जिस्मानी रिश्तों की चाह -5

यह कहते हुए मैं बाथरूम गया और वहाँ से हेयर आयल की बोतल उठा लाया। फिर मैंने कुछ तेल उसकी गाण्ड के छेद पर डाला और कुछ अपनी उंगलियों पर लगा कर उसके छेद पर फेरने लगा। फिर मैंने अपनी एक उंगली उसके छेद में अन्दर कर दी। उसने दर्द की वजह से सीधा होने की कोशिश की और कराह कर बोला- भाई आहिस्ता डालो.. दर्द होता है।

मैं जानता था कि लण्ड के दर्द के आगे यह दर्द कुछ भी नहीं.. इसलिए लण्ड डालने से पहले उसकी गाण्ड के सुराख को इतना ढीला और लचीला करना पड़ेगा कि लण्ड डालने का दर्द बर्दाश्त के क़ाबिल हो जाए।

अब मैंने उससे कहा- सीधा लेट जाओ। फिर मैं उसके सामने आकर बैठा उसकी टाँगों के दरमियान उसका लण्ड मेरे चेहरे के बिल्कुल क़रीब था।

मैंने उससे टाँगें फैलाने को कहा और फिर मैंने उसकी गाण्ड में अपनी एक उंगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगा.. जिससे उसे तक़लीफ़ होने लगी।

इसी के साथ ही मैंने फरहान के लण्ड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा.. जो उसे मज़ा देने लगा। मैंने लण्ड पर अपना मुँह आगे-पीछे करने की स्पीड मज़ीद बढ़ा दी.. जिससे फरहान को बहुत मज़ा आने लगा और इस मज़े की आड़ में ही मैंने अपनी दूसरी फिंगर भी फरहान की गाण्ड में दाखिल कर दी।

मैंने फरहान को अपनी दो उंगलियों से चोदना शुरू किया, वो एकदम चिल्ला उठा। ‘नहीं.. भाई दर्द हो रहा है..!’ मैंने कहा- बस थोड़ा दर्द होगा बर्दाश्त करो.. फिर मज़ा ही मज़ा है.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने फरहान का पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया.. ताकि दर्द और लज़्ज़त दोनों बैलेन्स हो जाएं। मैंने अपना ये अमल जारी रखा.. जिससे फरहान को काफ़ी हद तक सुकून हो गया। मुझे ऐसा अंदाज़ा हुआ कि अब फरहान सिसकारियाँ भरते हुए मेरा लण्ड अपने हाथ में लेने के लिए अपना हाथ मेरे लण्ड की तरफ बढ़ा रहा था।

अब मैं अपनी तीसरी उंगली भी फरहान की गाण्ड में दाखिल करना चाह रहा था। मैं जानता था कि इसकी तक़लीफ़ बहुत ज्यादा होगी। मैं डर रहा था कि कहीं वो चिल्लाना ना शुरू कर दे।

तो मैंने अपनी पोजीशन को चेंज किया और 69 पोजीशन में आ गया। अब मेरा लण्ड उसके चेहरे के सामने था। फरहान ने अपना मुँह खोला और जल्दी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और पागलों की तरह चूसने लगा।

अब हम दोनों एक-दूसरे का लण्ड चूस रहे थे और मेरी 2 उंगलियाँ फरहान की गाण्ड में अन्दर-बाहर हो रही थीं। मैंने अचानक ही अपनी तीसरी फिंगर भी उसकी गाण्ड में दाखिल कर दी। फरहान ने चीखना चाहा.. लेकिन मेरा लण्ड उसके मुँह में होने की वजह से उसकी आवाज़ ना निकाल सकी। मैंने अपनी उंगलियों की हरकत को रोका और उसके लण्ड पर तेज-तेज अपना मुँह चलाने लगा।

कुछ देर बाद फरहान ने मेरा लण्ड दोबारा चूसना शुरू किया.. तो मैंने भी अपनी उंगलियों को हरकत देना शुरू कर दी। जल्द ही उसकी गाण्ड मेरी 3 उंगलियों की आदी हो गई और हम दोनों एक-दूसरे का लण्ड चूसने लगे।

मेरे लण्ड से जूस निकलने ही वाला था जब मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में फूलता हुआ महसूस किया.. मैं समझ गया कि वो भी डिसचार्ज होने वाला है।

मैं उसका लण्ड अपने मुँह से निकालना चाहता था.. लेकिन तभी मैंने सोचा कि पहले ही अपनी मलाई टेस्ट करा चुका हूँ तो अब फरहान की मलाई मुँह में लेने से क्या फ़र्क़ पड़ता है और अगले ही लम्हें हम दोनों ही के लण्ड ने एक-दूसरे के मुँह में पानी छोड़ दिया।

डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों उठे और किसिंग करने लगे.. जबकि एक-दूसरे के लण्ड का जूस हम दोनों के मुँह में मौजूद था। ये एक जबरदस्त किस थी.. हम दोनों के लण्ड के जूस से भरी हुई।

इसके बाद हम दोनों नहाने गए.. नहाने के बाद मैंने फरहान से पूछा- क्या तुम चुदाई के लिए तैयार हो? तो फरहान ने ‘हाँ’ में जवाब दिया और हम दोनों बिस्तर के तरफ चल दिए।

बिस्तर पर पहुँच कर मैंने फरहान को कहा- अपने घुटनों और हाथों पर हो जाओ और अपनी गाण्ड को ऊपर की तरफ उठा कर डॉगी पोजीशन बना लो।

मैंने अपने लण्ड और उसकी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाया और फरहान पर झुकते हुए उससे कहा- अब मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ो और अपने सुराख पर सही जगह रखो.. जहाँ से मैं अन्दर डाल सकूँ। उसने मेरे लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख पर टिकाया और मुझसे कहा- हाँ भाई.. अब आप ज़ोर लगाओ।

मैंने ज़ोर लगाया और मेरे लण्ड की टोपी अन्दर दाखिल हो गई। वो दर्द की शिद्दत से बिलबिला कर बोला- ओईए.. मर गया.. भाईई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़..

मैं अपने हाथ को उसके सामने लाया और उसके लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा.. ताकि उससे तक़लीफ़ का अहसास कम से कम हो। उसके लण्ड को अपने हाथ से आगे-पीछे करते हुए मैंने एक झटका और मारा और मेरा लण्ड तकरीबन 4 इंच तक उसकी गाण्ड में दाखिल हो गया। वो दर्द से घुटी-घुटी आवाज़ में चिल्ला रहा था और मुझसे कह रहा था- भाई बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है..!

मैंने उससे रिलैक्स करने के कोशिश की.. लेकिन वो लण्ड को बाहर निकालने के लिए मचल रहा था। मैं जानता था कि अगर अभी मैंने बाहर निकाल लिया तो शायद वो फिर कभी नहीं डालने देगा।

मैंने उसके लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को तेज कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता अपना लण्ड अन्दर करता रहा.. जब तक कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की जड़ तक नहीं उतर गया। वो जिस्मानी तौर पर मुझसे कमज़ोर था.. इसलिए मैंने उसको जकड़ रखा था.. जबकि वो मेरी गिरफ्त से निकलने के लिए मुसलसल कोशिश कर रहा था।

कुछ देर बाद वो पुरसुकून होता गया क्योंकि मेरे हाथ की हरकत उसके लण्ड के जूस को उबाल दे रही थी और वो अपनी मंज़िल के क़रीब हो रहा था।

जब मैंने देखा कि अब वो पुरसुकून हो गया है.. तो मैंने अपने हाथ के साथ-साथ अपने लण्ड को भी हरकत देनी शुरू की और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा।

अब मुझे इतना मज़ा आने लगा था कि मुझे फरहान के दर्द की परवाह ही नहीं रही थी। वो भी अब रिलैक्स हो चुका था और दर्द अब मज़े में तब्दील हो गया था।

कुछ ही देर बाद मैंने अपने लण्ड का पानी उसकी गाण्ड के अन्दर ही निकाल दिया और मेरे हाथ ने भी अपना काम करते-करते फरहान को भी मंज़िल पर पहुँचा दिया।

हम कुछ देर वहीं लेट कर अपनी साँसों को बहाल करते रहे। फिर मैंने खामोशी को तोड़ते हुए कहा- तुम ठीक हो ना फरहान.. ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ?

उसने कहा- भाईजान शुरू में तो मेरी जान ही निकल गई थी.. लेकिन फिर थोड़ी देर बाद आहिस्ता-आहिस्ता सब सही हो गया और मज़ा भी आने लगा.. मैंने कहा- चल.. बहुत देर हो चुकी है.. अब सोने की तैयारी करो।

वो मुझे अभी चोदना चाहता था.. लेकिन मैंने कहा- कल सारी रात तुम मुझे चोद लेना.. पर अभी नहीं.. अभी मैं बहुत थक गया हूँ। थकान तो उसे भी थी.. तो इसलिए वो जल्द ही मान गया और हम जल्द ही नींद की वादियों में खो गए।

सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैं बहुत मीठा-मीठा सा मज़ा महसूस कर रहा था और अपने लण्ड पर गीलापन महसूस करके मैंने अंदाज़ा लगाया कि मेरे छोटे भाई को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा है.. जो कुछ हमने रात को किया था। इसलिए वो ‘खास तरीक़े’ से सुबह मुझसे कह रहा है।

मैंने कहा- फरहान सोने दे ना यार.. आज इतवार है.. छुट्टी है.. तो फरहान ने जवाब दिया- चलो ना भाई 2-3 घन्टे में सब उठ जाएंगे.. थोड़े मज़े ले लेते हैं.. फिर आप सारा दिन सोते रहना.. मैं तंग नहीं करूँगा। मैंने अपने हाथ से फरहान के लण्ड की तरफ इशारा किया और कहा- ये मुझे दो..

वो मुस्कुराते हो उठा और 69 पोजीशन में आ गया. हमने एक-दूसरे के लण्ड को फिर से बहुत चूसा.. एक-दूसरे के मुँह में ही अपना पानी निकाला और फिर किस की.. जैसे कल रात को की थी।

कुछ देर बाद उसने कहा- भाई अब मेरी बारी है.. आपको चोदने की। मैंने कहा- ओके..

मैं बिस्तर पर ही उल्टा हो कर डॉगी पोजीशन में आ गया और फरहान ने मेरी गाण्ड के सुराख और अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू कर दिया। मैंने फरहान के लण्ड को अपने हाथ में लिया जो तेल से तर था और उसके लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख के बिल्कुल सेंटर में एंट्रेन्स पर टिका कर उससे कहा- हाँ.. अब धक्का मारो..

उसने एक ही झटके में अपने पूरे लण्ड को मेरी गाण्ड में उतार दिया.. मैं बुरी तरह से उछला.. मुझे पूरे बदन में दर्द के एक शदीद लहर उठी थी। ऐसा महसूस हुआ था जैसे किसी ने मेरी गाण्ड में लोहे का गरम जलता हुआ खंजर उतारा हो.. जो चीरता हुआ अन्दर गया हो।

मैंने चिल्ला कर कहा- भैनचोद.. किस बात की जल्दी है तुझे.. आराम से नहीं डाल सकता था?

आपसे गुजारिश है कि अपने ख्यालात कहानी के अंत में अवश्य लिखें। ये वाकया मुसलसल जारी है। [email protected]