अनजानी लौंडिया की जबरदस्त चूत चुदाई-2

एक ही बिस्तर पर मैं और वो मेरी अनजान दोस्त लेट गए थे पर जब तक उसकी सहमति न हो तब तक मुझे कुछ भी करने से डर लग रहा था।

तभी उसने मुझसे अपने मन की बात कह दी। मैं उसके दिल की बात समझ गया कि वो आज रात यहाँ क्यों रुकी।

मैंने उसे कसकर गले से लगा लिया मानो वो मुझसे कहीं दूर ना चली जाए। मैं कोई जल्दबाजी करके मजा खराब नहीं करना चाहता था। मैं उसके बदन पर हाथ फिरा रहा था और उसके हर अंग को टटोल रहा था।

वो मुझे अपने अन्दर समा लेना चाहती थी। धीरे-धीरे उसकी एक टाँग मेरे ऊपर आती जा रही थी। फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके हाथों को अपने हाथों से दबा लिया।

मैं उसको चूमने लगा.. मगर मैंने उसे सीधे होंठों पर किस नहीं किया। मैंने पहले उसके माथे को.. फिर उसके गालों को.. फिर गर्दन और उसकी छाती को चूमते हुए उसके दोनों चूचों.. उसके पेट.. नाभि.. दोनों हाथों.. फिर उसके वस्ति स्थल… जंघाओं.. घुटनों और पैरों को चूमा।

फिर इसी क्रम को नीचे से ऊपर की ओर दोहराया।

जब मैं उसकी योनि के पास से निकला था.. तो मुझे उसमें से अजीब सी खुश्बू आ रही थी। वो उत्तेजित हो रही थी, ऊपर पहुँचते ही उसने मेरे होंठों को बुरी तरह से चूमना शुरू कर दिया।

मैं उसके चूचों को मसलने लगा। चूँकि ये मेरा पहली बार था तो मैं बुरी तरह से काँप रहा था.. पर वो बिल्कुल सहज लग रही थी.. शायद वो पहले भी ये सब कर चुकी थी।

उसने मेरी शर्ट के बटन खोल लिए थे और मेरी छाती पर हाथ फिरा रही थी। फिर उसने मुझे हटाया और हाँफते हुए कहा- सिर्फ चूमोगे ही या और भी कुछ करोगे।

मैं बिना उसकी मर्जी के कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता था ताकि उसे बाद में कोई पछतावा ना हो.. इसलिए उसके इतना कहते ही मैंने पहले उसके होंठों की एक चुम्मी ली और अपनी शर्ट उतार कर उसके चूचे मसलने लगा.. उसे जगह-जगह चूमने लगा।

उसकी सांसें तेज होती जा रही थीं। फिर मैंने उसका टॉप उतारा। उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी.. जिसे देख कर मेरा मन ललचा गया और मैंने उसकी पैंट भी उतार दी।

उसने पैंटी भी काले रंग की ही पहनी हुई थी.. जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही थी.. जिसे मैं बयां भी नहीं कर सकता।

मैं उसके मम्मों को ऊपर से ही चूसने और मसलने लगा, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैंने उसकी नाभि को चूमा और उसके नंगे बदन पर अपनी जीभ फिराने लगा, फिर उसकी जांघों को चूमा और चाटा। अब मैं उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा।

उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी, उसके मुँह से ‘आहह उहह वाहहहहह आहहहह’ जैसी आवाजें निकल रही थीं। उसने मेरा मुँह अपनी टाँगों में दबा लिया और अपने हाथ से मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं उसे इसी तरह तड़फाना चाहता था.. जिसमें मुझे बहुत मजा़ भी आ रहा था मगर मेरा सिर उसने इतनी जोर से दबाया हुआ था कि मेरा दम घुटने लगा और मुझे हटना पड़ा।

मैं फिर उसके होंठों को चूमने लगा। पाँच मिनट बाद उसने मुझे हटाकर मेरी पैंट खोल दी और मेरे सारे कपड़े उतारने लगी। वो मेरे कपड़े उतारने के साथ-साथ मेरे बदन को चूमती भी जा रही थी जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

मेरे लिंग को देख कर वो मुस्कुराई और उसे बड़े प्यार से चूमा और बोली- सो गुड.. बहुत मोटा है तुम्हारा.. वो उसे अपने होंठों पर पटकने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरे कपड़े उतारने के बाद उसने मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और बुरी तरह से मुझ पर टूट पड़ी। वो मुझे बेतहाशा चूमने और नोंचने-खसोटने लगी, अगले ही पल वो मेरे पूरे लण्ड को अपने मुँह में ले कर जोर-जोर से चूस रही थी और मैं उसके चूचों को दबा रहा था।

वो बेहद मस्त आवाज में ‘आहहहह.. आहहहह..’ कर रही थी। इससे मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गई और मैं तेजी से झड़ने लगा। वो मेरा सारा वीर्य चाट गई और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर अच्छी तरह से साफ कर दिया।

मेरे झड़ने के बाद भी वो शांत नहीं हुई और मेरे लण्ड को आइसक्रीम की तरह चूस-चूस कर खड़ा करने लगी। वो मेरे शान्त लण्ड को अंडकोषों के साथ मुँह में भर कर चूसने लगी। उसकी इस कामोत्तेजक क्रिया से मेरा लण्ड फिर तुरन्त खड़ा होने लगा लेकिन वो बड़ी बेदर्दी से मेरे लिंग को मसल भी रही थी।

धीरे-धीरे उसका पागलपन बढ़ता जा रहा था। वो उसे बीच-बीच में अपने चूचों में भी दबा रही थी। कभी वो मेरे लिंग को चूसती कभी मेरे अंडकोषों से खेलती। वो फिर मेरे पूरे लिंग को अंडकोषों के साथ अपने मुँह में भरने की कोशिश करने लगी।

वो मेरे लिंग को आइसक्रीम की तरह चाट और धीरे-धीरे काट रही थी। उसकी इन हरकतों से ना सिर्फ मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी बल्कि मेरे लिंग में दर्द भी होने लगा था।

फिर मैंने उसे धक्का देकर अपने ऊपर से उतारा और उसको चूमने लगा। मैंने उसकी ब्रा खींचकर तोड़ दी और पैंटी भी फाड़ ड़ाली और उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसलने, चाटने और काटने लगा।

मैं समझ गया था कि ये बेहद हार्ड सेक्स करना चाहती है और मैं भी उसे पूरा दर्द देना चाहता था। मैंने उसके पूरे बदन को चूमा और उसकी फूली हुई गीली चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।

वो ‘आहहह.. आहहह.. आहहह..’ करने लगी और चिल्लाने लगी- खा जाओ मेरी चूत को.. और अन्दर तक चाटो.. चाटते रहो। वो अपने हाथों से अपनी चूत को खोलकर मेरे लिए रास्ता बना रही थी।

उसकी इन आवाजों से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैं उसकी चूत में अपने दांत गड़ाने लगा। मैं उसकी चूत के काफी अन्दर तक पहुँचने की कोशिश करने लगा। मैं उसके दाने को अपनी जीभ से सहलाता और खींचता। इस सब में कई बार उसका दाना मेरे दांतों में भी आया जिससे वो बुरी तरह चिल्लाने लगी।

इस दौरान मैंने उसके चूचों को खाली नहीं छोड़ा था, मैं दोनों हाथों से उन्हें मसल रहा था।

वो इतना उत्तेजित हो गई थी कि मुझे ऊपर खींचने लगी और ‘फक मी.. फक मी..’ चिल्लाने लगी।

मैं उसके ऊपर गया और उसके होंठों को चूमते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. पर मैंने उसको अन्दर नहीं डाला। वो तड़फने लगी और कहने लगी- फाड़ डालो मेरी चूत को.. फाड़ डालो.. मैं आज तक इतने मोटे लण्ड से नहीं चुदी.. प्लीज चोदो मुझे.. और मैं उसे तड़फाने का मजा लेने लगा।

अचानक उसने मुझे धक्का दिया और मैं जमीन पर आ गिरा। वो उठी और मेरे लण्ड पर बैठ कर उसे अपनी चूत में धकेलने लगी।

मेरा लण्ड मोटा होने के कारण उसकी चूत में फिट नहीं हो रहा था.. मगर वो जबरदस्ती उसे अपनी चूत में डालकर ऊपर-नीचे होने लगी।

दर्द से उसकी चीखें और आँखों से आंसू निकलने लगे.. जिससे वो थोड़ा धीमी हुई ही थी कि मैंने उसे धक्का देकर हटाया और उसे बिस्तर पर डालकर उसके ऊपर आ गया और उसे जोर-जोर से ठोकने लगा।

दस-पन्द्रह धक्के मारते ही वो अकड़ने लगी और जोर से मुझे जकड़ लिया, वो ‘आहहह.. आहह..’ करते हुए झड़ने लगी लेकिन मैं अभी बाकी था। मैंने उसे उठाया और घोड़ी बनाया।

मैं पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड पेलने लगा। थोड़ी ही देर में वो फिर से गर्म होने लगी।

पाँच मिनट बाद मैंने उसे खड़ा किया और अपनी बाँहों में उठाकर पीछे से उसकी चूत चोदने लगा। वो ‘आहहह.. आहहह.. फक मी.. फक मी हार्ड.. आहहह..’ करके मुझे उत्तेजित कर रही थी।

फिर मैं उसे दीवार के पास ले गया, उसे दीवार के सहारे खड़ा करके मैं उसे सामने से चोदने लगा। साथ ही मैं उसके चूचों को भी मसलने और दाँतों से काटने लगा, वो मेरी पीठ में अपने नाखून घुसाने लगी। वो मेरे हर धक्के के साथ अपनी लय बिठा रही थी और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर मार रही थी।

मैं उसकी इन हरकतों से बहुत उत्तेजित हो गया। अब मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने उसे जमीन पर लिटाया और उसके ऊपर लेट कर उसे जोर-जोर से चोदने लगा।

झड़ने से पहले मैंने उससे पूछा- कहाँ डालूँ? तो उसने कहा- करते रहो.. मैं भी झड़ने वाली हूँ। मैंने उसे सचेत किया- कुछ हो जाएगा? तो उसने कहा- बाद में देखेंगे.. मजा आ रहा है.. चोदते रहो।

मैंने ठोकना जारी रखा और उसकी चूत में ही झड़ने लगा और उसके ऊपर ही लेट गया। मेरे लिंग में दर्द हो रहा था मगर मजा भी बहुत आया था इसलिए झड़ने पर भी मैंने अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।

उसके चेहरे पर सन्तुष्टि दिख रही थी। वो मेरे चेहरे को अपने हाथों में भरकर मेरे होंठ चूसने लगी।

हम काफी देर तक इसी अवस्था में आलिंगनबद्ध रहे। कुछ देर बाद उसके नंगे जिस्म को देखकर और इस चुदाई की खुशी ने मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया, वो भी और चुदना चाहती थी.. इसलिए वो मुझे फिर से चूमने लगी।

उस सारी रात हम सोए नहीं और मैंने उसके तीनों छेदों को जमकर चोदा, वो पूरी रात हमारी सुहागरात की तरह सुखद और मजेदार रही।

हम पूरी रात आसन बदल-बदल कर चुदाई करते रहे। उस रात हमने सुबह तीन बजे तक चार बार चुदाई की.. जिसमें मैंने उसकी गाण्ड भी चोदी।

सुबह हम इतना थक गए थे कि नौ बजे तक सोते रहे। लेकिन मेरे घर से फोन आने के कारण मेरी नींद खुल गई और मुझे थकान के बावजूद तैयार होना पड़ा।

साढ़े दस बजे मैंने उसे उठाया और उसे तैयार होने को कहा। उसने मुझे गले लगा लिया और किस करने लगी।

वो एक बार फिर चुदना चाहती थी और मैं भी वापस नहीं आना चाहता था.. मगर घर से बार-बार फोन आने के कारण मुझे उसे मना करना पड़ा।

मैंने कमरे का बिल पे किया और उसे उसके स्टॉप तक छोड़ने आया। उसने मुझसे कहा- यह मेरी सबसे अच्छी चुदाई थी.. फिर कब आओगे.. मैं फिर तुमसे चुदना चाहती हूँ?

मैंने उसे फिर जल्दी मिलने का वादा किया। हमने एक-दूसरे को किस किया और विदा ली। उसके साथ बिताए वक्त की यादों में मैं कब घर पहुँचा.. पता ही ना चला।

घर पहुँच कर जब उसे फोन किया तो पता चला कि उसका फोन होटल में ही किसी और ग्राहक को मिला है.. जो उसे वापस करने के लिए रुक नहीं सकता था।

उसके बाद नम्बर ऑफ हो गया और फिर मेरा उससे कोई कान्टेक्ट नहीं हुआ। मैं आज भी उसे बहुत याद करता हूँ और उससे एक बार मिलना चाहता हूँ।

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