देसी मामी की प्यासी चुत चुदाई- 1

गाँव में चुदाई की कहानी में पढ़ें कि मैं छुट्टियों में ननिहाल गया तो पता लगा कि मामा मामी का ख्याल नहीं रखते, काम करने वाली औरतों की चुदाई में रहते हैं.

दोस्तो, मैं राहुल फिर से एक गाँव में चुदाई की कहानी लेकर हाज़िर हूँ.

पिछली सेक्स कहानी का लिंक दे रहा हूँ. चाची ने रबड़ी लगाकर चूत चाटना सिखाया

इस सेक्स कहानी के लिए मुझे आप सभी का बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला. इसी वजह से मैंने सोचा कि पुरानी यादगार को फिर से अन्तर्वासना पर लाया जाए. ये देसी सेक्स कहानी नवम्बर 2012 की है.

उस समय कॉलेज में अचानक से दो महीने की छुट्टी हो गयी थी. इस दौरान मैं घर पर ही था.

एक दिन मम्मी की मौसी यानि मेरी नानी का फोन आया. बात ही बात में नानी ने मम्मी को बोला कि मुझे उनके वहां घूमने कुछ दिन के लिए भेज दें.

मुझे भी नानी के घर गए बहुत समय हो गया था, तो मैंने भी हां बोल दी.

नानी के दो बेटे थे. एक बेटा यानि छोटे मामा दिल्ली में पढ़ते थे और बड़े मामा गांव में ही रहते थे. उनका गांव पटना से लगभग पैंतीस किलोमीटर था. मामा लोग अमीर थे और उनका घर भी दो मंजिला बना था जिसमें ग्यारह कमरे बने थे.

बड़े मामा की शादी 2005 में हुई थी और उनका एक बेटा भी था, जो अभी चार साल का था.

अगले ही दिन मैं मामा के घर के लिए निकल गया. जब मैं पटना स्टेशन पर पहुंचा, तो देखा मामा मुझे लेने आए थे. मैंने उनको प्रणाम किया और हम लोग गांव की ओर निकल गए.

घर पहुंचने के बाद मैंने देखा कि नाना नानी अपने बगीचे में बैठे थे. वो लोग मुझे देख के बहुत खुश हुए. मैंने उनके पैर छुए और उनके साथ वहीं बैठ गया.

दस मिनट बाद मामा बोले- चलो घर में चल कर फ्रेश हो जाना. मैं उनके साथ चल दिया.

उन्होंने मुझे अपने बगल वाले कमरे मेरे बैग को रखते हुए कहा- ये कमरा तेरा है. बगल वाला कमरा मेरा है.

तभी मामी अपने कमरे से निकल आईं. उन्हें देखते ही मैंने उन्हें नमस्ते की.

शायद मामी थोड़ी देर पहले ही नहाई थीं. उन्होंने नारंगी रंग की साड़ी पहनी हुई थी. जब वो मेरे सामने आईं, तो गजब की माल लग रही थीं. उनका रंग एकदम गोरा तो नहीं था … लेकिन चेहरे की छवि बड़ी मस्त और कामुक निगाहों वाली थी. वो इतनी सुंदर दिख रही थीं कि क्या बताऊं.

मामी ज्यादा पतली नहीं थीं … उनकी चुचियां 36 नाप की बड़ी और भरी हुई थीं. कमर 30 की थी और उनके चूतड़ 34 नाप के रहे होंगे.

मैं उन्हें अपलक देखता ही रह गया.

मामा बोले- ये तेरी मामी हैं.

तब मुझे होश आया. वो कमाल की थीं, मुझे पता चल गया कि मेरे लंड के लिए बस अब मामी पर ही ध्यान देना है.

मैं अपने काम पर लग गया कि कैसे मामी को पटाना है.

थोड़ी देर बाद मामा खेतों के लिए चले गए, जहां धान की कटाई चल रही थी.

थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश हो कर मामी के पास गया. उन्होंने मुझे प्यार से बिठाया और खाना लगा दिया. मैं खाना खाते हुए मामी से बात करने लगा.

मामी बोलीं- तुम उस समय मुझे ऐसे क्या घूर रहे थे? मैं बोला- मामी आप बहुत सुंदर हैं. आप ग़ज़ब दिख रही थीं, इसलिए मेरी निगाह अटक कर रह गई थी. अब मैं उनकी सुन्दरता की तारीफ करने लगा.

अभी भी मेरी नज़रें बार बार उनकी चुचियों पर ही जा रही थी. ये बात मामी गौर कर चुकी थीं.

मैं अभी भी उनकी तारीफ कर रहा था. बात ही बात में मैंने मामी से पूछा- मामी आपकी उम्र अभी क्या हो रही होगी?

उसी समय मामी का बेटा सामने आ गया और मुझे देख कर बोला- मम्मी, ये कौन हैं? मामी बोलीं- ये तेरे भैया हैं.

वो खेलने में लग गया.

मेरी मामी से थोड़ी बात हुई, लेकिन मामी ने मुझे अपनी उम्र नहीं बताई.

मैं खाना खाकर बोला- मैं मामा के पास जा रहा हूँ. मामी बोलीं- ठीक है.

मैं मामा के पास चला गया और दिन भर वहीं मामा के साथ खेतों में रहा.

धान की कटाई के लिए मामा ने 4 औरतें 2 लड़कियां और 3 आदमियों को लगा रखा था. उन काम करने वाली औरतों की उम्र लगभग 30-35 साल के आस पास की होगी.

मैंने देखा कि मामा वहीं रहते थे, जहां वो औरतें काम करती थीं. मामा उन पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. मुझे समझते देर नहीं लगी कि मामा उनपर इतना ध्यान क्यों दे रहे हैं.

सूरज ढलने के बाद हम दोनों घर आने लगे. मामा ने बताया कि ये लोग यहीं हमारे बाहर वाले घर में रहते हैं, जहां 5 कमरे बने हुए थे. मामा भी वहीं एक कमरे में रात को सोते थे.

मैं उनके सारे खेल समझ चुका था और मेरी मानो लॉटरी लग गयी थी कि मामी रात में अकेली अपने बेटे के साथ सोती हैं और नाना नानी एक कोने वाले कमरे में सोते हैं.

रात हुई तो हम सबने साथ में खाना खाया और मैं अपने रूम में चला गया. मामी थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में आईं. उनके हाथ में तेल था.

वो बोलीं- आओ, मैं आपकी मालिश कर देती हूँ. मैं बोला- नहीं मामी, रहने दीजिए.

मामी बोलीं- नहीं … अभी मैं आपकी नानी की मालिश करके आ रही हूँ. आपकी नानी बोलीं कि आपकी भी मालिश कर दूं. मैं बोला- मामी, मामा सो गए क्या?

वो बोलीं- तुम्हारे मामा बाहर वाले कमरे में सोने गए हैं. मैं बोला- मामी, आपने सुबह का जवाब नहीं दिया … आप बैठिए पहले, मुझे आपसे बात करनी है.

वो बोलीं- ठीक है … बात करते हैं, साथ में मैं आपकी मालिश भी कर देती हूँ. मैं बोला- मामी तेल मत लगाओ, मैं ट्राउज़र पहने हुआ हूँ.

मामी झट से बोलीं- तो आप इसे खोल कर तौलिया लपेट लीजिए न … क्या हो ज़ाएगा. मैंने कहा- मामी, आप मुझे आप मत कहो, तुम ही कहो. मामी हंस दीं और बोलीं- अच्छा ठीक है तुम लोअर उतार दो.

फिर मैंने भी झट से वही किया. मेरा अंडरवियर फ्रेंची था … और मामी को चोदने के सपने के चलते लंड पहले ही टाइट था.

जब मैंने अपना लोअर निकाला तो मामी मेरे लंड के उभार पर थोड़ा ध्यान दे रही थीं. मैंने तौलिया लपेट लिया और बेड पर लेट गया.

मामी मेरे पैरों की मालिश कर रही थीं और हम दोनों बात कर रहे थे.

मैंने फिर पूछा- मामी, आपने बताया नहीं? मामी- अरे तुम वहीं अटके हुए हो … मैं अभी 26 की हो रही हूँ.

मैं बोला- मतलब आपकी शादी 19 साल में हुई थी. वो बोलीं- हां. इसका अर्थ ये था कि मेरे मामा मामी से 7 साल बड़े थे.

तेल लगाते लगाते कभी कभी मामी की चुचियां मेरे पैरों में टच हो रही थीं. जब वो मेरी जांघों तक आतीं, तो उनकी चुचियां मेरे पैरों से टच होते ही मेरे लंड में सनसनी हो जाती और वो और टाइट होने लगता था.

ऐसे ही एक बार तेल लगाते समय मामी का हाथ मेरे लंड में टच हुआ, मुझे अजीब सा मज़ा आया.

फिर मामी मेरे हाथों की मालिश करने लगीं और वैसे ही बात करने लगीं. मैंने सोच लिया था कि यहां से जाने से पहले मामी की चुदाई करके ही जाऊंगा.

थोड़ी देर ऐसे ही मालिश करके वो अपने बेटे के पास चली गईं.

इस तरह एक ही दिन में हम दोनों थोड़ा खुल गए थे और बात करने लगे थे. मैं उनसे थोड़ा ओपन होकर बात करने लगा था.

तीन दिन ऐसे ही बीत गए. मामी रोज़ रात में मुझे तेल लगाने आती थीं. हम दोनों आपस में बातें करते रहते थे.

चौथे दिन मामा बोले- मेरे लिए खाना लेते आ घर से … और तू वहीं खा लेना. मैं आज घर नहीं जा पाऊंगा. ज्यादा काम है … ये सब जल्दी से करवाना है. मैंने सोचा कि अच्छा है.

मैं भी तुरंत घर के लिए निकल गया. मैं सीधे मामी के रूम में चला गया. वहां देखा तो कोई नहीं था.

मैं कमरे से बाहर निकला, तो देखा मामी बाथरूम से निकल कर केवल पेटीकोट में थीं, उन्होंने वो पेटीकोट अपनी चूचियों के ऊपर बांध रखा था. पेटीकोट उनकी मलाईदार जांघों के ऊपर तक ही था. वो मेरे सामने ऐसे ही आ गईं और मैं उन्हें लगातार घूरता रहा.

जब मामी मेरे सामने से जा रही थीं, तो उनकी नजरें नीचे झुकी हुई थीं. वो जल्दी से अपने रूम के दरवाजे बंद करके कपड़े पहनने लगी थीं.

जब वो कमरे से बाहर निकलीं तो मामी ने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी. वो कमाल का माल लग रही थीं.

मामी मुझसे बोलीं- ऐसे क्या घूर रहे थे तुम? मैं बोला- मामी आप सच में गजब सुंदर हैं. आपको देख कर किसी का भी मान डोल जाए. पता नहीं मामा रात में आपको अकेले छोड़ कर बाहर सोते हैं. मैं होता … तो रोज़ आपके साथ सोता.

मामी तुरंत बोलीं- अच्छा ऐसा क्या देख लिया तुमने … जो इतने तारीफ किए जा रहे हो? मैं- हैं ही आप इतनी सुंदर … तारीफ़ तो करना ही पड़ेगी.

मामी हंस कर बोलीं- अच्छा पहले ये बताओ कि तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए? मैं बोला- मामा बोले कि आज उनका खाना वहीं खेत में ले आओ. सो मैं आ गया. फिर ये मेरा नसीब था कि मुझे ऐसा खूबसूरत नज़ारा देखने को मिल गया.

मामी एक कंटीली मुस्कान दे कर बोलीं- अच्छा जी … सब समझ आ रहा है. तुम्हारी जल्दी शादी करवानी पड़ेगी. मैं बोला- ऐसा कुछ नहीं है मामी.

वो बोलीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैं बोला- नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूँ.

मामी बोलीं- ऐसा कैसे हो सकता है. पढ़ने में अच्छे हो, दिखते भी ठीक ठाक हो … शहर में रहते हो. तो कोई ना कोई तो होगी ही. मैं- नहीं मामी, कोई नहीं है आप विश्वास कीजिए. मामी बोलीं- अच्छा ठीक है, पहले तुम खाना खा लो, मैं तुम्हारे मामा का टिफिन पैक कर देती हूँ.

मैंने खाना खाया और मामी की फिर से तारीफ़ करके टिफिन उठा कर चला गया.

उस दिन भी रात को रोज़ की तरह मामा बाहर वाले कमरे में सोए. मैं भी आज मामी के आने का इंतज़ार करने लगा.

मैंने आज अपना अंडरवियर निकल दिया था और केवल एक शॉर्ट पहन लिया था. कमरे की लाइट ऑफ करके मैं सोने का बहाना करने लगा.

मामी नानी को तेल लगा कर आईं और मेरे कमरे में आकर बोलीं- राहुल सो गए क्या? मैं बोला- नहीं मामी सोया नहीं हूँ, बस नींद आ रही थी … तो लाइट ऑफ कर दी थी. मामी बोलीं- अच्छा ठीक है … मैं लाइट नहीं जलाती.

मामी मेरे बेड पर आ गईं और मेरे पैरों में तेल लगाने लगीं. मैंने पैरों को थोड़ा ज्यादा मोड़ कर रखा था ताकि उनकी चुचियां मेरे पैरों में सटे और उनके हाथ मेरी जांघों तक आराम से पहुंच जाएं.

मामी तेल लगाते समय बोलीं- हां क्या बोल रहे थे आप दोपहर में? मैं बोला- मामी, आप मुझे फिर आप बोल रही हैं. प्लीज़ आप मुझे सिर्फ राहुल बोलिए. आप मत बोलिए.

मामी हंस कर बोलीं- ठीक है. बताओ न राहुल … तुम क्या बोल रहे थे दोपहर में? मैं- कुछ नहीं मामी, आप बहुत सुंदर हैं. मामा बहुत खुशनसीब हैं कि आप उन्हें मिली हैं. मामी बोलीं- ऐसा कुछ नहीं है. पांच दिन में एक भी दिन तुमने उन्हें देखा मेरे साथ सोते हुए?

मैं समझ गया कि मामी की चुदाई नहीं हो रही है.

मैं बोला- नहीं मामी, नहीं देखा … ऐसा क्यों है बताइए न! मामी बोलीं- ये जो खेतों में काम करने आई हैं ना … जब तक वो लोग हैं, तेरे मामा उनके लिए नीचे सोते हैं … वो रात में उन्हें पेलने के लिए जाते हैं. मुझे महीने में एक या दो बार करते हैं.

इतनी खुली बात सुनकर मेरा लौड़ा तन गया था. मेरे दिमाग़ में अब बस मामी की चुदाई चल रही थी. मेरा लंड पूरा फूल कर अपने साइज़ में आ गया था.

आज मेरी जांघों में तेल लगाते हुए मामी अपनी चुचियों को मेरे पैरों में कुछ ज्यादा ही सटा रही थीं और धीरे धीरे उनके हाथ मेरे लंड तक आ रहे थे. अब तक 3 बार उनके हाथ मेरे लंड को छू चुके थे.

फिर मामी मेरे दूसरे तरफ आकर दूसरे पैर में तेल लगाने लगीं. इस बार मामी ऐसे बैठी थीं कि मेरा लंड आराम से पकड़ा जा सके.

मामी मालिश करते करते अब बार बार मेरे लंड को छू रही थीं.

मैं- मामी सुनिए ना … इसकी भी मालिश कर दीजिए.

रूम में लाइट ऑफ होने के कारण वैसे ही अंधेरा था.

मामी बोलीं- राहुल, तुम तो बहुत बदमाश हो. मैं बोला- मामी, आपको भी इसकी ज़रूरत है … और मुझे भी. देखिए आपके छूने मात्र से ये कैसा हो गया है?

मामी ने थोड़ा तेल लिया और मेरी अंडरवियर के बगल से लंड को निकाल कर उसकी मालिश करने लगीं.

लंड पर मामी का हाथ पाते ही मैं गर्मा गया था.

मैंने पूछा- आपका नाम क्या है मामी? वो बोलीं- अच्छा इतने दिन में आज मेरा नाम पूछा जा रहा है.

वो दोनों हाथों से लंड की मालिश कर रही थीं. फिर अपना नाम बताते हुए एक हाथ से मामी ने मेरे अंडरवियर को निकल दिया.

उन्होंने अपना नाम कल्पना बताया.

मैं मामी से आप से तुम पर आते हुए बोला- कल्पना, तुम बहुत मस्त हो … पता नहीं मामा तुझे छोड़ कर उन रंडियों को कैसे चोदते हैं.

कल्पना मामी मेरे मुँह से ऐसा सुन कर बोलीं- वाह राहुल, मामी से सीधे कल्पना. तू तो बहुत तेज़ है. मैं बोला- आपको अच्छा नहीं लगा तो मैं आपको मामी बोलूंगा. मामी बोलीं- नहीं कोई बात नहीं, अकेले में तुम मुझे कल्पना ही बोलना.

मेरे लंड की मालिश तो मामी कर ही रही थीं. तभी उनका बेटा रोने लगा.

मामी बोलीं- रुकना मैं अभी आती हूँ. उसे सुलाने मामी चली गईं और ऐसे ही मेरे लंड को खड़ा छोड़ कर चली गईं.

मैं भी वैसे ही बिना कपड़ों के बस एक पतले से कंबल में सो गया.

रात के करीब दो बजे मामी मेरे कमरे आईं और सीधे मेरे कंबल में घुस कर मेरे लंड के साथ खेलने लगीं.

मैंने लंड पर हाथ महसूस किया तो समझ गया. मैं बोला- आ गयी कल्पना डार्लिंग. मामी लंड सहलाते हुए बोलीं- राहुल तू तो मस्त है … मुझे गर्लफ्रेंड बना लिया तूने. मेरे लिए तू ऐसे ही नंगा सोया हुआ था न! मैं बोला- अरे कल्पना जान बस देखती जाओ … तुझे मैं क्या क्या बनाता हूँ. तुम मुझे जैसे छोड़ कर गयी थीं, वैसे ही नहीं रहूँगा, तो मेरी जान मुझसे कैसे खुश हो सकेगी!

अब मैं मामी को किस करने लगा. मैं उनकी गर्दन पर किस कर रहा था. वो मेरे लंड को सहलाए जा रही थीं और उनकी कामुक सिसकारियां निकल रही थीं- उम्म्म … अहह … राआहुउऊउल … बहुत दिनों से मैं सूखी पड़ी हूँ … चोद दे ना मुझे!

मैं मामी को किस करते हुए बोला- मेरी कप्पो रानी, आज तुझे जो मज़ा मिलेगा … वो तूने कभी सोचा भी नहीं होगा.

मैंने तुरंत उन्हें खड़ा किया और बेड से सटाकर उन्हें सामने से किस करने लगा मैं एक हाथ से मामी की चूचियां दबा रहा था और साथ ही चूमे जा रहा था.

मामी की बस मादक सिसकारियां निकल रही थीं- उम्म्म्म आहहह राआहहुउल बहुत दिनों से मैं नहीं चुदी हूँ … आह जल्दी से चोद दे.

दोस्तो, मेरी कल्पना मामी अब चुदने के लिए बेचैन हो गई थीं. मैं मामी की गाँव में चुदाई की कहानी को पूरे विस्तार से अगले भाग में लिखूंगा. तब तक आप मुझे मेल करके बताएं कि सेक्स कहानी में कितना मजा आ रहा है. आपका राहुल [email protected]

गाँव में चुदाई की कहानी का अगला भाग: देसी मामी की प्यासी चुत चुदाई- 2