चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-10

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मैंने कहा- शिखा, इतना सेंटी मत कर यार… मैं तुझे यहाँ लाया ही इसलिए जिससे तू खुल कर चुद सके और मजे ले। पर जब आज तू नहा रही थी तब मैंने तेरा बदन देखा था। इतना खूबसूरत बदन मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में कभी अपनी नंगी आँखों से नहीं देखा। पर टीवी वगैरह पर ज़रूर देखा होगा। मुझे तुम अपने जिस्म के जलवे दिखाओ… मेरे सामने नंगी खड़ी होकर डांस करो… मुझे अपने बदन के हर हिस्से को छूने दो और तुम मेरे बदन के हर चीज़ को छुओ और पकड़ो और मुझे अपना मुरीद बना लो।

शिखा उठी और AC का टेम्परेचर बढ़ाया और अपने मोबाइल पर गाने लगाकर भड़काऊ डांस करने लगी। मैं भी बिस्तर पर तकिए लगा कर जैसे कोठों पर नाच देखते है वैसे बैठ गया।

उसका बदन बिलकुल गोरा और चमकदार था। उसके परफेक्ट साइज बूब्स बिलकुल बराबर गोलाई के साथ हलके ब्राउन रंग के निप्पल… कमर बहुत पतली नहीं पर उसके बदन के लिए एक गदराई हुई शेप में थी, उसके चूतड़ 34″ के रहे होंगे, चूत पर एक भी बाल नहीं। छोटी से चूत थी, ऐसा लग रहा था जैसे शायद ही उसने कभी उंगली की हो। टाँगें माशाल्लाह कोई देख ले तो ज़िन्दगी भर दूसरी टांगों को नज़र उठा कर न देखे। भरे पूरे बदन की मेरी बहन शिखा मेरे सामने नंगी खड़ी नाच रही थी।

उसने एक स्टेप ऐसा किया कि वो गोल गोल घूमी और सीधा मेरे ऊपर ऐसे गिरी कि उसके बूब्स मेरे लंड पर जाकर लगे, फिर अपने दोनों बूब्स के बीच मेरी टांगों की मालिश करती हुई नीचे खिसकने लगी। बहुत ही उत्तेजक थी उसकी छुअन, फिर उसी तरह उसने मेरी दूसरी टांग की मसाज भी अपने बूब्स के बीच फंसा कर की।

फिर मेरी टांगों के बीच खम्बे पर अपने बूब्स से अच्छे से मसाज की। फिर उसने अपने बूब्स से ही मेरी गांड की मसाज की, फिर मेरे ऊपर 69 में आ गई और बोली- भैया आपका लंड पीने का मन कर रहा है। मैंने कहा- पी ले शिखा… पी ले मेरा लंड पी ले! इतना चूस मेरे लंड को… इतना बोलते बोलते ही मैंने शिखा की चूत पर मुंह रख दिया था।

शिखा की कुंवारी छोटी सी चूत अपने आप में नायाब थी। मैंने अब उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल दी थी। चूत धीरे धीरे फूलने लगी और वो इतनी फूल गई जैसे उस पर सूजन आ गई हो। शिखा भी मस्ती से मेरे लौड़े को चूसे जा रही थी।

शिखा धीरे धीरे अपना काम रस छोड़ने लगी थी, वो मेरे लंड पर से बिना अपना मुंह हटाए अपने हाथ से मेरे मुंह को अपनी चूत से दूर करने की कोशिश कर रही थी। मैंने थोड़ा सा अपना मुंह उसकी चूत से हटाकर कहा- शिखा !! मेरी जान तुम आराम से अपना पानी छोड़ो, मुझे तुम्हारा पानी अच्छा लग रहा है।

शिखा शायद कुछ सोच में पड़ गई होगी क्योंकि उसकी चुसाई थोड़ी धीमी हुई थी। मैंने कहा- शिखा सोच मत, बस मजे लो, मेरे मुंह को अपने पानी से भर दो, तुम्हें बहुत संतुष्टि मिलेगी।

शिखा की चुसाई फिर से अपने स्पीड और चटकार के साथ वापिस आ गई।

शिखा की चूत देखकर तो लग रहा था कि उसने आज तक वाकयी कोई लंड नहीं लिया है। पर उसके चूसने की अदा इतनी परफेक्ट थी की विश्वास करने का मन नहीं था।

उसने अब तक एक भी बार अपने दांत मेरे लंड पर महसूस नहीं होने दिए थे और साथ ही मुंह के अंदर मेरे सुपारे पर उसका अपनी जीभ को गोल गोल घूमना मुझे सातवें आसमान की सैर करा रहा था। इस बीच वो अपनी उँगलियों का जादू मेरे लंड के आसपास के किनारे पर सहला का चला रही थी।

मैं भी शिखा को पूरा आनन्द देने के लिए उसकी उसी तरह चटाई कर रहा था। बीच में अपनी ऊँगली को उसके काम रस से भिगोकर उसकी चूत में अपने लंड के जाने की जगह बना रहा था।

शिखा चुसाई छोड़ कर बोली- भैया, आपका लंड तो जो मैंने सपने में सोचा था उससे भी अच्छा निकला। मैं बोला- मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी बढ़िया चूत चोदने का मौका मिलेगा। तुम्हारा पूरा बदन बहुत मादक और नशीला है। मुझे यह नहीं समझ आ रहा कि आज तक मैंने तुम्हें कभी ऐसी नजरों से क्यूँ नहीं देखा।

शिखा बोली- इस बात का गम तो मुझे भी है, पर अभी तो मिल रहा है न तो गम बाद में मन लेंगे।

मैंने शिखा को अपने ऊपर से हटाया और उसकी चूत पर अपना हथियार सेट कर दिया। शिखा बोली- भैया थोड़ा धीरे करना, आपका लंड इतना मोटा होगा, मैंने नहीं सोचा था। वो मुंह में ही आसानी से नहीं आ रहा था, एक छोटे से छेद का पता नहीं क्या करेगा।

मैंने कहा- चिंता मत कर, तुझे मजा न आये तो पैसे वापस! हम दोनों बुरी तरह हंस पड़े।

जब हंसी थोड़ी रुकी तो मैंने धीरे से झटका मारा और लंड को चूत के अंदर ठेलने लगा। शिखा के हँसते हुए चेहरे पर चुदाई की खुमारी मिटाने के भाव आ गये, उसने अपने तकिए को दोनों साइड जोर से पकड़ लिए और अपनी गर्दन को तकिए की तरफ मोड़ लिया, उसकी सुराहीदार गर्दन पर नसें और गले की हड्डी साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रही थी।

मैं अपने घुटनों पर बैठा लंड को पेलने की कोशिश करने में लगा था। चूत काफी टाइट होने के कारण मुझे थोड़ा जोर से धक्का लगाना पड़ा। उसकी चूत ने जो कामरस छोड़ा था, उसके सहारे से लंड एक ही बार में आधा अंदर घुस गया, पर शिखा बुरी तरह तड़प उठी और दर्द के मारे चिल्लाने और रोने लगी।

मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, मैं साथ साथ उसे चुप कराने की नाकाम कोशिश भी कर रहा था। मैंने देखा की लंड के ऊपर थोड़ा खून लगा हुआ है। अगर मैंने शिखा को देखने का मौका दिया तो वो चुदवायेगी नहीं इसलिए मैंने उठने नहीं दिया और समझाया कि चूत टाइट होने की वजह से धक्का जोर से लगाना पड़ा।

मैंने एक बार फिर अपने लंड को चूत पर सेट किया और फिर से अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर इस बार शिखा ने चूत को पूरी ताकत से भींच रखा था। जैसे जब पॉटी आती है तो आप अपनी गांड के छेद को भींच लेते है। मैंने सोचा ‘अब रो तो रही ही है’ इधर लंड भी अपनी पूरी औकात में था, मुझे उसका रोना दिखाई ही नहीं दिया और मैंने फिर से जोर का धक्का लगाया और पेल दिया अपना लंड उसकी चूत में।

थोड़ी देर रोई, चिल्लाई पर फिर तो उचक उचक कर मेरे धक्कों के साथ धक्के लगाने लगी। मैंने चोदते हुए ही उसके आँसू पौंछे और पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो बोली- आपको कहाँ कुछ फर्क पड़ता है… जब रो रही थी तो थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे। बस डाल ही दिया पूरा अंदर, पता है बहुत दर्द होता है। अगर मेरे पास लंड होता तो आपकी गांड में डाल के बताती कितना दर्द होता है।

मैंने कहा- लेकिन अब तो मज़ा आ रहा है न? या निकाल लूँ बाहर? मुझे पता था कि अब मजा आ रहा है अब तो मना करने से रही।

शिखा बोली- जब दर्द था तब तो निकाला नहीं… अब तो मजा आ रहा है, अब थोड़े ही निकालने दूंगी। चोदो अब जोर जोर से चोदो मुझे।

बस फिर क्या था, अपनी ट्रेन को हरी झंडी मिल चुकी थी, अपन भी फुल स्पीड से चुदाई में मशरूफ हो गए। बिल्कुल भूल गए कि बाहर काफी लोग हैं। चिल्ला चिल्ली करके सिसकारियों से कमरा ही नहीं पूरा बंगला भर दिया। मुझे तो टेंशन थी ही नहीं पर शिखा भी अपनी पूरी शिद्दत से चुदाई के मजे लूट रही थी।

हमने अपनी पहली ही चुदाई में 3 पोजीशन में चुदाई का आनन्द लिया, फिर आधे घंटे तक हम एक दूसरे से चिपके ऐसे ही पड़े रहे। अब वाकई लग रहा था कि AC की ठंडक कम है।

इधर बाहर भी नीता, मधु और नीलेश ने चुदाई कर चुके थे और हमारी आवाज़ों के मजे लेकर अपनी चुदाई में चार चाँद लगा रहे थे। शिखा जब होश में आई तो बोली- भैया अब तो बहुत नाटक हो गया होगा, हम लोगों ने अपनी आवाज़ पर कोई कंट्रोल ही नहीं रखा। बाहर सबको सुनाई दिया होगा, हम तो फंस गए।

मैंने उसका डर निकालने के लिए बोल दिया- यह कमरा साउंड प्रूफ है। तब कहीं जाकर उसकी जान में जान आई। मैंने कहा- चल तू कपड़े पहन कर आ जा नीचे, अब भूख लग आई है।

मैं तौलिया लपेट कर जल्दी से नीचे गया।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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