जाट पुलिस वालों ने खेत में चोदा-3

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अब तक आपने पढ़ा: जगबीर बोला- आंख खोल के देख, अंदर खेत में एक झोंपडी सी है.. चल वहाँ ले चल..

प्रवीण और मैंने नजर उठाई तो सच में वहाँ एक झोंपड़ी सी नजर आ रही थी जिसमें शायद एक बल्ब की रोशनी थी जो हल्की हल्की नजर आ रही थी। जगबीर का लंड अब आधे तनाव में था और उसकी पैंट में वो और भी कहर ढा रहा था.. मन कर रहा था कि अपने मुंह में लेकर चूस चूस कर खड़ा करुं उसको.. यही सोचते हुए मैं उन दोनों के पीछे पीछे झोपड़ी की तरफ चल दिया।

गेहूं के खेतों में बनी बीच की डोली (मिट्टी की बंध) पर हम चलते हुए झोंपड़ी की तरफ बढ़ रहे थे.. मेरे अंदर रात का डर.. और उन दोनों के लंड का रोमांच दोनों ही अजीब सी घबराहट पैदा कर रहे थे लेकिन मैं दिल की धड़कन को संभालते हुए गहरी सांसें लेता हुआ उनके पीछे पीछे चला जा रहा था।

4-5 मिनट चलने के बाद हम तीनों झोपड़ी के करीब पहुंच गए, झोपड़ी का मुंह खुला हुआ था.. हम तीनों एक एक करके अंदर घुसे और झोपड़ी के हर कोने में नजर घुमाने लगे ..वहाँ झोंपड़ी की छत पर लगे बांस में एक बल्ब टंगा हुआ था जिसके कारण बाहर की अपेक्षा अंदर ठंड का अहसास थोड़ा कम हो रहा था। और नीचे जमीन पर फूंस (बेकार की सूखी घास) बिछी हुई थी.. और साथ में एक पानी की बोतल भी पड़ी हुई थी जिसमें से तीन चार घूंट पानी कम हो चुका था।

जगबीर का लंड अब तक सो चुका था.. वो बोला- देख कितनी मस्त जगह है ससुरे… यहाँ इसको चोदने में अलग ही स्वाद आएगा.. प्रवीण ने भी झोपड़ी की छत को देखते हुए हामी भरते हुए सिर हिलाया… और अपने आधे खड़े लंड को हल्का सा सहला दिया जिससे वो तुरंत ही सख्त होता हुआ खाकी पैंट में तन गया और जिप की साइड में डंडे की तरह दिखने लगा।

प्रवीण मुझसे बोला- आजा जानेमन शुरु हो जा अब.. मुंह मैं ले ले मेरा लौड़ा! मैं भी इंतज़ार में ही था, मैं देर न करते हुए घुटनों के बल बैठ गया और प्रवीण की पैंट में खड़े लौड़े को होठों से चूम लिया। प्रवीण के मुंह से आह की आवाज़ निकली… बोला- साले तू तो दीवाना लग रहा है मेरे लौड़े का.. आज तेरे मुंह और गांड दोनों की प्यास मिटा दूंगा मैं.. कहते हुए उसने अपनी बेल्ट खोलनी शुरु की।

और मैं लार गिराता हुआ उसके लंड के दर्शन का इंतज़ार करने लगा.. बेल्ट खोलकर उसने पैंट का हुक भी खोल दिया लेकिन चेन नहीं खोली.. मैं मचल रहा था उसकी जिप खुली देखने के लिए लेकिन वो भी मुझे जानबूझ कर तड़पा रहा था.. उसने मेरी गर्दन पकड़ी और एक बार फिर से अपने लंड पर किस करवा दिया.. लंड ने फुक्कारा मार दिया।

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं बोला- सर अब चुसवा दो प्लीज.. वो हंसा और बोला- हाँ रंडी.. ये तेरा ही है.. थोड़ा सब्र कर!

यह कहते हुए उसने जिप धीरे धीरे नीचे की तरफ खोलनी शुरु की… जैसे जैसे चेन नीचे जा रही थी, मेरे मुंह में पानी आ रहा था और मेरे ये भाव देखता हुआ प्रवीण मुस्कुरा रहा था.. उसने जिप पूरी खोल दी और उसकी सफेद रंग की जॉकी दिखने लगी लेकिन लंड अभी भी जिप की साइड में ही लगा था।

उसने फिर से मेरी गर्दन पकड़ी और मुंह को अपनी चड्डी में घुसाते हुए दो धक्के मारकर हटा दिया। अब मुझसे रहा न गया और मैंने उसकी पैंट को अपने हाथों से जांघों तक सरकाते हुए नीचे कर दिया और सफेद कच्छे में फंसे उसके लौड़े को ऊपर से ही चाटना शुरु कर दिया।

यह देखकर जगबीर की सिसकारी निकल गई, वो बोला- हाय क्या बात है प्रवीण.. साला ये तो 5 मिनट में ही छुड़वा देगा मेरा दूध.. प्रवीण बोला- पागल है के? (पागल है क्या) इसकी नरम मुलायम गांड का पूरा मज़ा लूंगा मैं तो..

कहते हुए उसने अपनी चड्डी थोड़ी नीचे कर दी और उसके झांट दिखने लगे। मैंने हाथों से चड्डी को नीचे करना चाहा लेकिन उसने मेरे हाथ हटवा दिए और फ्रेंची में से ही मुंह को चोदने लगा। मैंने रुकते हुए उसको अर्ज किया- प्रवीण भाई, प्लीज अब चुसवा दो अपना लौड़ा.. वो ठहाका मारकर हंसा और बोला- हाँ मेरी जान.. बस थोड़ा इंतजार..

पीछे से जगबीर का लंड अपने उफान पर था और वो अपनी पैंट में से ही उसको ऊपर से नीचे तक रगड़ कर सहला रहा था और सिसकारियाँ ले रहा था। वो एकदम से मेरे पीछे आया और मेरी गर्दन अपनी तरफ घुमाते हुए मेरी नाक को अपने लंड पर दबा दिया और रगड़वाने लगा। उसका लंड करीब 6 इंच का था और 2.5 इंच मोटा था।

तीन चार बार रगड़वाने के बाद प्रवीण ने दोबारा मेरी गर्दन अपनी तरफ मोड़ी और अपने जॉकी की फ्रेंची की पट्टी ऊपर से हटाते हुए मेरा मुंह अपने झाटों में दे दिया, मैंने उनको चाटना शुरु कर दिया। अब उसकी उत्तेजना भी सातवें आसमान पर चली गई और उसने फ्रेंची नीचे करके अपना 8 इंच का हो चुका लंड मेरे मुंह में देकर अंदर धकेल दिया, लंड गले में जा लगा और मुझे उल्टी सी हो गई। उसने एक बार निकाला और फिर से दे दिया- चूस इसे साले…

मैं उसके लंड को मुंह में लेकर पूरे मजे से चूसने लगा और वो आंख बंद करके छत की तरफ सिर उठाकर अपना लौड़ा चुसवाने लगा। इधर जगबीर ने अपना लंड चैन खोलकर बाहर निकाल लिया था और वो हमें देखकर आह.. आह! की आवाज करते हुए मुठ मारने लगा।

प्रवीण ने अपनी शर्ट के बटन खोल दिये और खुली शर्ट के बीच में सेंडो बनियान में कसी हुई उसकी छाती के बाल दिखने लगे। उसने शर्ट निकाल दी और उसके मजबूत डोले भी दिखने लगे। अब मैं और जोर से उसके लंड को चूसने लगा.. वो जोश में आ चुका था.. उसने शर्ट एक तरफ फेंकी और मेरे बाल पकड़कर लंड को चुसवाने लगा।

जगबीर बोला- यार, मन्नै बी चुसवान लेण दे थोडा! तो प्रवीण ने मुझे जगबीर की तरफ धकेल दिया और जगबीर ने जिप में लटक रहा लंड मेरे मुंह में दे दिया। मैं उसके लंड को जीभ लगा लगाकर चूसने लगा और प्रवीण घुटनों तक पैंट सरकाए हुए और जांघों में फंसी फ्रेंची के साथ चलता हुआ सामने जाकर बैठ गया और झोंपड़ी की दीवार से कमर लगाकर हमें देखता हुआ लंड को हाथ में हिलाने लगा।

इस वक्त बहुत ही सेक्सी लग रहा था वो.. मन कर रहा था जाकर उसके लंड पर बैठ जाऊँ… और चुद लूं उससे!

2 मिनट बाद जगबीर को लगा कि वो होने वाला है तो उसने मेरे मुंह से लंड निकाल दिया और मुझे प्रवीण के पास धक्का दे दिया। मैं जाकर सीधा उसकी जांघों में फंसी फ्रेंची के बीच में जाकर गिरा जहाँ उसके लौड़े का कामरस लगा हुआ था। वो बोला – चाट ले मेरी जान इसे.. सबको नसीब नहीं होता ये!

मैंने उसकी फ्रेंची में लगे उसके प्रीकम को चाट लिया। अब उसने मेरा मुँह अपने लौड़े के नीचे लटके आंडों में दे दिया जहाँ जांघों पर हल्के बाल भी थे। मैं उसके आंडों को चूसने लगा.. वो भी आनन्द में डूब गया और उसकी आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई और लाल होंठ खुल गए.. वो अपने आंडों को चुसवाने का मजा ले रहा था।

तभी बाहर से किसी आदमी की आवाज़ आई- अरै कुनसा है भीतर? (अरे कौन है अंदर)

आगे की कहानी जल्दी ही अगले भाग में! मैं अंश बजाज… जल्दी ही लौटूंगा.. [email protected]

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