प्रेमिका को पहली बार उसके घर में चोदा

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दोस्तो.. मैं अरुण एक बार फिर आप सभी के लौड़ों और भाभी.. आंटी और लड़कियों की चूतों को उत्तेजित करने के लिए एक बार फिर हाजिर हूँ।

मैं अपने ही किसी दोस्त की कहानी उसी दोस्त की जुबानी लिख रहा हूँ.. जिसने मेल के जरिए अपनी कहानी लिख कर मुझे भेजी है और अन्तर्वासना पर पोस्ट करने के लिए कहा है।

दोस्तो.. मेरा नाम दीपेश है.. शरीर एकदम कसरती है.. और मेरे लौड़ा 6″ लंबा है.. जिसे मैं चूत की खुजली मिटाने के लिए काफ़ी समझता हूँ। बात आज से 4 साल पहले की है.. जब मैं 12 वीं क्लास में था। तब मेरी एक गर्लफ्रेण्ड थी.. जिसका नाम संजना था।

हम दोनों में गहरी यारी-दोस्ती थी, हमारी रिलेशनशिप को 6 महीने हो चुके थे, अभी तक हम बस किस करके ही अपना काम चला रहे थे। हम जब भी मिलते.. तो बस किस ही करके रह जाते.. मगर किस हमारी इतनी देर तक और हॉट होती थी कि हम दोनों उतने में ही झड़ जाते थे।

एक दिन मेरे पास संजना का रात को फोन आया और हम दोनों रोज की तरह अपनी अपनी बातों में लग गए। तो बातों-बातों में संजना ने मुझसे कहा- आज मैं घर पर बिल्कुल अकेली हूँ… मॉम-डैड दोनों किसी पार्टी में गए हुए हैं और कल शाम तक ही वापस आएंगे। तो मैंने संजना से कहा- मैं तेरे घर इसी वक्त आ रहा हूँ।

उसने मुझे आने के लिए साफ़ साफ़ मना कर दिया पर कुछ देर तक मनाने के बाद संजना मान गई और मैं रात 11 बजे संजना के घर पहुँच गया। बाहर से मैंने संजना को फोन किया कि वो गेट खोल दे और देख ले कि आस-पास कोई है तो नहीं..

संजना ने दरवाजा खोला और इधर-उधर देख कर मुझे अन्दर आने का इशारा किया, मैं उसके घर में अन्दर आ गया। अन्दर आते ही मैंने संजना का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और किस करने लगा.. जिसमें संजना भी मेरा साथ दे रही थी।

किस करते हुए अब मेरे ऊपर पूरी तरह से सेक्स हावी होने लगा था.. तो संजना अपने आपको छुड़ाकर अन्दर जाने लगी और कहने लगी- बस अब और कुछ नहीं.. मैंने संजना से कहा- आज तो दो आत्माओं का मिलन होने दो यार..

संजना ने मेरी इस बात को अनसुना कर दिया और जाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसे फिर से अपनी और खींचा.. और मैंने कहा- आज मैं सब कुछ करूँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तो संजना ने जवाब दिया- जो भी करना है बस ऊपर-ऊपर से ही करना। मैंने पूचा- ऊपर-ऊपर से मतलब..? तो उसका जवाब था- सिर्फ़ किस और कुछ नहीं.. मैंने कहा- जान आज तो मुझे अपना दूध पिला दे.. मैं उसके चूचे दबाने लगा।

सच में दोस्तो.. क्या कड़क चूचे थे साली के.. मैं तो बस उन्हें पकड़कर तब तक दबाता रहा.. जब तक संजना की आवाज़ मेरे कानों में नहीं पड़ी- बस अब छोड़ दो बहुत दर्द हो रहा है। वो अपने आपको मुझसे छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी।

अब मुझे लगा कि अगर ये आज मेरे हाथों से निकल गई.. तो फिर मैं इसे नहीं पा सकूँगा। मैंने देर ना करते हुए संजना की चूत पर हाथ रख दिया और चूत में उंगली करने लगा।

संजना छूटने के लिए मचलने लगी। मैंने भी अब झिड़की लगा कर संजना से कहा- साली नखरे चोद रही है.. खुद ही मान जा.. नहीं तो मुझे जबरन तेरी चुदाई करनी पड़ेगी। मगर वो नहीं मानी.. तो मैंने उसे नीचे लेटाया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और जोर लगा कर उसके पैरों को पूरा फैला दिया।

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखकर जैसे ही झटका लगाया.. तो मेरा लंड चूत पर से फिसल गया.. क्योंकि यह मेरा और उसका पहली बार ही था.. वो भी जबरदस्ती वाला.. मैंने फिर से एक और झटका लगाया तो इस बार लौड़े का टोपा ही अन्दर गया था कि वो एकदम से उछल गई.. जिससे लंड फिर से बाहर निकल गया।

तो मैंने कहा- जान.. तुम मान क्यों नहीं जाती.. ऐसा मौका हमें फिर कभी नहीं मिलेगा। तो संजना ने जबाव दिया- मेरी फ्रेण्ड ने बताया था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है.. मैंने उसे समझाया- ऐसा कुछ नहीं है जान..

और बस समझाते हुए मैंने एक ज़ोर का झटका और दिया.. जिससे उसकी चीख निकल गई.. क्योंकि अब आधा लंड अन्दर जा चुका था। मैंने एक हाथ से उसका मुँह बन्द कर दिया.. जिससे उसकी चीख ना निकल सके.. और झटके लगाता रहा।

अब संजना के आँसू निकलने लगे थे.. मैं संजना को बुरी तरह से चोदे जा रहा था.. उधर संजना का कुछ दर्द कम हुआ होगा.. जिससे वो भी कुछ हद तक चुदाई में साथ देने लगी थी.. मगर पूरी तरह से नहीं.. अब मैं चुदाई की चरम सीमा पर था और लौड़े को चूत से बाहर निकाल कर संजना की चूत के ऊपर अपना सारा माल निकाल दिया..

तो संजना ने कहा- हाय, ये क्या है.. इतना गाढ़ा गाढ़ा? तो मैंने संजना से कहा- ये तुम्हारे बचाव के लिए ही है और मैं तुम्हें चोद चुका हूँ.. पर माल बाहर निकाला है ताकि तुमको कोई दिक्कत न हो।

संजना की चूत से अभी भी खून निकल रहा था.. तो मैंने अपनी बनियान से उसका खून रोका और उसकी पैन्टी पहना दी.. और फिर मैं वहाँ से अपने घर आ गया।

जैसे ही मेरा हाथ लंड पर लगा तो मुझे लंड कुछ चिपचिपा सा लगा देखा तो पता लगा कि लंड पूरा का पूरा खून से सना हुआ है। लंड को धो कर संजना को फोन किया और पूछा- कैसी हो? तो संजना का जबाव था- साले कुत्ते कमीने… हरामजादे.. बहुत दर्द हो रहा है.. और फोन काट दिया।

स्कूल में पूछा तो कहा- तीन दिन हो गए हैं.. दर्द कम नहीं हो रहा है और चलने में भी दिक्कत हो रही है। बस दोस्तो, मैं उसके साथ बस एक बार ही चुदाई कर पाया.. उसके बाद उसने मुझे और मैंने उसे छोड़ दिया। यह थी मेरी पहली कहानी.. तो कैसी लगी आपको मेरी कहानी.. [email protected]

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