गर्लफ्रेंड के बिना उसकी सहेलियों संग थ्री-सम –9

अब तक आपने पढ़ा..

प्रियंका अपनी गाण्ड हिलाते हुए उठ कर दीवान के एक छोर पर बैठ गई और उसने एक तकिया सुरभि के सर के नीचे लगा दिया। मैं फिर से सुरभि की चूत में लण्ड डाल कर हिलाने लगा और वहाँ प्रियंका उसके मम्मे काटने-चूसने लगी। उसके दोनों निप्पलों को प्रियंका दांतों से काटने लगी।

सुरभि बोली- जीजू अब प्रियंका की तरह कुत्ते वाले पोज़ में मेरी चुदाई करो न.. ‘ठीक है चल बन जा..’

अब आगे..

वो उठ कर कुतिया बन गई.. और मैं उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ कर पेलने लगा ‘फच फच फच..’

उधर प्रियंका दीवान से उठ कर नीचे बैठ कर.. सुरभि के लटकते चूचों को दोनों हाथों से पकड़ कर दुहने लगी.. जैसे गाय के थन से दूध निकालते हैं.. वैसा करने लगी। वो कभी-कभी चूचों को अपने मुँह में ले लेती थी.. जिससे सुरभि को बहुत मजा आ रहा था।

इधर मैंने अपना लण्ड निकाल कर.. उसकी गाण्ड में घुसेड़ दिया और उसकी गाण्ड चोदने लगा। मैं उसके कूल्हे पकड़ कर उसे चोद रहा था.. उसके चूतड़ काफी बड़े थे.. उन पर एक प्यारा सा तिल भी था।

सुरभि मजे से चुदने लगी.. उधर प्रियंका वही बैंगन फिर उठा लाई.. और अपने मुँह में लगाने के बाद अपनी चूत में डालने लगी। फिर वो सुरभि के नीचे से घुस कर उसके निप्पलों ऐसे नीचे घसीटने लगी थी जैसे निप्पलों को नोंच कर खाना हो। उसकी इस हरकत से सुरभि तेजी से चिल्लाने लगी- कमीनी रंडी.. मार डालेगी क्या.. कुतिया आराम से कर.. प्रियंका- आराम में मजा कहाँ.. मजा तो दर्द में हैं..

उसने बैंगन साइड रख दिया और उसके दोनों निप्पलों को जोड़कर चूसने लगी.. काटने लगी। इधर मैं उसकी गाण्ड लगातार बजाए जा रहा था.. थोड़ी देर प्रियंका ने सुरभि के निप्पलों को चूसने के बाद अपना सर सुरभि की चूत के नीचे कर दिया और तकिए के ऊपर अपना सर रख लिया। अब वो सुरभि की चूत चूसने लगी.. उसकी क्लिट नीचे की ओर घसीटने लगी।

सुरभि पागल हुई जा रही थी.. तो उसने अपने दोनों हाथ दीवान पर टिका कर.. पूरा नीचे झुक कर प्रियंका की चूत में अपना मुँह लगा दिया और ‘सलरप सलरप’ चूत चूसने लगी।

मैंने उसकी गाण्ड से लण्ड निकाल कर फिर से उसकी चूत में पेल दिया.. और तेज-तेज झटकों से उसकी चूत के छेद को और बड़ा करने लगा। सुरभि मदहोश हुए जा रही थी और अपने हाथ दोनों हाथ प्रियंका के चूचों के ऊपर रख कर पूरा ज़ोर देने लगी.. उसके निप्पलों को अंगूठों से दबाने लगी और इसी के साथ उसने अपना मुँह प्रियंका की चूत में घुसेड़ दिया और उसकी चूत को खाने लगी।

मैंने फिर से लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड में डाल दिया.. और मौका देखते ही.. प्रियंका ने बैंगन लेकर सुरभि की चूत में पेल दिया। अब सुरभि की चीख निकल गई- कुतिया मार ही डाल ना.. मादरचोदी दर्द हो रहा रंडी.. निकाल बैंगन मेरी चूत से..

लेकिन प्रियंका बैंगन तेज-तेज उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगी.. और उधर मैंने भी ऊपर से उसकी गाण्ड में अपना लण्ड ‘दे..दनादन..’ पेलना चालू कर दिया।

सुरभि मारे गुस्से के प्रियंका के निप्पलों को नोंचते हुए.. उसकी चूत में अपने दांत गड़ा बैठी और उसकी क्लिट को तेजी से ऊपर की और खींचने लगी.. जिससे प्रियंका कामातुर होकर.. सुरभि की चूत की क्लिट रगड़ने और उसकी चूत में बैंगन लगातार तेज झटकों के साथ पेलने लगी थी। उधर ऊपर से मेरा लण्ड उसकी गाण्ड का बैंड बजा रहा था।

इस तरह सुरभि के दोनों छेद में चुदाई चल रही थी.. जिसे सुरभि ज्यादा देर नहीं झेल सकी.. और करीब 20 से 30 झटकों में.. सुरभि की चूत ने पानी छोड़ दिया.. जो बैंगन निकालते ही प्रियंका के मुँह जाने लगा जिसे प्रियंका बड़े चाव से चूसने-चाटने लगी और पूरा बैंगन भी अपने मुँह में लेकर चाट गई।

सुरभि वहीं धराशाई हो गई.. प्रियंका ने किसी तरह से उसके नीचे से निकल कर तुरंत ही उसकी गाण्ड में वही बैंगन पेल दिया.. जिसे सुरभि बर्दाश्त नहीं कर पाई और तुरंत उठकर प्रियंका की ओर लपकी। यह देखते प्रियंका हँसते हुए उठ कर दीवान के नीचे खड़ी हो गई और सुरभि पूरे दीवान में दीवार के साइड से पैर फैला कर लेट गई।

मैंने उठ कर पानी पिया और दीवान के दूसरी साइड के छोर में जाकर बैठ गया। प्रियंका ने सुरभि को बैंगन फेंक कर मारा.. जो उसके चूतड़ों पर लगा.. सुरभि चिल्लाने लगी। वो चूँकि थक चुकी थी सो जल्द ही पूरे दीवान में पैर फैला कर लेट गई और जल्दी ही सो गई।

दस मिनट बाद प्रियंका दीवान के नीचे मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गई.. और उसने चुपके से अचानक मेरा लण्ड लपक कर अपने मुँह में भर लिया.. और मुझे ब्लोजॉब देने लगी.. जिससे मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा।

प्रियंका वहीं फर्श पर अपने दोनों हाथ नीचे रख कर कुतिया बन गई.. और मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में ठेल दिया और ‘दे..दनादन..’ उसकी चूत में अपना मोटा लम्बा लण्ड पेलने लगा। मैं उसकी कमर को पकड़ कर तेज-तेज झटके मारने लगा।

प्रियंका- आह जीजू पेल दो अपनी साली की कमसिन जवानी को.. डाल दो अपना गधे छाप लण्ड.. मेरी गाण्ड फाड़ दो जीजू.. मैं लगातार उसकी चूत पेल रहा था और फिर लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड मारने लगा।

लेकिन फर्श में चुदाई करते नहीं बन रहा था और दीवान में सुरभि सो रही थी.. तो मैं हट कर कुर्सी पर बैठ गया। मेरा लण्ड खड़ा था.. प्रियंका मेरे पास आई और कुर्सी के ऊपर ही मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गई।

मैं सीधे पैर करके बैठ गया और प्रियंका ने मेरे लण्ड पर अपनी चूत फंसा कर अपने दोनों पैर मेरे पैर के बगल से कर लिए.. और मेरे लण्ड पर ऊपर-नीचे होने लगी। हालांकि इसमें भी मुश्किल हो रही थी.. तो प्रियंका ने अपने दोनों पैर कुर्सी के हत्थे के ऊपर से ले जाकर दोनों पैर फैला लिए और मैंने उसकी पीठ पकड़ ली। अब प्रियंका मेरे लौड़े पर ऊपर-नीचे होने लगी।

करीब 10 से 12 बार ऊपर-नीचे हुई होगी.. कि वो थक गई।

फिर दीवान के छोर के पास आकर अपने हाथ उसने रख दिए और पीछे अपनी गाण्ड उठा कर मुझे खड़े-खड़े चोदने का निमंत्रण दिया। मैं उसकी कमर पकड़ कर तेज-तेज झटकों से पेलने लगा।

प्रियंका अपनी आँखें बंद कर मजे से चुदवा रही थी.. लेकिन उसके दीवान से पकड़ छूट रही थी.. तो उसने सामने लेटी सुरभि के दोनों पैर पकड़ लिए.. और चुदने लगी।

उधर सुरभि की हिलने से नींद टूट गई.. और वो उठ कर बैठ गई। प्रियंका तुरंत ही जाकर दीवान पर चढ़ कर कुतिया बन गई.. और मेरा लण्ड अपनी गाण्ड में खुद ही सैट कर दिया। अब मैंने उसकी गाण्ड में एक तेज झटका लगा दिया.. और तेज-तेज उसकी गाण्ड बजाने लगा। कभी चूत तो कभी गाण्ड पेलने लगा। उधर सुरभि प्रियंका के लटके चूचों को हाथ से ऐसे मसलने लगी.. जैसे बदला ले रही हो। मेरे लगातार लगते तेज थपेड़ों से प्रियंका के चूतड़ों का रंग बदल गया।

उधर सुरभि कुछ सोचती हुई उठी.. उसने पानी पिया.. और बाथरूम में सूसू करके वापस आ गई। उसके हाथ में वही बैंगन था.. और शायद दिमाग में गुस्से था।

लग रहा था कि वो प्रियंका से बदला लेना चाह रही थी। वो प्रियंका के नीचे सरक कर साइड से उसके चूचे चूसने लगी.. काफी देर चूसने के बाद जब प्रियंका चिल्लाने लगी- अरे चोदू जीजू भड़वे.. दम लगा पेल दे.. अपनी साली को.. फाड़ दे गाण्ड..

तब थोड़ी देर सुरभि उसके चूचे चूसने के बाद बाहर निकली और मेरे बगल से सट कर बैठ गई। मैं लगातार धक्के पे धक्के उसकी चूत में पेल रहा था.. कि अचानक सुरभि ने वही बैंगन अपने मुँह में लेकर उसकी गाण्ड में घुसेड़ दिया और बदला लेने लगी।

उधर प्रियंका चिल्ला कर बोली- कुतिया बदला ले रही रंडी.. मुझको दर्द देगी.. आह दे.. दर्द.. दर्द में मजा है जान.. पेल दे पूरा बैंगन मेरी गाण्ड में.. आह्ह. सुरभि तेज-तेज उसकी गाण्ड में बैंगन घुसेड़ने लगी और तेज-तेज उसकी गाण्ड पर चांटे मारने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जब मैं प्रियंका की गाण्ड मारता.. तब सुरभि वो बैंगन उसकी चूत में पेल देती और अचानक से बाहर-अन्दर करने लगती। कुछ देर ऐसा करने के बाद वो बैंगन मुझे पकड़ा कर.. खुद प्रियंका के चूचे चूसने मसलने.. काटने रगड़ने लगी।

उधर प्रियंका का शरीर अब जवाब देने वाला था.. मैं चूत में बैंगन से पेल रहा था और चूतरस से भीगा बैंगन उसकी गाण्ड में डाल रहा था.. उसके दोनों छेद चुद रहे थे और सुरभि उसके चूचे निचोड़ रही थी। वो बेहद दर्दनाक तरीके से उसके निप्पलों को नीचे की ओर खींच रही थी।

मैं लगातार तेज झटके पे झटके मार रहा था.. इसी बीच अचानक से प्रियंका बोल उठी- आह जीजू बस.. आने वाला है.. और तेज पेलो अपनी साली को.. आज पूरा घर वाली बना लो जीजू.. आह आपका लौड़ा कितना मस्त है जीजू.. उधर सुरभि- आह जीजू हाँ साली को पेलो अपने हब्शी लौड़े से.. फाड़ दो गाण्ड इसकी.. अपने मोटे हथियार से जीजू..

हम दोनों ही झड़ने वाले थे कि अचानक ही प्रियंका अकड़ गई और मैं उसकी चूत पेल रहा था.. जिससे उसका सारा गरम-गरम पानी मेरे लण्ड पर लग रहा था, मैं बोला- आह्ह.. जान मेरा भी निकलने वाला है.. तो प्रियंका और सुरभि दोनों उठ कर मेरा लण्ड चूसने चाटने लगीं।

सुरभि लण्ड चूस रही थी.. और प्रियंका मेरे निप्पल मसलते हुए मेरे गोटे मुँह में डाल रही थी। सुरभि लौड़े को हाथ में पकड़ कर हैंडजॉब देने लगी और लण्ड को आगे-पीछे आगे-पीछे करने लगी। थोड़ी देर में मैं अपना लण्ड अपने हाथ में लेकर तेज-तेज हाथगाड़ी चलाने लगा.. और यह देखते हुए सुरभि और प्रियंका जस्ट लण्ड के सामने आ गईं।

दोनों ने अपने चूचों को मेरे लण्ड के सामने हाथों से पकड़ लिए। मेरे लण्ड से निकलती तेज धार पहले सुरभि के चेहरे में पड़ी.. और फिर थोड़ा उसके मम्मों में पड़ी, मैंने अपना लण्ड घुमा कर थोड़ा रस प्रियंका के चूचों में गिरा दिया.. और अपना लण्ड खाली कर दिया।

वो दोनों उठ कर अपने मम्मे साफ़ करके सूसू करके आ गईं.. और मैं बाथरूम में चला गया। मैं भी लौड़ा साफ़ करके सूसू करके.. पानी पीकर.. दीवान की तरफ आ गया।

वे दोनों नंगी ही दीवान के दोनों कोनों में सो गई थीं.. मैं उनके बीच जाकर.. किसी तरह लेट गया..। मैंने अपना एक पैर सुरभि की गाण्ड के ऊपर.. और एक पैर प्रियंका की गाण्ड के ऊपर.. रख दिया.. और पता नहीं कब मुझे गहरी नींद आ गई।

सुबह जब मैं गहरी नींद में सो रहा था.. तो अचानक ही मेरी नींद टूट गई, सुरभि सुबह के खड़े लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.. मेरा लण्ड बिलकुल ही टाइट लोहे जैसा खड़ा था।

सुरभि मेरे लण्ड पर अपनी गरम साँसें छोड़ते हुए.. अपने गर्म मुँह में मेरा गरम लण्ड लिए चूस रही थी।

मेरा लण्ड वो पता नहीं कबसे.. चूस रही थी.. तभी मेरे लण्ड का पानी निकल गया और उसने थोड़ा माल बिस्तर पर गिरा दिया और थोड़ा मुँह में भरकर प्रियंका.. जो अभी भी सो रही थी.. उसके ऊपर चढ़ कर उसके मुँह को हाथों से खोलते हुए अपना मुँह का माल उसके मुँह में गिरा दिया.. फिर उसके मुँह को खाने लगी। तभी होश में आकर प्रियंका भी उसको चाटने लगी।

फिर हम सब सुबह साथ में नहाकर तैयार होने लगे.. मैंने दोनों के चूचों को चूस कर.. एक बार और मजा लिया। सब तैयार हो गए.. और वो दोनों मुझको छोड़ने नीचे तक जाने लगीं। मेरी नजर आगे चल रही सुरभि पर पड़ी.. वो थोड़ी अजीब ढंग से चल रही थी.. शायद उसकी गाण्ड दर्द कर रही थी।

खैर यह थी.. गर्ल-फ्रेण्ड के बिना थ्री-सम चुदाई.. मुझे उम्मीद है कि आप सभी को हमारी थ्री-सम चुदाई की असली कहानी का मजा आया होगा।

दोस्तो.. आगे क्या-क्या होता है.. जानने के लिए संपर्क में बने रहें।

आपको मेरी तीसरी स्टोरी कैसी लगी जरूर बताएं.. कुछ सुधारना हो.. तारीफें.. या शिकायतें.. आप मेरी ईमेल आईडी से मैसेज कर सकते हैं.. [email protected] मुझको फेसबुक में भी जोड़ सकते हैं.. facebook id- [email protected]

आपका चोदू विवान.. आपके जवाबों का इंतजार करेगा..