भाई ने मेरी गांड का उदघाटन किया-1

हेलो दोस्तो,

प्रीति सिंह फिर हाज़िर हूँ एक नई पोर्न स्टोरी लेकर! आप तो जानते ही हैं कि कैसे मेरे भाई ने मेरी चूत की सील तोड़ी थी। और तब से हमें जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई करते हैं। मेरा भाई मेरी चूत बहुत बार चोद चुका है।

अभी होली के बाद की बात है, मां और पापा दो दिन के लिए कही रिश्तेदारी में गए थे। वो लोग सुबह 10 बजे घर से निकल गए थे तो अब घर में हम दो लोग ही थे।

माँ पापा के जाते ही भाई मेरे पास आया और उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझे बैडरूम में ले आया और उसने मुझे बेड पर पटक दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा, कभी मेरे होठों को चूसता तो कभी मेरे गालों को, कभी माथे को तो कभी गर्दन को… वो पागलों की तरह मुझे चूम रहा था।

मेरी साँसें तेज हो चुकी थीं… हमें डर तो किसी का था नहीं क्योंकि घर पूरा खाली था। मेरी सिसकारी छूट रही थी ‘आ.. आ..’ भाई मेरे दोनों मम्मों को दबा रहा था और मेरी ‘आ.. आ… आह.. हा..’ की आवाज निकल रही थी।

कई बार भाई ने इतनी तेज दूध दबाए कि मैं चीख पड़ी, मैंने भाई से कहा- इतनी तेज नहीं दबाओ.. आराम सेदबाओ न.. लगती है।

मैंने भाई से कहा- आराम से करो, अब हमारे पास दो दिन हैं, खूब मज़े करेंगे! हम दोनों बहुत खुश थे। भाई ने कहा- हमारे पास दो दिन हैं और हम इन दो दिनों में खुलकर चुदाई करेंगे। दीदी, मैं आपको सेक्स का नया मज़ा दूँगा, बस आप मेरा साथ देना!

मैंने भी हाँ में सर हिलाया।

अब क्या था, उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और जल्दी से अपने कपड़े भी उतार लिए। अब भाई मेरे दोनों मम्मों को चूस रहा था, कभी चूसता तो कभी दबाता! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब उसने मेरी नाभि में जीभ डाल दी और उसे चाटने लगा। थोड़ी देर बाद वो मेरी चूत पर आ गया था, वो मेरी चूत को चाट रहा था, कभी पूरी जीभ अंदर गुसा देता तो कभी चूत के दाने को मुँह में लेकर चूसता। मैं तो बस आँखें बंद करके आहे भर रही थी आःह्ह्ह आअह्ह्ह आह्ह्ह्ह…

मैं पूरी तरह से गर्म हो गई थी, उससे विनती करने लगी- भाई, अब अपना लंड डाल कर मेरी चुदाई कर दो! लेकिन वो मुझे और तड़फा रहा था, वो कहने लगा- दीदी, मैं आपको एक शर्त पर चोदूँगा! मैं बोली- क्या शर्त है? मुझे तेरी सब बातें मंजूर हैं। वो बोला- दीदी, मुझे आज आपकी गांड मारनी है।

मैंने कहा- ठीक है, मार लेना लेकिन अभी मेरी चूत को को शांत कर! इतना सुनते ही उसने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रख ली और मेरी चूत में एक ही जटके में अपना पूरा लंड डाल दिया और धीरे धीरे अंदर -बाहर करने लगा।

कमरे में मेरी और उसकी सीत्कारें और आहों की आवाज़ गूंज रही थी, वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।

फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा, मैंने घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसनेमेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मुझे दर्द हो रहा था मगर मैं सह गई।

दर्द कम होते ही फिर से धक्के जोर जोर से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था। उसने धक्के तेज कर दिए। अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह आज मेरी चूत फाड़ देगा।

फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया। वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया। मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था।

फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी। हम दोनों थक चुके थे और भूख भी लग चुकी थी। फिर मैं नंगी ही रसोई में गई और कुछ खाने के लिए ले कर आई, हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया।

कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्तो! आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे मेल करना ना भूलें! आपकी प्यारी प्रीति [email protected]

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