बाथरूम में चला गया। तभी बाहर किसी ने ‘ठक-ठक’ किया.. तो अंजलि हाथ में अपने पापा का पजामा और टी-शर्ट लिए खड़ी थी।

मैंने वो पहने और बाहर आ गया और अंजलि भी एक शॉर्ट और बिना बाँहों की टी-शर्ट पहने आ गई.. जिसे देख मेरा लिंग खड़ा हो गया.. क्योंकि मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना था और अंजलि के भी निप्पल दिख रहे थे.. मन तो कर रहा था कि अभी सारा रस पी जाऊँ। फिर पता नहीं क्या हुआ.. आँखों ने एक-दूसरे के मन को पढ़ लिया और हम दोनों बेडरूम में चले गए। मैंने उसको बिस्तर पर धक्का दिया और खुद भी लेट गया। मैंने अपने होंठों को उसकी गर्दन पर रख दिया और अपने हाथों से उसके स्तनों को सहलाने लगा। हम दोनों यह भी भूल गए कि नौकरानी घर में है।

अंजलि मुझसे दूर होने की झूटी कोशिश करने लगी.. तभी मैंने अपने दांतों से उसके निप्पल को हल्का सा कट किया टी-शर्ट के ऊपर से और उसके मुँह से सिसकारी निकल गई।

तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर जमा दिए.. जैसे अब दूर ही न होना हो और उन्हें चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा। फिर उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। तभी कुछ ‘खटखट’ की आवाज आई और अंजलि तो जैसे ठंडी हो गई।

मैंने भी दरवाजे की तरफ देखा तो उसकी माँ खड़ी थी। उन्होंने गुस्से में अंजलि को बाहर बुलाया और मेरे बारे में पूछने लगी मैं वहीं बैठा था कि अंजलि वापिस आई और मुझे वहीं बैठे रहने को कह कर बाहर चली गई।

थोड़ी देर बाद उसकी माँ अन्दर आई और मुझे कहने लगी- मैं पुलिस में शिकायत करूँगी कि यह लड़का मेरी बेटी को परेशान करता है और आज तो मेरे घर में भी घुस आया है।

मैं डर गया और मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ और अंजलि भी नहीं दिख रही थी। तभी मैं उसकी माँ से माफ़ी मांगने लगा तो उन्होंने मुझसे बोला- तुझे मेरे लिए कुछ काम करना होगा। और जो उन्होंने कहा.. मैं तो सुन कर हैरान रह गया।

उन्होंने कहा- मैं अपने पति से संतुष्ट नहीं हूँ.. क्योंकि वो हमेशा बाहर रहते हैं और मेरी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं।

मैं एक पल के लिए तो खुश हो गया कि बेटी तो माल है.. और माँ भी माल से कम नहीं है। तभी मैं थोड़ा आगे हुआ और उनको किस कर लिया.. जिससे वो और भी खुश हो गई और मुझसे लिपट गई।

फिर मैंने अंजलि के बारे में पूछा.. तो उन्होंने बताया कि मैंने अंजलि को कमरे में बंद कर दिया है.. ताकि उसको ये सब न पता चले।

अंजलि की माँ बहुत सेक्सी थी.. क्योंकि उसके डैड दिल्ली से और उसकी माँ ईरानी थी। उसके स्तन अभी भी टाइट लगते थे.. जैसे 36 साइज़ के होंगे। वो खुद भी बहुत सुन्दर थी।

मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू किया और अपने हाथों से उनके 36 साइज़ के स्तनों को दबाने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी.. जैसे वर्षों की प्यासी हो।

उन्होंने मेरे होंठों पर भी काट लिया.. जैसे वो अभी टीन एज में हो। वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी.. मेरे मुँह पर चाटने लगी.. उनकी व्याकुलता से मैं पागल हो रहा था।

तभी मैंने उनके हाथों को कस कर पकड़ लिया और थोड़ा पीछे को किया। वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी कि मैंने अपने दांतों से उनके टॉप को फाड़ दिया और स्तनों के बीच में अपनी जीभ से चाटने लगा.. जिससे वो तड़पने लगी और अपने मुँह को मेरी तरफ करके किस करने की कोशिश करने लगी।

मैं उन्हें तड़पाना चाहता था तो मैं उनसे दूर होकर अपने घुटनों से उनकी जांघों को रगड़ने लगा और अपने घुटने को उनकी बुर के ऊपर लाकर रगड़ दिया.. जिससे वो तड़प उठी.. जैसे बुर में आग लगी हो।

तभी मैंने उनका पूरा टॉप अपने हाथों से फाड़ दिया और ब्रा भी खोल दी.. वाह.. क्या मस्त स्तन अभी भी टाइट पिंक निप्पल के साथ उठे हुए थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने उनके एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसना ऐसे शुरू किया कि आज इस अंगूर को खा ही जाऊँगा.. वो जोर-जोर से सीत्कारें भर रही थी और मैं दूसरे हाथ से उनके दूसरे स्तन को मसल रहा था.. जिससे उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था, वो अपना सर जोर-जोर से हिला रही थी।

मैंने एक हाथ से उनके बालों को पकड़ के गर्दन को एक जगह रोका और होंठों का रसपान करने लगा और उन्हें नीचे बैठा कर उनके मुँह को अपने लौड़े पर रगड़ने लगा। वो भी अपना मुँह खोल कर मेरे लिंग को पजामे के ऊपर से मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। फिर पजामे को नीचे करके मेरे खड़े लिंग को देख कर वो खुश हो गई.. मेरा लिंग नार्मल साइज़ का है.. 5 इंच बड़ा और सामान्य मोटा.. जिसे उन्होंने अपने मुँह में भर रखा था और पागलों की तरह चूसे जा रही थी।

तभी मैंने उनकी जींस उतारी और हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और एक-दूसरे को चूसने लगे और झड़ गए।

फिर मैंने उनकी गुलाबी जांघों को चाटना शुरू किया और टांगों को चूमते हुए कमर पर आ गया। अब मैं अपने हाथों से उनके मम्मों को दबाने लगा। वो मुझे नीचे लेटने का इशारा करने लगी और एकदम से अपनी चूत को लण्ड के ऊपर रख कर जोरदार धक्का मार दिया.. मुझे तो लगा कोई ने मेरा लण्ड छील दिया। मैंने सोचा ही नहीं था कि पहली बार किसी 45 साल की औरत के साथ सेक्स होगा.. जिसकी चूत तंग होगी।

उन्होंने जोर-जोर से धक्के मारे। मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा और पीछे से चूत मारने लगा.. और कुछ 15-20 धक्कों के बाद चूत में ही झड़ गया। फिर हम दोनों उठे कपड़े ठीक किए और अंजलि की माँ ने मुझे कुछ पैसे दिए और कहा- आज बहुत दिनों बाद संतुष्ट हुई हूँ।

मैंने अपनी सहकर्मी अंजलि की माँ को चोद कर संतुष्ट किया और अपने घर चला गया। फिर अगले दिन ऑफिस में अंजलि को मिला.. तो उसने बताया कि वो बहुत रोई और उसकी माँ ने उस पर बहुत गुस्सा किया।

मैंने उसे गले से लगा लिया.. उसे सहानुभूति देने लगा। उसको अपने गले से लगाते ही मुझे लगा कि उसके खड़े निप्पल मेरे सीने में चुभ रहे हैं तो मैं गरम हो गया और उसको खुद से रगड़ने लगा।

तभी वो मुझसे दूर हुई क्योंकि हम दोनों ऑफिस के पास थे।

थोड़ी देर बाद उसकी माँ का फोन आया और उन्होंने मुझे आधी छुट्टी लेकर उनके घर आने को कहा। मैं भी चला गया और घर पहुँचते ही जैसे अन्दर गया उन्होंने मेरे लण्ड को हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया और मेरी पैन्ट खोल कर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मैंने उनके मम्मों को दबाना शुरू किया तो वो और जोर-जोर से चूसने लगी।

आज उन्होंने पारदर्शी गाउन पहना था जिसमें उनका पूरा शरीर दिख रहा था, उनके बाल खुले हुए थे।

फिर मैंने उनकी गाण्ड पर 3-4 चपत लगाए और गाउन उतार दिया। जल्द ही हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए। करीब 15 मिनट की चुसाई के बाद मैंने उन्हें खड़ा करके लण्ड चूत में घुसा दिया.. वो वहीं दीवार के सहारे खड़ी थी, लौड़ा चूत में लेते ही वो सिस्कारियाँ लेने लगीं।

करीब 10 मिनट चोदने के बाद मैं उन्हें सोफे पर ले गया और टाँगें ऊपर करके अपने कंधों पर रख कर चूत चूसने लगा।

मुझे तो कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था। उनके मम्मों को दबाने में.. और चूत को चाटने में.. उनकी चूत से कुछ नमकीन सा रस निकल रहा था.. जिसमें अलग ही नशा था। चूत रस चुसाते हुए वो एक बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने खुद सोफे पर चढ़ कर उन्हें कुतिया बनाया और लण्ड को पेल दिया।

आह्ह.. क्या मज़ा आ रहा था। वो बोल रही थी- इतनी मस्त चुदाई मुझे पहले नहीं मिली.. उह्ह.. पेलो.. उन्हें इतना मज़ा आ रहा था कि वो जोर-जोर से उछल रही थीं और चिल्ला रहे थीं- जोर से चोदो मुझे.. सारी प्यास बुझा दो.. पूरा रस निकाल दो चूत से..

फिर मैंने उन्हें सोफे पर ही घोड़ी बनाया और उंगली पर थूक लगा कर उनकी गाण्ड के छेद पर लगाने लगा.. लेकिन वो उछल पड़ी और मना करने लगी। पर फिर भी मैंने अपनी एक उंगली उनकी गाण्ड में घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगा। उन्होंने अपनी गाण्ड को हिलाना शुरू किया। फिर 5 मिनट बाद मैंने अपने सुपारे को उनकी गाण्ड के छेद पर रख कर जोर का धक्का लगा दिया, वो चिल्ला उठी.. पर मैंने उन्हें नहीं छोड़ा और एक और जोर का धक्का दिया।

मेरा लण्ड पूरा अन्दर पहुँच गया और वो छटपटाने लगी.. क्योंकि ये उनका गाण्ड मराने का पहला अनुभव था। फिर 5 मिनट रुक कर मैंने धक्के लगाने शुरू किए और गाण्ड में ही झड़ गया।

फिर दोनों एक-दूसरे के साथ लेटे रहे.. तो उन्होंने पूछा- अंजलि और मेरे बीच में क्या है?

तो मैंने सब सच-सच बता दिया.. फिर उन्होंने कहा- हम दोनों की बातें अंजलि को नहीं पता चलना चाहिए.. तो तुम अंजलि को भी प्यार कर सकते हो।

फिर करीब 5 महीने तक हम दोनों का यही खेल चला। अलग-अलग जगह और नई-नई पोजीशन में चुदाई चलती रही।

तब मैंने अंजलि के साथ भी मज़ा किया मेरी अगली कहानी में एक नई चुदाई पढ़िएगा। दोस्तो.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताइए.. [email protected]

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