ऑफ़िस गर्ल की चुदाई ऑफिस में -2

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इस सेक्स कहानी का पिछला भाग : ऑफ़िस गर्ल की चुदाई ऑफिस में -1

मैंने आपको बताया था.. मैं और मेघा कार में बैठ कर चल दिए। मेघा की चूत गीली हो गई थी.. शायद बहुत दिनों बाद किसी ने हाथ फेरा था। मैंने कार रोकी और डिक्की खोल कर सन शेड निकाल कर चारों खिड़कियों पर लगा दिए।

मेरे कार में बैठने पर मेघा ने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और बोली- सर आप भी क्या-क्या करते रहते हैं। मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख कर कहा- सब तुम्हारे लिए कर रहा हूँ। आस-पास गाड़ियाँ भी तो गुजर रही हैं।

बंद कार में मेघा निश्चिन्त हो गई थी.. वो अब मेरे लण्ड पर आराम से हाथ फेर रही थी। एक बार तो मुझे लगा कि कहीं मैं जींस में ही न झड़ जाऊँ।

मैंने जैसे ही मेघा की चूत पर सलवार के ऊपर से हाथ रखा.. उसकी सिस निकल गई और उसने अपनी जांघें भींच लीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरी केवल तीन उंगलियां उसकी चूत पर थीं.. मैंने अपनी बीच वाली उंगली को उसकी चूत की दरार पर सैट किया और हल्का सा दबाव देकर उसकी चूत की दरार में उंगली फिट कर दी।

मेघा ने जांघें और कस कर भींच लीं। अब तक हम मेन रोड पर आ गए थे। अपनी उंगली उसकी चूत की दरार पर दबाते हुए मैंने कहा- मेघा मुझे कार के गेयर भी बदलने हैं.. अपनी जाँघों को ढीला छोड़ दो.. वरना कार कहीं टकरा जाएगी।

मेघा ने अपनी जांघें खोल दीं.. लगता था वो अब थोड़ा सम्भल गई थी और चूत पर ठीक से हाथ फिरवाना चाहती थी।

मैंने उसकी चूत पर अपनी पूरी हथेली रख कर दो-तीन बार ऊपर से नीचे तक चूत को रगड़ा.. मेघा ने अपनी जांघें और खोल दीं।

ये सारे काम मुझे उल्टे हाथ से करने पड़ रहे थे। मैंने मेघा से पूछा- कच्छी पहन रखी है क्या? कहने लगी- सर मेट्रो में आती हूँ.. पहननी ही पड़ती है।

मैंने उसकी सलवार के नाड़े पर हाथ रख कर कहा- इसे खोल दो.. कुछ पता ही नहीं चल रहा है कि हाथ को कहाँ जाना है।

अब तक मेघा भी मस्त हो चुकी थी.. उसने अपना नाड़ा खोल दिया.. मैंने उसकी चूत पर कच्छी के ऊपर से ही हाथ रखा। चूत का गीलापन साफ पता चल रहा था.. लेकिन अब मेरी उंगलियाँ आराम से उसकी चूत की दरार पर टहल रही थीं।

मैंने जैसे ही मेघा की कच्छी के अन्दर हाथ डाला.. उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया। मैंने उसके हाथ को उठा कर अपने लण्ड पर रखा और मेघा की कच्छी में हाथ डाल दिया.. चूत पर हल्की- हल्की झांटें थीं.. अपनी तीन उंगलियों से मैंने मेघा की चूत को फैलाया और बीच वाली उंगली से चूत के दाने को सहलाने लगा।

मेघा पागल सी हो गई और मेरे लण्ड कस-कस कर दबाने लगी। जैसे ही मेघा ने मेरी ज़िप खोलनी चाही.. मैंने उससे कहा- रूक जाओ.. कार कहीं पार्किंग में रोकता हूँ।

जब भी मैं गेयर बदलने के लिए मेघा की चूत पर से हाथ हटाता था.. वो मेरे लण्ड को और कस के रगड़ने लगती थी।

रास्ते में एक मॉल था.. उसकी पार्किंग में मैंने कार खड़ी कर दी.. पार्किंग का लड़का पर्ची देकर चला गया। मैंने मेघा की सलवार नीचे करके पैन्टी को एक साइड में कर दिया.. अब मेघा की चूत पर मैं आराम से अपना सीधा हाथ फेर सकता था।

मेघा की चूत को थोड़ा फैला कर उसकी दरार में अपनी दो उंगलियाँ ऊपर-नीचे फेरने लगा।

मेघा मस्ती के मारे गहरी-गहरी साँसें लेने लगी। मेघा ने मेरे लण्ड को काफी कस कर पकड़ रखा था। मैंने जिप खोल कर लण्ड बाहर निकाल लिया.. मेघा ने जब मेरे नंगे लण्ड को छुआ.. तो लगा अभी झड़ जाऊँगा।

मेरा हाथ फिर उसकी चूत दरार पर था.. दो-तीन मिनट उसका दाना सहलाने के बाद मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के छेद पर रखी और अन्दर सरका दी। मेघा की चूत काफी टाइट लग रही थी.. गीली होने के बाद भी उंगली फंस के जा रही थी।

मेघा का मस्ती के मारे बुरा हाल था.. वो मेरे लण्ड को अपने हाथों से ऐसे उमेठ रही थी जैसे तोड़ देगी।

अब मेरी एक उंगली मेघा की चूत में आराम से अन्दर-बाहर हो रही थी। मैंने अपने लण्ड पर से मेघा का हाथ हटाया और अपना उल्टा हाथ उसके कंधे के ऊपर ले जाकर उसकी बाईं चूची दबाने लगा।

जैसे ही मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे.. मेघा अपनी चूत आगे-पीछे करने लगी। मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा किया और अपनी दो उंगली मेघा की चूत में सरका दीं।

आठ-दस बार उंगलियों को धीमें-धीमे अन्दर-बाहर करते ही मेघा का बुरा हाल हो गया।

मैंने अपने हाथ की स्पीड बढ़ा दी.. दो-तीन मिनट बाद ही अचानक मेघा ने अपने चूतड़ों को कार की सीट से करीब 6 इंच ऊपर उठाए और अपने दोनों हाथों से मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी- आह्ह.. बस सर और नहीं..

वो झड़ने लगी थी.. जब मेघा कुछ ठीक हो गई.. तो मैंने अपना लण्ड उसके हाथ में पकड़ा कर कहा- मेघा तुम्हारा तो हो गया.. मेरा क्या होगा? कहने लगी- सर कार में क्या हो सकता है?

मैंने मेघा के सर पर हाथ रखा और उसका मुँह अपने लण्ड की तरफ झुका दिया.. पहले तो वो हिचकी.. फिर लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया।

मैंने उसके सर को हल्का सा दबाया.. तो वो आराम से लण्ड को चूसने लगी। एक मिनट भी नहीं गुजरा था कि उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी, मेघा की मम्मी का ही फ़ोन था। वैसे भी काफी देर हो गई थी।

मैंने मेघा से कहा- सन्डे को मिलते हैं। फैक्ट्री में कोई नहीं होगा.. उस दिन आराम से मजे लेंगे।

फिर आने वाले रविवार का मुझे बेचैनी से इन्तजार था.. मेघा ने रविवार को अपने घर पर ऑफिस में अधिक काम होने का बहाना करके मुझे फोन किया। मैंने उससे उसके घर के पास की मेन सड़क पर मिलने को कहा।

मेरी कार तेज रफ्तार से अपनी फैक्टरी की तरफ बढ़ चला। गाड़ी में बियर के केन रखे थे मैंने मेघा को केन खोलने के लिए कहा। उसने एक केन खोला और मुझे दिया मैंने इशारा किया और उसने एक घूँट भर कर मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैंने उसी केन से घूँट लेते हुए सिगरेट की डिब्बी उसकी तरफ बढ़ा दी। उसने एक मंजे हुए सिगरेट पीने वाले की तरफ एक सिगरेट सुलगाई और एक लम्बा कश खींच कर सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी।

बस अब मेघा की चुदाई जल्द ही होने वाली थी आप समझ सकते हैं कि मेघा को भी मुझसे चुदने की कितनी अधिक पड़ी थी। उसके साथ मेरी घमासान चुदाई हुई।

ये सब वाकिया आप सभी को सुनाने का बहुत मन है.. पर पहले आप भी मुझे मेल करके बताइए कि मेरी कहानी आप सभी को कैसी लगी। [email protected]

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