मैं, मेरी बीवी और चचेरे भाई का सपना हुआ सच -12

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पिछले भाग में आपने कहानी मेरी बीवी के जुबानी सुनी, अब मैं वापिस हाज़िर हूँ आगे की दास्ताँ सुनाने को!

मैंने सोचा ‘आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी चलता हूँ’ जिससे नीलेश और मधु के साथ ज्यादा टाइम गुज़ार पाऊँ। मुझे ऑफिस से लौटते लौटते कम से कम 8 तो बज ही जाते हैं पर आज में 4 बजे ही ऑफिस से निकल गया। मैंने सोचा जल्दी जाकर दोनों को सरप्राइज देता हूँ।

मैं बिल्कुल धीरे से बाहर का दरवाज़ा खोल फिर बिना आहट किये घर का प्रवेश द्वार खोलने लगा। पर वो बंद था, तो मैंने अपनी चाबी निकाली और ताला खोल कर अंदर आया, दरवाज़ा जैसे ही खुला, दोनों सकपका गए। अगले ही पल दोनों नार्मल होकर बोले- अच्छा तो तुम हो।

मैंने देखा मेरी बीवी मधु नीलेश की बाँहों में नंगी पड़ी थी, नीलेश के हाथ मेरी बीवी के बोबे सहला रहे थे और मेरी बीवी की टांगें नीलेश के लंड पे रखी थी।रजाई साइड में पड़ी हुई थी और मधु की टांगों के बीच एक तौलिया लगा हुआ था।

मैंने कहा- तुम दोनों मस्त रहो, मैं चेंज करके आता हूँ। मधु बोली- मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ, आप जब तक हाथ मुंह धो कर आओ। मैंने कहा- तुम दोनों बैठो, मैं चाय लेकर आता हूँ।

नीलेश बोला- यार, सुबह से भाभी की सेवा कर रहा हूँ, एक सिगरेट तो पिला दे। मैंने कहा- माँ के लवडे, सिगरेट तेरे पास ही पड़ी है, पी ले और एक मेरे लिए भी जला! मधु बोली- राहुल, पता है आज भैया ने इतना अच्छा अनुभव दिया है कि आप ख़ुशी से इनको चूम लोगे। देखो मेरे नीचे जो पानी से गीलापन दिख रहा है वो सब इन्होंने मेरी चूत में से ही निकाला है।

मेरे कुछ बोलने से पहले नीलेश बोला- भाभी, आप उसे क्या बता रही हो। यही तो मेरे गुरू हैं, जब भी ज्ञान चाहिए होता है, इन्ही से ज्ञान लेता हूँ। यह हुनर मैंने राहुल से ही सीखा है। मधु की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गई, बोली- अच्छा तो ये बात है? मतलब मेरे पतिदेव सेक्स गुरु है।

मैं बातें करते करते कपड़े उतार रहा था, मैंने कहा- चलो दोनों एक जिस्म दो जान, ज़रा दोनों कुछ पहन लो, शाम होने वाली है तेरी बीवी को लेने भी जाना है। नीलेश ने सर पकड़ा और बोला- यार क्यूँ आ गई कवाब में हड्डी! अब मैं अपनी भाभी को कैसे प्यार करूँगा? मधु हंसती हुई बोली- छुप छुप के!

मैं भी हंसने लगा, मैंने कहा चल- अभी तेरी बीवी के आने में टाइम है, तू तब तक मधु को एक बार चोद ले… फिर पता नहीं कब मौका मिले तुझे मेरी बीवी को प्यार करने का! नीलेश बोला- मेरा तो बहुत मन है भाभी की चूत मारने का… पर साला अब मेरा लंड खड़ा नहीं होने वाला। इसे पिछले आधे घंटे से भाभी मसल रही है और यह साला कुम्भकरण की तरह सोया पड़ा है।

मधु हंसने लगी। मैंने कहा- तो फिर चल तू ही खड़ा हो जा भेनचोद… तेरा तो खड़ा होने से रहा। रात को तेरी बीवी आ जायेगी थोड़ा मलाई उसके लिए भी बचा ले, वो भी तो काफी दिनों से मायके में है।

नीलेश खड़ा हो गया, बीवी चाय बनाने चली गई, मैं अपने जांघिए में सोफे पे बैठा गया। नीलेश ने सिगरेट जला ली और मुझे दी। मैंने कहा- क्यूँ भाई, मानता है अब तुझे अपनी बीवी को रेडी करना है। नीलेश बोला- भाई, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि वो हम लोगों के गैंग में शामिल हो जाए… बाकी खुद की मर्जी!

मैंने कहा- कोई चिंता नहीं है, तू बस कोशिश करना बाकी फल की इच्छा तो हम करते ही नहीं हैं। नीलेश बोला- यार, मैं तेरा कैसे शुक्रिया अदा करूँ, तूने मेरी ज़िन्दगी में चार चाँद लगा दिए हैं। मैंने कहा- मुंह में ले ले। यह हमारे यहाँ का तकिया कलाम है, जब किसी से कहना होता है ‘Mention not’ तो उससे कह देते है मुंह में ले ले।

वो अभी तक नंगा ही खड़ा था, वो घुटनों पर बैठा और मेरा लंड जो आधा जगा हुआ था, चड्डी से बाहर निकाला और मुंह में ले लिया। मैं सिगरेट का कश लेने लगा।

इतने में बीवी अंदर से चाय लेकर आ गई, उसने भी अब तक कोई कपड़ा नहीं पहना था, बोली- आप अपना लंड इनसे क्यूँ चुसवा रहे हो? मैंने कहा- मैंने सिर्फ इतना कहा था कि ‘मुंह में ले ले’ इसने सही में ले लिया। और मैं हंसने लगा। नीलेश ने अपने मुंह से लंड निकाला और बोला- भाभी, मुझे लंड मुंह में लेना भी उतना ही अच्छा लगता है जितना चूत को। इसलिए इसने कहा तो मैंने ले लिया। मैंने थोड़ा हिल ढुल कर अपनी चड्डी पूरी उतार दी। मधु बोली- फिर तो भैया आप अपनी गांड में लंड भी ले लेते होंगे। नीलेश ने फिर से मुंह से लंड निकाला और बोला- नहीं भाभी, इसका अनुभव नहीं है। पर देखूंगा किसी दिन शायद राहुल मेरी गांड मारने को बोलेगा और मैं मरवाने की कोशिश करूँगा। अभी तो यह नहीं पता कि गांड मरवाने में कितना दर्द होगा। और फिर से लौड़ा चूसने लगा।

मैंने कहा- तू छोड़ न उसे, मुझे चाय दे। मैं आराम से चाय पिता रहा नीलेश लंड चूसता रहा और मधु चाय पीते पीते उसे मेरा लंड चूसते हुए देखती रही। मैंने कहा- नीलेश, तेरी चाय ठंडी हो रही है, चल चाय पी और लेकर आ तेरी बीवी को क्योंकि मेरे लिए तो सरप्राइज है न! नीलेश बोला- यार, घंटा सरप्राइज है, मैं उसे फ़ोन कर देता हूँ कि मैं राहुल के साथ ही तुझे लेने आ रहा हूँ।

उसने फ़ोन उठाया मधु मेरी गोद में आकर खड़े लौड़े पर बैठ गई, मुझसे बोली- आप मेरी चूत मार लो, फिर चलते हैं। भैया को बोलो वो पूछ लें कि गाड़ी कितनी लेट चल रही है और फिर वो बाहर जाकर थोड़ा घूम आयें, तब तक हम एक बाज़ी निबटा लेंगे। मैंने जोर से कहा- नीलेश, पूछ कहाँ तक पहुँची हैं उसकी ट्रेन।

फिर थोड़ा धीरे से बोला- उसको बाहर क्यूँ भेजेंगे? उसके सामने अपने पति से चुदने में शर्म आएगी क्या? मधु थोड़ा शर्मा गई और बोली- आप भी न? आपसे तो मैं सड़क पे चुदवा सकती हूँ… उनके सामने काहे की शर्म जब उनके साथ तो कल से नंगी ही पड़ी हूँ। वो बोला- भाई गाड़ी ऑन टाइम है और पलवल क्रॉस कर गई है, चलो जल्दी से!

मैंने मधु को बोला- चल कोई नी, तुझे आकर चोदता हूँ। मधु बोली- मैं घर में पड़ी पड़ी क्या करुँगी, मुझे भी ले चलो। मैंने कहा- तो ठीक है, चल तैयार हो जा।

अब हम कार में बैठे, मैंने मधु को आगे बैठाया और नीलेश को पीछे, मैंने कहा- मधु साथ में चुदाई में बहुत आनन्द आता है न? मधु बोली- हाँ, बहुत मज़ा आता है। दिन भर कोई न कोई आपके आसपास रहता ही है लंड और चूत के मिलन चाहे जब हो जाता है। और पति के अलावा कोई और जब देख या छू रहा हो तो चुदाई का मज़ा और बढ़ जाता है।

पीछे बैठे नीलेश ने मधु की तरफ हाथ बढ़ाये और उसके बूब्स दबा दिए। मधु बोली- भैया, ऐसे मत करो, कोई देख लेगा। नीलेश बोला- सॉरी भाभी, पर बीवी के आने के बाद आपको पता नहीं कब छू पाऊँगा? उसी टेंशन के मारे सोच रहा हूँ कि वो ना आती तो ही अच्छा होता। हम तीनों कैसे दिन भर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहते पर अब नीता के आने के बाद सबको कपड़े पहनने पड़ेंगे।

मेरी और मधु की बहुत बुरी तरह हंसी छूट गई, मैंने मधु से कहा- जब हम तीनों को मज़ा आया तो नीता को भी आएगा मज़ा। नीलेश तू उसे पटाने की कोशिश करना, मधु तुम भी कुछ ऐसा करो कि वो हमारी गैंग में शामिल हो जाए। मैं तो खैर कोशिश करूँगा ही। क्यूँ मधु, करोगी न? मधु थोड़ी सोच में पड़ गई, फिर बोली- मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। आपको नीता अच्छी लगती है क्या? मैंने कहा- मैंने उसे कभी देखा ही नहीं। शादी में स्टेज पर देखा था पर उस समय तो इतना मेकअप लहंगा और ज्वेलरी होती है कि लड़की कहाँ दिखती है। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है। पर हाँ, ग्रुप सेक्स में मज़ा तो आएगा ही। तुम्हे भी तो तुम्हारे भैया का लंड और अदाएँ मिलता रहेगा।

मधु बोली- चलो, मैं देखती हूँ कि मैं क्या कर सकती हूँ, जो बन पड़ेगा वो करुँगी। वैसे राहुल तुम प्लान करो और हम दोनों को गाइड करो तो शायद सक्सेस जल्दी मिल जाये। नीलेश बोला- क्या बात है भाभी, मैं भी यही कहने वाला था। और उसने मधु की जांघ दबा दी- भाभी, अब ये मत बोलना की कोई देख लेगा, अब कार के बाहर से आपकी जाघें थोड़े ही दिख रही हैं। मैंने कहा- तू सीधा बैठ जा चूतिये, तेरी बीवी के चक्कर में हम दोनों बिना चुदाई के आ गये हैं। दोनों में भयानक आग लगी है और ऊपर से तू बकचोदी में लगा है। मैंने ड्राइव करते करते अपना लंड बाहर निकाला और बोला- तुम दोनों मुझे सोचने दो। मधु बोली- ये सड़क पे लंड बाहर निकाल के क्या सोच रहे हो?

मैंने कहा- तू अभी बोली थी न, सड़क पे चुद सकती है। चल अभी रास्ता खाली है मैं गाड़ी चला रहा हूँ, तू मेरा लौड़ा चूस। वो फटाक से बिना कुछ कहे मेरे लंड पे झुक गई, उसके बूब्स गियर के ऊपर थे तो नीलेश ने नीचे से हाथ डाल के उन्हें सहलाना शुरू कर दिया। मधु ने भी एक हाथ ले जाकर नीलेश के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

थोड़ी ही देर में मैंने मधु को बोला- चल उठ जा, मुझे आईडिया आ गया है। बस तुम जब भी में कुछ पूछूँ या करने को कहूँ तो सवाल किये बिना करना शुरू कर देना। मधु, मेरे लंड को मेरे जीन्स में डाल के चैन बंद कर दे, सामने पुलिस की गाडी खड़ी है।

हम लोग स्टेशन पहुंचे, गाड़ी से बाहर निकल के अंगड़ाई ली और मैंने एक सिगरेट जला ली। नीलेश फ़ोन पर नीता को हमारी लोकेशन बता रहा था। 5-7 मिनट में ही नीता एक बेहद खूबसूरत जवान मदमस्त हसीना हमारी आँखों के सामने आ गई। उसे देखते ही मैंने उसे अपने ख्यालों न जितने पोजीशन में चोद दिया।

नीलेश नीता के हाथों से बैग लेने आगे बढ़ा, मेरे हाथ का सिगरेट फेंकते हुए मैं आगे बढ़ा, वो पाव छूने झुकी, मैंने उसको उठाया और बोला- इतना बड़ा मत बनाओ, बुड्ढों वाली फीलिंग आ जाती है! और गले लगा लिया। गले लगाते ही उसके सीने का नाप तोल और झाँक का कूल्हों का माप ले लिया था मैंने।

नीता को मैंने अलग किया तो वो जाकर मधु के पाँव छूने लगी, मधु ने भी उससे पाँव नहीं छुआए, बोली- जब मेरे पति ने पाँव नहीं छुआए तो में कैसे? आओ गले लगो।

मैंने और नीलेश ने सामान गाड़ी में रखा और मैंने कहा- मधु तुम आगे बैठो, और नीलेश तुम पीछे। मधु मुझे देख रही थी, मैंने कहा- अब वो दोनों इतने दिनों बाद मिले हैं, बैठने दो साथ में! और मैं हंस दिय, मधु भी मुस्कुरा कर आगे बैठ गई।

गाड़ी में काफी देर ख़ामोशी रही फिर मैंने ही आइस ब्रेक करते हुए कहा- नीता, तुम्हारा सफर कैसा रहा/ बोली- भैया अच्छा था सफर! मैंने कहा- सैयां के इंतज़ार में सफर लम्बा लगा या जल्दी कट गया? वो थोड़ा मुस्कुराई और नीलेश की आँखों में देख कर बोली- जब इंतज़ार करो तो सफर लम्बा ही लगता है।

मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा- ये बात तो सही है। पर अब तुम यहाँ बिल्कुल पर्दा वरदा मत करना, हम दोनों भाई बाद में पहले दोस्त हैं। और दोस्ती में ये सब औपचारिकता ठीक नहीं है। सही कहा न मैंने मधु? मधु बोली- हाँ नीता, तुम आराम से रहो जैसे किसी दोस्त के यहाँ आई हो! और हमारे यहाँ का एक नियम है कि कोई नियम नहीं है। सब लोग थोड़ा चुप हुए फिर एक सेकंड बाद सब लोग जोर जोर से हंसने लगे। मैंने कहा- मेरे साथ रहकर तुम तो बहुत अच्छे डॉयलॉग देने लगी हो बे। हम मस्ती मज़ाक और हंसते मुस्कुराते हुए घर पहुंचे।

नीलेश बीवी को छोड़ के और सामान रखकर वापस आकर गाड़ी में बैठ गया। मधु और नीता घर पर एक दूसरे से गप्पें लड़ाने वाली थी तो मैंने और नीलेश ने सोचा थोड़ा घूम के आयें। हमने गाड़ी घर पे ही खड़ी करके पैदल चल के जाने के बारे में सोचा।

नीलेश ने पूछा- क्यूँ, कैसी लगी नीता? मैंने कहा- भाई चलती फिरती एटम बम है वो तो, और तू जिस हिसाब से बता रहा था उससे तो मिलने का मन ही नहीं था मेरा। नीलेश बोला- चल यार, इतनी भी खूबसूरत नहीं है… तू तो ऐसे ही तारीफों के पुल बाँध रहा है।

तो मैंने हंसते हुए कहा- तो फिर तू जितने भी दिन यहाँ है, उतने दिन और रात तेरी बीवी को मैं चोदता हूँ और तू तेरी भाभी की ले! तू भी खुश में भी। नीलेश बोला- तुझे सच में इतनी अच्छी लगी नीता? मैंने कहा- कोई शक? नीलेश बोला- यार, तू कैसे भी बस ग्रुप सेक्स का इंतज़ाम कर, ज़िन्दगी का मज़ा आ जायेगा जब अपनी बीवी नीता के सामने मधु भाभी को चोदूँगा… और तू मेरे सामने मेरी बीवी की चूत बजाएगा।

मैंने कहा- हाँ यार, कुछ चल तो रहा है दिमाग में… पर ढंग से कोई सटीक आईडिया नहीं आ रहा! खैर तू चिंता मत कर, नीता की चुदाई के लिए मैं कुछ भी करूँगा। नीलेश बोला- यार, अब तो तू हद कर रहा है, इतनी भी सुन्दर नहीं है नीता और मधु भाभी के सामने तो कुछ भी नहीं है। मैं बोला- वो तेरी बीवी है इसलिए तुझे छोड़ के सबको अच्छी लगेगी! और हम दोनों हंसने लगे।

टहलते टहलते हम दोनों ठेके के करीब आ गये थे, मैंने कहा- तेरी बीवी को ड्रिंकिंग से कोई परहेज़ तो नहीं है न? नीलेश बोला- वो नहीं पीती पर कोई और पिए तो शायद उसे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। चल लेकर चलते हैं, अपन तो पिएंगे ही। मैंने फटाफट एक बोतल, कुछ खाने पीने के सामान वगैरह लिए और घर की ओर चल दिए।

क्या नीता ग्रुप सेक्स के लिए तैयार हो जाएगी? क्या राहुल नीता की चूत को चोद पाएगा? क्या नीलेश अपनी बीवी नीता के सामने अपनी भाभी मधु को चोद पाएगा?

ऐसे ही कुछ बेहतरीन सवालों के जबाब के लिए मेरी अगली कहानी का इंतज़ार कीजिये। आप मुझे इस कहानी के बारे में [email protected] पर लिखें आपको कैसी लगी? क्या अच्छा था? क्या अच्छा नहीं था? और कहानी के कौन से हिस्से को पढ़कर आप एक से ज्यादा बार मुट्ठ मार चुके हैं? आपकी प्रतिक्रिया के अनुसार आगे की कहानी लिखना और आसान होगा।

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