जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -4

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अब तक आपने पढ़ा..

ममता मेरे लण्ड पर कूद रही थी.. उसकी चूचियाँ उछल रही थीं.. गले की माला भी रिदिम के साथ बहक रही थी.. आआअह्ह.. क्या नज़ारा था.. चेहरे पर बिखरे बाल.. बहकती माला.. उछलती चूचियाँ.. मेरे सीने पर उसके हाथ ऐसा लग रहा था.. कि जन्नत यही है। आहह.. अब ‘फ्च्छ फ्च्छ..’ की आवाज आ रही थी.. पूरा कमरा वासना की आवाज़ से संगीतमय था।

अब आगे..

पर ममता जल्दी ही थक गई.. मैं समझ गया, मैंने उसको लिटा कर मोर्चा संभाल लिया। उधर नीचे लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा.. स्पीड बढ़ाना स्टार्ट किया.. तो ममता भी पूरा साथ देने लगी। मेरा हाथ उसकी चूत पर जाकर उसके भगनासा को रगड़ने लगा।

मेरे इस कृत्य से उसकी आवाज़ और तेज़ हो गई और ममता जोरदार सिसकारियाँ लेने लगी ‘आ..ह..सी.. आ..ई.. हु..ई. उ..ई.. राजी .. आ..ह राजी.. उ..ई. .ब.स. .बस. .चू.स.. लो.. आह.. आ..ह.. आ.ह.. उ.ई.. आअह्ह्ह्ह चोदो राजी.. मुझे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया..’

अचानक उसके बदन में अकड़न शुरू हो गई तो मैं समझ गया अब वो झड़ने वाली है.. मैं भी अपने स्खलन के करीब था। ममता- राजी, मेरा होने वाला है.. मैं- मेरा भी.. कहाँ निकालूँ? ममता- अन्दर ही निकालना.. मैं इस अद्भुत सुख को पाना चाहती हूँ.. मेरी योनि.. तेरे अमृत से सराबोर होना चाहती.. मैंने नसबंदी करवा रखी है.. बस तुम लण्ड बाहर मत निकालना।

ममता ‘बस.. बस.. आहह.. उहह.. ओह..’ कर रही थी। दोनों के बदन अकड़ रहे थे.. ममता ने जोर से कांप कर मुझको अपने पैरों से जोर से जकड़ लिया। मुश्किल से एक-दो झटकों से मैंने भी अपना सारा रस उसकी चूत में भर दिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर पड़ा।

पता नहीं कितनी देर बाद हम दोनों को होश आया.. ममता अपनी बाँहों में मुझे जकड़े हुई थी.. मेरा लण्ड सिकुड़ कर चूत से बाहर आ गया।

मैंने सर उठा कर उसकी आँखों में देखा.. उसकी आँखों में प्यार.. अपनत्व.. संतुष्टि के भाव देख कर मैं निहाल हो गया। ममता ने प्यार से मेरा सर सहलाया और एक हलकी सी होंठ पर चुम्बन देकर अपनी ख़ुशी जाहिर की। ममता- राज़ी खुश हो न.. कर ली न अपने मन की.. मैं- हाँ जान मज़ा आ गया.. जिंदगी में पहली बार इतना सुख मिला है।

ममता- राजी जानते हो इतना लम्बा सेक्स मैंने कभी नहीं किया.. मैं पूरी चुदाई में कई बार झड़ गई थी.. मैं अपने पति के साथ सेक्स में कभी भी नहीं झड़ी.. तुमने आज मुझको एक साथ इतना सुख दिया। मैं- जान हम दोनों ने एक-दूसरे को सुख दिया है।

मैंने टाइम देखा, अभी 3 बज रहे थे मेरे पास अभी और वक़्त था कि मैं उसको एक बार और चोद सकता था। मैंने टिश्यू पेपर से उसकी चूत और लण्ड को साफ किया और उसके जिस्म को सहलाने लगा।

ममता- हटो, मुझे टॉयलेट जाना है..

थोड़ी देर में जब वो टॉयलेट से बाहर आई तो उसके जिस्म को देख कर मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। वो आकर अपने कपड़े समेटने लगी। मैंने कहा- क्या कर रही हो.. छोड़ो कपड़ों को.. यहाँ आओ।

ममता ने एक बार मेरी तरफ देखा और बोली- क्या है? मैं- यहाँ आओ मेरे पास.. अभी टाइम है हमारे पास.. मैं उठा और उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर ले आया और बोला- एक बार और करते हैं।

ममता- एक बार और..? पागल हो क्या.. नहीं अब नहीं देर हो जाएगी.. मैं- ममता देखो ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलेगा.. और अभी हमारे पास टाइम है।

फिर मैंने उसको बाहों में भर कर एक लम्बा चुम्बन किया उसके लबों पर।

ममता- तुम भी ना पागल हो.. ऐसा कुछ भी नहीं है मेरे पास.. जो तुम्हारी बीवी के पास नहीं है.. प्लीज मान जाओ.. मुझको अब जाना होगा। पर मैंने उसकी बात सुन कर अनसुना कर दिया और उसे बिस्तर पर लिटा कर उस पर चढ़ कर उसको चूमने लगा, ममता ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और मुझे कस कर बाँहों में जकड़ लिया। अब हम फिर एक-दूसरे को चूमने और सहलाने लगे। उसकी 36 साइज की चूचियों को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूसने लगा।

ममता के मुँह से फिर से आवाजें निकलने लगीं- आआह राजी.. तुमने फिर से अपने मन की कर ली.. मुझे कितना और चोदोगे.. मेरा हाथ उसकी बुर के छेद में घुसा था.. मुँह में चूची थी.. कमरे में ममता की सेक्सी आवाज़ थी। दोस्तो, कुल मिला कर कमरे का माहौल वासना से सराबोर था।

ममता- राजी अब डाल भी दो लण्ड.. मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाऊँगी.. मेरा हो जायेगा। मैंने भी देर ना करते हुए उसे घोड़ी बनाया और एक झटके से पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया। ममता- आआह्ह.. ऊई माँ.. धीरे से नहीं कर सकते क्या.. अब तो ये बुर तेरी अपनी है.. इसे प्यार से चोदो मेरे राजी..

पर मैं बेरहम बनकर जंगली चुदाई का मन बना चुका था। उसकी बात को अनसुना करके एक बार पूरा लण्ड निकाला और फिर से एक झटके से पूरा चूत में उतार दिया। ममता- सीईईईईईईई.. ओह.. ममता की चीखें निकलने लगीं।

उसकी चूत एकदम गीली थी.. जिससे मेरी स्पीड भी बढ़ती जा रही थी। ममता भी अपना पूरी गाण्ड उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी- ओह.. सस्स्स्स.. आअह आअह आअह..ऊओह. स्स्स्स्स ई ई ई ई ई ओओओ सस्स उम्म्म्म..

मैं उसकी झूलती चूचियों को मसलने लगा। मेरा लण्ड चूत में आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था और उसके मुँह से मस्ती से भरी हुई आवाजें निकल रही थीं- सस्स्स्स.. उउउ.ऊओह उह आअह आअह आअह.. ऊओह.. मेरे राजाआाआ.. कककका.. आअ ओह.. बुझा लो अपनी प्यास.. कर लो अपने मन की.. मेरा होने वाला है.. राजी..ई ईईईई.. ओओओ आह.. आह आह..

यह कहती हुई वो धम से बिस्तर पर गिर गई.. रह-रह कर उसके बदन में कम्पन हो रही थी.. उसकी चूत का मुँह खुल और बंद हो रहा था.. जिसको मैं लण्ड पर महसूस कर रहा था। चूत की दीवारें मेरे लण्ड को जोर से जकड़ रही और छोड़ रही थीं।

मैंने भी रुक कर उसको पीठ की बल लिटा कर फिर से चोदना शुरू कर दिया। अब ‘फ्च्छ.. फ्च्छ..’ की आवाज आ रही थी।

उधर मैं नीचे लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा.. स्पीड और बढ़ाना स्टार्ट किया.. तो ममता भी फिर पूरा साथ देने लगी। मुझको मालूम था कि अब मैं ज्यादा देर नहीं रुक पाउँगा.. सो मैंने भी जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिए। मेरा लण्ड चूत रूपी गुफा में अन्दर जाता और उतनी तेजी से बाहर आकर पुन: प्रहार करता हुआ अन्दर चला जाता।

ममता की वासनामय आवाज़ ने मेरी उत्तेजना को बढ़ा दिया और मैं भी चरम सीमा के पास आ गया। और एक बार फिर मैंने अपना कामरस उसकी चूत की अन्दर भर दिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया। मेरे साथ ही ममता भी झड़ गई। उसने मुझको जोर से अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ किया और फिर कपड़े पहन कर तैयार होकर होटल से बाहर आ गए। फिर हम दोनों एक मॉल में गए.. जहाँ मैंने उसको एक सूट दिलाया.. उसके बच्चों की लिए भी टी-शर्ट्स लीं और उसको उसके ऑफिस में छोड़ कर वापिस होटल आ गया।

यह मेरी सच्ची दास्तान थी.. कई बार हम अनजाने में अपने पार्टनर की अनदेखी कर जाते हैं.. जिसके कारण हम वो सुख कहीं बाहर तलाश करने लगते हैं।

शादी-शुदा जिंदगी हो.. या आपकी प्यार की जिंदगी हो.. आपको अपने पार्टनर की इच्छा.. वो क्या चाहता है या चाहती है.. इसका जरूर ख्याल रहना चाहिए। सम्भोग के सुख में उम्र मायने नहीं रखती.. यदि समर्पण का भाव होगा.. तो आप अपने से दुगनी उम्र के मर्द या महिला की साथ या अपनी उम्र से आधे से कम के मर्द या महिला की साथ सेक्स करें.. तब भी आपको भरपूर मज़ा आएगा।

यह मेरा पहला प्रयास था.. हो सकता है टाइप करते समय लिखने में कुछ गलतियां हो गई हों.. पर आपको मेरा ये प्रयास कैसा लगा.. आप अपनी राय से जरूर अवगत कराएं.. आप सभी की आलोचना और प्यार भरे विचारों का इंतज़ार रहेगा।

सो दोस्तो.. यह थी राजीव रंजन जी का पहला.. शादी से बाहर का सम्भोग.. आशा करता हूँ कि आपको पसंद आया होगा।

आप मुझको मेल कर सकते हैं या मेरे प्रोफाइल से मेरी फेसबुक आईडी लेकर बात कर सकते हैं। मेरी ईमेल आईडी [email protected] पर अपने विचार भेज सकते हैं।

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