अठारह वर्षीया कमसिन बुर का लुत्फ़-4

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ऐशु रानी मन्त्रमुग्ध सी हमें देख रही थी, जैसे ही हमारी नज़रें चार हुईं रानी ने मुंह नीचे कर लिया, वो अभी भी शर्मा रही थी। मैंने बड़े ध्यानपूर्वक उसके जिस्म का मुआयना किया, उसके मस्त कमसिन शरीर के एक एक इंच को निहारा।

बहुत रेशम सी चिकनी थी हरामज़ादी। जैसा मैंने पहले वर्णन किया, छोटे छोटे, ताज़े ताज़े उभरे हुए चूचे और छोटी छोटी निप्पल जो उत्तेजना से अकड़ के सख्त हो गई थीं। लगता था यह हसीना मलाई से बनी है।

मेरा लौड़ा अकड़ के एक गुस्साए सर्प की भांति फुंकारने लगा।

मैंने रानी से पूछा- देख रानी लण्ड पूरा अकड़ गया है… साली तू है ही इतनी सेक्सी… तू लण्ड छूना चाहती थी न, ले अब छू के देख इस कसे हुए लौड़े को। लगे हाथों मैं तुझे इसके बारे में कुछ बता भी देता हूँ… देख ये तो मोटा फूला सा चमकता हुआ गोला है न, यह लण्ड का सुपारा, सुपारी या चौचक कहलाता है, इसको टोपा या टोपी भी कहते हैं, यह लौड़े का सबसे ज़्यादा सेंसिटिव भाग है। जब तू इसको छूएगी न तो इसमें बिजली दौड़ जाएगी… ले छू अब!

ऐशु रानी ने कुछ कहे बिना टोपे को धीरे से छुआ। बहनचोद… वास्तव में बिजली का एक झटका सा लगा जिसमें मेरा पूरा शरीर गरमा गया, सुपारा फूल के कुप्पा हो गया।

मैंने कहा- ऐशुरानी… ऐशुरानी… ऐशुरानी… इसको मुट्ठी में पकड़ और फिर देख कितना गर्म हो गया है।

ऐशुरानी ने लण्ड को मुट्ठी में पकड़ लिया। मैंने पूछा- हो रहा है न गर्म? उसने सर हिला के हाँ में उत्तर दिया।

मैंने कहा- थोड़ा सा कस के पकड़ न जान… चौचक पर जीभ लगाएगी? ले देख लगा के!

ऐशुरानी ने झुक कर जीभ बाहर निकली और उसकी नोक से हल्के से सुपारे को छुआ। आह आह आहा… मादरचोद मज़ा आ गया।

मैं बोला- अब इसको लॉलीपॉप के भांति चूस चूस के मज़ा ले। ऐशुरानी ने लौड़ा सचमुच में लॉलीपॉप जैसे चूसना शुरू कर दिया।

मैंने कहा कि ऐशुरानी लण्ड के नीचे जो मोटी सी नस है उसको दबा। ऐशुरानी ने वैसा ही किया और मैंने एक उंगली उसकी चूत पर फिराई तो उंगली बिल्कुल भीग गई, चूत अच्छे से रस बहा रही थी। स्पष्ट था कि यह चूत अब लौड़ा घुसवाने को व्याकुल थी।

मैंने यह भी सोचा कि यदि मैंने इसके मुंह में या इसके हाथ में झाड़ दिया तो इसको फिर चुदाई में मज़ा उतना नहीं आएगा। अभी यह बहुत गर्म हो चुकी है तो गर्म लोहे पर चोट करके इसकी चूत का उद्घाटन जल्द ही कर देना चाहिए।

यह विचार करके मैंने रानी की चुदाई जल्दी से कर देने का निर्णय लिया। ऐशुरानी की ठुड्डी ऊपर उठाकर उसकी बंद आँखों को चूमा, फिर उसके गालों को, फिर उसकी नाक की नोक पर जीभ फिराई।

उसके बाद मैंने ऐशुरानी को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया और उसका एक चूचा मुंह में ले लिया। चूचा छोटा था इसलिए पूरा का पूरा मुंह में समा गया। मैंने पहली बार किसी लड़की का चूचा पूरा मुंह में लिया था क्यूंकि इसके पहले किसी लड़की की चूची इतनी छोटी नहीं थी ही नहीं। इसकी चूचियाँ कुछ देर से उभरनी शुरू हुई थीं इसलिए अभी अभी छोटी थीं। कोई नहीं हरामज़ादी जब रोज़ चुस्वाएगी तो चुचूक तेज़ी से बड़े होंगे।

मैं हुमक हुमक के रानी के मस्त चूचे बारी बारी से चूसने लगा, मेरे हाथ उसकी पीठ को प्यार से सहलाने लगे, मेरी उंगलियाँ बहुत हल्के से छुआते हुए उसकी पीठ पर नाच रही थीं।

रानी बढ़ती हुई उत्तेजना से बार बार सिहर उठती थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और कुछ ही देर में ज्यों उसकी उत्तेजना बढ़ी, उसने मुझे कस के जकड़ लिया, उसने नाख़ून भी पीठ में गड़ा दिए।

लड़कियों को तेज़ तीखे नाख़ून गाड़ के पीड़ा देने में बहुत अच्छा क्यों लगता है मालूम नहीं परन्तु हर रानी करती ऐसा ही है।

चूचे चूसे जाने से आते हुए आनन्द में अब रानी के मुंह से धीमी आवाज़ में सी सी सी सीत्कार निकलने लगे। कभी तेज़ी से कंपकंपा जाती तो हाय करती।

उसकी बढ़ती हुई चुदास और चुदासी होने पर निकलती ये मादक ये आवाज़ें मेरी हवस भी बेतहाशा बढ़ाये जा रही थीं, लण्ड उछल उछल के पागल हुआ पड़ा था, चूत से रस निकल के मेरी जांघें भिगोने लगा था।

तभी मुझे ध्यान आया कि रीना रानी तो सोयी पड़ी है, उस बेचारी ने इसको मेरी रानी बनने में इतनी मुख्य भूमिका निभाई तो यह नथ खुलवाई देखने का तो उसका हक़ बनता है।

मैंने रीना रानी का बाज़ू पकड़ के झिंझोड़ा तो हरामज़ादी हड़बड़ा के उठी, उनींदी आवाज़ में बोली- क्या राजे तू मुझको सोने भी नहीं देता… तंग न कर प्लीज़ बहुत थकान है… बड़े ज़ोर से नींद चढ़ी हुई है!

मैं उसके चूचियाँ दबाते हुए बोला- रानी सुन अब इस नई चूत का उद्घाटन होने को है… तू यह दृश्य नहीं देखेगी क्या? यह दिखाने को ही जगाया है कुतिया.. नहीं देखना तो जा मां चुदा और सो जा!

यह सुनते ही रीना रानी की नींद उड़न छू हो गई, एकदम चौकन्नी हो गई हरामज़ादी- बहनचोद, यह नज़ारा तो मैं कभी न छोड़ूं कमीने.. अगर तूने इसको मेरे सोते हुए चोद दिया होता ना राजे तो देख ले हरामी तेरी मां चोद देती मैं… तेरी गांड फाड़ देती कुत्ते!

इतना कह के रीना रानी उठी और हमारे नीचे हाथ फिरा के कुछ देखने लगी। फिर उसने अपने कूल्हों पर हाथ रखे और आँखें तरेर के बोली- मादरचोद चूत के नीचे तौलिया नहीं ना लगाया… भोसड़ी के, चूत फटने पे जो खून निकलेगा उसका चादर पे दाग जो लगेगा तो ये कुतिया क्या बताएगी अपनी मां को?

मैं बोला- कह देगी कि मेरी माहवारी शुरू हो गई।

तभी ऐशु रानी बीच में बोली- मेरे पीरियड्स तो अभी चार दिन पहले ही होके चुके हैं।

मैंने खीज के कहा- तो बहनचोद तेरी मां को क्या पता कब शुरू हुए और कब ख़त्म?

इस पर रीना रानी ने डांट लगाते हुए कहा- बहन के लौड़े, तुझे पता नहीं कमीने कि मम्मियों को अपनी बेटियों का सब पता रहता है कि कब माहवारी शुरू हुई, कब बंद हुई.. रुको दो मिनट कमीनों… मैं तौलिया लेकर आती हूँ।

रीना रानी बाथरूम से अपना टॉवल ले आई और उसकी चार तह करके चूत के नीचे सेट कर दिया। ‘अब ठीक है… राजे अब खोल दे इस कुतिया की नथ… हरामज़ादी बहुत देर से सब्र किये बैठी है मां की लौड़ी!’

मैंने सोचा कि सबसे पहले एक बार इस अनचुदी कुंवारी कमसिन बुर को चूसने का आनन्द तो उठा लूँ, थोड़ी देर चूस लेता हूँ। थोड़ा स्वाद चख लेता हूँ फिर इसको फाडूंगा।

यह ठान कर मैं उठा, रानी को बिस्तर पर बैठा कर नीचे फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया। ऐशु रानी की टाँगें अपने कन्धों पर टिकाई और उस सुहावनी बुर के होंठों से मुंह लगा दिया।

ऐशु रानी के चूतप्रदेश में झाँटें नई नई उगनी शुरू हुई थीं, बहुत ही बारीक बाल थे जिनको जीभ से चाटने पर महसूस किया जा सकता था परन्तु अभी सरसरी निगाह से दिखाई नहीं पड़ते थे।

उन प्यारी सी महीन झांटों पर मैंने खूब जीभ फिराई। रानी को भी बहुत मज़ा आया शरीर के उस भाग को चटवाने में। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

थोड़ी देर जब मैं अच्छे से चाट चुका तो मैंने रानी की अछूती बुर में जीभ घुसा दी ‘आह आहा आहा… आह अहा आह आहा आहा… बेटीचोद आनन्द आ गया…

मैंने एक कुत्ते की तरह सुड सुड करते हुए बुर को सूँघा और फिर जीभ घुमा घुमा के रानी की चूत के रस का मज़ा लेना लगा।

उधर रीना रानी क्यों पीछे रहती, हराम की ज़नी ने रानी के चुचूक पर हमला बोल दिया,सुडक सुडक सुडक की आवाज़ के साथ वो चुचूक चूसने लगी।

चूत में जीभ की कलाकारी से ऐशु रानी मस्ती से हिल उठी, अनायास ही उसने मेरे बाल जकड़ लिए और धीरे धीरे चूतड़ हिला हिला कर चूत चुसवाने लगी।

चूत से रस तो न जाने कब से निकल रहा था, मैंने भी खूब चटखारे लेते हुए पिया। जीभ पूरी चूत में नहीं जा पा रही थी। रानी की कमसिनी का पर्दा जो था रास्ते में, मगर मैं उसे जीभ से नहीं तोड़ना चाहता था।

काफी देर तक मैं यूँही चूसे गया और रानी भी चुसवाने का आनन्द उठाती रही।

रीना रानी उसके चूचों का मज़ा लूट रही थी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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