चचेरे भाई की बीवी को ग्रुप सेक्स में शामिल किया -4

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मधु बोली- मैं क्या बोलूँ, नीलेश भी तो मेरे पीछे से मेरे कूल्हे सहला रहा है। एक दो बार तो उसकी ऊँगली मेरे छेद को भी छू आई है। पर तुम्हारा ये जोखिम पूरा हो जाये उसके लिए मैंने अपना मुंह नहीं हटाया। यार दोस्तों-यारों में सब चलता है, और फिर हमारे पति कोई बेईमानी तो कर नहीं रहे, जो कुछ कर रहे हैं, हमारे सामने ही कर रहे हैं। अब जब तुम xxx मूवीज देखती हो तो तुम्हारा भी तो मन करता है न कि सम्भोग करें। ऐसे ही मेरे पति तुम्हें और तुम्हारे पति मुझे देख कर उत्तेजित हो रहे है। उन्हें होने दो उत्तेजित… जब ज्यादा उत्तेजित होंगे तभी तो हमें अच्छे से प्यार करेंगे न।

नीता को कुछ कुछ समझ आ रहा था, बोली- सॉरी एवरी वन! भैया टाइम दुबारा शुरू कर दो। मैंने स्टॉप क्लॉक फिर से शुरू कर दी।

अबकी बार मैं फिर से नीता की टांगों की बीच पहुँचा और धीरे धीरे नीता की चूत के पास अपनी उंगली घुमाने लगा, फिर उनकी गांड में उंगली फेरने लगा, थोड़ी सी गर्दन को उठा कर उसकी चूत पर चुम्मी कर दी। अब नीता की साँसें तेज़ होने लगी, पर उसने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की।

इधर नीलेश को भी थोड़ी और आज़ादी मिल गई थी, उसने मधु के कंधे पर अपना मुंह रखा हुआ था, उसके हाथ मधु के वक्ष स्थल के आसपास घूम रहे थे और नीता की नज़र इन सभी चीज़ों पर ही थी। जिस चीज़ पर नीता की नज़र नहीं थी वो यह कि मधु अपने हाथ से नीलेश के लंड को पुचकार रही थी और अपनी गांड पे रगड़वा रही थी।

नीलेश बोला- तूने मेरी बीवी की चूत देख ली, मैं भी तो अपनी भाभी की चूत देख कर आऊँ! वो भी मेरी तरह मधु के नीचे लेट गया और मधु तो नीलेश से पहले ही चुदवा चुकी थी इसलिए वो सीधा मधु की चूत को चाटने और चूमने लगा।

मधु बहुत गर्म हो रही थी इसलिए उसने नीता के हाथ अपने चूचों पर रख दिए, नीता को भी मज़ा आया वो भी मधु के बूब्स रगड़ के दबाने लगी। मैंने भी इसी बीच एक दो बार अपनी ऊँगली और जीभ नीता की चूत के अंदर तक डाल के निकाल ली।

स्टॉप क्लॉक पर टाइम खत्म होने की आवाज़ आई ‘बीप बीप…’ पर उस आवाज़ के आने के 10 सेकंड तक कोई अपनी जगह से नहीं हिला, फिर सब अपनी अपनी जगह बैठ गए।

अभी कमरे में सन्नाटा था। मैंने मसखरी करते हुए नीता से कहा- क्यूँ मज़ा आया न? नीता नज़र नीचे करके बोतल उठाने लगी।

मैं नीलेश से बोला- और मधु की चूत के बारे में आपकी क्या राय है? नीलेश बोला- मधु भाभी की चूत एकदम चिकनी है और बड़ी प्यारी है।

मधु और नीता दोनों अब तक चुप थी। मधु बोली- नीता, तू चिंता मत कर… अबकी बार इन दोनों में से किसी की बारी आने दे, ऐसा काम कराएँगे कि इनकी सारी हंसी निकल जाएगी।

नीता ने बोतल घुमाई बोतल जाकर रुकी नीलेश पर… नीता बोली- मार दिया जाये या छोड़ दिया जाये? नीलेश बोला- हमें तो मरने में ज्यादा ख़ुशी मिलेगी। सब इस बात पे हंस पड़े।

नीता बोली- तुमने मुझे एक लड़की को किस कराया था न? अब तुम्हारा टास्क है कि तुम हम सबके सामने भैया का लंड चुसोगे। इस पर मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा- यार, हमने कब तुम्हें मजबूर किया? हमने तो कहा था कि तुम हम तीनों में से किसी को भी किस कर सकती हो, तुम खुद ही दो मर्दों को छोड़ कर लड़की को किस करने गई। इतनी बड़ी सजा मत दो हम दोनों को।

नीता के चेहरे पर जीत की मुस्कराहट साफ़ दिखाई पड़ रही थी।

नीलेश बोला- यार राहुल, इतना लंड चुसवाया है, हमेशा सोचता हूँ कि चूसने में कैसा लगता होगा। चल आज तेरा लंड चूस के देख ही लेता हूँ। मैंने कहा- ठीक है, मैं सोफे पर बैठ जाता हूँ, तू घुटनों पर बैठ जाना।

मैंने अपना तौलिया हटाया। नीता की नजर मेरे ही लंड पर थी क्योंकि अपने पति का तो वो देखती ही रहती थी, और मधु को कपड़े बदलते समय देख चुकी थी, बस मैं ही था जिसका जननांग अभी तक उसने नहीं देखा था। मैं नीता से बोला- क्यूँ नीता, कैसा लगा मेरा लंड? नीता कुछ नहीं बोली, सिर्फ मुस्कुरा दी।

नीलेश मेरे लंड पर आया, मेरे को आँख मार कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। नीता बोली- भाभी, ये तो सही में ही भैया का लंड चूसने लगे? मुझे लगा था कि नीलू मेरे सामने गिड़गिड़ाएंगे कि यार टास्क चेंज कर दो। मधु बोली- हाँ यार नीता, यह तो हमारे साथ नहले पे दहला हो गया। चल कोई नहीं, और अनोखी हरकत सोचते हैं। वैसे तेरा आईडिया अच्छा था, कुछ ऐसा ही और सोच।

इधर नीलेश मेरे लंड को गले तक ले लेकर अच्छे से चूस रहा था, 2-3 मिनट तक अच्छे से चूस कर नीलेश खड़ा हो गया।

अब नीलेश ने बोतल घुमाई जो मधु पर जाकर रुकी। नीलेश बोला- भाभी, अब आप पूरी तरह नंगी हो जाओ, आपके बदन पर कपड़ा तो क्या, एक धागा भी नहीं दिखना चाहिए। आप आगे का पूरा गेम ऐसे ही खेलोगी।

मधु थोड़ा नाटक दिखा कर जिससे नीता को शक न हो, पूरी नंगी होकर गेम खेलने लगी। इधर मैं और नीलेश दोनों मधु पर कमेंट्स कसने लगे।

मधु ने बोतल घुमाई और वो जाकर रुकी फिर से नीलेश पे… मधु ने कहा- अब आप भी पूरे कपड़े उतार कर आगे का गेम खेलो।

नीलेश बोला- भाभी, यह तो आपने दिल की बात कर दी। नीलेश खड़ा हुआ और तौलिया उतार के सोफे पर फेंक दिया और बोतल घुमाने नीचे बैठ गया।

अबकी बार बोतल नीता पर रुकी। नीलेश के बोलने से पहले मैं बोला- इसको भी नंगा कर, साली का बदन वैसे ही पूरा बाहर निकला जा रहा है। नीलेश बोला- चल तू भी नंगी हो जा!

नीता खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने लगी। जब वो बिना कपड़ो के पूरी नंगी सामने खड़ी थी तो एक पल को ख्याल आया ‘माँ चुदाये ये सारा गेम वेम… इसको यहीं पटक कर चोद दूँ।’ पर सब्र का फल मीठा होता है, यही सोच कर रुक गया।

अब चारों में से तीन लोग पूरी तरह नंगे होकर खेल रहे थे तो तीनों बोले- राहुल, तू भी अपना तौलिया हटा ले, वैसे भी लंड का एक बार तो नज़राना हो ही चुका है। मैंने भी बात मानते हुए अपनी तौलिया हटा दिया, मैं बोला- यार नीलेश, खेलते खेलते साली पूरी बोतल खत्म हो गई। नीलेश बोला- पूरी व्हिस्की खत्म?

मधु बोली- आपकी एक बोतल में से थोड़ी सी बची हुई है, अलमारी में रखी है, लेकर आऊँ? मैं मधु के करीब गया और उसे किस करके बोला- वाह यार थैंक्स मधु डार्लिंग, ले आ यार प्लीज! मधु उठी और अपके कूल्हे मटकाती हुई जाकर लगभग क्वाटर बची हुई व्हिस्की उठा लाई। मधु ने ही हम दोनों के पैग बना दिए।

अबकी बारी नीता की थी बोतल घुमाने की, बोतल आकर रुकी मेरे ऊपर… नीता बोली- भैया अब आप सीधे लेट जाओ, अगले 3 मिनट तक हम तीनों आपको उकसाएंगे, छुएंगे पर आप न तो अपने आप को, न ही किसी और के किसी भी अंग को छुओगे!

जैसा कहा गया, जमीन पर सीधा लेट गया मैं… स्टॉप क्लॉक चालू हुई। जैसे ही स्टॉप क्लॉक चालू हुई, नीता मेरे मुंह के ऊपर ऐसे बैठ गई जैसे कमोड के ऊपर मूतने के लिए बैठते हैं, बोली- भाभी आप अपनी चूत इनके लंड पे रगड़ो और नीलू तुम जो चाहो करो, तुम चाहो तो दो लड़कियों को एक आदमी को उकसाते हुए देखो।

मैंने अपने हाथों को मुट्ठी बना लिया क्योंकि जब आप उत्तेजित होते हैं, वाकयी अपने हाथों को रोक पाना मुश्किल होता है। नीता ने अपनी चूत मेरे होंठों और नाक के नोक पर रगड़नी शुरू कर दी। और इधर मधु अपनी चूत से कभी अपने बूब्स से मेरे लंड को मसल रही थी।

नीता बोली- क्यूँ भैया, अब आया न मजा? मेरी चूत में उंगली करो न भैया… मेरी गांड सहलाओ हा? अच्छा… अपनी बीवी के चूचे ही दबा लो… करो न कुछ… कैसे नामर्द की तरह पड़े हो? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने कहा- वाह री नीता, तुम तो खेल की माहिर खिलाड़ी बन गई हो। मैं हार जाऊँ, उसके लिए जो भी जतन कर रही हो, वाकयी काबिले तारीफ़ है। पर मैं भी कच्चा खिलाड़ी नहीं हूँ, अपनी बारी का इंतज़ार करूँगा, वैसे भी खीर ठंडी करके खाना मेरी फितरत है।

नीता सिसकारियाँ लेने लगी और नीलेश से बोली- हमारी शादी को इतना टाइम हो गया, तुम मुझे कभी इनके यहाँ नहीं लाये। इतना मज़ा तो हम दोनों होटल में भी नहीं करते जितना आज यहाँ कर रहे हैं। भैया और भाभी दोनों इतने कमाल के होंगे, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। जब मैं घर आई थी तो यही सोच रही थी कि हम लोग कहाँ सोएंगे जिससे कम से कम रात को 1-2 बार चुदाई तो हो जाये। पर इनके खेल में मैं दो बार गीली हो चुकी हूँ। हाय अल्लाह… यह मैं क्या बोले जा रही हूँ। नीलेश प्लीज डोंट माइंड… मेरा मेरे ऊपर कोई कंट्रोल नहीं है।

नीलेश बोला- तुम सिर्फ आनन्द लो नीता और शुक्र मनाओ कि हमें ऐसे भैया और भाभी मिले हैं।

इतने में स्टॉप क्लॉक की आवाज़ आई ‘बीप बीप…’ मैंने नीता के चूतड़ों को दबोचा और पटक कर उसकी चूत में उँगली घुसा दी। नीता बोली- आप हार गए भैया… टाइम फिर से स्टार्ट होगा।

नीलेश बोला- टाइम पूरा हो गया डियर, तब राहुल ने तुझे हाथ लगाया है। नीता मुस्कुराई और बोली- अच्छा बाबा, आप जीते पर उंगली तो निकाल लो मेरी चूत में से।

फिर सब लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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