पंजाबन भाभी को जन्म दिन पर चूत चुदाई का तोहफा -5

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अब तक आपने पढ़ा..

करीब 8 बजे मौसी ने दरवाजे की घंटी बजाई.. तो मैं उठा और बोला- मौसी मुझे अभी और सोना है। तो मौसी बोलीं- कोई बात नहीं.. सो जा। और मैं फिर से सो गया।

उस दिन 12 बजे तक प्रीत आई और बोली- अभी तक सो रहे हो मेरे यश बेबी। मैंने कहा- हाँ तुम भी आ जाओ.. और मैंने उसको अपने बिस्तर पर खींच लिया और चुम्बन करने लगा। बस 5 मिनट चुम्बन करने के बाद प्रीत बोली- चलो जल्दी से नहा लो.. आज मैंने तुम्हारे लिए ख़ास खाना बनाया है।

अब आगे..

मैंने प्रीत से बोला- मेरे साथ नहा लो न बेबी। प्रीत बोली- नहीं.. अभी तो नहाई हूँ.. तुम ही नहा लो। फिर मैं बिस्तर से उठा और प्रीत को बोला- उधर देखो..

जैसे ही प्रीत पीछे देखने लगी.. मैंने प्रीत को पीछे से पकड़ लिया और मेरा लंड अब प्रीत की गाण्ड से कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूत में जाने को बेताब होने लगा था। इतने में प्रीत बोली- बेबी तुम न बहुत शरारती हो.. प्लीज़ छोड़ो न..

अब मैं उसको गोद में उठा कर उसके कमरे में ही ले गया। मैं उसे सीधा बाथरूम में ले गया और जोर-जोर से उसकी गर्दन और कान को चुम्बन करने लगा। मैंने प्रीत की होंठों पर चुम्बन किया.. वो अब एकदम से मस्त हो गई थी, प्रीत बोली- बेबी जो करना है.. जल्दी करो.. मुझे दूसरे घर पर जाना है।

मैंने उसके सारे कपड़े और ब्रा-पैंटी दोनों ही उतार दिए और शावर चालू किया और आगे से ही उसकी चूत को सहलाने लगा.. प्रीत भी मस्त होने लगी।

अब मैंने देर न करते हुए प्रीत को नीचे बिठा कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और मुँह को जोर-जोर से चोदने लगा। करीब 5 मिनट ऐसे ही करता रहा, मेरा लंड बहुत ज्यादा कड़क हो गया था, मैंने प्रीत को घोड़ी बना दिया। जैसे ही प्रीत घोड़ी बनी.. मैंने प्रीत की चूत पर लंड को रख कर एक जोरदार झटका मार दिया।

प्रीत- आआह्ह्ह्ह्ह्.. यश.. आराम से करो न.. मैंने फिर से हल्का सा लंड बाहर निकाला और फिर से उसकी चूत में जोर के धक्के के साथ अपना आधा लंड डाल दिया। प्रीत- ऊह्ह्ह्ह् आअह्ह्ह्ह.. यश जान लोगे क्या.. बोला न आराम से करो.. मैंने कहा- ठीक है..

अब आधे से ज्यादा लंड प्रीत की चूत में था। अब मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और प्रीत भी मस्ती के मारे सिसकारियाँ लेने लगी थी ‘ओओह्ह्ह आजह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्म्मम.. ह्ह्हू.. ऊओक्क्..’

मैंने अपनी स्पीड थोड़ी और तेज कर दी और जोर-जोर से प्रीत की चूत की चुदाई करना जारी रखा। करीब 5 मिनट बाद मैंने अपनी स्पीड फुल कर दी और अब तो प्रीत की चीखें भी निकलने लगीं ‘ऊऊओहह्ह्.. अह्हह्.. म्म्ह्ह्ह्हआस.. म्मम्म.. ह्ह्ह्ह्ह्.. स्सस्स ओह्ह यश!’

मैंने उसकी चीखों को अनसुना करते हुए अपनी स्पीड तेज ही रखी और प्रीत की जोरदार चुदाई करे ही जा रहा था। मैंने प्रीत के चूचों को चूसना शुरू क़र दिया.. जिससे प्रीत और भी मस्त होने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी।

थोड़ी देर प्रीत के चूचों को चूसने के बाद मैंने प्रीत को दीवार की तरफ उसकी पीठ कर दी और मुँह अपनी तरफ कर लिया। अब मैंने अपना लंड आगे से ही उसकी चूत में डाल दिया। प्रीत की चूत ज्यादा गीली थी.. तो अब लंड आराम से अन्दर-बाहर करने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।

अब मैं और प्रीत दोनों एक-दूसरे को चुम्बन कर रहे थे। साथ ही मैं एक हाथ उसकी पूरी बॉडी पर फेर रहा था। मैंने धीरे-धीरे प्रीत की चुदाई करना चालू कर दी और प्रीत भी मेरा साथ दे रही थी।

कुछ देर बाद मैंने प्रीत को दुबारा घोड़ी बना कर जोर-जोर से उसकी चूत को चोदना स्टार्ट कर दिया, अब प्रीत भी मजे ले रही थी। फिर 5 मिनट बाद मैं प्रीत को और जोर-जोर से चोदने लगा था.. तो प्रीत भी बोली- हाँ.. जल्दी करो न बेबी.. मैंने फुल स्पीड में कोई 30 धक्के मारे ही होंगे कि प्रीत बोली- आह्ह.. मेरा तो हो गया।

मैंने प्रीत को नीचे बिठा दिया और लंड को उसके मुँह में डाल दिया.. तो प्रीत जोर-जोर से चूसने लगी। मुझे लंड को चुसवाने में बहुत ही अच्छा लग रहा था.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

कोई 5 मिनट में मुझे लगा कि मेरा पानी भी निकलने वाला है.. तो मैंने प्रीत का सर दोनों हाथों से पकड़ा और जोर-जोर से प्रीत के मुँह को चोदने लगा। करीबन 30 से 40 धक्के मारने पर सारा माल प्रीत के मुँह में डाल दिया।

अब हम दोनों साथ में नहाए और फिर प्रीत ने अपने कपड़े पहने और मुझे खाना दिया। इसके बाद जैसे ही उसने दरवाजा खोला.. तो सामने देखा कि बारिश का मौसम हो गया था।

मैंने प्रीत से कहा- क्या छत पर जा सकते हैं? तो प्रीत बोली- हाँ.. पर कोई जाता ही नहीं। फिर मैंने कहा- कभी बारिश में सेक्स किया है? तो प्रीत बोली- नहीं। मैंने कहा- करोगी? प्रीत बोली- ओके..

‘ठीक है और ये ऊपर जो ताला लगा हुआ है.. उसे खोल देना ओके!’ प्रीत- ओके.. तो मैं जाऊँ? मैंने कहा- जाने देने का मन तो नहीं कर रहा.. वापस कब तक आओगी। प्रीत बोली- शाम को 7 बजे तक.. मैंने कहा- ठीक है.. ये ऊपर का ताला खोल कर जाना और कुण्डी भी खोल देना..

अब उसने एक होंठों पर चुम्बन किया और प्रीत चली गई।

मैं भी नीचे आ गया.. मौसी ने पूछा- कुछ खाओगे यश बेटा? मैंने कहा- नहीं.. अभी नहीं। मैं टीवी देखने लगा.. ऐसे ही बोर हो रहा था तो मैंने कहा- मैं ऊपर वाले कमरे में जा रहा हूँ।

जैसे ही मैं 4th फ्लोर पर पहुँचा.. नेहा भाभी मस्त माल बनी हुई अपने कमरे से निकल रही थीं। नेहा भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.. सच में क्या मस्त माल लग रही थीं.. मेरा मन तो किया कि नेहा भाभी को भी अभी कमरे में ले जाकर फुल चुदाई करूँ।

इतने में नेहा भाभी बोली- यश क्या हुआ.. बताओ तो कैसी लग रही हूँ? मैंने कहा- बहुत ही सुन्दर और सेक्सी लग रही हो। भाभी का 30-28-32 का फिगर भी बहुत मस्त था और वो वैसे भी गोरी-चिट्टी माल हैं।

मैंने कहा- भाभी कहाँ जा रही हो? तो बोली- फ्रेंड के घर पार्टी है.. वहीं जा रही हूँ। मैंने कहा- कब तक आओगी? बोली- शाम 7 बजे तक आऊँगी। मैंने कहा- ओके, ठीक है। ‘हम्म..’

मैंने कहा- भाभी आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो और सेक्सी भी.. भैया आज देखेंगे तो देखते ही रह जायेंगे। इतना सुनते ही नेहा का मुँह उतर गया। मैंने कहा- क्या हुआ भाभी? तो बोली- कुछ नहीं.. मैंने कहा- भाभी अगर आपके पास टाइम है.. तो आप मेरे कमरे में चलो.. आपसे भी बात हो जाएगी। नेहा भाभी- बोली ठीक है चलो।

‘आइए..’ वो कहने लगी- एक शर्त पर चलूँगी.. अपने हाथों की कॉफ़ी बनाओगे। मैंने कहा- आप भी साथ दोगी। नेहा भाभी बोली- ओके ठीक है।

फिर हम मेरे कमरे में गए और मैं हाथ धोकर कॉफ़ी बनाने लगा.. तो नेहा भाभी बोली- दिखाओ.. मैं बनाती हूँ। पर नेहा भाभी को देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. नेहा भाभी बोली- यश कॉफ़ी कहाँ है? मैंने कहा- भाभी रुको.. देता हूँ..

किचन में एक छोटी अलमारी बनी हुई थी.. तो अब मैं नेहा भाभी के पीछे ही खड़ा था और सामने की अलमारी खोली.. तो देखा कॉफ़ी थोड़ी अन्दर को रखी थी।

मैं हल्का सा ऊँचा उठा और मेरा लंड अब नेहा भाभी की गाण्ड से रगड़ खाने लगा था।

जैसे ही मैंने कॉफ़ी हाथ में ली.. तो कॉफ़ी का डिब्बा मेरे हाथ से छूट गया और नीचे गिरने लगा। मैं तो नेहा के पीछे ही था.. तो जैसे डब्बा नीचे गिरा.. मैंने पकड़ने के लिए आगे हाथ किया.. तो नेहा के चूचों को दबा दिया।

नेहा भाभी ने कुछ नहीं कहा। मैंने फिर ‘सॉरी’ कहा.. तो नेहा बोली- कोई नहीं। लेकिन उसके चेहरे से पता चल रहा था कि उसे ये बहुत अच्छा लगा।

थोड़ी देर में कॉफ़ी बनी और हम दोनों ही एक सोफे पर बैठ गए और नेहा ने अपना मुँह मेरी तरफ किया। हम कॉफ़ी पी ही रहे थे… मैंने कहा- भाभी एक बात पूछू.. बुरा तो नहीं मानोगी? नेहा ने कहा- नहीं.. पूछो क्या पूछना है? फिर मैंने कहा- जब अभी हम आपके घर के सामने बात कर रहे थे.. तो मैंने बोला कि आज आप बहुत सुन्दर लग रही हो भैया देखते ही रह जाएंगे.. तो आप कुछ उदास हो गई थीं.. तो क्या बात है?

इतने में भाभी की आँखों से आंसू आने लगे.. मैं उठा और उनके आंसू पोंछने लगा। मैंने कहा- रोओ मत.. बताओ क्या बात है? फिर नेहा भाभी बोली- एक औरत अपने पति से क्या चाहती है कि उसका पति उसको जी भर के प्यार दे.. उसका ख्याल रखे और आपस में प्यार से रहे.. पर तेरे भैया तो ठीक से अब प्यार भी नहीं करते.. न ही बात करते हैं।

मैंने कहा- यार ये तो बहुत गलत है। ‘क्या करूँ.. कुछ समझ नहीं आता है।’

फिर कुछ देर उनसे बातचीत होती रही और वे अपने पति के बार में अपना दुखड़ा रोती रहीं। मैंने कहा- आपको तो पार्टी में जाना है ना.. देखो 3 बज गए। नेहा भाभी उठते हुए बोली- यश.. तुम बहुत अच्छे हो.. और थैंक यू.. तुमसे बात करके मेरा दिल हल्का हो गया है। मैंने कहा- देखो भाभी आपको कभी कोई भी बात जो आपको परेशान करे.. तो आप कभी भी मुझसे बात कर सकती हो।

भाभी ने हँसते हुए मुझे अपना नंबर दिया।

मैंने कहा- आप ना हँसते हुए बहुत ही क्यूट लगती हो। फिर भाभी बोली- अच्छा अब चलती हूँ। मैंने कहा- ओके!

जब वो जा रही थी.. तो पीछे से उसकी मटकती गाण्ड देख कर मेरा मन ख़राब हो रहा था।

अब मैंने भी कुछ देर आराम किया और 6 बजे नीचे पार्क में चला गया। आसमान में देखा तो काले-काले बादल हुए छाए हुए थे और हवा बहुत अच्छी चल रही थी। पार्क में बहुत भाभियाँ और लड़कियाँ थीं।

मैं जाकर एक बेंच पर बैठ गया और वहाँ बच्चों को खेलता हुआ देख रहा था। इतने में एक बहुत सुन्दर सी लड़की आई उसने उस टाइम कैपरी और टॉप पहना हुआ था.. वो एकदम गोरी थी। उसका फिगर भी 28-26-30 होगा।

वो मेरे पास आई और बोली- तुम ही यश हो न.. वो आपको प्रीत भाभी वहाँ पर बुला रही हैं। मैंने उस लड़की से उसका नाम पूछा.. तो उसमे बोला- मेरा नाम प्रिया है। अब मैं प्रीत भाभी को ही देखता हुआ आ रहा था.. तो प्रीत भाभी बोली- इनसे मिलो ये है यश.. ये अंजलि का देवर है।

प्रीत बोली- यश, ये सब भी आपकी भाभी हैं। मैंने सबको ‘हैलो’ किया और मैंने देखा कि प्रिया मुझे देख कर स्माइल कर रही थी।

करीब 7 बजे तक हम सब वहीं रहे और मैंने सबको हँसा-हँसा कर पेट में दर्द कर दिया.. तो सब भाभियां बोलीं- यश कल भी आना ओके। मैंने कहा- ठीक है।

अब सब अपने घर जाने लगे.. जैसे ही प्रीत और मैं सीढ़ी पर चढ़ने लगे.. तो नेहा भाभी बोली- जरा मेरे लिए तो रुको.. अब हम तीनों साथ में ही बात करते ऊपर चले गए और सीधा 5th फ्लोर पर रुके।

नेहा भाभी बोली- आज मेरे पति तो घर नहीं आएंगे.. तो आज कुछ बाहर से ही मंगा लेते हैं और यार आज मैं तेरे साथ सोऊँगी.. तुझे कोई परेशानी तो नहीं है ना? तो प्रीत बोली- नहीं कोई परेशानी नहीं है।

प्रीत मुझे देखने लगी। तो मैंने कहा- यार मन तो मेरा भी है.. पर मौसी से क्या बोलूंगा। प्रीत बोली- तुम अपना खाना ऊपर ले आना ओके.. और तुम न अभी चले जाओ मौसी के पास और खाना लेकर आ जाओ.. जब तक हम होटल से खाना ऑडर कर देते हैं। मैंने कहा- ओके.. मैं लेकर नहीं आऊंगा खाकर ही आता हूँ ओके।

मैं नीचे मौसी के पास गया और बोला- मुझे जल्दी से खाना दे दीजिये।

मैंने थोड़ा सा खाना खाया और फिर जल्दी से ऊपर प्रीत के पास आ गया।

प्रीत और नेहा दोनों ही खाने का वेट कर रही थीं.. इतने में नेहा के फ़ोन पर कॉल आई.. तो डिलिवरी बॉय था।

डिलिवरी बॉय ने पूछा- किस फ्लोर पर लाना है? तो नेहा बोली- 4 th फ्लोर पर..

नेहा खाना लेने नीचे गई.. तो मैं प्रीत से बोला- जान अगर नेहा भाभी होगी तो कोई प्रॉब्लम तो नहीं है आपको? प्रीत बोली- नहीं, कोई प्रॉब्लम नहीं है।

इतने में अचानक जोर-जोर से बारिश बारिश होने लगी तो मैंने प्रीत का हाथ पकड़ कर उसके पीछे खड़ा होकर उसकी कमर पर हाथ से सहलाते हुए बोला- बेबी, आज तो बारिश भी हमारे साथ है। प्रीत बोली- मुझे भी ये ही लग रहा है।

इतने में नेहा आ गई.. हम दोनों अलग हो गए थे.. पर शायद नेहा ने हम दोनों को देख लिया था। अब नेहा बोली- चलो यार बहुत भूख लगी है। दोनों भाभियां अपनी ड्रेस चेंज करने चली गईं और पहले तो नेहा भाभी आई।

क्या सेक्सी लग रही थी यार.. नीले रंग की नाईट ड्रेस पहनी हुई थी। मैंने भाभी को बोला- भाभी आज रात मुझे कुछ करने का मन है क्या? तो नेहा बोली- चल हट शरारती।

इतने में फिर नेहा बोली- अच्छा अगर मौक़ा मिले तो क्या-क्या करेगा? मैंने कहा- एक बार मौका दो, तो मेरा ही नाम जपोगी। बोली- ऐसी बात है.. चल जिस दिन मन हुआ तो तुझे भी एक मौका दूंगी। इतने में प्रीत आई और बोली- किस मौके की बात हो रही है।

पहले तो मैं प्रीत को ही देखता रह गया प्रीत ने लाल रंग की नाईट ड्रेस पहनी हुई थी.. क्या मस्त माल लग रही थी। मैंने बहुत मुश्किल से अपने लंड पर काबू किया था। मैं बोला- भाभी.. नेहा भाभी बोली.. अगर मुझे रात में इनके साथ सोने को मिलेगा तो कुछ कर नहीं पाऊँगा.. तो प्रीत हँसने लगी।

नेहा हम दोनों को ही देख रही थी क्योंकि हम दोनों ही एक-दूसरे को देख रहे थे। प्रीत ने कहा- अगर तुझे देखना ही है तो एक मौका दे दे इसे। तो नेहा शर्मा गई.. बोली- अभी नहीं।

अब हम तीनों ने खाना खाया और अब मैंने कहा- नेहा भाभी एक कॉफ़ी मिलेगी क्या? तो बोली- क्यों नहीं। नेहा बोली- पर एक शर्त पर.. तुम मेरा साथ दोगे। मैंने कहा- क्यों नहीं..

फिर हम दोनों किचन में गए और फिर मैंने सामने देखा कि कॉफ़ी नहीं है। मैंने पूछा- कहाँ है?

तो उसने सामने अलमारी की तरफ इशारा किया। मैंने अलमारी खोली तो देखा.. कॉफ़ी वहीं पर रखी है। मैंने कहा- भाभी अब हट जाओ.. नहीं तो फिर से कुछ दब जाएगा। तो नेहा बोली- दब जाने दो.. मुझे डर नहीं है।

यह किस्सा था प्रीत दि ग्रेट चुदक्कड़ पंजाबन माल का।

दोस्तो, आपको अपनी दिल की बात बता दूँ कि मुझे पंजाबी भाभी को चोदने का बहुत मन होता है.. और मुझे पंजाबन भाभियाँ बहुत पसंद भी हैं।

आगे अगली रातों में मैंने फिर से नेहा और प्रीत की चुदाई की.. वो कैसे हुई.. वो अगले भागों में लिखूँगा दोस्तों। मैं आपके मेल का इन्तजार करूँगा। मुझे भाभियों के ईमेल का बहुत बेसब्री से इन्तजार रहता है.. प्लीज़ करो न.. यश हॉटशॉट

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