मेरा गुप्त जीवन- 183

जब मौसी पलंग से उठ कर मुझसे दूर भागने लगी कि अब और नहीं करवा सकती मैं, तब ही मैंने मौसी को छोड़ा और फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में गहरी नींद सो गए।

सुबह ऐसा लगा कि कोई मुझको झकझोर रहा है और तभी मेरी आँख खुली। देखा तो किरण बड़े ही रौद्र रूप में मुझको और मौसी को झकझोड़ कर उठने के लिए कह रही थी।

मैंने अपने को देखा और फिर मौसी को देखा तो हम दोनों ही एकदम अलफ नंगे ही पड़े हुए थे और किरण गुस्से में लाल पीली हो रही थी और अपनी मम्मी को गालियाँ दे रही थी ज़ोर ज़ोर से!

शोर सुन कर कम्मो दौड़ती हुई आई हमारे कमरे में और आते ही कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया और किरण को खींचती हुई मौसी से अलग किया और फिर उसको कम्मो ने अपनी मज़बूत बाहों की गिरफ़्त में ले लिया।

लेकिन किरण अभी भी वही गालियाँ बके जा रही थी और कम्मो से छुटने की भरसक कोशिश कर रही थी। इस छीना झपटी में किरण की नाइटी ऊपर हो गई और उसकी चूत की झलक मैंने देख ली! किरण की भी चूत मौसी की तरह ही सफाचट थी।

अब मुझ से नहीं रहा गया और मैं एक जम्प में उठ कर किरण के पास पहुँच गया और उसको कम्मो की बाहों से छीन कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गाली बकते हुए होटों पर मैंने अपने गर्म होंठ रख दिए और उस के सारे शरीर को कस कर अपने साथ बाँध लिया।

इस बात का मुझ को ज़रा भी ख्याल नहीं रहा कि मैं एकदम नंग मलंग खड़ा हूँ और मेरा बेरहम लन्ड एकदम से अकड़ा हुआ हवा में लहलहा रहा था।

अब मौका देख कर लंड लाल किरण की चूत के ऊपर मंडरा रहा था और अंदर जाने का प्रवेश द्वार ढूंढ रहा था।

मेरी हॉट किसिंग का प्रभाव एकदम सामने आ गया क्योंकि किरण ने अब तिलमिलाना छोड़ दिया था और वो मेरे चूमने का आनन्द लेने लगी थी। मैंने मौसी से नज़रें मिलाई और उनको इशारा किया और वो भी उठ कर आई और किरण को पीछे से जफ्फी डाल दी।

किरण इस दोहरे अटैक से द्रवित हो गई और अपनी हाथपाई को छोड़ कर मेरे और मौसी के आलिंगन का मज़ा लेने लगी, पीछे से उसको मौसी के मोटे मम्मे लग रहे थी और आगे से मेरी चौड़ी छाती और खड़े लन्ड का स्वाद उसको मिल रहा था।

मेरा लौड़ा अभी भी उसकी चूत के बाहर मुलायम से मैदान में बड़ी शान से रगड़ लगा रहा था और उधर मौसी के मम्मे और उनके हाथों का खेल किरण की चूत को बहुत ही गर्म कर रहा था।

अब किरण भी मुझको चुम्बनों का जवाब देने लगी और उसका हाथ भी मेरे लौड़े पर टिक गया था।

यह खेल कुछ देर और ऐसे ही चलता लेकिन बाहर दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ से हम सब अलग हो गए और हमने अपने कपड़े पहन लिए।

कम्मो ने जब दरवाज़ा खोला तो बाहर बसंती ट्रे में चाय के कप लेकर खड़ी थी जिसको देख कर मुझ को और मौसी के मुंह से बेसाख्ता निकल गया- शाबाश बसंती, दिल खुश कर दिया चाय लाकर! मेरा तो चाय का नशा टूट रहा था… हम सब चाय पर टूट पड़े।

हम सब चाय पीते जा रहे थे और बसंती रात की कहानी सुनाना शुरू हो गई- मौसी जी, किरण दीदी तो कमाल की चीज़ है. उफ़्फ़ क्या गर्मी है क्या नर्मी है और क्या छूटास है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़!

मैं और मौसी हैरान हो रहे थे कि यह बसंती कह क्या रही है? तभी कम्मो ने बसंती को डांट दिया और कप लेकर जाने के लिए कहा।

उधर देखा तो किरण काफी परेशान लग रही थी तो मैंने कम्मो से पूछा तो वो बोली- कुछ नहीं छोटे मालिक, बसंती ऐसे ही कुछ बक रही थी। दरअसल रात में किरण दीदी ने कुछ कहानियाँ सुनाई थी जिनको सुन कर बसंती काफी हैरान हुई थी। क्यों किरण दीदी, अब तो आपका सब कुछ ठीक है ना? मैं जाऊँ क्या?

किरण ने हाँ में सर हिला दिया और मैं भी मौसी से विदा ले कर अपने कमरे में चला गया।

कमरे में पहुँचा ही था कि पीछे पीछे कम्मो आ गई और रात की सारी बातें बताने लगी कि कैसे तीनों ने नंगी होकर एक दूसरी को खूब चूमा चाटा और किरण तो महा एक्सपर्ट है इस खेल में और पक्की लेस्बो है वो! उसने बसंती को काफी मज़े दिए और कम से कम उस का 4-5 बार पानी छुटाया और कम्मो ने 3 बार किरण का पानी भी झाड़ दिया और किरण कम्मो और बसन्ती से बेहद खुश है।

मैं बोला- लेकिन अभी जब मैं किरण की चूत पर लंड रगड़ रहा था तो उसको काफी मज़ा आ रहा था और थोड़ी देर मैं अगर ऐसा और करता रहता तो वो चुदवाने के लिए तैयार हो जाती।

कम्मो मुस्कराते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, लेकिन किरण तो अभी कुंवारी है और उसकी सील अभी तक नहीं टूटी तो उसको लन्ड का क्या मज़ा होता है पता ही नहीं ना! और आप सुनाओ, क्या आपने मौसी का काम कर दिया?

मैं बोला- हाँ कम्मो, मौसी बड़ी ही गर्म चीज़ है और कल रात मैंने उसका कम से कम 6-7 बार पानी छुटवा दिया था और आखिर में वो भाग गई चुदवाने से!

मैं नहाने जाते हुए कम्मो से बोला- कम्मो रानी, किरण की सील कैसे तोड़ें, इसके लिए कोई स्कीम बनाओ। कम्मो सिर्फ मुस्करा भर दी और फिर मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया।

वापस आया तो मौसी और किरण बहुत ही चहक रही थी और सुबह वाली उनकी आपसी मुनमुटाव की कोई निशानी नज़र नहीं आ रही थी। दोपहर को उन दोनों ने मुझको सोने नहीं दिया, मौसी मुझको और किरण को लेकर अपने कमरे में बैठी रही और आपस में खूब छेड़छाड़ चलती रही।

मौसी ने बहुत ही सुंदर रेशमी साड़ी पहन रखी थी और किरण ने बहुत ही सुंदर राजस्थानी घागरा चोली पहन रखी थी। दोनों पलंग पर एक दूसरे के साथ बैठी हुई थी और मैं उनके सामने पलंग के दूसरी साइड पर बैठा था।

बातों बातों में मौसी बार बार अपनी साड़ी पैरों से ऊपर नीचे करती थी जिसके कारण मुझको कई बार उनकी सफाचट चूत के दर्शन हो जाते थे। मैं यह समझ रहा था कि मौसी यह सारा काण्ड मेरी नज़र अपने और खींचने के लिए कर रही थी और दूसरी तरफ किरण भी कई बार अपने घागरे को ऊपर नीचे करती रहती थी जिससे उसकी चूत के दर्शन भी मुझको बार बार हो जाते थे।

रात का खाना कम्मो ने खासतौर से बनवाया था और उसमें ढेर सारे गर्म मेवे वाले मीट की कई किस्में बनवा कर वो हमारे खाने में परोसी थी। कम्मो का मानना था कि नवाबी ढंग से बनी मीट और कबाब की डिश से आदमी और औरतों को जिंसी तौर से बड़ा फायदा होता था। काफी चुहलबाज़ी में रात का खाना ख़तम हुआ.

खाने के दौरान किरण ने एक खेल शुरू किया जिसमें हम तीनो आँखें बन्द कर के उठते थे और फिर एक दूसरे के शरीर के अंगों को हाथ लगाते हुए अपनी सीट पर आ बैठते थे।

मेरे हाथ तो अक्सर उन दोनों के मम्मों पर ही जाते थे और वो दोनों भी कोशिश करती थी कि उनके हाथ मेरे लौड़े पर लग जाएँ या फिर मेरे गोल चूतड़ों पर लग जाएँ। यह खेल काफी कामुक था और इससे हम तीनों काम अग्नि में जलने लगे।

खाना खाने के बाद हम तीनों बाहर कोठी के लान में टहलने निकल गए। लान में टहलते हुए मैं उन दोनों के बीच में था और वो दोनों मेरे अगलबगल थी। मेरे हाथ दोनों के चूतड़ों पर थे और उनके हाथ मेरे चूतड़ों और लन्ड के साथ लगातार खेल रहे थे।

किरण ने मेरे सॉलिड खड़े लंड को अच्छी तरह से महसूस किया और मुझको लगता है कि उसने मुझसे चुदने का तभी मन बना लिया।

जब हम लॉन से टहल कर वापस आये तो मौसी हमको लेकर अपने बैडरूम में आ गई। थोड़ी देर वहाँ बैठने के बाद मैं यह कर अपने कमरे में आ गया कि मैं भी अपना कुरता पजामा पहन कर आता हूँ।

मेरे कमरे में कम्मो मेरा इंतज़ार कर रही थी और मेरे आते ही बोली- मुबारक हो छोटे मालिक, किरण आपसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई है। पहले तो नहीं मान रही थी कि आप तो उसके मौसेरे भाई हो तो भाई के साथ कैसे काम सम्बन्ध बनाये जा सकते हैं।

मैं बोला- तो फिर कैसे मानी? कम्मो बोली- मैंने उसको समझाया कि कल मौसी जी ने अपने सगी बहन के लड़के से सम्बन्ध बना ही लिए है तो तुम क्यों पीछे हटती हो? जब उसने कहा कि वो तो कुंवारी है तो मैंने उसको समझाया कि तुम्हारे मौसेरे भाई से सील तुड़वाने से और अच्छा क्या हो सकता है? घर की बात घर में ही रहेगी। इस तरह समझाने से वो तैयार हो गई है।

मैं खुश होते हुए बोला- और मौसी की क्या मर्ज़ी है? कम्मो बोली- मैंने फिर मौसी से बात की और उनको समझाया कि किरण ने तो आज सुबह तुम दोनों को नंगे शरीर से पकड़ ही लिया था तो वो कभी भी आप दोनों का भेद खोल सकती है, तो अच्छा यही रहेगा आप किरण को भी छोटे मालिक से सील तुड़वाने दो फिर वो कभी कुछ नहीं कह सकेगी और फिर आपने छोटे मालिक के करामाती लौड़े की महिमा तो देख ही रखी है, वो किरण की सील भी तोड़ देंगे और उसकी काम अग्नि को शांत भी कर देंगे।

मैं और भी खुश होते हुए बोला- वाह कम्मो रानी, तुम कमाल की चीज़ हो, तुम्हारा जवाब ही नहीं है। मेरी माँ जैसी मौसी मेरे हाथ लग गई और फिर मेरी सगी मौसेरी बहन भी मिल गई। वाह क्या बात है! लेकिन मौसी क्या बोली?

कम्मो बोली- मौसी क्या कहती, वो झट से तैयार हो गई। अब आप बताओ क्या करने का इरादा है? मैं कुछ सोचते हुए बोला- कम्मो रानी क्या जो भी हम कर रहे हैं वो ठीक होगा? कहीं हम पापाचारी और दुराचारी तो नहीं बनते जा रहे हैं?

कम्मो भी गंभीर होते हुए बोली- हाँ, वही मैं भी सोच रही थी। मेरी सलाह है आप अभी चुप बैठे रहो। अगर मौसी और किरण की मर्ज़ी होगी तो वे स्वयं ही ज़ोर डालेंगी। अगर उन दोनों की तरफ से पहल होती है और वो काफी ज़ोर डालती हैं तो आप मान जाना, वर्ना आप कुछ ना करना। क्यों यह ठीक है ना?

मैं भी गंभीर होते हुए बोला- हाँ, यह ठीक कह रही हो कम्मो, ऐसा ही करना चाहिए।

हम बातें कर ही रहे थे कि किरण वहाँ आ गई और आते ही पहले उसने कम्मो को जफ्फी मारी और फिर मुझको घेर लिया और एक हॉट जफ्फी मारती हुई मुझको खींचने लगी- चलो, मम्मी बुला रही हैं।

मैंने कम्मो को भी आने के लिए इशारा किया और हम तीनों मौसी के शाही बैडरूम में पहुँच गए।

हम सब को देखते ही मौसी बोल पड़ी- क्या बात है सोमू राजा, आज तुम आये नहीं? क्या मेरे साथ नहीं सोना आज रात? मैं बोला- नहीं मौसी, ऐसी कोई बात नहीं है, वो मैं अपने कपड़े चेंज करने गया था अपने कमरे में!

मौसी की तरफ देखा तो वो बहुत ही आकर्षक नाइटी पहन कर बैठी हुई थी और किरण भी काफी सुंदर रेशमी नाइटी पहन कर बड़ी ही सुंदर लग रही थी। कम्मो और मैं ही अपने साधारण रात के कपड़ों में थे।

थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद मौसी ने कहना शुरू किया- यह किरण बड़ी उतावली हो रही है कि तुम इसकी चुदाई करो और इसके कुंवारेपन की सील भी तोड़ो।

मैंने किरण की तरफ देखा और उससे पूछा- क्यों किरण, तुम्हारी क्या मर्ज़ी है? किरण दौड़ती हुई आई और मुझसे लिपट गई और उसके गोल सॉलिड मम्मे मेरी छाती में धंस गए।

मैंने उसका मुंह सामने करके फिर पूछा- किरण क्या इरादा है?? किरण ने मेरे होटों पर एक गर्म चुम्बन देते हुए कहा- बड़ी देर से मेरे दिल में यह ख्वाहिश थी कि कभी मौका लगा तो सोमू राजा को अपना सर्वस्व सौंप डालूंगी और आज वो शुभ घड़ी आ गई है कि मैं अपना सारा शरीर मेरे बचपन के साथी और मेरी जवानी के खिलाड़ी को सौंप दूँ। कबूल करो मेरे आका अपनी इस अदना सी लौंडिया के जिस्म को… यह हमेशा ही आपका था और आपका रहेगा।

मौसी और कम्मो ने मिल कर ज़ोर ज़ोर से तालियाँ मार कर किरण के इस इरादे का स्वागत किया।

तब मौसी और कम्मो ने मिल कर मुझ को कमरे से बाहर निकाल दिया और कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। थोड़ी देर बाद जब कम्मो मुझ को कमरे में ले गई तो मैं देख कर हैरान रह गया कि किरण को दुल्हन की तरह से सजाया गया था और उसका एक लंबा सा घूँघट उसके मुंह को पूरी तरह से छुपाये हुए था।

मौसी मेरे को पकड़ कर किरण के पास ले गई और फिर मुझको किरण के सामने बिठा कर उसका घूंघट उठाने के लिए कहा।

मैंने भी बहुत ही धीरे धीरे से किरण का घूँघट उठाना शुरू कर दिया और जब उसका घूँघट पूरा हटा तो किरण का गोरा तमतमाता चेहरा सामने आया।

मैंने किरण को फ़ौरन अपनी बाहों में ले लिया और उसके लबों पर बड़ा ही कामुक चुम्बन दे दिया।

थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद मौसी और कम्मो ने किरण के वस्त्र उतारने शुरू कर दिए और दोनों मौसी और कम्मो ने अपने कपड़े भी उतार दिए।

मैं किरण के मोटे गोल मम्मों को चूमने लगा और उनके चूचुकों को मुंह में लेकर जीभ से गोल गोल घुमाने लगा। उसकी सफाचट चूत पर हाथ फेरा तो वहाँ काफी गीलापन लगा और मैंने उसकी भग को थोड़ा सा रगड़ा ताकि वो और भी गर्म हो जाए।

कम्मो कोल्ड क्रीम की शीशी ले आई थी और उसको काफी मात्रा में किरण की चूत पर अंदर बाहर लगा दिया।

अब मौसी मुझको नंगा कर के मेरे खड़े लंड के साथ किरण के पास ले गई और वो मेरे मोटे और लंबे अकड़े हुए लन्ड को देख कर ज़ोर से चीख पड़ी क्योंकि उसने ज़िन्दगी में पहली बार अकड़ा हुआ लंड देखा था।

उस रात से पहले किरण तो सिर्फ लेस्बियन सेक्स करने में माहिर थी और इससे पहले उसने कभी भी पुरषों का लन्ड नहीं देखा था ऐसा मौसी ने बताया था। तो उसके मुख से चीख का निकलना स्वाभाविक ही था और वो वहाँ से उठ कर भागने लगी।

लेकिन कम्मो ने उसको कस कर पकड़ा हुआ था और उसको ज़बरदस्ती से लिटा दिया और उसकी उभरी हुई कुंवारी चूत पर कोल्ड क्रीम लगाना जारी रखा।

मैंने माहौल को हल्का बनाए रखने के लिए कम्मो और किरण से कहा- देखो मेरी मौसी को कितनी सुन्दर है यह… क्या सेक्सी अंग प्रत्यंग है इसके! शायद मेरी मम्मी से भी ज़्यादा सुंदर होंगे? क्यों कम्मो? तुमने तो दोनों को नंगी ज़रूर देखा होगा?

कम्मो हंस दी और बोली- छोटे मालिक, आप ठीक कह रहे है लेकिन बड़ी मालकिन बहुत ही ज़्यादा हसीन है। इन दोनों बहनों के शरीर ईश्वर ने बड़ी फुर्सत में बनाये होंगे। मैं मर्द नहीं हूँ लेकिन जब मैं मौसी का नंगा शरीर देखती हूँ मेरे मम्मों के चूचुकों में अपने आप ही अकड़न आ जाती है और मेरी चूत के भग में भी खुजली शुरू हो जाती है… कसम से!

हम सब हंस पड़े।

कम्मो ने किरण के कान में फुसफसाना शुरू किया जो हम सबको भी हल्के हल्के सुनाई दे रहा था- देखो किरण दीदी, यह तुम्हारी चूत अभी तक कुंवारी थी यानि उसमें आदमी का लिंग यानी लन्ड अभी तक नहीं गया है। एक ना एक दिन तो तुम्हारी चूत में लन्ड का प्रवेश होना ही है। आज सोमू तुम्हारे फ्रेंड और भाई का लन्ड ही सही है तुम्हारे लिए! बोलो शुरू करें?

किरण ने मुझको इशारा किया अपने पास आने के लिए और मैं उसके पास चला गया।

किरण ने मेरे लंड को डरते डरते हुए ही पकड़ा और उसको हाथ में लेकर गौर से देखने लगी और फिर बोली- सोमू यह लन्ड के मुंह में कट क्यों है?

मेरे को छोड़ कर दोनों औरतें ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी लेकिन मैंने किरण को समझाया- यह कट मेरे पेशाब के लिए है और फिर इस में से ऐसा सफ़ेद पदार्थ निकलता है जिससे बच्चे पैदा होते हैं औरतों के!

अब मैं हैरानी से मौसी को देख रहा था। यह किरण मेरी उम्र की हो गई और उसको पुरुषों के शरीर के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं।

मौसी मेरी नज़र भांप गई और बोली- सोमू, किरण बहुत ही संकुचित माहौल में बड़ी हुई है, उसको स्त्री पुरुष का सामान्य ज्ञान भी नहीं है। यह सिर्फ नौकरानियों के साथ आपसी सेक्स ज़रूर करती रही है लेकिन किसी पुरुष की छाया इस पर कभी नहीं पड़ी।

मुझको विश्वास नहीं हो रहा था कि दुनिया में ऐसी भी युवा लड़की या लड़का हो सकता है जिसको स्त्री पुरुष का सामान्य ज्ञान कतई ना हो!

अब कम्मो और मैं दोनों ही किरण के मम्मों को चूसने लगे और फिर मैं कम्मो को किरण के मम्मों के ऊपर छोड़ कर आप किरण की नाभि की तरफ बढ़ गया।

कम्मो के इशारे पर मैंने किरण की टांगें चौड़ी की और उसकी उभरी हुई सफाचट चूत पर अपना खड़ा लंड रख दिया।

जब कम्मो किरण के मुंह पर चूमने लगी तो मैंने अपने लन्ड का एक ज़ोर का धक्का मारा और मुझ को ऐसा लगा कि चर्रर्र कर के किरण की चूत की झिल्ली फट गई और मेरा पूरा लन्ड उस की चूत के अंदर प्रवेश कर गया बिना किसी रोक टोक के!

हम तीनों हैरान थे कि किरण को ज़रा भी दर्द नहीं हुआ और मैं बड़ी आसानी से किरण को चोदने लगा।

धीरे धीरे की चुदाई को मैं तेज़ करता गया और साथ ही लगातार किरण को देखता भी रहा कि किरण को कष्ट ना हो। कोई दस मिनट की चुदाई के बाद किरण का पानी एक ज़ोरदार कम्कपी के साथ झड़ गया।

अब मेरा शक यकीन में बदल गया और मैंने किरण को उठाया और उसकी आँखों में आँखें डाल कर डांट कर पूछा- सच बता किरण की बच्ची… यह कुछ ना जानने का तू नाटक कर रही थी और हम सब को बुद्धू बना रही थी? सच बताना नहीं तो तेरी मेरी पक्की कुट्टी।

किरण मेरे हाथ से छूट कर नंगी ही कमरे के बाहर भाग गई और उसके पीछे मैं भी नंग धंड़ग भाग रहा था।

किरण दौड़ती हुई सीढ़ियाँ चढ़ने लगी और मैं भी उसके पीछे पीछे बसंती के कमरे में पहुँच गए जो अपने पेटीकोट को उठा कर अपनी चूत में उंगली मार रही थी।

तभी मौसी और कम्मो भी वहाँ आ गई और किरण की खूब खिंचाई करने लगी- साली तूने हम सब को बुद्धू बनाया। कुंवारी ना होते हुए भी कुंवारेपन का सफल नाटक किया।

कम्मो तो एकदम रुआंसी हो रही थी कि उस जैसी सफल दाई को भी मूर्ख बनाया एक छोटी सी लड़की ने!

कहानी जारी रहेगी। [email protected]