मौसी की चूत में गोता -8

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अब तक आपने पढ़ा था..

मैं मौसी की नाइटी के अन्दर घुस गया और फिर नाईटी को गिरा दिया और इस तरह कि पीछे से किसी को पता भी नहीं चले कि कोई उनकी नाइटी में घुस कर नदी में आग लगाने की कोशिश कर रहा है।

अब आगे..

फिर मैं अपने दोनों हाथों से उनकी रान को पकड़ कर खूब मसलने लगा और वो कसमसाने लगीं.. और मुझसे बोलीं- आशीष ये क्या कर रहे हो.. निकलो अन्दर से.. कमरे में जाकर लेटो.. मैं काम ख़त्म कर के आती हूँ।

तो मैंने कहा- तुम चुपचाप अपना काम करो.. और मुझे मत बताओ कि मुझे क्या करना है। ये मैंने आदेश देने वाले स्वर में कहा.. तो मौसी मेरी हिम्मत को देखते हुए कहा- तुम मुझसे कैसे बात कर रहे हो?

वे मुझे हटाने लगीं.. तब मैं निकलकर खड़ा हो गया और बोला- साली रंडी.. यहाँ चुदने से क्या हो जाएगा.. छिनाल चुपचाप से खड़ी रह.. नहीं तो तेरी चूत में अपना पैर डाल दूँगा.. तब तुझे पता चलेगा।

मौसी मुझे अचंभे से देखती हुई बोलीं- तुम ये क्या बोल रहे हो?

मैं बोल पड़ा- मुझे सब पता है साली कुतिया.. जब तू गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदती है.. तब तो बड़े मज़े लेकर चुदवाती है.. तब तुझे क्या हो जाता है? इसलिए मुझे डिस्टर्ब मत कर.. और मैं जो कर रहा हूँ वो करने दे। वैसे भी जो औरत बिल्कुल रंडी बनकर चुदाई में साथ देती है.. उससे मर्द और उनका लण्ड हमेशा खुश रहता है।

कहकर मैं फिर से उनकी नाईटी में घुस गया और फिर मैं पैन्टी के ऊपर से उनकी बुर को चाटने लगा, वो तड़फने लगीं..

मैं लगातार चाट रहा था तो कुछ ही मिनट में उनकी चूत से पानी निकलने लगा.. और मैं उसे चाटने लगा। फिर 5 मिनट के बाद मैंने उनकी पैन्टी निकाल दी और उनकी नंगी चूत का पानी पीने लगा और चूत को चाटता ही रहा।

पांच मिनट के बाद मैंने अपने दोनों हाथ से उनकी चूत को फैलाक़र अपनी लपलपाती जीभ उसमें डाल दी.. मेरे ऐसा करते ही उनके पैर कांपने लगे और वो मदमस्त होने लगीं। उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

‘आअहह.. आशीष और अन्दर डालो अपनी जीभ.. बेटा पी जाओ मेरा पूरा पानी। कुछ ही मिनट के बाद वो अचानक मुझे हटाने लगीं.. तो मैंने कहा- क्या हुआ?

वो बोलीं- एक मिनट रूको मुझे मूतकर आने दो। मैंने कहा- तुम मेरे मुँह में धीरे-धीरे मूतो।

वो पूरी आँख खोलकर अचंभे से मुझे देखकर बोलीं- बेटा ये क्या बोल रहे हो.. ऐसा कहीं होता है? मैं बोला- जितना बोलता हूँ.. उतना कर.. वरना..!

मेरी धमकी के बाद वो बिना कुछ बोले मेरे मुँह में सिसकारियाँ लेते हुए मूतने लगीं.. और मैं भी उनकी मूत से निकलने वाली गर्म-गर्म सूसू को पूरा पी गया। उनकी चूत से निकलने वाली ‘फस.. फस..’ करती हल्की सीटी जैसी आवाज़ ने मेरे लौड़े को पूरे शवाब पर पहुँचा दिया और मैं और भी मदहोश होने लगा।

उनके मूत से मेरा चेहरा और शरीर भी भीग चुका था.. लेकिन मैं फिर भी नहीं रुका और अपनी जीभ से उनकी चूत को चोदता ही रहा और कुछ मिनट चोदने के बाद उन्होंने मेरे सर को ज़ोर से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं और उनकी चूत ऐंठने लगी।

वो मेरे मुँह में झड़ने लगीं.. यह उनका पहला मौका था.. जब वो बिस्तर के अलावा कहीं और रंडियों की तरह झड़ने का सुख ले रही थीं।

फिर मैं उनका पानी आधा पी गया और खड़े होकर आधा उनके मुँह में डालते हुए उन्हें भी उनके पानी का टेस्ट कराया.. जिसे वो पूरा पी गईं।

मैं सोफे पर लेट गया और वो बाथरूम जाने लगीं.. तो मैंने कहा- कहाँ जा रही है री कुतिया.. तू तो झड़ गई.. तुझे मेरा ख़याल है कि नहीं? मौसी बोल पड़ीं- मैं मूत कर आती हूँ।

मैं अपना मुँह खोल कर उन्हें देखने लगा.. वो समझ गईं और फिर मेरे मुँह पर अपना चूत सैट करके बैठ गईं और धीरे-धीरे मेरे मुँह में मूतने लगीं और मुझे अपना मूत पीते देखकर मज़ा लेने लगीं। मैं भी उनका पूरा मूत पी गया और वो बहुत खुश थीं।

अब वो बोलीं- लो चोद लो मुझे.. तो मैंने कहा- साली मैंने तुझे तैयार करके तेरा पानी निकाला और झड़वाया और तू कमीनी मुझे चोदने को बोल रही है।

मौसी ने कहा- बोलो कैसे करूँ तुम्हारी सेवा? मैंने कहा- अब तू सही बात कर रही है.. तू पूरी कुतिया बन जा और पहले मेरा मूत पी.. कितनी देर से रोक कर रखा है। मौसी ने कहा- आशीष ऐसा मत करो.. मुझे मूत मत पिलाओ।

मैंने कहा- साली कुतिया रंडी.. तेरा मूत क्या अमृत था जो तू मुझे मज़ा लेकर पिला रही थी.. चुपचाप मेरा मूत पी.. नहीं तो तेरी चूत फाड़ दूँगा। तो मौसी डर गईं.. और बोलीं- लाओ पिलाओ।

मैंने पहली बार अपनी मौसी को बिल्कुल रंडी की तरह पकड़ा और बोला- साली बार-बार ये क्या कर रही है और नाटक करती है छिनाल.. चुपचाप खुद लण्ड निकालकर मेरा मूत पी और एक बूँद भी नीचे गिरा तो सोच लेना.. मैं तेरी क्या हालत करूँगा।

यह सुनकर मौसी ने मेरा पैन्ट खोल दिया और अंडरवियर भी निकाल दिया। फिर मेरे लम्बे लण्ड को ऐसे निहारने लगीं.. जैसे पहले कभी देखा ही नहीं हो। लेकिन दिन के उजाले में इस तरह से देखने में मज़ा तो आता है।

फिर उन्होंने मेरी ओर देखा लेकिन रहम की कोई उम्मीद ना देखकर अपना मुँह खोल दिया और मैं उनके मुँह में मूतने लगा और वो पीने लगीं और मैंने अपना पूरा मूत उन्हें पिला दिया।

फिर मैंने उनसे कहा- टॉफी की तरह मेरे लण्ड को चूसती रहो।

तो मौसी मेरे लण्ड को मजे चूसने लगीं.. उनकी मुँह की चुसाई से मैं इतना मदहोश हो गया कि इस बार में कुछ ही मिनट के बाद ही उनके मुँह में झड़ गया.. जिसे वो पीना नहीं चाहती थीं.. लेकिन मैंने उन्हें पीने पर मजबूर कर दिया।

रात के 8 बज रहे थे.. मौसी ने मुझसे कहा- आज मैं बहुत थक गई हूँ.. तुम जाकर होटल से खाना ले आओ। मैंने कहा- ठीक है।

मैं खाना लाने के लिए चल पड़ा।

मैंने अच्छा खाना पैक करा लिया.. और खाना लेकर घर वापस आ गया, हम दोनों ने खाना खाया।

लाली मौसी उसके बाद तैयार होने चली गईं। करीब बीस मिनट के बाद उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहने लगीं- मेरे पतिदेव लो मना लो.. अपनी पत्नी के साथ सुहागरात..

मैंने कहा- लेकिन तुम तो पहले से चुदवा चुकी हो.. तो मेरे लिए क्या बचा है? तो उन्होंने हँसते हुए कहा- मैंने तो तुम्हें ये बात पहले ही कही थी।

तब मैंने कहा- सुहागरात तो मैं जरूर मनाऊँगा और खून भी निकालूँगा। तो मौसी बोल पड़ीं- वो तो सिर्फ़ पहली चुदाई में निकलता है और वो तो मेरी हो चुकी है।

तब मैंने अपनी आँखों में शरारत भरते हुए कहा- तुम्हारे पीछे का छेद तो कुंवारा है.. इसलिए आज मैं अपनी सुहागरात में अपनी पत्नी की गाण्ड मारूँगा। मौसी एकदम से चौक पड़ीं और कहा- नहीं आशीष.. ऐसा मत करो वो भी कोई करता है क्या.. प्लीज़..

मैंने कहा- हाँ उधर भी लण्ड डाला जाता है.. अगर तुम प्रेम से मानी.. तो तुम्हें दर्द कम होगा.. नहीं तो पूरी बेदर्दी से तेरी गाण्ड आज कुत्ता बनाकर मारूँगा और तू आज की रात मेरी कुतिया बनेगी।

लाली मौसी डर के मारे कांप रही थीं और कांपते होंठों से उन्होंने कहा- ठीक है मार लो मेरी गाण्ड.. लेकिन थोड़ा धीरे करना आशीष। मैंने मज़ाक किया- मुझे करना क्या है?

वो बोलीं- शैतान कहीं का.. तू तो ऐसे कह रहा है कि जैसे कुछ जानता ही नहीं। मैंने कहा- मुझे कुछ नहीं मालूम है।

लाली मौसी ने मुस्कुराते हुए कहा- पहले मुझसे प्यार की दो बातें करो ना.. उसके बाद अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेना.. फिर अपना औज़ार मेरे छेद में बहुत ही धीरे-धीरे घुसाना.. जल्दी मत करना.. नहीं तो मुझे बहुत दर्द होगा और मैं चिल्लाऊँगी।

मैंने कहा- तुम्हारी चीख में ही तो मज़ा है जानेमन.. देखना ये है कि आज मेरी कुतिया अपने कुत्ते को खुश करती है.. या फिर दूसरी कुतिया खोजना होगी।

तो मौसी बोल पड़ीं- तेरी ये कुतिया ही काफ़ी है अपने कुत्ते के लण्ड को संतुष्ट करने के लिए। ‘ओहो..’

फिर मौसी बोलीं- समझ गए ना.. मैंने कहा- हाँ.. मैं समझ गया। लाली मौसी ने कहा- अब कर.. जो करना है।

मैं बिस्तर पर आ गया.. लाली मौसी बिस्तर पर बैठी थीं.. मैं भी भी उनके बगल में बैठ गया। मैंने उनसे पूछा- मैं तुम्हें पसंद हूँ? मौसी ने अपना सिर ‘हाँ’ में हिला दिया।

मैंने कहा- ऐसे नहीं.. बोल कर बताओ। लाली मौसी ने शर्माते हुए कहा- हाँ मेरे बदमाश कुत्ते..

‘मौसी तुम्हें मेरा लण्ड कैसा लगता है?’ इस पर मौसी कुछ नहीं बोलीं तो मैंने कहा- अगर तुम कुछ नहीं बोलोगी.. तो मैं बाहर चला जाऊँगा।

इतना कह कर मैं खड़ा हो गया.. तो मौसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं उनके बगल में बैठ गया, मैंने कहा- अब बताओ.. वो कहने लगीं- अच्छा लगता है.. और सच कहूँ तो इतना बड़ा और ख़ासकर मोटा लण्ड मैंने अपनी आज तक की जिंदगी में नहीं देखा है।

मैंने कहा- तुम्हारा ये कुत्ता पति जब अपना लण्ड तुम्हारी गाण्ड में अन्दर घुसाएगा तब तुम्हें बहुत दर्द होगा। लाली मौसी ने कहा- मैं अपने कुत्ते से गुज़ारिश करती हूँ कि वो अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा ले।

मैंने कहा- मौसी अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा लौड़े को देखना चूसना और अपनी चूत और गाण्ड में लेना पड़ेगा। उसके बाद मैंने अपनी पैन्ट और चड्डी भी उतार दी।

मेरा गधे जैसा लंबा और खूब मोटा लण्ड फनफनाता हुआ बाहर आ गया, मैंने अपना लण्ड मौसी के चेहरे के सामने कर दिया।

मौसी ने शर्माते हुए बिल्कुल नई दुल्हन की तरह तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देखा और शर्माते हुए बोलीं- तुम्हारा बहुत बड़ा है.. इसलिए डर लगता है।

इतना कह कर उन्होंने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया। मैंने मौसी का हाथ पकड़ कर उनके चेहरे पर से हटा दिया और कहा- शर्माती क्यों हो.. जी भर कर देख लो इसे.. अब तो हमेशा तुम्हें मेरा लौड़ा देखना भी है और उसे अपने छेद के अन्दर भी लेना है।

मौसी के साथ सुहागरात का मजा आप सभी अगले भाग में पूरे विस्तार से लिखने वाला हूँ.. आप बस हाथ से हिलाते रहिए.. और उंगली से चूत को चोदती रहिए.. बस कल मिलता हूँ।

आपके ईमेल मिल रहे हैं और भी भेजिए इन्तजार रहेगा। [email protected]

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