मौसी की चूत में गोता -10

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अब तक आपने पढ़ा था..

मैं मौसी के साथ सुहागरात में उनकी कुंवारी गाण्ड को खोल रहा था। मैंने कुछ देर रुक कर फिर से बहुत ही ज़ोर का एक धक्का और मारा तो मौसी अपने हाथों को जोर-जोर से बिस्तर पर पटकने लगीं। उन्होंने अपने सिर के बाल नोंचने शुरू कर दिए और बहुत ही जोर-जोर से आयं-बायं बकने लगीं।

अब आगे..

अब तक मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में बहुत अन्दर तक घुस चुका था। मैंने पूरी ताक़त के साथ फिर से ज़ोर का धक्का मारा तो वो बहुत जोर-जोर से रोने लगीं.. लग रहा था कि जैसे वो मर ही जाएंगी।

मैं रुक गया.. इस धक्के के साथ मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में शायद जड़ तक घुस चुका था। मैंने अपना लण्ड एक झटके से बाहर खींच लिया, ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड बाहर आ गया।

मैंने देखा कि उनकी गाण्ड का मुँह खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लण्ड पर और उनकी गाण्ड पर लगा हुआ था।

मैंने तेल की शीशी उठाई और मौसी की गाण्ड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया। उनके बाद मैंने फिर से अपना लण्ड धीरे-धीरे उनकी गाण्ड में घुसा दिया। जब मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया तो मैंने पूरी ताक़त के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिए।

वो जोर-जोर से चिल्लाने लगीं- मम्मी.. तुमने मुझे कहाँ फसा दिया.. मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो.. बचा लो मुझे.. नहीं तो ये मुझे मार डालेगा। मैंने कहा- अब चुप हो जाओ.. मेरा पूरा लण्ड अब घुस चुका है।

वो कुछ नहीं बोलीं.. केवल सिसक-सिसक कर रोती रहीं, मैं अपना लण्ड उनकी गाण्ड में ही डाले हुए थोड़ी देर तक रुका रहा।

धीरे-धीरे वो कुछ हद तक शांत हो गईं। मैंने जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए तो मौसी फिर से चीखने लगीं। वक़्त गुज़रता गया और वो धीरे-धीरे शांत होती गईं।

कुछ नही देर में जब वो एकदम शांत हो गईं.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी। अब उनके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी ‘आह..’ ही निकल रही थी।

मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी।

तेल लगा होने की वजह से मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मौसी को भी अब कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था।

मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेज़ी के साथ उनकी गाण्ड मार रहा था। मैंने देर तक उनकी गाण्ड मारी और फिर झड़ गया, लण्ड का सारा पानी उनकी गाण्ड में निकाल देने के बाद भी मैं उनकी गाण्ड में ही अपना लण्ड डाले रहा और उनके ऊपर ही लेट सा गया।

मैंने मौसी से पूछा- कुछ मज़ा आया? वो बोलीं- बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो कि मज़ा आया।

मैंने कहा- मेरी कसम है तुम्हें.. सच-सच बताओ.. क्या तुम्हें ज़रा सा भी मज़ा नहीं आया? लाली मौसी ने शर्माते हुए कहा- पहले तो बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन बाद में मुझे थोड़ा-थोड़ा सा मज़ा आने लगा था.. कि तुम रुक गए।

मैंने कहा- अभी थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो जाएगा, उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गाण्ड मारूँगा। वो बोलीं- नहीं.. अभी रहने दो। मैंने कहा- अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ।

मैंने अपना लण्ड मौसी की गाण्ड में ही डाले रखा और उनकी चूचियों को मसलता रहा। कुछ देर में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया.. तो मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी।

अब उनके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी ‘आहें’ ही निकल रही थीं।

थोड़ी ही देर में उन्हें मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियाँ लेने लगीं। मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है? वो बोलीं- अब अच्छा लग रहा है।

अब मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी.. तो थोड़ी ही देर में वो ज़ोर की सिसकारियाँ भरने लगीं।

मुझे भी उनकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आ रहा था। देर तक मैंने उनकी गाण्ड मारी और फिर झड़ गया।

मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से बाहर निकाला और उनके बगल में लेट गया। मैंने मौसी के होंठों को चूमते हुए पूछा- कैसा लगा?

वो बोलीं- इस बार कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया। मैंने कहा- धीरे-धीरे तुम्हें ज़्यादा मज़ा आने लगेगा।

मैंने तो बहुत मेहनत से मौसी की गाण्ड मारी थी।

मौसी ने मुझे देखकर अपनी गाण्ड के छेद की तरफ इशारा करते हुए कहा- बहुत दर्द हो रहा है।

उनकी गाण्ड खून से लथपथ थी.. मैंने अभी तक अपना लण्ड साफ नहीं किया था, मेरा लण्ड भी खून से भीगा हुआ था।

फिर मैंने गरम पानी से मौसी की गाण्ड की सिकाई की.. उसके बाद मैंने मुस्कुराते हुए मौसी से कहा- मौसी हमने मिलकर मैदान मार लिया है। उसके बाद मैंने मौसी की चूत पर हाथ लगाते हुए कहा- अभी तो इस छेद में फिर से लण्ड अन्दर लेना है।

मौसी को गाण्ड में बहुत दर्द हो रहा था, मेरी बात सुनकर वो गुस्से में आ गईं, उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- एक छेद का दर्द दूर हो जाने दो.. तब फिर चूत में देना.. वैसे भी तुम इसका मज़ा तो ले ही चुके हो.. कल से कई बार ले चुके हो। मैं अब किसी छेद में तुम्हारा लण्ड अन्दर नहीं लूँगी.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने निगाह बदलते हुए कहा- रुक साली कुतिया की औलाद.. तू मुझे मना करती है।

ये कहकर मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत पर रखा और इतना ज़ोर का धक्का मारा कि पूरा का पूरा लण्ड मौसी की चूत में समा गया। मौसी चीखते हुए आँखें फाड़े देखती रहीं।

उसके बाद मैंने मौसी की चुदाई शुरू कर दी। कुछ मिनटों की चुदाई के बाद मौसी झड़ गईं और कहा- अब बस भी करो बेटा.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैंने कहा- आज की रात मेरी सुहागरात है और तेरी चूत का पानी तो अभी कई बार निकलेगा।

मैंने लाली मौसी को काफी देर तक खूब जम कर चोदा.. लण्ड का सारा पानी लाली मौसी की चूत में निकाल देने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

मैं लाली मौसी के बगल में लेट गया, मौसी मेरे लण्ड को देखती रहीं। थोड़ी देर बाद वो बोलीं- तुम्हारा लण्ड अब खड़ा क्यों नहीं हो रहा है? मैंने कहा- अभी जब तू उठकर मेरा लण्ड चूसेगी.. तो खड़ा होकर फिर से तेरी चूत को सलामी देगा।

मौसी ने अपना हाथ धीरे से मेरे लण्ड पर रख दिया। थोड़ी देर तक वो मेरे लण्ड को देखती रहीं। उनके बाद उन्होंने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया।

मेरा लण्ड फिर से मौसी की चूत को काटने के लिए साप बनकर खड़ा होने लगा, मैंने देखा कि उनकी आँखें कुछ गुलाबी सी होने लगीं। लण्ड खड़ा होते देख लाली मौसी जोश में आ गईं.. और मुझसे बोलीं- लो तुम्हारा लण्ड खड़ा हो गया.. अब काम पर लग जाओ।

उसके बाद मैंने भी सोच लिया कि इस बार मौसी को किसी दुश्मन की तरह खूब जम कर चोदूंगा। मैंने अपने सूखे लण्ड को मौसी की चूत पर रखा तो मौसी ने कहा- ऐसे नहीं.. मैं बताती हूँ।

अब मौसी पर भी चुदाई का नशा चढ़ चुका था और उन्होंने कहा- अपना हाथ मेरे पैरों के नीचे से डाल कर मेरे कंधे को ज़ोर से पकड़ लो। उसके बाद अन्दर लौड़ा घुसाओ।

मैंने लाली मौसी के पैरों के नीचे हाथ डाल कर मौसी के कंधे को ज़ोर से पकड़ लिया। लाली मौसी ने कहा- अब जैसा मैंने तुझे समझाया था ठीक उसी तरह अन्दर घुसा दे।

मैंने मौसी के चूत के मुँह पर अपने सूखे लण्ड का सुपारा रख दिया। जैसे ही मैंने धक्का लगाया.. तो मौसी के मुँह से केवल ‘गूं..गूं.’ की आवाज़ ही निकल पाई। लाली मौसी मुझसे बोलीं- घुसा दे जल्दी से पूरा का पूरा।

मैं तो ताकतवर था ही.. मैंने अपनी सारी ताक़त लगाते हुए फिर से एक धक्का मारा। मौसी अपने हाथों को जोर-जोर से बिस्तर पर पटकने लगीं। उनकी सारी की सारी चूड़ियाँ टूट गईं और उसका हाथ लहू-लुहान हो गया। मुँह दबा होने की वजह से उनके मुँह से केवल कोई आवाज़ ही नहीं निकल पा रही थी।

मैंने फिर से एक धक्का लगाया.. इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड लाली की चूत में बहुत अन्दर तक घुस गया।

मौसी दर्द से तड़प रही थीं। उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे। मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लण्ड और अन्दर घुस गया। मैंने गहरी सांस लेते हुए फिर से ज़ोर का धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा पूरा का पूरा लण्ड मौसी की चूत में समा गया।

मैंने तुरंत अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल कर एक ही झटके में फिर से अन्दर कर दिया। मैंने वैसा ही किया.. मौसी बोलीं- आज ही मार डालेगा.. तो कल से किसे चोदेगा? मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. तू बस नाटक कर रही है।

ये कहकर ठीक उसी तरह से 4-5 बार फिर से वैसा ही किया.. मौसी तड़पने लगी थीं।

उनका सारा बदन पसीने से नहा गया था.. उनकी साँसें बहुत तेज चल रही थीं और सारा बदन कांप रहा था।

मैंने मौसी की चुदाई शुरू कर दी। मौसी अभी भी अपना मुँह दबाए हुए थीं। उनके मुँह से ‘गूँगूँ’ की आवाज़ निकल रही थी। उनकी चूत ने मेरे लण्ड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरा लण्ड आसानी से उनकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। पूरी ताक़त के साथ मैं देर तक उनकी चुदाई करता रहा। मौसी अब कुछ हद तक शांत हो चुकी थीं।

फिर कुछ देर बाद लाली मौसी सिसक सिसक कर रोते हुए कहने लगीं- तुमने और तुम्हारे इस लौड़े ने मिलकर मुझे मार ही डाला.. बहुत दर्द हो रहा है। मैंने कहा- अब तो पहले जैसा दर्द नहीं है ना.. वो बोली- नहीं.. अब पहले से बहुत कम है। ‘थोड़ा सबर करो.. अभी बाकी का दर्द भी चला जाएगा..’

मैं तेज़ी के साथ उनकी चुदाई कर रहा था.. पर अब वो चीख नहीं रही थीं.. केवल ‘आहें..’ भर रही थीं।

मैंने उन्हें कुछ देर तक और चोदा तो लाली मौसी झड़ गईं। उनकी चूत और मेरा लण्ड एकदम गीला हो गया। अब मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से उनकी चूत में अन्दर-बाहर होने लगा था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मौसी ने धीरे-धीरे सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दीं।

मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है मौसी? वो बोलीं- अब कुछ-कुछ मज़ा आ रहा है.. लेकिन दर्द अभी भी है।

मैंने कहा- अब इस दर्द को जाने में समय लगेगा.. क्योंकि जब तक मेरा लण्ड तेरी चूत को 8-10 बार चोद नहीं देगा.. और जब तक तुम्हारी चूत मेरे लण्ड के साइज़ की नहीं हो जाएगी.. तब तक दर्द होगा… फिर मजा ही मजा आएगा और ये दर्द भी अपने आप चला जाएगा।

अब मैंने और ज़्यादा जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए थे और उन्हें तेज़ी के साथ चोद रहा था। मौसी ने भी अब धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठाना शुरू कर दिए थे.. वो भी अब मस्ती में आ रही थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

फिर वो झड़ गईं। अब लाली मौसी मस्त हो चुकी थीं, मौसी ने उठकर मेरे होंठों को चूम लिया और कहा- अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

मैंने उनकी चुदाई जारी रखी.. और अभी दो मिनट भी नहीं गुज़रे थे कि मैंने कहा- मौसी अब तुम लण्ड को अपने दूसरे छेद में ले लो। वो बोलीं- फिर से दर्द होगा.. मैंने कहा- अब ज़्यादा दर्द नहीं होगा क्योंकि तुम मेरा लण्ड पहले ही अन्दर ले चुकी हो। वो बोलीं- ठीक है.. लेकिन धीरे-धीरे करना।

मैंने अपना लण्ड मौसी की चूत से बाहर निकाला और उनकी गाण्ड में घुसाने लगा। मेरे लण्ड पर मौसी की चूत का ढेर सारा पानी लगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में काफी अन्दर तक घुस गया।

उसके बाद जब मैंने और ज़्यादा घुसेड़ने की कोशिश की.. तो उन्हें फिर से दर्द होने लगा और वो चीखने लगीं। लेकिन इस बार उन्होंने मुझे रोका नहीं.. वो बोलीं- अब और ज्यादा मत घुसाओ.. दर्द हो रहा है। मैंने कहा- बस थोड़ा सा ही तो बाकी है.. उसे भी अन्दर ले लो।

वो कुछ नहीं बोलीं.. तो मैंने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया। मेरा बाकी का लण्ड भी उनकी गाण्ड में समा गया। वो ज़ोर से चीखीं तो मैंने कहा- बस हो गया।

उनके बाद मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी, थोड़ी देर चीखने के बाद वो शांत हो गईं, अब उन्हें गाण्ड मरवाने में भी मज़ा आने लगा था। लगभग 5 मिनट तक मैंने उनकी गाण्ड मारी.. तो मौसी ‘आहें’ भरने लगीं।

मैंने मस्ती में पूछा- क्यों री कुतिया.. अब बोल तुझे कैसा लग रहा है? तो मौसी भी मस्ती से बोलीं- कुतिया को अगर घोड़ा चोदेगा.. तो सोचो कि कैसा लगेगा.. भोसड़ी वाले तेरा लण्ड मेरे मुँह तक आ गया है.. तू ही सोच कि कैसा लग रहा होगा।

मैंने हँस कर कहा- अभी तो मेरे लण्ड का पानी ही नहीं निकला है। वो बोलीं- मैं मना थोड़े हो कर रही हूँ। अब तुम मेरी चूत में आकर अपना लण्ड डाल कर मुझे चोदो।

मैंने अपना लण्ड मौसी की गाण्ड से निकाल कर उनकी चूत में डाल दिया। उसके बाद मैंने पूरी ताक़त के साथ जोर-जोर से उनकी चुदाई शुरू कर दी। कुछ ही पलों में ही मौसी फिर से झड़ गईं।

मैं दो बार मौसी की गाण्ड मार चुका था और दो बार चूत चोद चुका था.. इसलिए अब मेरा लण्ड पानी निकालने का नाम ही नहीं ले रहा था।

थोड़ी देर बाद वो बोलीं- अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. थोड़ा और ज़ोर ज़ोर से धक्का लगा। मैंने कहा- हाँ.. अभी तुम्हें अपनी ताक़त दिखाता हूँ।

मैंने पूरा दम लगाते हुए बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए। लाली मौसी ने ‘आहें..’ भरते हुए कहा- हह..आ.. तेज़ी से चोद.. अपनी इस कुतिया को.. हाँ.. अब मुझे ज़्यादा मज़ा आ रहा है।

मौसी अब चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थीं, मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरा का पूरा सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था। कुछ देर की चुदाई के बाद मौसी फिर से झड़ गईं।

मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया.. तो उन्होंने मेरे लण्ड को तुरंत पकड़ लिया और कहने लगीं- बाहर क्यों निकाल रहे हो.. अभी मुझे और मज़ा लेना है। मैंने कहा- मैं तुम्हें अभी और मज़ा दूँगा.. अब तुम घोड़ी की तरह हो जाओ।

वो डॉगी स्टाइल में हो गईं.. तो मैं उनके पीछे आ गया। मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड में घुसा दिया और उनकी गाण्ड मारने लगा। वो जोश के मारे सिसकारियाँ भरने लगीं। देर तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से निकाल कर उनकी चूत में पेल दिया और उनकी चुदाई करने लगा।

मैं मौसी की कमर को पकड़ कर उन्हें बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा था। वो भी अपना चूतड़ आगे-पीछे करते हुए मेरा साथ देने लगी थीं। उनकी चुदाई करने के बाद मैंने अपना वीर्य उनकी चूत की गहराइयों में भरते हुए कई पिचकारी मारीं। मेरे शरीर की हर नस इतनी लंबी चुदाई के बाद थकने लगी थी।

जैसे ही मैं झड़ा तो मेरे साथ ही साथ मौसी भी फिर से झड़ गईं और मैं थक कर उनके ऊपर गिर गया और मेरा लण्ड मेरी मौसी के चूत के अन्दर ही था।

फिर पता नहीं हम कब वैसे ही सो गए।

सुबह जब मैं सोकर उठा तो देखा कि बिस्तर पर लाली मौसी नहीं हैं और फिर मैं वैसे ही नंगा हॉल में आया तो देखा कि मौसी नहा कर अपना सारा काम कर चुकी थीं और उनकी नाईटी जो उनके घुटने तक की थी.. वो पहने हुई थीं। इस ड्रेस में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं।

मैंने कहा- वाह मौसी.. तुम तो 18 साल की जवान लड़की को भी फेल कर रही हो। मौसी ने कहा- हट बदमाश तुझे हर वक़्त यही सब सूझता है।

बस उसके बाद यही सब होता रहा।

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