मेरा गुप्त जीवन- 159

‘लंड के भाग से चूत वाली सलवार का नाड़ा टूटा…’ इसको मैं एकदम अचानक और बिना किसी किस्म के पूर्व तैयारी के सम्भोग की ही संज्ञा दूंगा।

उस दिन कॉलेज से वापस आने पर जब मैं खाना खा रहा था तो चंचल और रश्मि भाभी और उन के साथ कुंवारी लड़कियों ने मुझको बैठक में घेर लिया और मुझसे एक साथ सब बातें करने की कोशिश करने लगी।

तब पूनम की भाभी और पूनम ने उन सबको चुप करवाया, फिर पूनम बोली- क्यों सोमू, क्या तुमने किसी फिल्म में काम किया था पिछले साल? मैं मुस्कराते हुए बोला- हाँ किया तो था एक छोटी मोटी फिल्म में, जब हम गाँव गए हुए थे दशहरे की छुट्टियों में पिछले साल… बड़ा मज़ा आया था पूनम!

पूनम बोली- मैंने सुना है यह फिल्म अभी लखनऊ में चल रही है किसी सिनेमा में? मैं बोला- हाँ चल तो रही है और मैं अक्सर वहाँ जाता हूँ क्योंकि मेरे चाहने वाले बहुत बुलाते हैं मुझको! पूनम हैरान होती हुई बोली- तुमको बुलाते हैं? तुमको सोमू? मैं मान नहीं सकती कि ऐसा हो सकता है? ऐसा क्या ख़ास काम किया है तुमने उस फिल्म में जो सिनेमा देखने वाले लोग तुमको बुलाते हैं?

मैं शरारती लहजे में बोला- मुझको क्या मालूम वो क्यों बुलाते हैं? तुम्हीं उनसे पूछ लो ना यह सब! पूनम बोली- ठीक है, आज हमको 3 बजे का शो दिखा दो उस नासपीटी फिल्म का, मैं भी तो देखूं ऐसा क्या किया है तुमने उस फिल्म में? मैं बोला- कौन कौन जाएगा इस नासपीटी फिल्म को देखने?

सब भाभियाँ और सब कुंवारी लड़कियाँ तैयार हो गई इस फिल्म को देखने के लिए और फिर मैं ने सिनेमा के मैनेजर को फ़ोन पर अपने गेस्ट्स के साथ आने का प्रोग्राम बता दिया। जब हम वहाँ पहुंचे तो मैनेजर साहिब और कुछ दर्शक वहाँ खड़े थे। जैसे ही उन्होंने मुझको देखा तो सब दर्शक मेरे पास आ गए और मेरे ऑटोग्राफ मांगने लगे।

मैंने अब पूनम को आगे कर दिया और सबसे कहा- जो कुछ भी आपको माँगना है वो इन बहन जी से मांगे। यह सुन कर पूनम सकपका गई और मेरे पीछे खड़ी हो गई और तब मैं सबकी नोटबुक्स पर अपने दस्तखत करने लगा और उन को साथ में विद बेस्ट विशेस भी लिखता जा रहा था।

पूनम आँखें फाड़ फाड़ कर यह सब देख रही थी और साथ में वो बहुत ही इर्ष्या महसूस कर रही थी। मैंने भी उसको चिढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। जब मैनेजर साहब हमको बालकनी में बैठाने के लिए ले जा रहे थे तो पूनम ही मेरे साथ चिपकी हुई थी, उसकी गुलाबी रेशमी साड़ी में छिपे हुए मोटे सॉलिड मम्मे मेरे बाजुओं से बार बार टकरा रहे थे।

जब हम सीटों पर बैठने लगे तो पूनम ने अपनी सीट मेरे साथ वाली सीट को चुना और मेरे को बीच मैं बिठा कर मेरे दाएं तरफ एक नई भाभी को बिठा दिया। बाकी सारी लेडीज को भी पूनम ने बिठा दिया हमारी वाली ही लाइन में! फिल्म शुरू होने से पहले मैनेजर साहब ने कुछ कोक की बोतलें भी भेज दीं थी हम सब के लिए।

यह बेचारी गाँव से आई हुई औरतों के लिए यह सब कुछ अजीब सा था लेकिन वो अपनी खातिरदारी को देख कर बड़ी खुश थी और वो सब मेरी बड़ी तारीफ कर रही थी जिससे पूनम और भी चिढ़ रही थी। अँधेरा होते ही पूनम ने मेरा हाथ पकड़ा और उसको अपनी गोद में रख दिया और अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया।

फिर पूनम मेरी पैंट के आगे के बटन खोलने लगी लेकिन मैंने उसको रोक दिया और अपने साथ बैठी हुई भाभी की तरफ इशारा किया और पूनम से पूछा- यह कौन है? पूनम ने मेरे कान में कहा- यह हमारी चुदक्कड़ भाभी है, इससे मत डरो यह मेरी मुरीद है।.

यह कह कर पूनम मेरे पैंट के बटन खोलने लगी और मैंने भी उसकी साड़ी को घुटनों से ऊपर कर दिया और अपना बायाँ हाथ उस की साड़ी के अंदर उसकी चूत पर रख दिया।

पूनम की चूत एकदम बहुत गीली हो रही थी, मैंने उसके कान में कहा- चुदवाना है क्या तुमको? वो घबरा गई और बोली- यहाँ कैसे? मैंने कहा- तुम हाँ करो तो मैं इंतज़ाम करूं? वो बोली- घर पर तो भाभी की नज़र मुझ पर रहती है अगर तुम यहाँ इंतज़ाम कर सकते हो तो मैं तैयार हूँ।

मैंने उसको कहा- मेरे पीछे बाहर आओ। यह कह कर मैं उठ कर बाहर जाने लगा और थोड़ी देर बाद पूनम भी उठी बाहर जाने के लिए और मैंने देखा कि किसी भी लड़की या औरत ने यह नोटिस नहीं किया।

जब हम दोनों बाहर आये तो मैंने गेट कीपर से कहा कि वो ज़रा जल्दी से बॉक्स रूम का दरवाज़ा खोल दे। यह कहने के साथ ही मैंने उसके हाथ में 10 रूपए का नोट भी थमा दिया।

उसने झट से बॉक्स का दरवाज़ा खोल दिया और हम दोनों जल्दी से अंदर चले गये और अंदर से चिटकनी लगा दी। हम दोनों ने एक बड़ी टाइट जफ्फी मारी और पूनम ने बड़ी कामातुरता से मुझ को चूमना शुरू कर दिया। मैंने पूनम से पूछा- बहुत चुदाई की प्यासी लग रही हो? आखरी बार कब चुदवाया था किसी से? पूनम बोली- सच सोमू, तुम्हारे घर से जाने के बाद मैंने कभी नहीं चुदवाया किसी से भी… सच्ची !!!

मैंने भी उसको एक बहुत ही हॉट जफ्फी मारी और उसको कुर्सी पर बिठा दिया और उस की साड़ी और पेटीकोट उसकी गोरी जांघों के ऊपर कर दिया। फिर उसकी जांघों के बीच बैठ कर अपने मुंह को उसकी चूत के ऊपर टिका दिया और धीरे धीरे उसकी भग को चूसने लगा।

पूनम कुर्सी के और अंदर धंसती चली गई और अपनी चूत को मेरे मुंह पर कस कर लगाती गई। मेरे चूसने के साथ ही उसने अपनी चूत को मेरे मुंह के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया और मेरी चूत चुसाई का पूरा आनन्द लेने लगी।

जब उसने अपनी जांघों को मेरे मुंह के इर्दगिर्द कस दिया तो मैं समझ गया कि पूनम झड़ गई है और उसने मुझको सर से पकड़ कर ऊपर उठा दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब मैं अपनी पैंट को खोल कर कुर्सी पर बैठ गया और पूनम को अपनी गोद में उल्टा बिठा कर अपने खड़े लौड़े पर बिठा दिया। पूनम का मुंह और शरीर तो स्क्रीन की तरफ था और वो फिल्म का भी आनन्द ले रही थी और साथ में मुझसे चुद भी रही थी। जब वो चिपको डांस को देखने लगी तो उसकी चूत एकदम से हॉट हो कर उबलने लगी और वो जल्दी जल्दी से मेरे लौड़े के ऊपर नीचे होकर अपनी चूत की भूख शांत करने लगी।

कोई आधे घंटे की पूनम की चुदाई में वो कम से कम तीन चार बार छूट गई और हर बार वो एक झुरझुरी भरी कंपकंपी लेते हुए मुझ से चिपक जाती। आखिरी झुरझुरी के खत्म होते ही वो उठ पड़ी और बोली- चलो अब हाल में चलते हैं।

मैं बोला- थोड़ा रुको, थोड़ी साँस तो संयत होने दो, फिर चलते हैं। मैंने उसको साथ वाली कुर्सी पर बिठा दिया और वो थोड़ा आराम करने लगी।

मैंने पूछा- मेरे साथ वाली सीट पर यह कौन भाभी बैठी है जिसको तुमने चुदक्कड़ भाभी बोला था? पूनम थोड़ी मुस्करा कर बोली- अरे वो शन्नो भाभी है, रिश्ते में वो मेरे चचेरे भाई की बीवी है और बड़ी ही मदमस्त मौला है और चन्दनपुर की चुदक्कड़ भाभी के नाम से हम सब में विख्यात है। उसकी शादी को 5-6 साल हो गए लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ और हो भी कैसे बताओ तो ? मेरा चचेरा भाई एकदम पतला सा है, उससे भाभी की चुदाई ठीक से नहीं हो पाती। वो महीने में एक बार ही भाभी से सेक्स करता है और तब भी वो 5 मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाता। सो शन्नो भाभी हमेशा कामवासना से पीड़ित रहती है और कोई भी मौका चुदाई का नहीं छोड़ती।

मैं मुस्करा कर बोला- तो आज रात शन्नो भाभी को भेज दो मेरे पास अगर तुम चाहो तो? पूनम बोली- मैं तो कल ही भेजने वाली थी लेकिन चंचल और रश्मि भाभी ने पहले से ही तुम पर कब्ज़ा कर लिया था। आज ज़रूर भेज दूंगी। तुम रात को कमरे का दरवाज़ा लॉक कर लिया करो नहीं तो ये औरतें और लड़कियाँ तुम्हारा चोदन कर देंगी।

मैं मुस्करा कर बोला- मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता पूनम डार्लिंग। तुमको तो मालूम है ही, क्यों भूल गई दिल्ली और आगरा का ट्रिप? कैसे सब लड़कियों ने मिल कर मेरी चुदाई करने की कोशिश की थी। पूनम बोली- हाँ वो तो मैंने स्वयं देखा है, मुझसे कुछ नहीं छिपा।

मैं बोला- ये 2-3 कुंवारी लड़कियाँ जो तुम्हारे साथ आई हैं वो कौन हैं? क्या रिश्ता है आप सबके साथ? पूनम बोली- वह संजू तो मिल चुकी है और चुद चुकी है तुमसे, वो मेरे मामे की लड़की है और दो और हैं वो भी मेरी मौसी की लड़कियाँ हैं, वो जब भी आएं, उनका काम ज़रूर कर देना सोमू प्लीज?

मैं बोला- दूसरी को कल सुबह नहाने के लिए भेज देना मेरे बाथरूम में, वहाँ चुदाई का बड़ा मज़ा आता है यार! चलो अब बाहर चलते हैं! हम दोनों उठ कर अपनी सीटों पर आकर बैठ गए। सिवाए शन्नो भाभी के किसी और को ज़रा भी पता नहीं चला कि हम उठ कर बाहर गए थे।

अब जब मैं शन्नो भाभी के साथ बैठा तो मैंने जान कर अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया जो सीट के आर्मरेस्ट पर रखा था। भाभी ने अपना हाथ हटाया नहीं बल्कि मेरी तरफ देख कर मुस्करा भर दिया। मैंने भी मौका देख कर अपना हाथ भाभी की गोद में डाल दिया और भाभी का हाथ अपनी पैंट के बाहर से लण्ड के ऊपर रख दिया।

थोड़ी देर में फिल्म का इंटरवल हो गया और मैनेजर साहिब ने फिर से समोसे और कोल्ड ड्रिंक्स भेज दीं। बालकनी में बैठे हुए सारे लोग जिन में से ज़्यादा लड़कियाँ ही थी मेरे चारों तरफ इकट्ठे हो गए और कुछ लड़कियाँ तो काफी तेज़ थी सो वो मेरे साथ जुड़ कर खड़ी होने लगी जो हमारी पूनम को अच्छा नहीं लगा।

हमारे साथ सारी औरतों को भी मेरे चिपको डांस में बड़ा मज़ा आया था और वो सब मेरी काफी तारीफ करने लगी।

इंटरवल के बाद मैं शन्नो भाभी के साथ ही चिपका रहा और उसकी साड़ी को ऊपर कर के उसकी बालों भरी चूत पर हाथ फेरने से नहीं चूका। थोड़ी देर बाद मैं उनके मम्मों को भी मसलने लगा और यह जान कर काफी ख़ुशी हुई कि शन्नो भाभी के मम्मे सॉलिड और गोल और काफी मोटे थे।

शन्नो भाभी की चूत गीली तो थी लेकिन इतनी नहीं जितनी कि पूनम की थी। शन्नो भाभी भी मेरे लौड़े को पैंट से निकाल कर उसके साथ खेलती रही और जब हम शो के खत्म होने के बाद सिनेमा से बाहर निकलने लगे तो शन्नो भाभी मेरे आगे आगे ही चल रही थी, मेरे दोनों हाथ उस के गोल मोटे चूतड़ों पर ही टिके हुए थे और भाभी भी आहिस्ते आहिस्ते अपने चूतड़ों को मटका मटका कर चल रही थी।

मैंने नोट नहीं किया लेकिन मेरे पीछे कई लड़कियाँ भी चल रही थी जो जान कर अपने मम्मे मेरी पीठ से रगड़ रही थी। सिनेमा हाल से बाहर आने पर पूनम ने यह सब भांप लिया और झट से मेरे और उन लड़कियों के बीच में आ गई ताकि किसी भी लड़की का कोई भी अंग मुझ से ना छुए।

इसको कहते हैं मित्रव्रता (पतिव्रता) नारी।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]