मेरी सहेली की चूत और गांड मेरे पति और मेरे यार ने चोदी -2

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अब तक आपने पढ़ा..

‘यार मुझे तो निशा ने बुलाया था उसका साथ देने के लिए.. अब मुझे क्या पता उसके दिल में क्या है..?’ ‘देख बे.. सौम्या की पहले मैं लूंगा। तू निशा पर चढ़ जा.. क्योंकि तेरे लंड से चुदने के बाद सौम्या दो दिन तक किसी दूसरे लंड को हाथ भी नहीं लगाएगी..’ ‘ठीक है.. मैं पहले निशा को चोदता हूँ.. फिर तेरे बाद अगर सौम्या कहेगी तो उसकी भी फ़ाड़ूंगा।’ ‘यार वो कहेगी क्यों नहीं.. एक्सपीरियंस तो उसे भी बड़े लंड का लेना ही होगा ना?’ मेरे पति ने दोषी से कहा।

अब आगे..

आगे बढ़ने से पहले आप सभी एक बात कहूँगी दोस्तो.. जैसे लंड का साइज होता है ना.. वैसे ही चूत भी साइज में होती है। अठारह साल की चूत अगर एमसी भी आई हो.. तो भी दो इंच से बड़ी नहीं होती। उस चूत की ओपनिंग करने के लिए आराम से चोदना पड़ता है। अगर जबरदस्ती वो चूत बड़े लंड से चोदी जाए.. तो वो लड़की फिर चुदने को तैयार नहीं होती। क्योंकि चूत पर जो अतिरिक्त मार पड़ती है.. उससे लड़की फिर से चुदने को तैयार नहीं होती।

दोस्तो, कली को फूल बनाते वक्त माली उसकी कितनी फ़िक्र करता है.. ठीक उसी तरह किसी लड़की को पहली बार चोदते वक्त आराम से चूत के अन्दर प्रवेश करना चाहिए।

खपाखप.. चोदने से चुदने का आनन्द उस लड़की को नहीं मिल पाता। सबसे पहले फोरप्ले में उसके दोनों स्तनों की घुन्डियाँ धीरे से मसल कर उस मोहतरमा को आनन्द की अनुभूति दीजिए। अगर किसी लड़की को उत्तेजित करना है.. तो पहले उसका ‘हॉट-स्पॉट’ ढूंढिए.. नए एक्सपीरियंस लेने वालों के लिए ‘हॉट-स्पॉट’ क्या होता है.. इसकी जानकारी यह है कि स्त्री के बदन के जिस भाग पर आपके छूने से उत्तेजना की अनुभूति होती है.. उसे ‘हॉट-स्पॉट’ कहते हैं।

इसी तरह आदमी के अंगों को छूने के बाद अगर लण्ड में हरकत होती है.. तो जिस अंग को छूने पर ये होता है.. उस अंग को आदमी का ‘हॉट-स्पॉट’ कहते हैं। जैसे मेरा ‘हॉट-स्पॉट’ मेरे कान के पीछे की जगह है.. जहाँ पर होंठों की छुअन या हल्का सा हवा का झोंका भी मेरी उत्तेजना को बढ़ाता है। मेरे पति.. अरे इतना लिखा.. लेकिन उनका नाम बताना ही भूल गई.. उनका नाम आशीष है। उनके लंड की गोटियों में उनका ‘हॉट-स्पॉट’ है।

मैंने सौम्या को आशीष के आंडों से खिलवाड़ करने को कहा, मैंने उससे कहा- लंड चूसने की बजाय अगर तुम उसकि गोटियों से खेलो.. तो आशीष बहुत जल्दी तैयार हो जाता है।

तो सौम्या आशीष के पास बैठकर उसका लंड सहलाने लगी। इधर दोषी मेरे कपड़े उतार रहा था, सौम्या फटी आँखों से दुष्यंत के गधा ब्रांड लंड को देख रही थी।

यह साली चुदेगी.. जरूर चुदेगी दोषी से.. यह तो मैं जानती थी.. लेकिन दोषी का पहला धक्का मुझे ही खाना पड़ेगा.. यह भी मैं जानती थी।

अब शुरू होगी एक घमासान चूत-लंड की लड़ाई.. जोकि परवान चढ़ेगी सौम्या की गाण्ड के उदघाटन से.. आशीष एवं दुष्यंत कितने बड़े पेलवे हैं.. यह मुझे बड़ी अच्छी तरह से मालूम था।

प्रोग्राम की शुरूआत हो चुकी थी। सौम्या और मैंने दो-दो पैग ‘जेडब्लूबीएल’ (जॉनीवाकर ब्लैकलेबल) के लगाकर अपने कपड़ों के बोझ से खुद को हल्का कर लिया था। आशीष ने अपने होंठों पर से जीभ फिराई.. जैसे किसी शेर के सामने उसका शिकार तैयार खड़ा हो.. इस तरह वो सौम्या को देख रहा था।

मैं जानती थी कि आज मेरी कम.. लेकिन सौम्या की ठुकाई ज्यादा होने वाली थी। पेलना किसे कहते हैं.. आज सौम्या को पता चलने वाला था क्योंकि दोषी का चोदने का तरीका बड़ा ही भयंकर था।

मैंने आशीष से कहा था- पहली बार सौम्या को पेल रहे हो.. तो बेडरूम में जाकर चोदो.. नहीं तो वो दोषी से करवाएगी ही नहीं.. आशू को समझ में आ गया कि मेरी क्या सोच है। दोषी की भयंकर चुदाई से सौम्या ना डरे.. इसलिए मैंने आशू को बेडरूम में जाने को कहा।

इधर दोषी का लंड मैंने हाथ में लेकर मुठियाना शुरू कर दिया था। ‘क्यों बे साले.. क्या करता है इस लंड को इतना दुरुस्त रखने के लिए?’ ‘अबे तेरे जैसी चुदक्कड़ औरतों के चूत-रस से हरदम नहलाता हूँ इसको..’ उसने कहा।

मैं हँस पड़ी और उसके सामने नीचे बैठ गई, उसका वो गदहा छाप लन्ड अपने मुँह में लेकर चुभलाने लगी। हॉटडॉग की तरह वो मुँह में जा रहा था। ‘आह्ह.. क्या टेस्ट था..’ दो दिन से उस साले ने लंड को उसने धोया भी नहीं था। इसके पहले की चुदाई का सफेदा उसके लंड के चारों और फैला था.. बड़ा टेस्टी लग रहा था.. उन औरतों की चूत का भी रस उसमें लगा था।

दोषी हल्के-हल्के से मेरी गाण्ड पर थपकी मार रहा था.. जिससे धीरे-धीरे मेरी गाण्ड लाल होने लगी। दर्द से मैं हुमच उठती.. मेरी चूत में जैसे आग लग जाती.. फिर एक झापड़ मेरे कूल्हों पर लगता। फिर वही दर्द.. फिर वही चूत का सुलगना.. हे वात्सायन.. मेरी चूत जैसे जलता हुआ अंगारा बन रही थी।

अचानक दोषी ने मेरी गाण्ड में उंगली कर दी। मैंने उचक कर गाण्ड ऊपर की.. उसकी पूरी उंगली मेरी गाण्ड में घुस गई।

दोस्तो.. ऐसी अप्रत्याशित बातों से उत्तेजना और भी बढ़ जाती है.. ये हमेशा ध्यान में रखना जरूरी है। मैंने धीरे-धीरे दोषी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए, मेरी चूत में जैसे अंगारे भर दिए गए थे.. अब दोषी का गधा लंड मुझे मेरी चूत में चाहिए ही चाहिए था।

इसी बीच आशू बेडरूम से बाहर आया और उसने मुझसे पूछा- शहद की बोतल कहाँ रखी है?

मेरे जेहन में भी एक विचार कौंध गया.. क्यों न दोषी के लंड पर ‘जेडब्ल्यूबीएल’ का एक पैग डालकर चूसा जाए.. आशू को शहद की बोतल देकर मैंने एक पैग बनाया.. और थोड़ा-थोड़ा दोषी के लंड पर डालते हुए मैं दोषी का लंड चूसने लगी।

उधर बेडरूम में सौम्या अपनी चूत पर शहद लगवा कर आशू से चूत चटवा रही थी।

‘दुष्यंत.. मेरी चूत के पेलू.. मेरी गाण्ड के राजा.. तेरी ये चूतम रानी तेरे इस लंड पर न्यौछावर है.. तू इस चूत का.. गाण्ड का मालिक है। मेरे बदन के मालिक.. अब अपनी इस दासी की चूत में अपना ये लंड डालकर उसे उपकृत कर दे.. उसकी गाण्ड फाड़ दे। उसके बदन को मसलकर अपनी हर तमन्ना पूरी कर ले। मैंने मस्ती में झूमते हुए अपनी दोनों टाँगें फैला दीं।

मेरी फैली हुई जांघों के बीच आकर दोषी ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर लगाया।

‘मालिक.. पहला झटका ज़रा धीरे से मारना.. क्योंकि मेरी अभी फटना नहीं चाहती..’ ‘ठीक है दासी.. पहला धक्का आराम से मारता हूँ तेरी चूत में.. लेकिन गाण्ड में अपने हिसाब से मारूंगा..’

‘यानि तुमने ये ठान ली है कि आज गाण्ड फाड़ चुदाई करनी है.. तो फिर सौम्या की करो ना.. साली चुदक्कड़..’ ‘अगर मैंने सौम्या की गाण्ड ली.. तो वो तो भाग ही जाएगी.. क्योंकि मेरा लंड लेने की ताकत बहुत कम औरतों में है जानू.. उनमें से एक तुम हो।’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

बड़ी नफासत से दोषी ने मेरी चूत में लंड को घुसाया। ‘हाय.. आज कहाँ से दिन निकला मेरे बदन के राजा..?’ ‘क्यों ऐसा मैंने क्या कर दिया डार्लिंग..?’ ‘आज बड़े आराम से मेरी चूत में लंड पेल रहे हो..?’ ‘नहीं यार.. आज मूड ठीक नहीं है।’ ‘क्यों क्या हुआ.. लंड कुछ और मांग रहा है क्या..?’

‘आज तुम्हारे दोनों छेद पेलने का मन है जानू.. लेकिन तुमनी गाण्ड को पेलने के लिए मना कर दिया।’ ‘अरे तो नहीं कब कहा मैंने.. तुम मेरी भी गाण्ड ले सकते हो.. लेकिन आज सौम्या की पहली बार चुदाई है.. तो उसको तुम्हारे लंड का प्रसाद तो मिलना चाहिए ना?’

मेरी बात सुन कर दोषी ने एक तगड़ा शॉट मारा। ‘हाय अब आया है लंड चूत में.. इसी तरह करो जानू.. आह.. स्स्स्स्स स्स्स्स्स.. मस्त.. फाड़ डालो साली को.. बहुत चुनचुनाती है साली..’ ‘क्यों आशू नहीं चोदता क्या तुम्हें?’ ‘अरे यार, जब तक तुम्हारा मूसल लंड अन्दर घमासान नहीं मचाता.. तब तक चुदाई हो गई.. ऐसा लगता ही नहीं..’

फिर दोषी ने मेरी चूत में जो कोहराम मचाया.. वो अवर्णनीय था, अपना लंड गोल-गोल घुमाते हुए उसने चूत फाड़ चुदाई शुरू कर दी।

फिर उसने मुझे एक ऐसे आसन से चोदा.. जो हमने पहले कभी किया नहीं था। उसने मेरे दोनों पैर अपनी जांघों पर रख लिए.. मेरा मुँह जमीन की तरफ था। मेरी जांघों को जांघों पर लेकर उसने मेरी चूत मे उसका मूसल लंड डाल दिया.. ‘खपाक’ से उसका गधा लंड मेरी चूत में घुस गया.. तो मैं चिल्ला उठी ‘साले चूत को चोद.. फाड़ मत मादरचोद.. मेरी चूत को.. खसमाँ नू खाना..’

पर वो मेरी एक न सुन रहा था, उसने ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी। ‘अबे रुक.. रुक.. मेरे को बाथरूम जाना है..’ उसकी चुदाई से घबराकर मैंने उसे कहा। तो वो कहने लगा- मूत साली.. यहीं पर मेरे लंड पर मूत..

‘हाय स्स्स्स्स्स.. कैसे राक्षस जैसे चूत चोदता है साले?’ मैंने वहीं सोफे पर मूत दिया। मेरा मूत दोषी के लण्ड पर से बहने लगा। पांच-दस मिनट बाद थोड़ा मौका मिला.. तो मैंने दोषी से एक बात शेयर की।

फिर हम दोनों साथ में हमारे बेडरूम में गए। वहाँ आशू सौम्या की गाण्ड मार रहा था। सौम्या आँखें बंद करके तकिये पर सर रखकर लेटी हुई गाण्ड मराने का आनन्द ले रही थी।

अचानक हम दोनों को वहाँ देखकर आशू ने लंड के धक्के मारने बंद कर दिए। सौम्या ने आँखें न खोलते हुए आशू को धक्कों की स्पीड बढ़ाने को कहा।

मैंने होंठों पर उंगली रखते हुए आशू को करते रहने की हिदायत दी, आशू की समझ में सब आ गया।

मैं बिस्तर पर चढ़कर सौम्या के ऊपर से मेरी दोनों टांगों को फांकते हुए आशू के मुँह के पास मेरी गीली चूत ले गई, आशू मेरी चूत को चाटने के लिए सामने आया। पीछे से दोषी ने आशू की गाण्ड में अपना लंड लड करवा दिया। अब स्थिति कुछ ऐसी थी कि आशू सौम्या की गाण्ड मारते हुए मेरी चूत चूस रहा था.. आशू की गाण्ड में दोषी का लंड घुसा था। दोषी मेरे मम्मों को चूसते हुए ‘खपाखप..’ आशू की गाण्ड मार रहा था। अचानक दोषी ने आशू की गाण्ड से अपना लंड निकाला.. आशू सामने को हो गया। अचानक हुआ ये बदलाव सौम्या को मालूम नहीं था। आशू की गाण्ड से निकला लंड सौम्या की गाण्ड में घुस गया।

सौम्या जोर से चिल्लाई- आशू तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे हो गया रे?

उसने आँखें खोलकर देखा तो दोषी उसकी गाण्ड का फालूदा कर रहा था। ‘अबे रुक.. रुक साले.. मेरी गाण्ड फट जाएगी रे.. चोदू?’

यह कहते हुए उसने अपनी गाण्ड को हिलाना शुरू किया.. लेकिन दोषी ने उसकी गाण्ड पर चमाट मारते हुए सौम्या की गाण्ड पक्की पकड़ कर रखी हुई थी ‘हाय दइया.. बाप रे.. ओ.. माँ.. फट गई मेरी.. रुक ना मादरचोद.. निशा बचा ले मुझे..’ कहते हुए उसने रोना शुरू कर दिया, उसकी आँखों से पानी बहने लगा। धीरे-धीरे सौम्या का दर्द कम होने लगा। फिर वो खुद ही गाण्ड हिला-हिला कर गाण्ड मरवाने लगी।

‘साली तूने मुझे बताया क्यों नहीं कि दोषी का लंड है.. आह स्स्स्स्स्स्स.. अरे बाप रे मार दिया..’ ‘क्यों बाप से चुदा रही हो मेरी जान.. मेरा लंड ही काफी है तुझे चोदने के लिए..’

ये कहते हुए दोषी ने गाण्ड में लंड घुसाने की स्पीड बढ़ा दी।

अब सौम्या जम कर चुदा रही थी, आज एक नया एक्सपीरियंस सौम्या को मिल रहा था। सारी रात सौम्या और मैं आशू और दोषी से अपनी गाण्ड का भुरता और चूत की चटनी करवाते रहे।

तो यह थी मेरी पाठिका ने मुझसे शेयर की हुई कहानी। वो तो मुझसे चुदकर गई.. लेकिन उसकी ये कहानी मेरे जेहन में घुमड़ती रहती थी.. इसलिए उसकी स्वीकृति के बाद मैंने यह कहानी आपके सामने परोसी है। अब इसे मिठाई समझ कर खाना या चिकन.. ये आप पर है।

आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में आपका प्यारा लेखक अभिजीत देवाले ‘चूतचोदू’ [email protected]

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