चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-1

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मुझे लग रहा था कि सभी के लिए कमरे निर्धारित हैं तो शायद हमें ड्राइंग रूम में ही सोना पड़ सकता है। पर बुआ बोली- सारी औरतें एक कमरे में सो जाएँगी और सारे मर्द एक कमरे में। साड़ी औरतें मतलब नीता, मधु, शिखा, बुआ सभी नीलेश के कमरे में सो गए और हम लोग यानि मैं, नीलेश, फूफाजी बुआ के कमरे में सो गए। रात तो बीत गई। वैसे भी ट्रेन और उससे पहले इतनी चुदाई मचा चुके थे कि अभी ज़रूरत नहीं थी। हाँ अगर चूत मिल जाती तो मना नहीं करते।

अगले दिन सुबह सभी लोगों से मिलना जुलना चलता रहा। मधु शादी के बाद पहली बार गई थी तो विशेष रूप से उससे मिलने को सभी लोग आतुर दिखाई दिए।

दिन का खाना भी हो गया, अब बारी थी लड़के वालों के आने की, घर को ठीकठाक किया गया, बाजार से कई पकवान मंगवा लिए गए। लड़के वाले शिखा को पसंद करके चले गए।

उन लोगों के जाने के बाद हमने शिखा को खूब चिढ़ाया, बुआ तो रोने ही लगी। शादी आने वाले नवंबर में तय हुई। शाम होने लगी थी, दिन कैसे खत्म हो गया पता ही नहीं चला।

शाम को मैं और नीलेश निकल गए सैर सपाटे पर, सैर सपाटा तो बहाना है, हम दो दो ड्रिंक मारने के मूड से निकले थे। नीलेश ने एक एक्टिवा की चाबी उठाई और चलने लगा। मैंने रास्ते में कहा- यार दिल्ली में क्या मजे थे! जब से यहाँ आये है अपनी बीवी तक को ढंग से देखने की फुर्सत नहीं मिली है। नीलेश बोला- यही तो मैं तुझे बता रहा था कि हमारे यहाँ सब चाहते है कि एक बच्चा जल्दी से दे दें पर हमें कभी अकेले ही नहीं छोड़ते। अब बच्चा क्या पेड़ से टपकेगा।

हम दोनों हंसने लगे, मैंने कहा- यार कहीं बैठकर बढ़िया दो चार पेग मारते हैं फिर चलेंगे। नीलेश बोला- हाँ अपन बार में ही जा रहे हैं।

बार में दो पेग के बाद नीलेश बोला- ज्यादा मत पीना, घर में काफी लोग है। अभी जाकर भी कई लोगों से बातें करनी पड़ेगी। मैंने कहा- हाँ ठीक है पर एक और पेग मार के चलते हैं। दोनों ने एक एक और पेग मारा और आ गये घर।

जब हम घर लौट रहे थे, तब कॉलोनी की सड़क पर नीता और मधु घूम रही थी। मैंने कहा- नीलेश, तू मुझे यहीं छोड़ इनके पास और तू एक्टिवा रख के आ जा!नीलेश मुझे उतार कर बिना रुके चला गया।

नीता बोली- आप लोग ड्रिंक करके आये होंगे? मैंने कहा- कोई शक? मधु चिढ़ाते हुए बोली- क्यूँ मजा आ रहा है न फूफाजी के साथ सोने में? मैंने कहा- क्या यार जले पे नमक छिड़क रही हो? वैसे ठरक तो तुमको भी हो रही होगी? नीता बोली- हाँ भैया, जब से दिल्ली से लौट कर आये हैं, वाकयी ठरक होने लगी है। वर्ना तो पहले हम दोनों एक कमरे में भी सोने के बावजूद कभी कभी ऐसे ही सो जाया करते थे।

मैं नीता से बोला- ज़रा थोड़ी आड़ लेना, मुझे मधु के बूब्स दबाने है। नीता ऐसे खड़ी हो गई कि किसी को दिखे न कि हो क्या रहा है। मैंने आराम से मधु के बूब्स दबाये और बोला- मधु यार, एक काम कर, रात को किसी बहाने से बाथरूम में मिल। छुप छुप कर चुदाई करेंगे। मधु बोली- आपको क्या लगता है मेरा मन नहीं कर रहा, पर ऐसे अच्छा नहीं लगेगा।

तब तक नीलेश भी गाड़ी रख कर वापस आ गया था। मैंने कहा- नीलेश, कुछ प्रोग्राम बना यार… ऐसे कैसे बिना चूत के रह सकेंगे। वो भी जब घर में दो दो चूत हमारे लिए गीली हो रही हों तब। नीलेश बोला- यार, मैं कुछ करने की कोशिश करता हूँ। पर तेरे से एक बात कहूँ, तू ज्यादा अच्छे से कुछ प्लान कर लेगा। प्लीज कुछ कर या आईडिया दे दे। मैंने कहा- मादरचोद, सारे काम मुझे ही करने हैं, तुम्हें तो बस चूत चाहिए वो भी फ्री में! वो हंसता रहा, दोनों लड़कियाँ भी मुंह दबा कर हंस रही थी।

गाली खाने की डेडिकेशन के कारण मैंने कहा- चिंता मत करो ठरकियो, तुम्हारे लिए कुछ जुगाड़ करता हूँ। हम लोग सभी साथ साथ घर में घुसे, दोनों लड़कियों ने घर में घुसते ही घूँघट डाल लिया और नजर नीची करके अंदर की ओर चली गई।

ड्राइंग रूम पूरा भरा पड़ा था, कहीं बैठने की जगह नहीं थी। मैंने कहा- कोई आया है क्या अपने घर, काफी नए चेहरे दिख रहे हैं। नीलेश हसंते हुए बोला- भाई, कोई बाहर के लोग नहीं है ये अपना ही कुनबा है। सुबह जब अपन लोग सोकर उठे थे तब तक कई लोग अपने अपने काम से कॉलेज, स्कूल और ऑफिस जा चुके थे, इसीलिए तुम्हें कोई नहीं दिखा था। फिर धीरे से बोला- मैंने तो कहा था कि घर जाकर कई और लोगों से बातें करनी है।

घर में दाखिल होते ही सभी ने बड़ी गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया। सभी लोगों से हाय हेलो करते करते खाना भी लग गया। सभी लोग साथ में खाना खाने लगे, घर की लड़कियाँ खाना परोस रही थी।

तभी मैंने नोटिस किया की शिखा भी अब खूबसूरत लगने लगी थी और उससे भी खूबसूरत एक और लड़की थी। नशे में जब चूत की आग लगती है तो हर लड़की खूबसूरत लगने लगती है लेकिन वो वाकयी क़यामत थी। और वो जब झुक कर खाना परोस रही थी तो जो नज़ारे देखने को मिल रहे थे उससे तो लंड में हरकत आना शुरू भी हो गई थी।

खाना खाने के बाद मैं और नीलेश सुट्टे की तलब में छत पर गए, तब मैंने पूछा उस लड़की के बारे में, तब पता चला कि वो नीलेश के ताऊजी की लड़की है। अब नीलेश से कैसा पर्दा, मैंने नीलेश को बता दिया कि मेरे मन उस लड़की के लिए नेक ख्याल नहीं हैं। नीलेश का थोड़ा मुंह बन गया, बोला- यार बहन को तो छोड़ दे, ऐसी भी क्या ठरक?

मैंने कहा- देख, जब देखा तब नहीं पता था कि वो तेरी बहन है, और अभी भी तू बोलेगा तो मैं अपने कदम पीछे ले लूंगा। तेरी दोस्ती के लिए ऐसी कई लड़कियाँ कुर्बान हैं मेरे दोस्त… पर देख, लड़की लड़की ही रहती है, सबमें चुदने की भूख होती है, उसने जिस तरह खाना खिलाया है, मुझे लग रहा है कि उसमें भी तड़प तो है। और उसे मैं अपना लंड नहीं दूंगा तो किसी और का लेगी। पर लेगी ज़रूर, और हाँ इसमें अगर पकड़ी गई तो बदनामी भी बहुत है। मैंने किया तो घर की बात घर में और कोई शक भी नहीं करेगा।

नीलेश बोला- तू चाहे जितनी बातें बना पर यह सही नहीं है। मैंने कहा- ठीक है भाई, कोई नहीं हम इस टॉपिक पे बात ही नहीं करेंगे। नीलेश बोला- उसका नाम नेहा है, और वो वैसी नहीं है जैसी तू सोच रहा है। मैंने कहा- यार टॉपिक खत्म कर, मैं क्या बोलूँ? नीलेश बोला- बोल बोल, क्या बोलना चाहता है बोल दे।

मैंने कहा- देख, तू तो भाई है, तेरे सामने ऐसी हरकतें तो वो करेगी नहीं, पर मैंने उसकी आँखों में शरारत देखी है। न माने तो तू देख लेना कल वो कहीं नहीं जाने वाली और मेरे लिए कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर करेगी जिससे मैं उसकी तरफ झुक जाऊँ! नीलेश बोला- हो ही नहीं सकता, वो जानती है कि तू शादीशुदा है। मैंने कहा- यही तो वो चाहती है कि उसका काम भी हो जाए और गले की घंटी भी न बने। नीलेश बोला- अगर ऐसा है तो देखते हैं, अगर वो सच में चालू माल है तो, फिर कोई भी भाई कुछ नहीं कर सकता। तूने चोदा तो मैं तुझे रंगे हाथों पकड़ के मैं भी चोद डालूंगा।

अब जाकर मेरी जान में जान आई, मैंने कहा- ठीक है। अब तू बस देखता जा। मैं और नीलेश सिगरेट पीकर नीचे आ गये। आज शादी तय हुई थी इसलिए घर में बहुत ख़ुशी का माहौल था और अभी तक कोई भी सोने नहीं गया था। सभी बड़े बुजुर्ग बाहर वाले ड्राइंग रूम में बैठकर सरकार को गलियां और PF और EPF की बातें कर रहे थे। सभी औरतें चाचा-चाची वाले कमरे में थी। नीता-नीलेश के कमरे पर बच्चों ने अधिकार जमा रखा था। मैंने देखा की नेहा भी बच्चों वाले कमरे में ही है।

मैंने कमरे में घुसते ही बोला- शिखा अब तुम्हे यहाँ नहीं रहना चाहिए अब तुम जाकर औरतों वाले कमरे में जाओ ये तो बच्चों का कमरा है। शिखा बोली भइया आप मुझे कब तक चिड़ाते ही रहोगे, वैसे बच्चों वाले कमरे में आप क्या कर रहे हो। जाओ जाकर सरकार, पॉलिटिक्स, महंगाई भत्ते के बारे में बातें करो बाहर जाकर। मैंने कहा- ओके चल कोई नहीं तू भी यही बैठ जा और मुझे भी बैठ जाने दे।

नेहा अब तक मुझे एक टक देखे ही जा रही थी, इस बात को नीलेश ने भी नोटिस कर लिया था। हमने कमरे में आते ही बढ़िया बढ़िया गेम्स खेले, सभी बच्चे हमारे दोस्त बन गए।

फिर दौर शुरू हुआ अंताक्षरी का, सभी लोग गाने में मशरूफ थे और नेहा मुझे तकने में और मैं भी मौका देखकर उसे देखते हुए पकड़ कर शर्माने पर मजबूर कर देता था। बीच बीच में नीलेश को कोनी मार के दिखा देता था कि नेहा की हरकतें कैसी हैं।

रात का एक बज रहा था पर किसी की आँखों में कोई नींद नहीं थी।तभी नीलेश के दादाजी गरजे और बोले- सोना नहीं है किसी को? सुबह सब लेट हो जाओगे। चलो सोने, कैसे गाने गव रहे हैं देखो तो, अभी जमीन में से निकले नहीं है और गाने गाये जा रहे हैं। एक शैतान बच्चा बोला- गाना गाने के लिए जमीन से निकलने की ज़रूरत ही नहीं है।

खैर सभी लोग अपने अपने कमरों में जाकर सोने लगे। मैंने सोचा कि नीलेश थोड़ा बहन भक्ति दिखा रहा है इसलिए मैंने उसे अपने साथ नहीं लिया और यह देखने लगा कि नेहा कौन से कमरे में सोती है। जब मैंने उसे कमरे में जाते देख लिया तो आराम से आकर अपनी जगह सो गया।

जब नीलेश और फूफाजी खर्राटे भरने लगे तो उठा और जाकर उस कमरे के आस पास तफ़्तीश करने लगा। जब कहीं कोई जुगाड़ नहीं मिला तो छत पर सिगरेट पीने चला गया। छत पर सिगरेट पीते पीते उलटी तरफ देखा तो लगा कि एक छज्जा है जहाँ से शायद कुछ दिखे।

बड़े आराम से मैं छज्जे पर उतरा और अंदर देखा। लाइट बंद थी कुछ नहीं दिखा। फिर मैंने थोड़ा दिमाग लगाया और समझने की कोशिश की कि नेहा का कमरा कौन सा होना चाहिए क्योंकि उसके कमरे की लाइट तो जल रही थी जब मैं उसके कमरे के आस पास था।

फिर थोड़ी ताक झांकी से समझ आया कि 3 ही कमरों की लाइट जल रही थी जो फर्स्ट फ्लोर पर थे। पहले कमरे में झाँका तो देखा कि नीलेश के ताऊजी ताईजी को पलंग पर आधा लिटा के खड़े होकर चुदाई कर रहे हैं। थोड़ी देर उनकी चुदाई का आनन्द लिया फिर दूसरे छज्जे पर गया वहाँ से झाँका तो पाया कि यह नेहा का ही कमरा था।

गाने गाते वक़्त मैंने शिखा के मोबाइल से नेहा का नंबर चुरा लिया था। बस अपने मोबाइल से नेहा को एक शायराना मैसेज भेज दिया और उसके चेहरे पर बस भाव चेक करने थे। उसने मोबाइल उठाया, मैसेज देखा तो उसने लिखा- आप कौन? मैंने अपना नाम राहुल लिखकर भेज दिया। वैसे वो समझ तो गई थी पर फिर भी कन्फर्म कर रही थी।

उसके कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था तो आराम से कूद कूद के ‘ये ये ये…’ करने लगी। फिर उसका मैसेज आया कि आप अभी तक सोये नहीं? मैंने लिखा- खर्राटों के बीच नहीं नींद आ रही। उसने हंसने वाला स्माइली बनाकर लिखा- तो आप क्या कर रहे हो?

मैंने देखा कि वो अपने होंठ काटते हुए अपने आप को शीशे में देखकर अपने बूब्स को दबाकर थोड़ा ब्रा टाइट करते हुए मैसेज का इंतज़ार कर रही थी। मैंने सब्र का इम्तिहान लिया, मैंने लिखा- तुमसे बातें!

उसने अपना मोबाइल अपने सर पे मारा और कुछ बुदबुदाने लगी, फिर शरारती मुस्कान से मैसेज लिखने लगी। मैसेज आया- बीवी से अलग सोना पड़ रहा है? शिखा बता रही थी कि भैया भाभियों की वाट लगी पड़ी है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने समझ तो लिया ही था कि ये चाहती क्या है इसलिए मैंने एक बढ़िया सा चुदाई का वीडियो फॉरवर्ड कर दिया। उसके तुरंत बाद लिखा- सॉरी सॉरी यार… गलती से तुम्हारे पास चला गया, वो तुम्हारी भाभी के साथ नहीं सो रहा तो सोचा कि कुछ तो एंटरटेनमेंट कर लूँ पर गलती से तुम्हारे पास मैसेज चला गया।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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