दोस्त और उसकी बीवी ने लगाया ग्रुप सेक्स का चस्का-7

दोनों के जाने के बाद मैंने दीपा को गोदी में उठाकर पूरा घर दिखाया। दीपा बोली- गर्मी लग रही है।

मैं उसका मतलब समझ गया और फटाफट हम दोनों ने अपने कपड़े उतार लिए और चिपक गए। हमारा हर अंग एक हो जाने को बेकरार था, जीभ तो दोनों की एक हो ही चुकी थीं। उसने अपना एक पैर उठा कर मेरी कमर पर लपेट लिया था, मैंने एक हाथ से उसकी चूत की मालिश शुरू कर दी थी।

वो कसमसा कर बोली- बिस्तर पर चलो! बिस्तर पर उसको लिटा कर मैंने उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी, वो जोर जोर से आवाज करने लग गई। मैं चाहता था कि वो धीमे से बोले, पर उसकी कामाग्नि भड़क चुकी थी और उसे इस समय सिर्फ एक चीज ही चाहिये थी, वो थी जोरदार चुदाई!

मैं भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक ही धक्के में अन्दर कर दिया। एक बार तो दीपा चीखी- फाड़ ही दोगे क्या? मैंने भी कहा- और लाया किस लिए हूँ? वो बोली- फिर देर क्यों कर रहे हो फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसका भोसड़ा… घुसेड़ दो अपना लौड़ा पूरा अन्दर!

यह भाषा उसको उन्ही किताबों से मिली थी जो मैं उसको दे आया था।

दस मिनट के घमासान के बाद दोनों एक साथ छूटे, कोई तौलिया नहीं था पास में, चादर ही गन्दी हो गई।

इतने में ही राजीव का फ़ोन आया- क्यों बे साले, कर लिया गृह प्रवेश? मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम? वो बोला- कामिनी ने ठंडा पानी भिजवाया था, क्योंकि तेरा फ्रिज बंद था, गेट पर जब अन्दर की सीत्कारें सुनाई दी तो वो वापिस चला गया।

रात को कामिनी का भेजा खाना खाकर हम जल्दी सोने चले गए, क्योंकि सफ़र की थकान थी और एक बार चुदाई हो चुकी थी। मगर बिस्तर पर लेटते समय मैंने दीपा से कहा- आज के बाद हम कभी कपड़े पहन कर नहीं सोयेंगे।

उसे भी यह आईडिया अच्छा लगा और वो तुरंत नंगी हो गई, मुझे तो केवल लुंगी ही उतारनी थी। जब चूत और लंड का टकराव हुआ और मम्मे दबे तो सारी थकान भूल कर मैं दीपा के चढ़ गया। उसने भी टांगें चौड़ा कर मेरा पूरा लंड अंदर कर लिया।

फिर जो चुदाई का आलम शुरू हुआ तो आगे पीछे ऊपर नीचे सारे आसन निबटा कर हम चुपक कर लेटे।

अब हमारा बातचीत का विषय था कामिनी और राजीव!

मैंने उनकी खूब तारीफ़ की और सबसे ज्यादा तारीफ़ की राजीव के सेक्सी स्वभाव की क्योंकि कामिनी ने मुझसे कहा था कि मैं दीपा से कामिनी की तारीफ न करूँ क्योंकि कोई औरत दूसरी औरत की तारीफ़ अपने पति से सुनना पसंद नहीं करती।

मैंने बातों ही बातों में यह भी बता दिया कि राजीव को रोज सेक्स करने की आदत है और वो भी नए नए स्टाइल में! कुल मिलाकर दीपा के मन में राजीव के लिए क्रेज पैदा कर दिया।

अगले दिन मैं जब दुकान के लिए निकल ही रहा था, कामिनी आ गई और दीपा को आँख मारकर बोली- कैसी रही? दीपा शर्मा गई। कामिनी ने मुझसे कहा- आप दुकान जाओ, मैं दीपा के साथ घर ठीक करवाती हूँ, मैं शाम तक यहीं हूँ।

मैं समझ गया कि कामिनी अपनी जिम्मेदारी पूरी करने आ गई है मैदान में!

अब शाम तक की कहानी दीपा के मुख से सुनिए:

सनी के जाते ही मैंने कामिनी से कहा- दीदी आप बैठिये, मैं अपने आप कर लूंगी! तो कामिनी ने मुझसे कहा कि भले ही वो मुझसे बड़ी है, पर दीपा उसे कामिनी ही कहे, क्योंकि कामिनी की अपनी छोटी बहन भी उसे कामिनी ही कहती है।

मैंने कहा- ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे! मैं नहा कर आती हूँ, फिर बैठ कर गप्पे मारेंगे। कामिनी बोली- ठीक है।

मैं नहाने के कपड़े लेकर चली तो कामिनी ने उसे टोका कि ये साड़ी वाड़ी पहनने की कोई जरूरत नहीं है, यहाँ कोई नहीं आएगा शाम तक, कुछ भी हल्का पहन लो। मैंने कहा- मेरे पास अभी तो कोई ऐसे कपड़े नहीं हैं।

तो कामिनी बोली- तू तो बहुत सीधी है, कपड़े मैं निकाल कर देती हूँ, तू नहा कर आ! मैंने नहा कर अन्दर से आवाज दी- दीदी मेरे कपड़े दे दो! तो कामिनी मुझसे बोली- टॉवल लपेट कर बहार आ जाओ, मैंने कपड़े बिस्तर पर रख दिये हैं।

जब मैं बाहर आई तो मैंने केवल तौलिया लपेट रखा था, और मेररे भीगे बालों से पानी टपक रहा था। कामिनी ने मुझे गले लगा लिया, बल्कि सही कहूं तो मेरे मम्मे भींच दिये और बोली- अगर अब के बाद दीदी कहा तो मैं तेरा टॉवल खींच दूँगी।

मैं घबरा गई मैंने कहा- सॉरी अब कामिनी ही बोलूंगी, मगर मेरे कपड़े तो दो? उसने मुझे सनी की लुंगी और टीशर्ट दी। मैंने कहा- मैं ये नहीं पहनूंगी आप के सामने!

तो कामिनी बोली- चल अच्छा अब वो पहन ले जो पहन कर रात को सोई थी। मेरे मुँह से निकल गया- रात को तो कुछ भी नहीं पहना था! कह कर मैं खुद शरमा गई कि हाय यह मैंने क्या कह दिया।

तो कामिनी बोली- शर्मा मत, मैं भी अभी चेंज कर लेती हूँ और उसने तो केवल टी शर्ट ही डाली, नीचे कुछ नहीं! मैं तो आश्चर्य से देख रही थी, लग ही नहीं रहा था कि इससे मैं केवल एक दिन पहले मिली हूँ।

खैर, अब हमने घर का काम करना शुरू किया, पूरा घर सेट किया, बीच में कई बार कामिनी ने मेरे मम्मे छू दिये। परदे टांगने के लिए वो एक स्टूल पर चढ़ी और मैं नीचे से उसे पर्दे पकड़ा रही थी, टी शर्ट के नीचे से उसकी पैंटी दिख रही थी और वो इतनी महीन जाली की थी कि उसकी गुलाबी चूत साफ़ नजर आ रही थी।

वो बोली- क्या देख रही है? मैंने कहा- आज आपने मुझे पूरा बदमाश बना दिया! कामिनी बोली- अब तक तो तूने कोई बदमाशी की नहीं?

मुझे क्या झक चढ़ी, मैंने उनकी चूत में उंगली कर दी। वो चीखी, बोली- हाय मेरी जान, मैं तो कब से इन्तजार कर रही थी! यह कह कर वो स्टूल पर से ही कूद गई और मेरी टी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरे मम्मी दबा दिये और मेरे होंठ अपने होठों से लगा लिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

पता नहीं क्या मस्ती का आलम था, मुझ पर क्या नशा चढ़ गया था, मैंने भी कामिनी के होंठ चूसने शुरू कर दिए और अपनी उंगली उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी। वो मुझे खींचकर बिस्तर पर ले गई और अगले ही पल हम दोनों नंगी होकर एक दूसरी की चूत चूस रही थी।

कुछ पल बाद मुझे ऐसा लगा कि कहीं कुछ गलत हो रहा है मुझसे… मैं झटके से खड़ी हो गई और भाग कर बाथरूम में चली गई। मेरे अन्दर आग लगी थी पर मन में डर था। मैंने शावर खोल दिया…

अगले ही पल कामिनी भी बाथरूम में आ गई और मुझे सहलाते हुए शावर लेने लगी, हम एक बार फिर चिपक गए। मगर इस बार डर नहीं शरीर की जरूरत थी।

दस मिनट शावर लेने के बाद हम टॉवल लपेट कर बाहर आये, कामिनी अपने कपड़े पहन कर घर चली गई और मैं भी सो गई।

शाम को आँख खुली तो देखा पांच बजे हैं, फटाफट खाने की तैयारी में लग गई। कामिनी मुझे बहुत अच्छी लगी थी और सच बताऊँ तो मुझे राजीव भी मस्त आदमी लगा था।

मैंने सनी को फ़ोन किया कि आज रात को खाने पर कामिनी और राजीव को भी बुला लो। मैं गली के बाहर डेरी से पनीर ले आई और रात की तैयारी करने लगी।

कामिनी का फ़ोन आया और मुझसे बोली- बुरा तो नहीं लगा? मैंने कहा- बहुत बुरा लगा और ऐसा बुरा मैं रोज लगाना चाहती हूँ। यह सुनकर कामिनी बहुत जोर से हंसी और बोली- वादा रहा!

कामिनी बोली- अभी राजीव का फ़ोन आया है कि उससे सनी ने रात को खाने पर आने को कहा है। पर राजीव का कहना है कि डिनर का ड्रेस कोड होना चाहिए। कामिनी ने मुझसे पूछा कि मैं क्या ड्रेस पहनना चाहती हूँ, वो ड्रेस कामिनी मुझे भेज देगी।

मुझे राजीव के सामने उल्टा सीधा पहनने में शर्म आ रही थी तो कामिनी ने मुझे समझाया कि अब हम सब दोस्त हैं, और जब एक बार राजीव से घुल मिल जाओगी तो अटपटा नहीं लगेगा।

खैर मैं कामिनी के कहने पर फ्रॉक पहनने को तैयार हो गई, जो कामिनी ने मुझे छत पर बुला कर दे दी। उसने मुझे बता दिया कि जेंट्स को लुंगी और टी शर्ट पहननी है। मुझे बड़ा मजा आया वो फ्रॉक पहन कर देखने में!

कहानी जारी रहेगी। [email protected]