बॉस ने नौटंकी करके चूत चुदवाई

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महिलाओं को मेरा प्यार और भाइयों को चियर्स। मेरा नाम शिवम है.. मैं एक प्ले-बॉय हूँ.. लखनऊ शहर का निवासी हूँ और सामजिक रूप से मैं एक मार्शल-आर्ट्स कोच हूँ।

यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है.. ये पल हमेशा मुझे याद आते हैं इसीलिए आप सबसे शेयर करने का दिल किया। उम्मीद है यह वाकिया आप सबको पसंद आएगा।

बात सन 2013 दिसंबर 25 की है। मैं कैथ्रेडल चर्च में कैंडल जलाने के लिए गया था। वैसे तो अधिकतर लोग मुझे जानते थे.. पर मैं किसी पर ध्यान नहीं दे रहा था.. क्योंकि उस दिन मेरा मन थोड़ा उदास सा था।

मैं कैंडल जला कर बाहर आ गया और अपनी कार में बैठ कर सिगरेट पीने लगा। तभी मेरी नज़र मेरी कार के बगल में खड़ी एक मर्सडीज कार पर पड़ी। मेरे होश मानो उड़ से गए.. उसमें एक लाल रंग की साड़ी पहने हुए एक औरत मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। उसने इशारे से मुझे अपनी कार में आने का निमंत्रण दिया.. मैं भी बिना देर किया सिगरेट फेंकता हुआ और दूसरों की नज़र से बचता हुआ उनकी कार में बैठ गया।

उन्होंने मुझसे मेरी उदासी का कारण पूछा.. तो मैंने पहले उन्हें कहा- नहीं तो.. मैं उदास नहीं हूँ.. वो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर बोलीं- बेटा, मैं तो तेरी बहन जैसी हूँ न.. बता मुझे क्या दिक्कत है तुझे?

तो मैंने उनसे कहा- आप ऐसे क्यों पूछ रही हो.. आप तो हमें जानती भी नहीं हो और मैं भी आपको नहीं जानता? वो बोलीं- मैं चेहरे पढ़ना जानती हूँ.. मुझे तुम परेशान लगे तो मैं पूछ बैठी.. चल अगर तू नहीं बताना चाहता है तो कोई बात नहीं।

मैंने कहा- नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. बस कोई जॉब न होने के कारण थोड़ा दिमाग खराब था और पार्ट टाइम जॉब में मेरा खर्च नहीं पूरा हो पाता है। मेरे इतना कहते ही वो बोलीं- बस इतनी सी बात है? मैंने कहा- हाँ.. बस इतना ही.. वो अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए बोलीं- कल कॉल करके आ जाना और जॉब ज्वाइन कर लेना।

मैं बहुत खुश हो गया और दूसरे दिन मैं उनके ऑफिस पहुँच गया। अभी तक मेरे दिमाग में उनके लिए कोई भी सेक्सी फीलिंग नहीं आई थी.. पर मेरी ज्वाइनिंग के पहले ही दिन उन्होंने मेरी अन्तर्वासना को जगा दिया। उनकी काली रंग की साड़ी.. कसा हुआ बदन.. उठी हुई गाण्ड और पहाड़ जैसी चूचियाँ मुझे पागल करने लगीं।

मेरे शेर ने भी अब मेरी पैंट पर एक उभार सा तैयार कर दिया था.. जिस पर शायद भावना मैडम (कार वाली औरत का यही नाम था) की नज़र पड़ चुकी थी।

पर वो सिर्फ मुझे काम और मेरी पोस्ट बता कर वापस अपने घर चली गईं। दो महीने बीत गए और मैं रोज़ उनके कमाल के फिगर को याद कर-कर के मुट्ठ मारता रहा और पार्ट टाइम आंटी और भाभियों को संतुष्ट करता रहा।

एक दिन जब मैं भावना मैडम को याद करके मुट्ठ मारने के लिए ऑफिस के बाथरूम में गया.. तो दरवाज़े में कुण्डी लगाना भूल गया और उन्हें याद करके मुट्ठ मारने में मगन हो गया। उनकी याद में ऐसा खोया था कि पीछे खड़ी भावना की ओर ध्यान ही नहीं गया। उस दिन तो मैं मुट्ठ मार कर ढीला हो गया और हाथ धोकर ऑफिस में एंट्री करके घर चला गया।

उसी रात को लगभग 11 बजे होंगे.. मैं गोमती नगर में एक मैडम को संतुष्ट कर रहा था.. झड़ने ही वाला था.. जिस वजह से एक आती हुई कॉल को नहीं उठा पाया.. कपड़े पहनने के बाद फ़ोन देखा तो भावना की कॉल थी।

मैंने कॉलबैक किया.. तो वो कुछ घबराई हुई लग रही थीं। उन्होंने कहा- शिवम जल्दी से मेरे बंगले पर आ जाओ.. आज यहाँ की लाइट खराब हो गई है.. घर में अँधेरा है.. और बारिश भी हो रही है.. मुझे डर लग रहा है.. मुझे ऐसा लग रहा है.. जैसे कोई मेरे घर में घुसा है.. तुम जल्दी आओ। इतना कह कर उन्होंने कॉल काट दी।

मैं काफी परेशान हो गया.. और तेज़ी से उनके बंगले पर पहुँच गया.. जो महानगर में था। मैं धड़धड़ाते हुए उनके गेट पर पहुंचा.. तो देखा कि दरवाज़ा खुला था। बिना किसी डर के मैं दौड़ता हुआ उनके कमरे में चला गया.. तो देखा कि वो बेहोश पड़ी थीं।

मैंने काफी कोशिश की उन्हें होश में लाने की.. पर नाकाम रहा।

मुझे ठण्ड लग रही थी.. क्योंकि जल्दी-जल्दी में मैं सिर्फ टी-शर्ट ही पहन कर आ गया था। उन्हें होश में लाने के लिए मैं पानी लेने गया.. तो देखा कि महंगी वाली शराब की बोतल आधी खाली रखी थी.. तो गर्मी के लिए मैंने जल्दी से थोड़ी सी पी ली.. मुझे ठण्ड ज्यादा लग रही थी.. इसलिए मैं बिना सोचे बोतल की पूरी दारू पी गया।

कुछ ही पलों में मेरे ऊपर शराब का सुरूर बम्पर चढ़ा हुआ था। मैं पानी लेकर वापस उनके कमरे में गया.. तो मेरी नज़र उनके कपड़ों पर पड़ी।

उनकी नाइटी ऊपर को चढ़ कर उनकी आधी पैंटी के दर्शन करवा रही थी। अब मुझे खुद पर ज़रा भी कंट्रोल न रहा.. और मेरे अन्दर का प्ले-बॉय कूद कर बाहर आ गया। मैं उनकी पैंटी के पास अपनी नाक ले जाकर उनकी चूत से बह रहे अमृत की सुगंध को सूंघने लगा।

क्या महक थी यार.. मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे हाथ उनकी पैंटी को नीचे खींचने लगे और मेरी जुबान उनकी चूत को चाटने लगी।

भावना बेहोश होने का नाटक कर रही हैं ये तो मैं समझ ही गया था। क्योंकि वो भी कमर हिला-हिला कर अपनी चूत को मेरे मुँह में दे रही थी। मैंने उनकी चूचियाँ दबाईं तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।

अब मैंने 69 का पोज़ किया और अपना तम्बू उनके मुँह में लगाया तो उन्होंने मेरे लण्ड को अन्दर ले लिया इस तरह मैंने लौड़ा उनके मुँह में गाड़ दिया।

उनकी चूत से पानी काफी निकल चुका था और अब मेरी बारी थी।

अब मेरा लवड़ा उनकी चूत को अपना निशाना बनाने जा रहा था.. कि अचानक मुझे लगा कि भावना की आँखें पूरी खुल गई हैं। मैं डर गया कि कहीं ये कुछ कहे न.. पर उसने फिर आँखें बंद कर लीं..

अब मैंने चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और पूरी तरह खुल कर उन्हें चोदने लगा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समां चुका था। मैंने उनको चोदते समय ये महसूस किया था कि मैडम दारु के नशे में टुन्न हैं।

अगले कुछ मिनट तक अन्दर-बाहर अन्दर-बाहर मेरा चप्पू चलता रहा। मैं फिर से एक बार झड़ गया.. कुछ देर उनके ऊपर पड़ा रहा और फिर धीरे से अपने कपड़े पहने और अपने घर आ गया।

अगले दिन मैं ऑफिस गया.. तो उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था। जैसे ही उन्होंने मुझे देखा.. अपने रूम में बुलवा लिया। अब मेरी फटने लगी कि आज तो मेरी शामत है.. नशे में न जाने ये मैंने क्या कर दिया। मैं डरते-डरते उनके केबिन में गया.. तो वो मुस्कुरा रही थीं..

मैंने पूछा- क्या हुआ मैडम.. कोई काम है क्या? भावना- नहीं.. कुछ ख़ास नहीं.. पर कल तुम घर आए थे क्या। मैं- हाँ जी मैडम आया तो था पर.. भावना- पर.. पर क्या..?? मैं- पर कल जो हुआ.. उसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ.. मैं नशे में था.. गलती हो गई..

भावना- कोई बात नहीं.. पर याद रहे अगर किसी को भी पता चला तो वो तुम्हारा आखिरी दिन होगा। मैंने कहा- पक्का मैडम.. किसी को भी नहीं पता चलेगा.. मैडम ने कहा- अगर तू बताएगा भी तो फंसेगा तू ही.. क्योंकि मैंने सब रिकॉर्ड किया है।

मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई थी.. इतने में वो मेरे होंठों पर अपने होंठों को रखते हुए बोलीं- अब तुम्हें रोज़ मुझे वही आनन्द देना होगा.. जो कल तुमने मुझे दिया था। कल से पहले मुझे किसी ने भी इतना सुख नहीं दिया।

मैं तो जैसे मानों सातवें आसमान पर था.. अब मैं रोज़ उन्हें चोदता था और इस काम के मुझे अच्छे पैसे भी मिलते थे। एक दिन गलती से उनके मुँह से निकल गया कि उन्होंने कोई भी रिकॉर्डिंग नहीं की थी। मैं चिंता मुक्त हो गया था।

उस दिन के बाद से मैं उन्हें हफ्ते में सिर्फ 5 दिन चोदता हूँ और उन्हें खुश कर देता हूँ। उन्होंने मुझे काफी नए कस्टमर भी दिए। अब मेरी डिमांड लखनऊ में बढ़ गई है। शुक्रिया भावना… आई लव योर चूत।

अगर आप सबको मेरी कहानी पसंद आई तो अपना प्यार ज़रूर ज़ाहिर कीजिएगा.. आगे और भी कथाएं आप तक आती रहेंगी। [email protected]

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