ट्रेन में चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-3

इधर नीता मेरी टांगों के बीच बैठकर मेरी जीन्स खोल चुकी थी और मेरे लंड को चूम और सहला कर बड़ा कर रही थी। आंटी की नज़र मेरे लंड पे जमी हुई थी। मैं थोड़ा उठकर बैठ गया और नीता की पीठ सहलाते हुए उसे भी प्यार करने लगा।

नीता ने मेरे लंड से प्यार करते हुए मेरी जीन्स उतार फेंकी, मैंने भी नीता की पीठ सहलाते हुए उसके संगमरमर बदन से टॉप को अलग कर दिया था। नीता अब हमारे गैंग की उस्ताद खिलाड़िन थी, उसने मेरी पसंद के अनुसार अंदर ब्रा नहीं पहनी थी।

आंटी कभी नीता के जिस्म को देखती और कभी मेरे लंड को। इधर नीलेश मधु को अपनी गोद में बैठा कर उसके बदन को निचोड़ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

नीता मेरे लंड को चूस कर मेरे ऊपर आई और मुझे स्मूच करने लगी। फिर अपने होंठों को हटा कर पोंछते हुए बोली- आपके लंड का टेस्ट बहुत बढ़िया है। नीता फिर से अपने बूब्स से मेरे शरीर को रगड़ती हुई नीचे सरक गई और वापस मेरे लंड को मुंह में भर लिया।

मैं थोड़ा उठ कर अपने बदन पर पड़े हुए बिना मतलब के बोझिल कपड़ों को निकाल फेंका। नीता ने लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर अपने शॉर्ट्स और पैंटी को उतार के अपने पति नीलेश की तरफ उछाल दिया और मधु से बोली- भाभी, नीलू ने आपको रगड़ रगड़ आपके निप्पल खड़े कर दिए हैं। कपड़ों के ऊपर से आपकी चूचियाँ एकदम कामुक लग रही हैं।

आंटी सबसे नज़र बचा कर धीरे धीरे हमारे काम रस का मजा लेते हुए कभी कभी अपने बदन पर इधर उधर हाथ लगा कर अपने आपको सांत्वना दे रही थी।

कल शाम से कामुकता के भूखे, अब मैं और नीता दोनों ही नंगे थे। नीता मेरे ऊपर लेट कर मुझे चूमने और प्यार करने लगी, मुझसे धीरे से कान में बोली- क्या मैं आपको आपके नाम और एक दो गालियाँ दे सकती हूँ? मैंने अपनी कामुकता की खुमारी में नीता की नंगी पीठ सहलाते गले पर काटते हुए कहा- हाँ जानेमन, तू मुझे जो मर्ज़ी आये बोल सकती है।

नीलेश बोला- खुसुर पुसुर मत करो, हमें भी सुनने दो कि क्या बातें हो रही हैं। मधु बोली- नीलेश भैया, करने दो, अपन तो नयन सुख में ही खुश हैं। आंटी बोली- मैं भी कुछ बोल सकती हूँ? नीलेश बोला- अरे आप हो अभी तक यहीं पर, हाँ बोलो बोलो… जो मर्जी आये बोलो!

आंटी बोली- मेरी उम्र 38 साल है, मेरी बहुत जल्दी शादी हो गई थी। मेरे पति का देहांत हुए आज 12 साल हो गए। आज तक मुझे कभी दुबारा शारीरिक सम्बन्ध बनने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई है। पर आज… वो कुछ कहते कहते रुक गई… फ़िर बोली- मैं अपना काम अपनी उँगलियों से ही चला लेती हूँ, वो भी मुझे महीने में 1 या हद से हद 2 बार करने की ज़रूरत पड़ती है।

मधु बोली- आंटी, साफ़ साफ़ बोलो, कहना क्या चाहती हो? आंटी बोली- कुछ नहीं, सिर्फ थैंक्स बोलना चाहती हूँ, अब मैं घर जाकर सबसे कह दूंगी कि मुझे दुबारा शादी करनी है। सॉरी आप लोग लगे रहो।

नीता और मैं तो वैसे भी रुकने वाले नहीं थे, जब बुढ़िया ने भौंकना शुरू किया था, तभी नीता ने मेरे लंड को चूत में डलवा लिया था। और धीरे धीरे अपने कूल्हे मटका के मजे दे रही थी।

इधर नीलेश भी मधु के टॉप के अंदर हाथ डाल के मधु के मम्मे सहला रहा था। नीता बोली- भइया आपका… ओह्ह सॉरी… राहुल तेरा लंड बहुत अच्छा है, मेरी चूत में मस्त गुदगुदी कर रहा है। मैं आज अपना टास्क हार जाना चाहती हूँ, राहुल तेरे लंड से निकला हुआ अमृत अपने हाथों में नहीं अपनी चूत में भरवाना चाहती हूँ। सजा में जो कहोगे करुँगी, जान प्लीज, मुझे हरा दो, मुझे बुरी तरह चोदो जैसे आप भाभी को पटक कर चोदते हो।

आंटी के सब्र का बाँध भी टूट ही गया, आंटी अपनी साड़ी ऊपर करके अपने एक पैर को जमीन में लटका कर और एक पैर को सीट पर रख लिया था। अपनी पैंटी के साइड से उंगली डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी।

किसी ने दरवाज़ा पीटा, नीलेश बोला- कौन है? उसने मधु के कपड़ों से हाथ बाहर निकाला, अपने खुद के कपडे सही किये, आंटी ने फुर्ती से अपनी साड़ी नीचे की, मधु ने हम दोनों के ऊपर कम्बल और चादर उढ़ा दिया। दरवाज़े के बाहर से आवाज़ आई- अटेंडेंट, आपकी चाय लाया हूँ।

मैं और नीता हिल तो नहीं रहे थे पर ट्रेन के हिलने की वजह से हमें धीमे धीमे धक्के तो लग ही रहे थे। जिसे हम दोनों आँखें बंद करके अनुभव कर रहे थे। ये अपने आप में बेहतरीन अनुभव था… जब न ही आप और न ही आपका सेक्स पार्टनर हिले फिर भी छोटे छोटे धक्के आपकी चुदाई के आनन्द को बढ़ाते रहें।

अटेंडेंट दरवाज़ा खुलते ही अंदर आया और टेबल पर व्हिस्की और कोक देखकर बोला- इसे हटा दूँ या? नीलेश बोला- उसे रखा रहने दो और चाय रख दो, थोड़ी देर बाद हम बना लेंगे। अटेंडेंट चाय रखकर जा ही रहा था कि उसने हमारी तरफ ध्यान से देखा। पता नहीं क्या समझा क्या नहीं समझा, पर बाहर चला गया।

उसके जाते ही मैंने कहा- अरे कोई चादर हटाओ हमारे ऊपर से… नीलेश जब तक आगे बढ़ पाता, तब तक आंटी ने फटाक से चादर हम दोनों पर से हटा दी। मधु ने दरवाज़ा बंद किया, दोनों बर्थ के बीच बैठ गई और नीता की गांड सहलाने लगी, गांड से हाथ नीचे लेकर वो मेरे अंडकोष तक सहलाने लगी।

नीता बोली- भाभी, आपके हाथों में तो जादू है। इधर आंटी पर इतनी देर में किसी ने ध्यान नहीं दिया था तो वो अपनी ओर आकर्षण खींचने के लिए अपनी पैंटी उतार कर साड़ी ऊपर करके अपनी चूत सहलाने लगी। मैंने देखा कि अब लोहा गर्म है, अब चोट करेंगे तो वार खाली नहीं जायेगा।

मैंने कहा- अरे दो दो मर्दों के होते हुए तुम अपने हाथ से अपनी चूत सहला रही हो। लानत है हम दोनों पर, नीलेश मेरे लंड से तो तेरी बीवी चुद रही है, तू इनकी मदद कर थोड़ी इनकी चूत को चाट ले और उनकी कामाग्नि को शांत कर।

नीलेश मेरा इशारा समझ गया, उसने आंटी के कंधे पकड़े और उन्हें 2 तकियों के सहारे लिटा दिया। नीलेश ने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर फिराई वो तो रो पड़ी, नीलेश के मुंह को अपनी चूत में घुसाने लगी इतनी ताकत से अपने हाथों से नीलेश के मुंह को अपनी चूत में धकेलने लगी।

नीलेश भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था, अपना मुंह उसकी चूत से दूर करके बोला- जहाँ इतने साल बिना लंड के काम चलाया है थोड़ा सा और इंतज़ार करो। मुझे भी मज़ा लेने दो और खुद भी मज़ा लो। ताकत लगाओगी तो कोई फायदा नहीं होगा, मैं उठकर अपनी भाभी की चूत के साथ मजे ले लूंगा।

आंटी थोड़ा सुबकते हुए बोली- मैंने आज तक केवल नंगी पिक्चर में ही चूत चाटते हुए देखा है। मेरे पति ने मुझे कभी ओरल दिया ही नहीं था। आज जब पहली बार मेरी चूत से जीभ छू गई तो मैं कंट्रोल नहीं कर सकी, प्लीज मुझे और मत तड़पाओ, प्लीज मेरी चुत को वो परम सुख वो परम आनन्द दे दो।

इधर नीता और मैं बिना हिले ट्रेन के हिलने से पैदा होने वाले आनन्द का मज़ा ले रहे थे। मधु चुपचाप यह नज़ारा देख रही थी। मैं बोला- मधु, आज बहुत दिनों से पराये लंड से चुद रही है, आज अपने पति से अपनी चूत चटवा ले।

मधु बोली- मैं अगर आपके मुंह पर बैठ गई तो आप इस पराई नंगी औरत की चूत के दर्शन नहीं कर पाएंगे इसलिए दूर बैठी हूँ। आप कौन से भागे जा रहे हो, आप तो मेरे ही हो चाहे जब चुद लूंगी आपसे तो!

आंटी के तो जैसे आँख कान सब बंद हो चुके थे, उन्हें कुछ सुनाई या दिखाई नहीं पड़ रहा था। अगर कुछ सुनाई दे भी रहा था तो वो उसके कान में अमृत की तरह घुल रहा था।

नीलेश चूत चाटने में तो एक्सपर्ट था ही साथ ही वो अब अपने हाथ उस औरत के मम्मों को भी सहलाता जा रहा था जिससे आंटी की कामुकता और बढ़ती जा रही थी।

मधु ने जाकर नीलेश की मदद करने के लिए आंटी के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। नीलेश अपना हाथ कई बार वहाँ लेजा चुका था पर चाटते हुए नाड़ा खोलना थोड़ा मुश्किल पड़ रहा था।

नीलेश ने खड़े होकर आंटी को पूरी तरह नंगी कर दिया, वो अपने हाथों से अपने मम्मों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी शक्ल ऐसी हो गई थी जैसे हम उसकी इज़्ज़त लूट रहे हो।

मैंने कहा- नीलेश छोड़ उसको, तू तो मधु को चोद! नीलेश ने मेरी तरफ देखा, आंटी बेचारी कुछ न बोलने की न करने की… नीलेश मधु की तरफ बढ़ा, आंटी बोली- क्या हुआ, मुझसे कोई गलती हो गई क्या? प्लीज बता दो पर मुझे ऐसे मत छोड़ो।

मैंने कहा- तुम तो अपना बदन ऐसे छुपा रही हो जैसे c ग्रेड मूवी में हीरोइन अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने सीने को ढकती है। आंटी तुरंत अपने घुटनों पर आ गई और बोली- तुम जैसे चाहो जो चाहो करो पर मुझे छोड़ो मत।

चुदने के लिए गिड़गिड़ाती औरत देख कर लंड उछाल मारने लगा, पता नहीं कब से मन में दबा हुआ यह एक ख्याल था जो कभी मुंह पर आया ही नहीं था कि मुझे चुदने के लिए गिड़गिड़ाती औरत देखने का मन है।

नीलेश बोला- तो चल फिर शुरू हो जा और चूस मेरा लंड और अपने बूब्स दबा, अपनी चूत में उंगली कर और हमें गर्म कर! अगर तू हमें उकसा पाई तो यकीन मान तुझे इतनी अच्छी चुदाई देंगे कि तू ज़िन्दगी भर हमसे से चुदने के लिए प्राथना करेगी।

आंटी के चेहरे पर आत्मविश्वास के भाव आ गये जैसे अब उसने नीलेश की इस चुनौती को स्वीकार कर लिया हो। वो अब दोनों बर्थ के बीच खड़ी होकर अपने बूब्स को पकड़ कर नाचने लगी। गंदे और भद्दे इशारे करती तो कभी अपने होंठ काटते हुए अपनी चूत में उंगली दे देती।

मैंने नीता को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और धीमे से कहा- नीलेश ने बहुत बड़ा वादा कर दिया है, उसकी बात रखने के लिए तुम मुझे ऐसे चोदो कि मैं थोड़ा प्यासा रह जाऊँ और मेरा लंड दुबारा जल्दी खड़ा हो जाये।

नीता बोली- भैया, आप चिंता मत करो, आप 2-3 बार तो आराम से चुदाई कर ही लेते हो। और मैं आपको प्यासा भी छोड़ दूंगी जिससे इस आंटी की मस्त चुदाई कर सको आप! वैसे साली आंटी लगी कितनी कंटीली रही है न? देखो भैया इसके बूब्स भी बिल्कुल नई नवेली लौंडिया की तरह कड़क और उभरे हुए हैं। आप तो आज लगभग नई ताज़ा और बहुत दिनों से प्यासी चूत मारने वाले हो।

नीता की बातों का ऐसा जादू हुआ कि मैंने नीलेश से बोला- नीलेश पटक ले इसको, यह तो साली चुदने के लिए मरी जा रही है। देख तो सही कैसे गांड मटका मटका के दिखा रही है। पेशेवर पोल डांसर भी इसके आगे पानी भर जाये ऐसी अदाओं से रिझा रही है यह माँ की लौड़ी।

लौड़ी बोलते बोलते में नीता की चूत में अपना फव्वारा चलाने लगा। नीता ने जैसे ही महसूस किया कि मैं उसकी चूत में अपनी मलाई भर रहा हूँ, उसने अपनी चूत से मेरा लंड बाहर निकाल दिया जिससे मेरा पूरा मलाई न निकले और मैं दूसरी चूत अच्छे से बजा सकूँ।

मेरे लंड को अपने मुट्ठी में टाइट पकड़ लिया, मेरे लंड से निकलती हुई मलाई को नीता ने अपनी जीभ से साफ़ दिया और अपने हाथ में आये मेरी मलाई को उसने आंटी को चाटने के लिए उसके मुंह के पास कर दिया।

कामाग्नि में लीन आंटी ने नीता के हाथ को चाट के साफ़ कर दिया। मधु ने अपना पर्स खोला और मेरे लंड को चूम कर बोली- जाओ इसकी चूत की खुजली को शांत कर दो! और मुझे कंडोम पकड़ा दिया। नीलेश बोला- भाभी, मेरे शहजादे के लिए भी एक बढ़िया सा रेन कोट दे दो। मधु नीलेश की तरफ बढ़ी और उसके लंड को चूम कर बोली- तुम भी इनकी प्यास बुझा देना।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]