गर्ल हॉस्टल की लौंडिया संग चूत चुदाई का मजा

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मेरा नाम अमित शुक्ला है मैं इलाहाबाद का रहने वाला हूँ, मैं इलाहाबाद में रूम लेकर स्टडी करता हूँ।

बात करीब एक साल पुरानी है.. जब मैंने अपना रूम चेंज किया.. तो मेरे मकान के बगल में एक गर्ल्स हॉस्टल था। यह बात मुझे रूम लेने से पहले नहीं पता थी। मैंने सर्दी के मौसम में कमरा लिया था..

एक दिन मैं धूप सेंकने छत पर चला गया.. तो मैंने देखा कि मेरी बगल की छत पर एक लड़की है। मैं ऊपर देखने लगा.. वो मुझे नहीं देख रही तो.. मैंने भी उस पर ध्यान नहीं दिया।

मैं थोड़ी देर इधर-उधर टहलता रहा, मैं उसी के बारे में सोचता रहा.. क्योंकि वो थी ही बेहद खूबसूरत.. उसका फिगर 30-24-32 का था.. उस नाजनीन का चेहरा भी बड़े कमाल का था। मेरा मन उसको चोदने की कल्पना कर रहा था।

फिर मैंने ऊपर देखा.. तो अब वो भी मुझे देख रही थी। मैंने फिर उस पर ध्यान नहीं दिया.. और मैं नीचे चला आया।

मैं दूसरे दिन पुनः ऊपर गया.. आज भी वो आई थी, आज वो शायद नहा कर आई थी, उसके बाल भीगे हुए थे और उसके चेहरे पर पानी की बूँदें मोतियों की तरह चमक रही थीं।

मैं उसे देख कर थोड़ा मुस्कुरा दिया.. वो भी थोड़ी मुस्कुरा दी, तो हम थोड़ी देर तक एक-दूसरे को छुप-छुप कर देखते रहे। ऐसे ही यह सिलसिला 15 दिनों तक चला.

फिर एक दिन मैं मार्केट गया था.. मैंने उसे मार्केट में देखा, मैं उसके पास गया और उसे ‘हाय’ बोला। उसने भी हाय कह कर रिप्लाई दिया।

मैंने पूछा- आप क्या करती हो? तो उसने कहा- मैं एसएससी की तैयारी कर रही हूँ.. और आप? मैंने कहा- मैं भी यही कर रहा हूँ।

मैंने उसका नाम पूछा.. उसने अपना नाम प्रियंका बताया.. इस तरह हमारी दोस्ती हो गई। अब जब कोई नहीं होता.. तो हम दोनों छत पर बातें करने लगे। हमारी छत से उसकी छत पर जाने के लिए एक पतली गली जैसा रास्ता है।

एक दिन उसका बर्थ-डे आया, मैं उसको गिफ्ट देने के लिए उसी रास्ते से उसके रूम तक गया, वो मुझे वहाँ देख कर डर गई.. और मुझे रूम के अन्दर खींच कर रूम बंद कर लिया.. क्योंकि वहाँ और लड़कियाँ भी रहती थीं।

उसने कहा- तुम यहाँ क्यों आ गए? मैंने कहा- गिफ्ट देने आया हूँ.. उसने मुस्कुरा कर मेरा गिफ्ट ले लिया, साथ ही उसने मुझे एक चुम्बन कर दिया।

मैं एकदम से घबरा गया.. मैं इस अप्रत्याशित चुम्बन की सोच ही नहीं सकता था। अब क्या करें.. जवानी है अनभिज्ञ भी नहीं बनना चाहता था। मैंने भी तुरन्त रिप्लाई कर दिया और मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया।

वो जिंदगी का पहला दिन था.. जब मैं किसी जवान लड़की की बाँहों में था। फिर हम दोनों का रोमांन्स आगे को बढ़ता गया, अब हम दोनों चिपके हुए थे वो भी बिल्कुल सहमी सी थी। अब भाई गिफ्ट का रिप्लाई पूरा लेना था.. तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया।

वो कुछ कर नहीं सकती थी.. क्योंकि वो माहौल होता ही ऐसा है.. ना चाहते हुए भी जुबान से आवाज नहीं निकलती। दोस्तो.. अब सिलसिला बढ़ता चला गया हम दोनों चिपके हुए जिंदगी की मौज ले रहे थे.. जो कुँवारे भर अहसास कर सकते हैं। उसको मैं अपनी बाँहों में भर कर उसके कपड़े उतारने की सोचने लगा..

पर यह क्या.. असली पता तो उस दिन चला कि लड़कियों को ज्यादा जोश होता है। उसने पूरे कपड़े खुद ही उतार दिए और मुझसे अपने मम्मों को चुसवाने लगी। उसने अपने मम्मों को मेरे मुँह में डाल दिया, मैं उसके रसीली नारंगियों को चूसते-चूसते इतना गरम हो गया कि.. उसकी पैन्टी पर हाथ मार दिया।

मैंने अति उत्तेजना में उसकी पैन्टी फाड़ दी।

दोस्तों उसने ब्लू-कलर की कट स्लिप पैन्टी पहन रखी थी। अब मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ टिका दी और चूत का रसपान करने लगा। कुछ ही पलों में 69 की अवस्था में आकर वो भी मेरे लण्ड को चूसने लगी। इस तरह हम दोनों ने 10 मिनट तक चुसाई की और मज़े लिए।

दोस्तो, असली मज़ा तो अब आने वाला था। मैं उठा और सीधा उसकी टाँगों के बीच में आ गया। मैं उसकी लाल फुद्दी का नज़ारा देखने लगा, मैंने देखा कि जब मैं उसकी टाँगों के बीच गया तो वो बिना शरमाए अपनी टाँगों को फैला दिया था।

मैंने धीरे से उसकी चूत पर अपना लण्ड रखा और उसने कहा- अब देर ना करो राजा.. अब मैं भी ज्यादा देर तक इंतजार नहीं कर सकता था। मैंने तुरन्त ही.. अपना मस्त मोटा लण्ड उसकी बुर में चांपने की तैयारी कर ली। मैंने धीरे से पहले झटका मारा.. और लण्ड का सुपारा अन्दर डाल दिया… वो चीख पड़ी।

मैंने देर ना करते हुए उसी टाइम दूसरा झटका मार दिया और मेरा पूरा लण्ड अन्दर बच्चेदानी तक पहुँचा दिया।

कुछ देर तक दर्द से चीखने के बाद उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत में सैट कर लिया.. इसके बाद वो चीखी नहीं.. मज़े लेने लगी और हम दोनों ने चुदाई का भरपूर मजा लिया। इस तरह मैंने उसकी चूत को भोसड़ा बना दिया।

इसके बाद आगे क्या हुआ, वो आगे की कहानी में लिखूँगा।

मेरी पहली कहानी कैसी लगी दोस्तो.. मेरी मेल आईडी पर बताना ज़रूर.. [email protected]

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