अप्रैल 2016 की लोकप्रिय कहानियाँ

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प्रिय अन्तर्वासना पाठको अप्रैल महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…

कहानी के बारे में – दो दम्पति अपने साथियों की अदला-बदली के लिए मिलते हैं। जेम्स दूसरे दंपति की बीवी कल्पना के साथ सेक्स संबंध स्थापित करता है मगर एक दुखद घटनावश उसकी अपनी पत्नी डायना का दूसरे के पुरुष के साथ संभोग नहीं हो पाता और विनिमय कार्य अधूरा रह जाता है। यह उसी अधूरे विनिमय के अंतर्गत जेम्स और कल्पना के संयोग के बेहद उत्तेजक कामुक अनुभवों की कहानी है।

जेम्स की कल्पना -1 James Ki Kalpna-1 प्रिय पाठको, आप अब तक मेरी सात-आठ कहानियाँ पढ़ चुके हैं, पर इस बार मैं अपने जीवन में घटित वास्तविक घटना की कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ। इसे मैं काफी दिन से लिखना चाह रहा था लेकिन मेरी पत्नी इजाजत नहीं दे रही थी। मेरी पत्नी और मैं बिल्कुल दोस्त की तरह हैं और मेरी हर कहानी की पहली पाठिका वही होती है। उसकी नजर से गुजरकर ही कहानी अन्तर्वासना और आप तक आती है।

इस बार चूँकि वह खुद कहानी की पात्र थी, इसलिए मुझे इजाजत देने में हिचक रही थी। फिर भी तीन-चार साल लग ही गए कहानी को आप तक लाने में! खैर, उम्मीद है, देर आए दुरुस्त आए।

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मैं राहुल दिल्ली में अपनी बीवी मधु के साथ रहता हूँ। मेरे बारे में तो आप खुद ही अंदाज़ा लगा लेंगे। मैं पहली बार अपनी कहानी पेश कर रहा हूँ। आप मेरे किरदार और उनकी परिस्थिति को समझ सकें, उसके लिए बीच-बीच में आस पास की चीज़ों का अंदाज़ा लगवाने की कोशिश मैं करूँगा।

यह वो शाम थी, जब मेरा बुआ का लड़का नीलेश जो मेरा हमउम्र ही है, मेरे घर आया। वो भोपाल में रहता है। शाम की ट्रेन से जब वो घर आया तो काफी अँधेरा हो चुका था। मैं तो बालकनी में खड़ा-खड़ा काफी देर से उसी का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही वो आया, मेरी ख़ुशी दुगनी हो गई।

बचपन में हम दोनों बहुत समय साथ गुज़ारते थे, अब हम दोनों को ज्यादा समय नहीं मिलता। पहली सिगरेट, पहली बियर यह सब हमने साथ साथ ही शुरू किया था।

घर आते ही उसने मेरी बीवी के पैर छुए और मुझसे गले मिला, मैंने कहा- कमीने, मेरे भी पांव छू! तो वो बोला- क्यों भाभी के सामने गाली खाने के काम करता है? तेरे थोड़े ही न पाँव छूऊँगा।

हंस कर हम लोग सोफे पर बैठ गए। घर में घुसते ही पहला कमरा हमारा ड्राइंग रूम है, उसमें 56 इंच का टीवी से लैपटॉप कनेक्ट किया हुआ है, जिससे मूवी लैपटॉप पर न देखकर बड़ी स्क्रीन पर देख सके। सोफे केवल 2 सीटर ही हैं। एक छोटा सा कालीन एक कांच की सेंटर टेबल!

घर देखकर नीलेश बोला- भाई, तूने घर तो बड़ा सही बना रखा है। बोलते बोलते वो अपनी सामान भी खोलता जा रहा था। मैंने कहा- भाई, सब ऊपर वाले का करम है।

उसने बैग से एक सूट निकला जो बुआ ने भोपाल से मेरी बीवी के लिए भेजा था। मेरी पत्नी भी वहीं बैठी थी, उसने सूट मेरी पत्नी मधु को दिया। मधु सूट देखकर खुश हो गई।

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प्रिय पाठको, आप सब को मेरा प्यार भरा नमस्कार! मेरी कहानी तुझ को भुला ना पाऊँगा को आप सब लोगों ने बहुत सराहा और वो शायद उस महीने की सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक रही। बहुत सारे मेल और फ़ेसबुक फ़्रेंड रिक्वेस्ट भी आई उनमें से बहुत सारे लोग मेरे नेट फ्रेंड बन भी गये।

उस कहानी को एक पाठिका मंजरी (बदला हुआ नाम) ने पढ़ा जो कि वसुंधरा में रहती हैं, उनका मेरे पास मेल आया तो मैंने औपचारिकता वश उनके मेल का जवाब भी दिया और कहानी की तारीफ के लिए धन्यवाद भी दिया। पर वो मुझे लगातार मेल करती रही परन्तु मैं उन्हें लगातार जवाब नहीं दे रहा था।

और एक दिन उन्होंने मुझे मेल करके कहा- दलबीर जी, आपकी कहानियाँ काल्पनिक होती हैं ना? मैंने उन्हें जवाब दिया- नहीं मंजरी जी, ऐसी बात नहीं है, पर कहानी को कलात्मक रूप देने के लिए कहानी का कुछ मेकअप करना पड़ता है।

इस पर उनका जवाब आया- अगर ऐसा है तो आप मुझे हर बार जवाब क्यों नहीं देते? अब इस बात का कोई खास जवाब मेरे पास था भी नहीं क्योंकि एक तो अपनी क्लिनिक में मैंने जनवरी में एक लॅबोरेटरी खोली है जिस कारण से काम का बोझ बढ़ गया है तो यही बात मैंने उनको मेल में बता दी।

तो उसका जवाब आया- कभी तो टाइम होता होगा आपके पास? मैंने उनसे कहा- आप यह बताइए कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ? तो उनका जवाब आया- क्या आप याहू मेसेन्जर पर आ सकते हैं?

तो मैंने उस दिन मेल का जवाब नहीं दिया और दो दिन बाद मैंने जब अपना मेल बॉक्स खोला तो पाया कि उनकी एक और मेल आई है, और यह मेल अभी कुछ देर पहले ही डिलीवर हुई थी, इसमें मंजरी ने कहा था कि उसने मुझे Y/M पर रिक्वेस्ट भेजी है और वो मुझसे चैटिंग करना चाहती है।

मैंने अपने याहू मेसेन्जर में लॉग इन किया तो वहाँ पर मंजरी की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई थी। मैंने वो रिक्वेस्ट एक्सेपट कर ली तो उसका तुरंत मैसेज आया- हाय!

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मेरी यह स्टोरी मेरी गर्ल फ्रेंड के बारे में है.. जिसका नाम आयशा है.. उसका फिगर 36-30-34 का है.. गेहुआं रंग.. हमारे रिश्ते को दो साल हो चुके थे। हमने खूब सेक्स एंजाय किया.. और हमारे बीच बेहद प्यार भी था.. इतना कि उसकी सहेलियाँ मुझको मेरी गर्लफ्रेण्ड के साथ देख कर जलती थीं।

एक दिन हम दोनों ने मूवी देखना का प्लान बनाया और हम पेसिफिक मॉल में मूवी देखने गए। मेरा तो हमेशा से मन रहा है कि लड़की की चुदाई को हर आसन में और हर जगह पर चोदूं.. और तब तक चोदूँ जब तक वो रो न दे।

तो बस मेरे दिमाग़ में खुराफाती ख्याल आने लगे थे.. और मूवी का नाम भी ‘जिस्म-2’ था।

हम दोनों तय समय में पेसिफिक मॉल में पहुँच गए.. हम लोग अपनी सीट्स पर पहुँचे.. कॉर्नर सीट्स ही ली थी लेकिन ऊपर से दूसरी लाइन में सीधे हाथ की कोने की सीट थीं।

हम हॉल में थोड़ा लेट घुसे थे.. तो उस वक्त किसी दूसरी मूवी का ट्रेलर चालू था। फिलहाल हम अपनी सीट पर पहुँचे और बैठ गए। मैंने देखा कि हमारी बगल वाली सीट पर कोई नहीं था और दूसरे कॉर्नर में शायद एक कपल और बैठा था.. हॉल की लाइट्स ऑफ हो गई थीं.. मतलब हॉल में पूरा अंधेरा हो गया था।

मैं सबसे किनारे पर बैठा था। मैंने एक ढीली सी जीन्स और एक टी-शर्ट और मेरी गर्लफ्रेण्ड ने भी एक ढीली सी जीन्स और ढीला टॉप पहना था.. जिसकी बाहें भी काफी चौड़ी थीं जो कि मेरी मैडम का प्लान था।

हम दोनों मूवी देखने लगे.. करीब आधे घंटे बाद हम दोनों थोड़ा अपनी हरकतें करने लगे.. वो मुझको सहलाने लगी। मेरी कमजोरी है.. मैं उसके सिर्फ स्पर्श करने से ही गर्म हो जाता हूँ.. उसका स्पर्श ही इतना ख़ास था कि कुछ मिनटों में मेरे लण्ड महाराज गर्म होकर हरकतें करने लग गए और मेरी जीन्स में अकड़ने लगे।

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दोस्तो.. ये मेरी डायरी के कुछ पन्ने थे जो मैंने अपनी कामवासना के चलते आज फिर खोल लिए थे.. इसमें मेरी बीवी और मेरे दोस्त के साथ हम तीनों की चुदास का वर्णन लिखा है.. उसे पढ़ कर आप सब को सुना रहा हूँ.. आनन्द लीजिए।

चौबीस अगस्त को सुबह से ही मेरे मन में सेक्सी ख्याल आ रहे थे। मैं सुबह ऑफिस गया.. पर मेरा मन आज कुछ मस्ती करने का था। मैं ऑफिस जाने से पहले सुबह बार-बार अपनी पत्नी को छेड़ रहा था। मेरी पत्नी प्रिया की चूत भी शायद मचल रही थी.. क्योंकि वो भी सुबह से ही बेक़रार सी हो रही थी, कई बार मुझे इशारा कर चुकी थी और मैं भी मस्त हो रहा था।

देर शाम को करीब दस बजे मैंने अपने दोस्त विलास से एसएमएस पर बात की. उसके बाद घर पहुँच कर मैंने अपनी बीवी से कहा- आज गाड़ी में ड्राइव पर चलोगी? उसने कहा- ठीक है चलेंगे! और दोस्त को एसएमएस किया।

उस दिन घर पर कुछ रिश्तेदार थे.. सो मेरी पत्नी घर से बिना कन्धों वाली फ्रॉक पहन कर नहीं निकल सकती थी। सो मैंने उसकी फ्रॉक और दुपट्टा पहले से गाड़ी में रख लिया. और जब हम घर से निकल कर खुली सड़क पर आए तो उसे कमीज़-पजामी.. ब्रा और पैंटी उतार कर उसको बिना कन्धों वाली फ्रॉक पहनने को कहा।

उसने खुली सड़क पर चलती हुई गाड़ी में बिंदास होकर नंगी होकर कपड़े बदले और मैं बीच-बीच में उसके नंगे जिस्म को छूता.. मसलता और मस्ती लेता रहा।

फ्रॉक पहन कर उसने अपनी मोटी चूचों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया। मैंने दुपट्टे के नीचे हाथ डाल कर उसकी फ्रॉक को चूचियों से नीचे सरका कर उसकी चूचियाँ नंगी कर दीं।

उसने शरारत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा और धीरे से अपना सीना तान लिया.. जिससे उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ और उभर आईं और मैंने मस्ती से उसकी चूचियाँ सहलानी, मसलनी.. दबानी और छेड़नी शुरू कर दीं, कई बार उसके निप्पल मसले.. खींचे.. मरोड़े और नोंचे.. जिससे निप्पल भी एकदम मस्त होकर तन गए।

उसकी चूचियाँ भी जैसे और भर गईं.. और वे गाड़ी के हर धचके के साथ उछलने लगी थीं।

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