मैं जवान प्यासी लड़की -3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

अब तक आपने पढ़ा..

मुझे उन पर बहुत तरस आया.. मैंने कहा- अंकल आपको शादी कर लेनी चाहिये.. एक से एक सुन्दर लड़की आपको मिल जायेगी.. अभी ना तो आपकी बहुत उमर हुई है.. और न ही आप कोई मामूली आदमी हैं.. पढ़े लिखे.. इतना बड़ा बिजनस.. धन दौलत.. सब कुछ है आपके पास..

अब आगे..

लेकिन मेरी बात पूरी होने से पहले ही अंकल ने कहा- नहीं.. मैं शादी तो किसी क़ीमत पर नहीं करूँगा। तब मैंने पूछा- क्या सारी जिन्दगी अकेले ही रहेंगे? वह टालने वाले अंदाज़ में बोले- छोड़ो.. कोई और बात करो.. तुम्हें यहाँ बहुत दिन रहना है.. इसलिए मैं चाहता हूँ कि इस घर के बारे में तुम्हें सब कुछ जानना चाहिए और मुझसे भी तुम्हें कोई झिझक न रहे। मैंने कहा- हाँ.. यह बात तो सही है..

ये सब बातें करते हुए काफ़ी देर हो गई थी इसलिए अंकल ने कहा- अब तुम जाकर सो जाओ।

अंकल के बेडरूम से जाने का मेरा मन नहीं कर रहा था.. इसलिए कि वहाँ का मंज़र देखने के बाद मेरा मन भटकने लगा था।

अंकल मुझे बहुत प्यारे लगने लगे थे। दिल कर रहा था कि उनकी मज़बूत छाती से लग कर उन्हें खूब प्यार करूँ। उनके लाल गुलाबी ताज़गी भरे लबों को अपने मुँह में डाल कर जम कर चूसूं और वह मुझे अपनी बाहों में पूरी ताक़त से चिमटा लें।

मैंने कभी सेक्स नहीं किया है.. लेकिन आज मेरा जिस्म सेक्स की ज़बरदस्त डिमांड कर रहा था। शायद मेरे चेहरे और मेरी आँखों से मेरी यह ख्वाहिश झलक रही थी। मैं इतनी भरपूर जवान थी कि ऐसा होना प्राकृतिक था।

तभी अंकल ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने चेहरे के पास कर लिया और मेरी हथेली पर अपने होंठ रख दिए। उनके होंठ एकदम जल रहे थे, मेरी हथेली में गुदगुदी होने लगी, अंकल के होंठ की गर्मी मेरे पूरे जिस्म के नस-नस में भरने लगी।

मेरी बेचैनी बढ़ने लगी.. तो अचानक मैंने अपना हाथ अंकल के हाथ से छुड़ा लिया और उठ कर अपने कमरे में आ गई.. अंकल पीछे-पीछे मेरे कमरे में आ गए और मुझसे बोले- क्या तुम्हें बुरा लगा? मैंने अपने आपको संभाला. और बोला- नहीं अंकल.. अब मैं सोना चाहती हूँ.. रात बहुत हो गई है.. अंकल बोले- आराम से सो जाओ.. कल सुबह मिलेंगे।

वह कमरे से बाहर निकल गए। मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और एक खूबसूरत सा नाइट गाउन पहन लिया। मेरा यह नाइट गाउन एकदम पारदर्शी था.. इसकी लंबाई केवल मेरे चूतड़ों तक आती थी। ऊपर सामने से गला इतना खुला था कि मेरे आधे से अधिक मम्मे नंगे ही रहते थे.. पेट के सामने एक पतली सी डोर थी.. इसे मैंने हल्के से बाँध लिया और बेड पर लेट गई।

ऐसी नाइटी मेरे घर में मेरी मॉम भी इस्तेमाल करती थीं.. कई बार ऐसी नाइटी में मैं पापा के सामने भी आ जाती थी। मेरे मॉम.. पापा इसे ग़लत नहीं समझते थे। घर के खुले माहौल में हम सबके लिए यह आम बात थी।

बिस्तर पर लेटते ही मेरे जिस्म में और भी तरंगें उठने लगीं। मेरा एक हाथ आहिस्ता-आहिस्ता नीचे चूत से जा लगा और दूसरा हाथ एक चूचे के निप्पल पर चला गया।

मेरी नंगी टाँगों और मम्मों पर बेहद नर्म कम्बल का एहसास मुझे और भी उत्तेजित करने लगा। एक इंच तक उंगली अपनी बुर में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी.. बारी-बारी से दोनों निपल्स को भी सहलाती रही..

आँखों के सामने अंकल के बेडरूम में लगी तस्वीरें घूम रही थीं, मेरे जिस्म के अन्दर लावा उबलने लगा.. अंकल की हैण्डसम पर्सनैल्टी मेरे होशो-हवास पर बुरी तरह छाई हुई थी। उनके भरे-भरे सीने.. कसी हुई ठोस बाज़ू.. एकदम रस से भरे हुए सुर्ख होंठ.. ठोस मज़बूत जांघें.. मुझे लग रहा था कि मैं अंकल को खुद में समा लूं।

इधर मेरे हाथ मेरी बुर और मम्मों के अंगूरों पर तेज़ी से थिरक रही थी.. तभी एकदम से झरझरा कर मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

सुबह मेरी नींद तब खुली.. जब अंकल ने मेरे बेडरूम का दरवाज़ा खटखटाया.. मैंने हड़बड़ा कर दरवाज़ा खोला।

अंकल ने मुझे मेरे जिस्म को छुपाने में नाकाम नाइट गाउन में देखा.. तो देखते ही रह गए.. मुझे ऐसा कोई खास फील नहीं हो रहा था.. क्योंकि मैं ऐसे ड्रेस में अपने घर में अपने पापा के सामने भी चली जाती थी मगर अंकल की निगाहें मेरे जिस्म से हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं।

मेरी निगाह अंकल के पाजामे पर पड़ी। उनका लंड खड़ा होने लगा था.. वह काफ़ी बड़ा आकार लेने लगा था। यह देख कर मेरे बदन में झुरझुरी सी आने लगी। मैंने अंकल से कहा- मैं अभी तैयार होकर आती हूँ..

और दरवाज़े को खुला ही छोड़ कर मैं बाथरूम में घुस गई। वहाँ से फारिग होकर मैंने अपनी जींस और टॉप पहना और बाहर आ गई। अंकल भी तब तक तैयार हो कर नाश्ते की टेबल पर आ चुके थे, हम दोनों ने साथ ही नाश्ता किया।

इसके बाद अंकल ने कहा- आज संडे है.. लेकिन मुझे एक ज़रूरी काम से दो-तीन घंटों के लिए बाहर जाना है। जब तक सफाई वाली आए.. तो तुम मेरी टेबल से चाबी निकाल कर उसे दे देना। वह मेरे बेडरूम और बाथरूम की सफाई कर देगी।

इतना कह कर वह अपनी कार लेकर चले गए। उनके जाने के दो मिनट बाद ही सफाई वाली आ गई.. मैं तो उसे बस देखते ही रह गई। कहीं से भी वह सफाई वाली नहीं लगती थी। वो एक 28-30 की उम्र और एकदम छरहरी काया… लंबे काले बाल.. एकदम गोरा रंग.. बड़े-बड़े मम्मे.. बिल्कुल कसे हुए.. बेहद खूबसूरत और मस्त औरत थी।

उसने आते ही मुझसे पूछा- साहब नहीं हैं? ‘नहीं.. वो काम से चले गए हैं..’

उसने बताया कि वह यहाँ केवल साहब के बेडरूम और बाथरूम की सफाई का काम करती है। उसने यह भी बताया कि यहाँ जो एक और महिला और एक पुरुष कर्मचारी हैं वह यहाँ के दूसरे काम संभालते हैं और पूरे घर की सफाई करते हैं..

उसने मेरे बारे में कुछ नहीं पूछा, इससे मुझे लगा कि शाज़ी अंकल ने मेरे बारे में पहले ही सब कुछ उसे बता दिया था।

उसने यह भी बताया- मैं ऐसे ही बड़े साहब लोगों के दस दूसरे घरों में भी केवल उनके बेडरूम और बाथरूम की सफाई का काम करती हूँ। इससे मुझे अच्छेक पैसे भी मिल जाते हैं और काम भी ज्यादा नहीं करना पड़ता। केवल राज़दारी शर्त है.. इन बेडरूम में मैं जो कुछ देखती हूँ.. उसके बारे में किसी से बोलने.. बताने की मनाही है।

मैंने कुछ पूछे.. बोले बिना अंकल की टेबल से बेडरूम की चाबी निकाल कर उसे दे दी। वह अंकल के रूम में चली गई।

मैं सोचने लगी कि बेडरूम और बाथरूम देखना होगा, इनमें आख़िर ऐसा क्या है..जिसे अंकल और उन जैसे कुछ दूसरे लोग.. दूसरों की नज़रों से छिपाना चाहते हैं? लेकिन इस औरत के सामने वहाँ जाना मुझे अच्छा नहीं लगा.. आख़िर वह अपना काम करके चली गई।

दूसरे दोनों नौकरों के आने में अभी काफ़ी देर थी। मैं उत्सुकतावश जल्दी से चाबी लेकर अंकल के बेडरूम में घुसी। एक बार उन नग्न चित्रों पर नज़र डाली और फिर बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर जैसे ही अन्दर दाखिल हुई.. एकदम से चकित रह गई। यह मेरे लिए जादुई एहसास था। इतना बड़ा बाथरूम.. चारों ओर दीवारों की जगह पर आईने.. बेहद शानदार बाथटब.. शानदार शेल्फ पर ढेर सारे रंग-बिरंगे डिब्बे.. क्रीम.. जैलियों.. आयिल की बोतलें.. और दीगर मॉडर्न सामान.. कॉस्मेटिक से भरे हुए..

मस्त होकर डिल्डो का इस्तेमाल करके शांत होने के बाद मैं बाहर निकली और जल्दी से बाथरूम और अंकल का बेडरूम लॉक किया। चाबी उनकी दराज में डाली और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई।

मेरे मन में वह मंज़र हलचल मचाए हुए था, सेक्स की मेरी ख्वाहिश मुझे बेचैन करने लगी थी।

मैं शाज़ी अंकल के बारे में सोचने लगी, इतना हैण्डसॅम मर्द.. एकदम कड़ियल जवान.. वह शादी नहीं करना चाहते.. किसी और औरत से भी उनके संबंध नहीं हैं.. फिर उनके कमरे में डिल्डो का क्या काम.. फेक वेजीना तो समझ में आता है कि अंकल मुठ मारने के लिए उसका प्रयोग करते होंगे..

यह सोचते-सोचते मैं फिर से गर्म होने लगी मेरी चूत रस से भरने लगी.. मेरे मम्मों में कसाव आने लगा। मैं अपनी उंगलियों से अपने निपल्स को सहलाने लगी.. तब अन्दर की मस्ती और बढ़ने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं ख़यालों में अंकल के सीने लग गई.. उनकी भरी-भरी गुदाज़ छाती के खूब सुर्ख लाल निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी.. तो अंकल मुझे ज़ोर से अपने से भींचने लगे। ख़यालों में मुझे महसूस हुआ कि अंकल मेरे मम्मों के निपल्स को अपनी उंगलियों से मसल रहे हैं।

मैं एकदम से गनगना उठी। मेरा एक हाथ नीचे बुर की लबों से जा लगा.. उल्ट कर तकिया को अपने मम्मों के नीचे दबाया और जींस नीचे करके अपनी उंगलियों को अपनी बुर में एक इंच तक अन्दर-बाहर करने लगी।

मैं एकदम से नशे में चूर होकर ख्यालों में ही अंकल के सख़्त हो चुके बड़े से मोटे लंड को.. अपनी नाज़ुक उंगलियों से छेड़ने लगी। तभी मुझे लगा कि मेरी बुर से रस निकलने लगा है। अपनी बुर पर मेरी पूरी हथेली चलने लगी और थोड़ी ही देर में मेरी पूरी हथेली मेरी चूत के रस से लबालब हो गई।

अंकल के साथ चुदाई का सोच कर मुझे मज़ा तो बहुत आया और मैं जल्दी झड़ भी गई.. लेकिन अन्दर से मुझे लगा कि अगर सच में ऐसा हुआ तो क्या यह ठीक होगा..?

अभी मैं यही सोच रही थी कि नीचे गाड़ी की आवाज़ आई.. मैं समझ गई कि अंकल आ गए। मैं भाग कर नीचे आई.. तो अंकल गाड़ी लगा कर ऊपर ही आ रहे थे.. सीढ़ियों पर ही हमारा आमना-सामना हो गया। अंकल काफ़ी खुश नज़र आ रहे थे।

उनके हाथ में एक खूबसूरत सा पैकेट था, उन्होंने वह पैकेट मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा- यह तुम्हारे लिए है।

दोस्तो यह दास्तान मेरे जीवन के कुछ अनमोल पल हैं जो मैं आप सबकि बता रही हू। मैं चाहती हूँ कि आप अपने विचारों को मेरे दोस्त की ईमेल पर भेज दें.. मुझे उनसे ये सब जानकारी हो जाएगी।

कहानी जारी है। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000