किस्मत से मिला कुंवारी चूत का मजा -1

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नमस्ते दोस्तो, उम्मीद है आपने इस साइट पर पोस्ट हुई हर कहानी का आनन्द लिया होगा। इसके लिए मैं आप सबका आभार व्यक्त करता हूँ और उन सभी लेखकों का भी शुक्रिया करता हूँ।

तो दोस्तो, मैं आर्यन दोबारा हाजिर हूँ अपनी कहानी लेकर.. मुझ कई दोस्तों और सहेलियों के ईमेल मिले.. कई आंटी.. लड़कियाँ और लड़कों के ईमेल मिले.. आपके ईमेल मेरे लिए किसी अवॉर्ड से कम नहीं होते हैं।

नए पाठकों को अपना परिचय करा दूँ। मैं आर्यन.. उम्र 26 साल.. महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। साढ़े पांच फुट की कद-काठी.. गोरा रंग है। मेरा लण्ड करीब साढ़े छह इंच लंबा और करीब इंच व्यास का चौड़ा है।

तो कहानी की ओर बढ़ते हैं। कहानी कुछ 6 महीने पहले की है। मेरे किसी दोस्त की शादी थी और शादी यानि बहुत से काम होते हैं। अब दूल्हा तो हर जगह घूम नहीं सकता तो मेरे दोस्त ने मुझ विनती की.. कि मैं उसकी शादी के कार्ड बांटू।

अब शादी जैसे पुण्य काम में कौन काम करने से मना कर सकता है.. सो मैंने ‘हाँ’ कह दी और दूसरे दिन दोस्त के घर पर गया.. कार्ड्स लिए और कहाँ देने हैं.. उनके घरों का पता ले लिया।

करीबन 130 कार्ड्स थे। मैंने एरिया सैट कर लिया और कार्ड्स बाँटने निकल पड़ा। उसमें से कई लोग तो मेरे पहचान के थे और कई नहीं थे। मैंने ठान लिया जो पहचान के हैं वो आज कर लेंगे.. और जो परिचित के नहीं हैं.. वो कल देखूंगा।

मैं निकल पड़ा.. ऐसे कार्ड्स देते हुए करीब दो बज गए। इस काम में हर जगह पर चाय तो हो ही जाती थी।

ऐसे ही मैं एक घर पहुँचा.. बेल बजाई तो एक बहुत ही मीठी आवाज़ आई अन्दर से- कौन है? ‘जी मैं आर्यन.. शादी का न्योता लेकर आया हूँ.. सुधीर का दोस्त हूँ।’ मैंने जवाब में कहा और उसकी मीठी आवाज़ मेरे कानों में गूंजने लगी। ‘अच्छा.. दो मिनट रूको.. अभी आती हूँ।’

मैं इन्तजार करने लगा और सोचने लगा कि आवाज़ इतनी मधुर है तो आइटम क्या कमाल होगी। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला.. सामने का नज़ारा देख कर.. मैं हक्का-बक्का रह गया.. दंग हो गया.. एक 19-20 साल उम्र की एक बहुत ही कमसिन लड़की ने दरवाज़ा खोला, उसने शॉर्ट स्कर्ट पहना हुआ था और ढीला सा टॉप पहना हुआ था। उसने मुझे अन्दर बुलाया और मुझको बैठने के लिए कहा और मेरे लिए पानी लाने चली गई।

वो जैसे मुड़ी.. मैंने पीछे से नज़ारा देखा.. हाय क्या मस्त गाण्ड थी.. वो भी मटकते हुए चल रही थी। मेरा तो लण्ड ताव में आने लगा। पैन्ट फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था, मैं लण्ड को दबाते हुए उसके थिरकते चूतड़ों को देख रहा था।

अभी मैं उसके घर की साज-सज्जा देख ही रहा था कि अन्दर से किसी चीज के गिरने की आवाज आई साथ ही उसके चीखने की आवाज़ आई.. मैं दौड़ कर अन्दर गया तो देखा वो फर्श पर गिरी हुई थी और उसके रसोई घर के खिड़की से कोई भागता दिखाई दिया।

मैं उसके पीछे भागने गया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने कहा- छोड़.. मुझे.. वो चोर था शायद.. अभी पकड़ता हूँ..

‘नहीं वो मेरा फ्रेंड था.. उसको लगा मेरे पापा आ गए और वो डर के मारे भाग गया.. जब वो खिड़की से कूद रहा था तब अलमारी को लात लग गई और अलमारी के ऊपर का सामान मेरे ऊपर गिर गया।’

वो रोने लगी। ‘तुम्हें ज़्यादा चोट तो नहीं आई ना?’ मैंने उसके हाथ को पकड़ कर उठने में मदद की।

वो रोए जा रही थ- चोट तो नहीं आई.. पर प्लीज़ तुम ये बात किसी को मत बताना.. नहीं तो पापा मेरी जान ले लेंगे.. प्लीज़ तुम यह क़िसी को मत बताना.. नहीं तो मेरी खैर नहीं..

‘मैं भला किसी को क्यों बताने लगा..?’ मैंने कहा। ‘अगर तुम किसी को बोल दोगे तो मेरी बदनामी होगी.. प्लीज़ मैं पैर पकड़ती हूँ..।’ वो रो-रो के बोल रही थी।

‘अरे यार तुम रोना बंद करो.. मैंने कहा ना.. मैं किसी को नहीं बोलूँगा।’ मैंने कहा- बदनामी का डर है.. पापा का डर है.. तो ऐसे काम क्यों करती हो? मैंने थोड़ा आवाज़ चढ़ा कर बोला.. जैसे कि वो मेरी गर्लफ्रेंड हो। मेरी आवाज़ बढ़ने के कारण वो डर गई और रोने लगी।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। ‘सॉरी यार.. पर रोना बंद करो तुम.. मैं वादा करता हूँ किसी को नहीं बोलूँगा।’ मैंने उसको गले लगा लिया।

‘बताओ तुम्हारा नाम क्या है?’ ‘स्नेहा..’ (नाम बदला हुआ है)

उसने रोते हुए कहा- प्लीज़ यह बात किसी को मत बताना! ‘ठीक है.. अब शांत हो जाओ.. रोना बंद करो..’ मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा.. उसके उरोज़ मेरे सीने से लगे हुए थे और उसकी पीठ सहलाते वक़्त मुझे यह समझ आया कि उसने ब्रा निकाल दी है।

जब उसको एहसास हुआ कि वो मेरी बाँहों में है.. उसने मुझे धक्का दे दिया और कहा- तुम बाहर हॉल में बैठो.. मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ और चाय रखती हूँ।

अब तो उसका रोना भी बंद हो गया था और वो शरमाते हुए नीचे देख रही थी, उसके गाल शरम के मारे लाल हो गए थे। मैं हॉल में चला गया और सोफे पर बैठ गया।

उसको गले से दिखती गोरी मस्त चूचियों को देखने से मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया था और मैं दिल ही दिल में सोच रहा था कि लोहा गरम है हथौड़ा ठोक देना चाहिए। मैं प्लान बनाने लगा और दिमाग़ पर ज़ोर लगा कर सोचने लगा।

साली माल तो धाँसू है.. मौका भी अच्छा है.. चौका नहीं मारूँगा तो लण्ड मसलते रह जाऊँगा।

मैं अपने लण्ड को जीन्स के ऊपर से सैट कर रहा था कि वो आराम से उसे देख सके।

कुछ देर बाद वो पानी और चाय लेकर आई.. मैंने पानी पिया और चाय का कप उठाने के लिए थोड़ा खड़ा हुआ। वो मेरे सामने सोफे पर बैठी थी.. मैंने चाय का कप उठाया और जानबूझ कर लण्ड को जीन्स के ऊपर से दबा दिया। उसने वो देख लिया था.. मैं बैठ गया और बात करने लगा।

मैंने कहा- स्नेहा तुम इतनी खूबसूरत हो और वो लड़का मुझ कुछ ठीक नहीं लग रहा था… क्या करता है वो?

‘वो बाजू में रेलवे स्टाफ के फ्लॅट्स में रहता है.. रोज़ मुझ आते-जाते प्रपोज़ करता है। मैंने सोचा आज घर पर कोई नहीं है.. कुछ मज़ा ले लिया जाए। आज पापा भी गाँव गए हैं रात में आएँगे। मैं अकेली थी तो वो आ गया।’ उसने कहा।

मैंने सोचा आज वास्तव में मस्त मौका है। ‘तो क्या-क्या किया तुमने?’ ‘कुछ नहीं..’ और वो मुस्कुराने लगी।

मैंने सोचा हथौड़ा मारने का मौका है। ‘वैसे मौका तो अब भी है.. वो जो नहीं कर सकता.. वो हम दोनों कर सकते हैं.. क्या कहती हो?’

और मैंने उसको आँख मारी। वो हड़बड़ा गई और बोली- मैं तुम्हारे साथ कैसे कर सकती हूँ? मैं अभी तो तुमसे अनजान हूँ? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

‘तुम उस लड़के को भी तो नहीं जानती थीं.. बस वो तुम्हें प्रपोज़ करता है..’ मैं ये कहते हुए उसके बगल में जा बैठा। ‘वैसे वो लड़का ठीक भी नहीं था.. तुम अच्छे घर से हो.. वो तुम्हें बाहर बदनाम कर सकता है.. मैं वैसा नहीं करूँगा।’

मैंने हिम्मत करके उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया और हल्के-हल्के उसको दबाने लगा।

हाय.. क्या मुलायम जाँघें थीं दोस्तो.. एक बाल भी नहीं.. जैसे कि अभी वैक्सिंग किया गया हो। मैं धीरे-धीरे हाथ उसकी योनि के पास ले गया और दूसरे हाथ को उसके मम्मों पर हल्के-हल्के फेरने लगा। वो सिसकारी भर रही थी.. मैंने उसके पैर फैला कर चौड़े कर दिए और मेरा हाथ उसके स्कर्ट के ऊपर से योनि पर घिसने लगा।

वो सिसकारियाँ भरने लगी.. मेरा लण्ड फुंफकारने लगा। मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए। पहले तो उसने अपना मुँह फेर लिया.. तो मैं उसके गर्दन पर चूमने लगा, गर्दन पर मैं जीभ से चाटने लगा। वो बहुत ही गर्म हो गई थी, मेरा हाथ जो उसकी योनि पर था.. वो अपने हाथों से और जाँघों से योनि पर दबाने लगी, मैं समझ गया कि वो गर्म हो गई है।

मैंने अब दोनों हाथों को उसके स्तनों पर रख दिए और ज़ोर-ज़ोर से कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा और चूसने लगा। उसने मेरा सिर पकड़ कर मुझे अपने होंठ का रास्ता दिखाया, मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और उसके होंठ चूसने लगा।

वो भी मेरा साथ देने लगी और मैं हाथों से उसके दोनों स्तन दबाने लगा, उसने मेरे मुँह में अपनी ज़ुबान डाल दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा.. उससे वो और मस्त हो गई। मैंने उसका कुर्ता और स्कर्ट निकाल फेंका..। उसने स्कर्ट के अन्दर भी कुछ भी नहीं पहना था या फिर पहना होगा तो वो लड़के ने निकाल फेंका होगा।

मैं तो उसको देखता ही रहा.. गोरा-गोरा संगमरमर सा नंगा कुंवारा बदन मेरे सामने था। दोस्तो, यह मेरा नसीब ही था कि निमंत्रण देने गया था और खुद चूत का निमंत्रण पा बैठा।

स्नेहा की चूत की चुदाई का रस लेने के लिए अन्तर्वासना से जुड़े रहिएगा। बस स्नेहा की चूत चोदने के साथ कल मिलते हैं।

कहानी जारी है। [email protected]

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