मेरी कामाग्नि : अपने बेटे के लिए-2

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दोस्तो, अन्तर्वासना पर आपका फिर से स्वागत है। पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने रोहन को रंगे हाथों पकड़ा और फिर उसको हुई परेशानी को ख़त्म करने के लिए मैंने उसे खुद के साथ सेक्स करने की इजाजत दे दी थी।

अब आगे.. मेरा नंगा शरीर गाउन में से स्पष्ट दिख रहा था.. जिसे अब रोहन बिना नज़र हटाए निहार रहा था। वो आकर मेरे वक्ष से लग गया और मेरे उरोजों में अपने चेहरे को घुसा लिया। उसकी तेज गर्म सांसों को मैं अपने वक्ष उभारों पर महसूस कर रही थी।

वो मुझसे बोला- थैंक यू मम्मा… आप मेरे लिए यह सब कर रही हो। मैंने उसे कहा- मैं अपने बेटे के लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.. तुमसे इतना प्यार जो करती हूँ।

फिर मैंने उससे बोला- चल अब लेट जा.. मैं तेरे लण्ड पर दवाई लगा देती हूँ। वो उठकर बिस्तर पर लेट गया, मैंने उससे उसका बॉक्सर उतारने के लिए बोला.. तो वो बोला- मम्मी आप ही उतार दो ना प्लीज।

मैं उठकर उसके पास गई और फिर उसके बॉक्सर को उतारने लगी। उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी। फिर मैंने उसका बॉक्सर उतार दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगा था.. जैसा कि बचपन में मेरे सामने नंगा रहता था।

उसका लण्ड अभी पूरी तरह से खड़ा नहीं था.. पर गाउन के अन्दर से मेरा नंगा बदन देखकर वो खड़ा होने लगा और मैं उसे देखकर मुस्कुराने लगी।

पर उसकी नज़र तो मेरे नंगे बदन पर थी.. मैंने उससे पूछा- क्या हुआ? तो वो बोला- मम्मी आपने अन्दर ब्रा क्यों नहीं पहनी? मैंने हँसते हुए बोला- मुझे ब्रा पहनना पसंद नहीं है।

फिर वो बोला- मम्मी आपके गाउन में से आपके पूरे ‘वो’ दिख रहे हैं। मैंने पूछा- क्या पूरा दिख रहा है?

तो वो भी हँसने लगा और बोला- आपके बूब्स दिख रहे हैं। मैंने बोला- अब गाउन ही ऐसा है तो मैं क्या कर सकती हूँ। रोहन बोला- उससे अच्छा तो आप इसे उतार ही दो। और फिर हँसने लगा।

फिर मैं घुटनों के बल बैठ गई और रोहन ने बिस्तर के एक साइड से टिक कर अपनी टाँगें फैला दीं।

अब मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में ले लिया और फिर ट्यूब उठाकर उसके लण्ड के ऊपर लगाया और फिर उसकी मालिश करने लगी। मेरे हाथों का स्पर्श पाकर उसका लण्ड और मोटा हो गया।

अब मैं उसके लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करने लगी। रोहन के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

तभी वो बोला- मम्मी आप प्लीज अपना गाउन उतार दो। मैंने उससे पूछा- क्यूं.. क्या हुआ? वो बोला- अभी तो आप बोल रही थीं कि मेरे लिए कुछ भी कर सकती हो और अब इतना भी नहीं कर पा रही हो।

तो मैंने उसके लण्ड को छोड़ा और खड़ी हो गई। बिना कुछ बोले मैंने अपना गाउन उतार दिया… अब मैं उसके सामने केवल पैंटी में ही खड़ी थी।

वो मेरे नंगे कसे हुए मम्मों को घूरने लगा.. जिस पर मेरे तने हुए गुलाबी निप्पल्स चमक रहे थे। फिर मैं उससे बोली- अब ठीक है..

और फिर जाकर उसके पास बैठ गई.. पर उसकी नज़र तो बस मेरे मम्मों पर ही थीं।

मैं उसकी आँखों में मेरे प्रति उसकी हवस को साफ देख सकती थी। मैंने उससे बोला- क्या घूर रहा है मेरे मम्मों को? वो एकदम से होश में आया और बोला- कुछ नहीं।

मैंने फिर से उसके लण्ड को पकड़ा और उसकी मालिश करने लगी। मेरे नंगे मम्मों को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी और फिर तुरंत ही वो बोला- मम्मी मेरा निकलने वाला है।

मुझे पता नहीं एकदम क्या हुआ.. मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और फिर तुरंत ही वो झटकों के साथ मेरे मुँह में झड़ने लगा। मैंने उसका सारा पानी पी लिया।

मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से निकाल दिया। मैंने रोहन को देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।

मैं उसे देखकर बोली- क्या हुआ.. ऐसे क्यों देख रहा है? वो बोला- मम्मी, आप मेरा सारा पानी पी गईं।

तो मैं उसे देखकर मुस्कुरा दी, मेरी चूत भी अब गीली हो गई थी और मुझे भी अब चुदाई का मन हो रहा था.. पर मैं रोहन से तो ये बात नहीं बोल सकती थी।

रोहन अब झड़ चुका था और वो नंगा ही बिस्तर पर लेटा था। मैं भी उसके बगल से लेट गई। अब रोहन मुझसे आकर लिपट गया और मेरे स्तनों को अपनी छाती से दबा रहा था। मैं भी रोहन से लिपटी हुई थी।

फिर वो बोला- मम्मी क्या मैं आपके बूब्स छू सकता हूँ? तो मैंने उसे ‘हाँ’ बोल दिया।

अब वो उठा और मेरे मम्मों पर हाथ फेरने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मुझे भी उसकी ये हरकतें पसंद आने लगीं।

मैंने उसे बोला- अब बस भी कर.. क्या अब इन्हें निचोड़ ही डालेगा?

पर वो नहीं रुका और फिर वो मेरी चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगा और उन पर काटने लगा.. जिससे मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैं भी चुदास के कारण गर्म थी.. तो खुलकर रोहन साथ दे रही थी। मैंने देखा कि उसका लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था।

अब रोहन ने मेरे मम्मों को चूसना बंद किया और मुझसे बोला- मम्मी आपके बूब्स तो बहुत टाइट और मीठे हैं। इतना बोल कर वो फिर से मेरे मुँह के पास अपना मुँह लेकर आने लगा.. और देर न करते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर चूमने के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ा और मुझसे बोला।

रोहन- मम्मी आप बहुत सुंदर हो.. आई लव यू। मैंने भी रोहन के होंठों पर किस किया और ‘आई लव यू टू’ बोला।

फिर रोहन मुझसे बोला- मम्मी मुझे आपके साथ सेक्स करना है। मैंने उसको चिढ़ाने के लिए बोला- पागल हो गया है क्या.. अपनी मम्मी के साथ ऐसा करेगा?

मेरा यह जवाब सुनकर वो रोने लगा और बोला- मम्मी मुझे ऑपरेशन नहीं कराना.. इसीलिए मैं आपसे बोल रहा हूँ और फिर डॉक्टर ने भी तो बोला है।

मैंने उसे चुप कराया और उसे अपने नंगे सीने से लगा लिया और उससे बोली- अरे..रे.. मैं तो मजाक कर रही थी। फिर जाकर वो चुप हुआ।

उसने फिर से मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

अब वो उठा और मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी पैंटी को उतारने लगा.. जो कि बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उसने मेरी पैंटी को मेरी टांग उठाकर बाहर निकाल दिया।

अब मैं भी उसके सामने बिल्कुल नंगी थी। वो मेरी फूली हुई लाल चूत को सूंघने लगा और बोला- मम्मी मुझे आपकी चूत के पानी की खुश्बू बहुत अच्छी लगती है.. मैं आपकी पैंटी को अक्सर इसी वजह से चाटा करता हूँ।

मैंने उसे छेड़ते हुए बोला- पैंटी को चाट-चाट कर ही मन भर गया तेरा.. आज तो खुद झरना ही तेरे पास है.. जितना पानी पीना हो पी ले। मेरी बात सुनकर रोहन बोला- मम्मी आज मैं आपके इस मीठे पानी के झरने को खाली कर दूँगा।

फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा। क्यूंकि मैं बहुत देर से उत्तेजित थी.. तो मेरी चूत ने जल्दी पानी छोड़ दिया।

मैं बहुत जोरों से झड़ने लगी.. झड़ते वक्त मैंने रोहन के सिर को अपनी टाँगों के बीच फंसा लिया.. जिससे उसका मुँह मेरे रस से भर गया और मेरा पानी उसके मुँह के चारों तरफ लग गया।

वो वैसे ही उठा और मेरी पतली चिकनी कमर और पेट को चूमने और चाटने लगा.. जिससे उसके मुँह पर लगा हुआ पानी मेरे पेट पर लग गया। उसने मेरी नाभि में थूक दिया और फिर उसे अपनी जीभ से चाटने लगा।

मेरी कमर और पेट को चूमते वक्त मेरा बदन बुरी तरह से काँपने लगा था।

अब उसने मेरी टाँगों को फैलाया और अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर लगाया और अन्दर डालने लगा।

मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी, उसका लण्ड थोड़ा जाते ही उसे दर्द होने लगा और अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया। वो मुझसे बोला- मम्मी अब मैं क्या करूँ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा है।

तो मैं उठी और उससे क्रीम की लाने का बोला.. वो क्रीम ले आया।

मैंने उसे लेट जाने के लिए कहा और फिर उसके लण्ड को पकड़कर अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगी.. जिससे वो ठीक से गीला हो जाए।

थोडी देर बाद मैंने उसके लण्ड को मुँह से निकाला और उसके ऊपरी भाग पर ढेर सारी क्रीम लगा दी।

मैं उससे बोली- तुझे थोड़ा दर्द होगा। वो बोला- कोई बात नहीं मम्मी.. इतना तो मैं सह ही सकता हूँ।

फिर मैंने उसे नीचे ही लेटे रहने दिया और मैं उसके ऊपर आ गई। मैंने उसके लण्ड को पकड़ा और उसे अपनी चूत पर लगाया और ऊपर का थोड़ा हिस्सा अन्दर जाने के बाद मैंने उसके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया।

मुझे पता था कि रोहन के लण्ड की सील टूटने वाली है.. तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और उन्हें चूमने लगी.. जिससे अगर वो चिल्लाए तो उसकी आवाज़ वहीं दब जाए।

मेरे स्तन उसकी छाती को छू रहे थे और मैं उसके होंठों को लगातार चूमे जा रही थी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके लण्ड पर दबाब बनाने लगी और उस पर बैठने लगी। धीरे-धीरे उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में उतरने लगा।

उसे कितना दर्द हो रहा था.. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसने अपने हाथों में जकड़े हुए मेरे हाथों को जोरों से दबा दिया और मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर तक मैंने उसके लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और फिर मैंने अपने होंठों को चूमना छोड़ दिया। वो दर्द से कराह रहा था.. क्योंकि शायद उसके लण्ड की सील मेरी चूत के अन्दर ही टूट चुकी थी।

फिर मैंने अपनी चूत से रोहन के लण्ड को चोदना शुरू कर दिया। रोहन भी अब अपना दर्द भूलकर मुझे चोदने लगा, उसके मुँह से ‘आहह.. उहहह..’ की आवाजें आ रही थीं.. जो मुझे और भी मदहोश कर रही थीं।

मैंने अपने बालों को अपने गले के दायीं तरफ कर लिया और मैं उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होते हुए उसके सीने को चूमने लगी।

रोहन ने भी अब नीचे से तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए.. मैं भी कमर उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी। तेजी से चोदने के कारण मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मैं चिल्ला-चिल्ला कर रोहन को बोल रही थी- ओओहह.. रओहहहनन.. और चोदो मुझे.. आऊऊऊहह.. उउफ्फ… चोददद डाल्लो मुझे.. फक्क मीईईई रोअअह्हनन.. फक्क.. योर मॉमम्म्म..

मेरी सिसकारियाँ रोहन को बहुत उत्तेजित कर रही थीं और वो मुझे और तेजी के साथ चोदने लगा.. जिससे उसके लण्ड में और तेजी से दर्द होने लगा और वो जोरों से कराहने लगा.. पर उसने मुझे चोदना जारी रखा।

मेरा शरीर अकड़ने लगा और फिर मेरी चूत से मेरे पानी का फव्वारा बहने लगा.. जिससे रोहन का लण्ड और गीला हो गया।

अब उसका लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर वो झटकों के साथ मेरी चूत में ही झड़ने लगा। उसके लण्ड से निकला गर्म वीर्य मेरी चूत के कोने-कोने को भिगा रहा था.. जिससे मेरे शरीर में एक अलग सी सुरसुरी होने लगी थी।

फिर मैं रोहन के ऊपर वैसे ही लेट गई। उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था। झड़ जाने के बाद उसे दर्द का एहसास होने लगा। रोहन मुझसे बोला- मम्मी मेरे लण्ड में बहुत दर्द हो रहा है।

फिर मैं उठी और अपनी चूत से लण्ड को बाहर निकाला। रोहन का लण्ड मेरे और उसके दोनों के पानी से सना हुआ था। मेरी चूत में से भी अब रोहन का वीर्य बाहर आकर बहने लगा।

फिर मैंने रोहन का लण्ड देखा तो वो सूज चुका था और उसके लण्ड का सुपाड़ा खाल को खींचता हुआ बाहर आ गया था.. जिस वजह से उसकी खाल पर खिंचाव आ गया था और उसका लण्ड दर्द कर रहा था।

मैंने रोहन को बोला- अब तेरा लण्ड खुल चुका है और दो-तीन दिन में ये बिल्कुल ठीक हो जाएगा।

तो वो खुश हो गया और बोला- मम्मी थैंक यू.. आपकी वजह से ही मैं ठीक हो पाया हूँ। अगर आप ये सब ना करतीं तो मैं कभी ठीक नहीं हो पाता।

और ऐसा बोलकर वो मेरे मम्मों को दबाने लगा।

मैं हँसकर बोली- क्यों नहीं करती ये सब तेरे लिए.. मैं तेरा ध्यान नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा और आगे भी तेरे लिए ये सब करती रहूँगी।

फिर उसने मुझे लेटाया और फिर से मेरी चूत चाटने लगा.. मेरी चूत से निकलता हुआ उसका और मेरा वीर्य मेरी चूत से होते हुए मेरी गाण्ड की दरार में जाने लगा।

अब रोहन ने मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला.. तो मैं घुटनों के बल लेट गई और अब रोहन मेरी 36 साइज की चौड़ी और गोल गाण्ड को अपने हाथों से मसलने लगा। फिर वो अपनी जीभ से मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा.. जो कि चूत से निकले हुए पानी की वजह से गीली हो गई थी।

रोहन का लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था.. पर मैंने उससे बोला- अभी दो-तीन दिन तक कुछ मत करना.. वरना फिर और दर्द होगा। वो बोला- तब तक मैं क्या करूँगा?

तो मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में लिया और फिर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लण्ड को बाहर खींच लिया और फिर उसे मेरे मम्मों के बीच डालकर मेरे मम्मों से अपने लण्ड को रगड़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ने लगा। उसने अपना सारा वीर्य मेरे मम्मों पर ही गिरा दिया।

उसके बाद मैं नंगी ही उठकर बाथरूम गई और खुद को साफ करके वापस रूम में आ गई। रोहन भी वहीं पर लेटा हुआ था.. वो भी बिल्कुल नंगा।

मैंने घड़ी में टाइम देखा तो रात के ढाई बजे रहे थे। फिर मैं और रोहन आपस में चिपक कर सो गए।

जब तक मेरे पति और बेटी नहीं आ गए.. तब तक हम रोज एक-दूसरे को खूब चोदते और घर मैं नंगे ही घूमते थे। जब भी मन होता रोहन मुझे चोद देता था।

रवि के आ जाने के बाद भी मैं रोज मौका देखकर उससे चुदवा लेती थी। जब रवि सो जाते थे.. तो मैं रोहन के रूम में जाकर उसके साथ चुदाई करती थी और ये सिलसिला अभी तक जारी है।

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