प्रेम संग वासना : एक अनोखा रिश्ता -3

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मैंने उससे मज़ाक में कहा- तुम मेरे साथ ड्रिंक कर रही हो, कहीं मैं तुम्हारा फ़ायदा न उठा लूँ? उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली- तो उठा लो फायदा… मैं भी तो यही चाहती हूँ, जब दिल तुम्हें दे दिया है तो शरीर कौन सी बड़ी चीज है।

और हंसते हुए हम बीयर पीने लगे।

मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि आज वो सब कुछ मुझे मिलने वाला है शायद जिसकी कल्पना भी मैंने नहीं की थी। और वो भी खुल कर सब कुछ करना भी चाहती थी, जैसे आज वो अपने चुदने की योजना पहले से ही बना कर बैठी हो। तभी तो ऐसा ड्रेस ऐसा सजा हुआ रूम बीयर पीने का मूड, सभी बस एक ही तरफ इशारा कर रहे थे।

खैर मेरा क्या मुझे तो आज की रात जन्नत ही मिलने वाली थी शायद! हम बीयर पी रहे थे और बातें कर रहे थे और साथ साथ हमारे बीच का फासला भी कम होता जा रहा था, जब हमारा पहला बीयर का ग्लास खत्म हो गया तो मैं दूसरा बनाने के लिए उठा तो उसने कहा- एक ही बनाना, अब दोनों एक में ही पीयेंगे! मैंने वैसा ही किया।

रात के 11:30 हो चुके थे और एक बोतल बीयर भी खत्म हो चुकी थी और हम खाना पहले ही खा चुके थे तो खाने का कोई सवाल ही नहीं था तो मैंने सोचा कि दूसरी बोतल खोली जाए। पर उसने मना कर दिया, मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे बगल में आ कर लेट गई।

अभी तक उसने ड्रेस भी चेंज नहीं किया था और थोड़ी मदहोश भी हो गई थी। उसका सर मेरे सीने पर था और उसके सारे बालों से उसका चेहरा ढका हुआ था। मैंने जैसे ही उसके बाल उसके चेहरे से हटाये तो उसने अपना चेहरा उठा कर मेरी तरफ किया, सच बताऊँ मेरे और उसके चेहरे में थोड़ा सा भी गैप नहीं रह गया था, मेरे और उसके होंठ आमने सामने थे पर सटे नहीं थे।

उसको इतना पास पाकर मेरी साँसें तेज होने लगी और शायद उसका भी यही हाल था, उसकी आँखें मुझे निमंत्रण दे रही थी कि आओ और चूस लो मेरा रस!

मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसके बाल पकड़े और अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए, हम एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे, कभी वो मेरे ऊपर, कभी मैं उसके ऊपर!

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यह सिलसिला करीब दस मिनट तक चला।

अब तो कंट्रोल करना हम दोनों के ही बस में नहीं था, मैंने उसे अपने से अलग किया और एक ही झटके में उसका गाउन नोच फेंका, उस वक़्त कमरे में लाल रोशनी जल रही थी और उस लाल रोशनी में उसका दूधिया बदन बिल्कुल सोने के जैसा चमक रहा था। उसने गाउन के नीचे कुछ भी नहीं पहना था, बस एक पैंटी थी नाम मात्र की!

मैं तो उसकी खूबसूरती देख कर बस देखता ही रह गया… कितना गोरा शरीर था उसका… एकदम गोरी और संतरे के आकार की उसकी चूचियाँ… मन तो कर रहा था बस नोच खाऊँ उन्हें। पर वो भी कुछ कम नहीं थी, उसने भी एक एक कर के मेरे सारे कपड़े उतार दिये, अब मैं भी सिर्फ अंडरवेयर में रह गया और फिर हम आपस में लिपट गए और एक दूसरे को चूमने लगे।

अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था तो मैंने उसको नीचे लिटाया और उसको होठों से चूमना शुरू किया, पहले होंठ फिर गर्दन और फिर दो आज़ाद कबूतर! मैंने उसकी एक चूची को मुँह में भरा और दूसरे को हाथ में पकड़ कर दबाने लगा। शायद मैंने थोड़ा तेज दबा दिया या अपने दांतों से काट लिया, वो चीख पड़ी और मुझे रोक दिया और फिर मुझे वो बताया जिसका मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि मेरी किस्मत अब इतनी भी मेहरबान भी हो सकती है।

उसने बताया कि वो अभी तक वर्जिन है। उसने यह भी बताया कि आज से पहले उसे किसी मर्द ने नहीं छुआ… मैं पहला आदमी हूँ जो उसके साथ ये सब कर रहा हूँ। इसके बाद उसने आग्रह करते हुए कहा कि पहले मैं सब कुछ धीरे धीरे करूँ और फिर वाइल्ड हो जाऊँ। मुझे भी लगा वो सही कह रही है क्योंकि पहले ही अगर मैं वाइल्ड हो जाऊंगा तो उसका मन सेक्स से भाग जाएगा और आज के बाद कुछ नहीं मिलेगा तो उसके हिसाब से ही चलना ठीक है।

अब मैंने उसकी चूचियों को धीरे धीरे पीना शुरू किया और दबाना भी, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी, उसकी साँसें इतने में ही उखड़ने लगी थी। ‘आहहह ह ह… .सीस स स स स ऊम्ह्हहहह…’

उसकी सिसकारियों से मैं और भी जोश में आ रहा था, अब मैंने उसकी चूचियों पर पूरी पकड़ बना कर उसके चूचियों को मसलने लगा था। वो भी पागल हुए जा रही थी, करीब 10 मिनट तक उसकी चूचियों को मसलने के बाद छोड़ा, अब तक वो एकदम लाल हो चुकी थी।

फिर धीरे धीरे मैं नीचे जाने लगा, उसके शरीर की खुशबू ऐसी थी कि मन कर रहा था कि उसे पूरा का पूरा खा जाऊँ लेकिन वो मुमकिन नहीं था। फिर उसके पेट को चूमने चाटने के बाद मैं उसकी नाभि में अपनी जीभ लगा कर गोल गोल घुमाने, चूसने और चाटने लगा। उस वक़्त तो उसकी हालत ऐसी हो रही थी जैसे अब वो एक जंगली बिल्ली जैसी हो गई है, वो अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रही थी।

फिर मैं उठ कर बैठ गया, वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो ‘प्लीज अभी मत छोड़ो…’ लेकिन मैं जानता था कि अगर ज्यादा जोश में आऊँगा तो उसे संतुष्ट नहीं कर पाऊँगा। मैं उसके पैर के पास जाकर बैठ गया और उसके शरीर को देखने लगा, क्या मस्त लग रही थी वो बिना कपड़ों के!

अब मैं उसके पैर के अंगूठे को मुख में लेकर चूसने लगा, उसी के साथ उसकी जांघों को सहला भी रहा था। अब मेरी भी हालत जवाब दे रही थी, मैं एड़ियों से लेकर जांघों को मुँह में भर कर चाटता रहा जब तक कि वो मुझे रोक न दे।

यहाँ एक बात आपको बता दूँ कि जब आप लड़की के जांघों के बीच चूमते और चाटते हैं लेकिन चूत तक नहीं जाते हैं तो लड़की और भी पागल हो जाती है, उसके पैर कांपने लगते हैं, जिसका मतलब है कि अब लड़की पूरी तैयार है और आप उसे पूरे दम से चोद सकते हैं।

मैं भी वही कर रहा था कि वो और गर्म हो जाए जिससे उसको दर्द का एहसास उतना न हो जितना पहली बार सेक्स में होता है। जैसे जैसे मैं उसकी चूत के पास बढ़ने लगा, मानो उसमें एक आग सी लग गई जो उसकी आवाज से लग रहा था कि वो अब एक पल भी टिक नहीं पाएगी और उसको अब अपनी बुर में मेरा लंड चाहिए, जिसका एहसास मुझे उसकी सिसकारियों से भी हो रहा था आहह हहहह और ज़ोर से चाटोआहहह हह हह मज्ज्जा आ रहा है!’

उसके ऐसे कहने से ना जाने मेरे अंदर इतना जोश आ गया कि मैंने एक ही झटके में उसकी पैंटी को फाड़ कर उससे अलग कर दिया और अपना मुँह उसकी बुर पर रख कर पागलों की तरह चाटने लगा और साथ ही अपनी जीभ से उसकी बुर का मर्दन भी करने लगा।

उसकी चूत पहले से ही बहुत पानी छोड़ रही थी, मेरा मुँह उस पर लगते ही वो और पागल हो गई और कुछ देर चाटने के बाद वो ज़ोर से कसमसाई और अकड़ने लगी। उसका पानी छूट रहा था शायद… खैर मेरे मुँह में ही उसकी चूत ने अपना सारा पानी उगल दिया और वो ढेर हो गई।

क्या स्वाद था उसके पानी का… जैसी उसकी शरीर की खुशबू वैसा ही उसके चूत के पानी का स्वाद… मज़ा आ गया। फिर भी मैं उसकी चूत चाटता रहा कुछ देर तक और वो वैसे ही पड़ी रही!

लेकिन अब बारी मेरी थी। वो कुछ देर बाद उठी, मेरा अंडरवीयर निकाला और मेरे लंड से खेलने लगी। मैंने उससे पूछा- पहले कभी लंड देखा है? उसने कहा- हाँ मूवी में देखा है, इतने नजदीक से पहली बार देख रही हूँ।

तो मैंने कहा- फिर चूसो इसे अपने मुँह में लेकर… बड़ा मज़ा आएगा! उसने कहा- मुँह में नहीं लूँगी, बस जीभ से चाटूँगी! मैंने कहा- जैसे तुम्हारी मर्जी! और उसने अपने जीभ से धीरे धीरे मेरा लंड चाटना शुरू कर दिया, पहले शायद उसे अच्छा नहीं लगा लेकिन बाद में उसने थोड़ा थोड़ा मुँह में लेना शुरू किया और फिर कुछ देर बाद पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लोलीपॉप की तरह चाटने लगी। वो शायद पहली बार लंड चूस रही थी लेकिन लग नहीं रहा था कि उसे लंड चूसना नहीं आता, क्या पकड़ थी उसके मुँह की मेरे लंड पर, वो ऐसे मेरा लंड चूस रही है जैसे उसे खा जाएगी!

और अब तो मुझ पर भी खुमारी आ गई थी, मैंने उसका सर अपने हाथ से पकड़ा और उसका मुँह जमकर चोदने लगा। धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी, उसे भी मजा आ रहा था। अब मुझसे और कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने कहा- मेरा गिरने वाला है, कहाँ लोगी, मुँह में या कहीं और? उसने कहा- मेरे बूब्स पे गिरा दो। मैंने कहा- एक बार टेस्ट तो करो, अच्छा लगेगा!

अभी हम बातें ही कर रहे थे कि मेरा लावा फूट पड़ा और अपने वीर्य से मैंने उसका मुँह पूरा भर दिया और लंड उसके मुँह में ही डाले रहा जिससे मेरा रस उसके अंदर तक चला जाए। पहले तो उसने थोड़ा सा विरोध किया फिर बाद में वो सारा चाट गई।

अब हम दोनों ही पस्त होकर एक दूसरे के अगल बगल लेट गए और एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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