मैं जवान प्यासी लड़की -1

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दोस्तो नमस्कार.. मेरी एक वाकिफकार ने मुझसे इस कहानी को भेजने को कहा है.. उसी के अल्फाजों में ये कहानी पेश है।

अन्तर्वासना डॉट कॉम पर मैंने कई बार अच्छी कहानियाँ पढ़ी हैं.. लेकिन कभी सोचा नहीं था कि मैं भी अपनी कहानी लिखूँगी और आप सभी को भेजूंगी लेकिन भविष्य के गर्भ में क्या है यह कोई नहीं जानता। मैं पिछले दिनों एक मेरे जीवन में एक ऐसी घटना घटी कि मुझे अपनी कहानी लिखने पर विवश होना पड़ा।

चूँकि हमारी भाषा सौम्य.. सरल और सभी है.. इसलिए हो सकता है कि कहानी में आपको अधिक उत्तेजना ना लगे.. फिर भी आशा है कि मेरी कहानी आपको पसंद आएगी और आप सभी पाठक मेरी कहानी के लिए मुझे मेल करेंगे।

यह कहानी बिल्कुल सच्ची है।

वैसे लण्ड.. गाण्ड.. बुर.. चूत.. चूचे.. चूचुक.. चुदाई जैसे शब्द कहानी की माँग के अनुसार प्रयोग किए गए हैं। इंग्लिश कीबोर्ड से हिन्दी लिखने की विधि से ही यह स्टोरी मैंने पहली बार लिखी है.. इसलिए हो सकता है कि कुछ ग़लतियाँ रह गई हों.. इसके लिए मुझे उम्मीद है कि आप सभी मुझे माफ़ कर देंगे।

मेरा घरेलू नाम बेबी है.. कहानी में मैंने अपने इसी नाम का इस्तेमाल किया है। अगर आगे दूसरी कहानी लिखी.. तो उसमें मैं अपने शहर का नाम भी बता दूँगी।

आह.. यह मेरे लिए जादुई अहसास था.. इस विशाल बाथरूम में आकर तो मैं एकदम चकित रह गई। यह तो आम सोने के कमरे से भी बड़ा कमरा है. और चारों तरफ दीवारों की जगह आईने लगे हैं.. नीचे फर्श पर भी हल्के से ढलान के साथ वॉल टू वॉल आईना ही लगा था। बाथरूम में दाखिल होते ही मेरी छवि हर ओर नज़र आने लगी।

दरवाज़े के बगल में एक खूबसूरत शेल्फ पर रंग बिरंगी शीशियों और डिब्बों को यहाँ बड़े सलीके से सजाकर रखा गया था और एक शेल्फ पर कुछ बड़े डिब्बे नज़र आ रहे थे.. जिस पर डिल्डो और नक़ली वेजाइना की तस्वीर छपी हुई थी। मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि इसमें मर्द और औरत दोनों की प्यास को शांत करने वाले खिलौने हैं।

मैंने उत्सुकतावश इन्हें खोल कर देखा.. तो इसमें बेहद खूबसूरत नौ इंच के बिल्कुल असली लंड से दिखने वाले डिल्डो मौजूद थे। इसी प्रकार मर्दों के हस्तमैथुन के लिए विभिन्न प्रकार के ‘फेक-वेजाइना’ भी डिब्बों में भरे पड़ी थीं। किसी वेजाइना का मुँह लड़कियों के होंठों के आकार का था.. किसी का मुँह बिल्कुल असली लड़की की बुर की तरह थी। इनके रंग बिल्कुल सुर्ख लाल और गुलाबी थे।

बाथरूम के इस माहौल ने मुझ पर नशा तारी करना शुरू कर दिया, मेरे मम्मों में कसाव आने लगा.. मेरे मम्मों की घुंडियाँ कड़ी होकर बाहर की ओर उभरने लगीं और मेरी बुर में गीलेपन का एहसास होने लगा।

अपने आप ही मेरा एक हाथ मेरे सीने पर चला गया और दूसरा हाथ नीचे बुर को छूने लगा.. मस्ती पूरे बदन में भरने लगी। मैं एक सुंदर सा डिल्डो निकाल कर बाथटॅब में घुस गई और ठंडे पानी का नल खोल कर अपने जिस्म की गर्मी को शांत करने का प्रयास करने लगी।

अनायास ही मैं डिल्डो को मुँह में लेकर चूसने लगी.. जब डिल्डो मेरे मुँह के लार से पूरा भीग गया.. तब उसे मैंने अपनी बुर के मुँह पर सहलाना शुरू कर दिया.. जिससे मेरे जिस्म की आग और भी भड़क उठी।

एक हाथ से अपनी चूचियों को.. उसके निपल्स को मसलने.. दबाने लगी। उस समय मेरे बदन पर केवल ब्रा और पैंटी थी। डिल्डो से मेरी बुर छूते ही मेरे जिस्म में तरंगें उठने लगीं, मैंने झट से अपनी पैंटी को खींच कर पाँव से बाहर निकाल दिया।

मेरी ब्रा अल्ट्रा डिजायनर थी.. केवल घुंडियों के सामने से एक डेढ़ सेंटी मीटर चौड़ी और बस ऊपर और साइड से केवल रेशम की मैचिंग के रंग की डोरी बँधी थी। ब्रा की पट्टियों को हटाकर मैं अपनी घुंडियों को सहला रही थी।

बुर के दोनों होंठ से जब लार में भीगा डिल्डो हल्के-हल्के मसाज करता.. तो मेरी मस्ती का रंग और भी गहरा हो जाता। मैं मस्ती में तड़पने लगी.. आज तक मैंने अपनी बुर के अन्दर कुछ भी नहीं डाला था।

मैं डरती थी कि इससे मेरा कुँवारापन नष्ट हो जाएगा.. मेरी योनि की झिल्ली फट जाएगी। इसलिए मैं मस्ती चढ़ने पर अपनी बुर को ऊपर से ही सहला कर अपना पानी बहा लेती थी.. लेकिन आज मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

ऐसा लग रहा था कि पूरा डिल्डो एक झटके में अन्दर डाल लूँ और अचानक ही मेरे हाथ के डिल्डो का सुपारा मेरी बुर के मुँह में एक इंच से अधिक अन्दर चला गया। मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. ऐसा लग रहा था कि पूरा डिल्डो एक झटके में अन्दर डाल लूँ।

और अचानक ही मेरे हाथ के डिल्डो का सुपारा मेरी बुर के मुँह में एक इंच से अधिक अन्दर चला गया। मैं मस्ती से छटपटा उठी.. मेरा दूसरा हाथ तेज़ी से मेरे मम्मों की घुंडियों पर नाचने लगा। मैं हल्के-हल्के से डिल्डो को अन्दर-बाहर करने लगी।

लेकिन बहुत चाहत के बावजूद.. मैंने डिल्डो को ज्यादा अन्दर नहीं किया। मेरी मस्ती बढ़ने लगी और फिर अचानक मेरा जिस्म ऐंठने लगा। मेरी साँसें बहुत तेज़ हो गईं.. अपने मम्मों की घुंडियों को खींच कर अपनी ज़ुबान से चाटने लगी.. तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और आहिस्ता-आहिस्ता मैं शांत हो गई।

असल में.. अब मैं अपने बारे में बता दूँ.. मैं 20 वर्ष की एक लड़की हूँ। मेरे मम्मे इतने गोल और कसे हुए हैं कि जब मैं टी-शर्ट पहनती हूँ.. तब लगता है कि मेरे सीने पर अलग से पानी भरे गोल-गोल दो गुब्बारे रखे हुए हैं। ज़रा सा भी चलने-फिरने से ये खूब उछलने लगते हैं, ब्रा भी इनकी उछल-कूद को रोकने में नाकाम रहती है।

मेरा पेट बिल्कुल चिकना और सपाट है, मेरी जांघें लंबी और गोल हैं। मैं जब जीन्स पहनती हूँ.. तब तो मेरी जांघें और मेरे नितम्ब इस क़दर नुमाया हो जाते हैं कि इनके सारे कटाव और गोलाइयाँ उभर कर सामने आ जाती हैं।

मेरे जिस्म की जिल्द इतनी नर्म पतली और गोरी है कि मेरे मम्मों की गोलाइयों पर जिस्म के अन्दर की नसें सब्ज़ रंग में झलकने लगती हैं। पूरा बदन इतना चिकना है कि हाथ रखते ही फिसलने लगता है।

मेरी चूत एकदम साफ है.. एक भी बाल नहीं है, कुदरती तौर पर चिकनी और एकदम गोरी.. है। चूत के दोनों लब एकदम गुलाबी सुर्ख.. हालांकि यह बहुत बारीक और छोटे हैं और अधिकतर अन्दर की ओर ही घुसे रहते हैं। जब कभी मस्ती के वक़्त मैं इन्हें अपनी उंगलियों से सहलाती हूँ.. तब यह खड़े होकर बाहर झाँकने लगते हैं।

मेरी कसी हुई चूत से थोड़ा नीचे.. पीछे की छेद के इर्द-गिर्द बहुत बारीक से सुनहरे रोएँ हैं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूँ। मेरे पापा की उम्र 45 वर्ष है और मॉम की लगभग 40 वर्ष है। दोनों बहुत अच्छी पर्सनाल्टी के मालिक हैं। इस उम्र में भी पापा एकदम स्मार्ट और हैण्डसम दिखते हैं.. उनका रंग भी बिल्कुल गोरा है। केवल कनपटियों के पास कुछ बाल सफेद हैं।

मॉम तो एकदम से मेरी बड़ी बहन लगती हैं, उनका रंग भी एकदम दूधिया और चमकदार है। उनके मम्मे मुझसे थोड़े बड़े.. मगर बिल्कुल कसे हुए हैं। उनका पेट बिल्कुल मेरी तरह पतला और चिकना है। हिप और जांघें इतनी सुडौल कि साड़ी बाँधने पर पीछे की गोलाइयाँ और ठोस जाँघें छलकने लगती हैं।

दोनों की जोड़ी बहुत मस्त है, उनकी लाइफ बहुत ख़ुशगवार है। मॉम और पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं.. हमारे घर का माहौल काफी खुला है। मॉम.. पापा मेरे सामने ही एक-दूसरे को किस कर लेते हैं। डिनर के वक़्त ड्रिंक भी सामने कर लेते हैं। कभी-कभार रेड वाइन का एक आध पैग मैं भी ले लेती हूँ। बचपन से मॉम और पापा को ऐसे ही खुले प्यार करते देखती रही हूँ। हमारे काफ़ी बड़े मकान में हमें तमाम सुख-सुविधा प्राप्त है।

अभी-अभी मेरा ग्रेजुएशन पूरा हुआ है। घर में सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक पापा को अपनी कंपनी के ज़रूरी काम से अमरीका जाने की ज़रूरत पड़ गई। उन्हें वहाँ चार महीने रुकना था.. वह मॉम को भी साथ ले जाना चाहते थे। मैं इसलिए नहीं जा सकती थी कि मुझे आगे की पढ़ाई के लिए मास्टर डिग्री में एडमिशन लेना था।

इतने बड़े घर में इतने दिनों तक मैं अकेली नहीं रह सकती थी.. इसलिए पापा ने अपने एक साथी से बात की। वह एक-दो बार मेरे घर आए थे.. मैं उन्हें अच्छी तरह जानती थी। वह लगभग 34 वर्ष के थे.. बेहद स्मार्ट खूब गोरे-चिट्टे.. उनका मकान हमारे घर से पंद्रह मिनट के फ़ासले पर था। दो-तीन बार मैं मॉम और पापा के साथ उनके घर भी जा चुकी थी।

उन्होंने शादी नहीं की थी। उनका मकान काफ़ी बड़ा और बिल्कुल मॉडर्न था। एकदम फिल्मी सैट की तरह बड़ा सा ड्राइंग रूम.. क़ीमती सोफे.. उम्दा क़ालीन और हर चीज़ बेहद क़ीमती।

उनके यहाँ दो महिलाएँ और एक पुरुष कर्मचारी थे। वह बहुत बड़े बिजनेसमैन थे। मेरे पापा ने उनसे अपनी समस्या बताई.. तो वह फ़ौरन इस बात के लिए तैयार हो गए कि जब तक वह अमरीका में रहेंगे.. उनकी बेटी यानि कि मैं.. उनके घर में रह सकती हूँ।

पापा ने घर आकर मुझे और मॉम को बताया कि अगर तुम लोगों को कोई एतराज़ न हो.. तो उनका दोस्त शाज़ी अपने घर में हमारी बेटी को रखने को तैयार है।

दोस्तो, ये मेरी जिन्दगी के सबसे हसीन दास्तान के पन्ने हैं जो मैं आप सबसे रूबरू कर रही हूँ। हालांकि मुझे इस बात का सख्त मलाल है कि मैं आपसे सीधे बातचीत नहीं कर सकती हूँ जिसकी कुछ वजहात हैं.. पर मैं ये चाहती हूँ कि आप अपने ख्यालों को मेरे दोस्त की ईमेल पर भेज दें.. मुझे उनसे ये सब जानकारी हो जाएगी।

कहानी जारी है। [email protected]

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