चुदक्कड़ माया का सुहाना सपना-2

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मैं ड्राइवर को रास्ता बताती गई, घर ज़्यादा दूर नहीं था, पांच ही मिनट में आ गया।

हम लोग उतरे, ड्राइवर ने सामान निकला, मैंने ताला खोला और भीतर जाकर ड्राइवर को बता दिया कि सामान कहाँ रखना है। उसने पानी की एक बोतल मांगी जो मैंने फ्रिज से उसको दे दी और वो घर के बाहर चला गया।

ड्राइवर के जाते ही राजे ने मुझे भींच के लिपटा लिया। मैंने बेडरूम की तरफ इशारा कर दिया और राजे ने मुझे गोदी में उठाया और बैडरूम में जाकर मुझे बिस्तर पे पटक दिया। ताबड़तोड़ साले ने अपने गीले कपड़े उतार कर फेंक दिए।

मैंने भी देर न लगाई और उससे पहले ही मैं भी नंगी हो चुकी थी।

काफी देर तक हमने एक दूसरे को निहारा।

फिर अचानक राजे ने एक जम्प लगाई और मेरे बगल में आ गया। फिर तो बेटीचोद जो उसने मेरा कस के आलिंगन किया है वो मैं क्या बताऊँ। मेरा मुंह चूम चूम के उसने मेरे शरीर के हर अंग की मस्त तारीफ की।

मैं भी उसके सख्त बदन पर हाथ फिरा फिरा के मज़ा लेने लगी। धीरे से उसके लौड़े पर हाथ लगाया तो पाया कि साला लोहे की तरह सख्त खड़ा हुआ था।

मैंने सुपारी नंगी करके उसपर चुम्मा लिया और फिर टोपा मुंह में लेकर चूसने लगी। बहुत मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर टोपे का लुत्फ़ उठाकर मैंने लण्ड गप्प से पूरा मुंह में घुसा लिया, जीभ घुमा घुमा के चूसा उस कमीने मूसलचंद को। हरामी मुंह में फुदक फुदक कर रहा था।

तब तक मैं यह लौड़ा चूत में घुसवाने के लिए अति आतुर हो गई थी, मैंने तेज़ ठरक से भर्राई हुई आवाज़ में कहा- राजे… अब तू जल्दी से चोद दे… मैं व्याकुल हुई जा रही हूँ… तेरा ये लण्ड मुझे परेशांन कर रहा है… सूड़ दे मेरी गुफा में… कितना इंतज़ार करवाया तूने मादरचोद इस मिलन के लिए।

राजे भी मेरी तत्परता को भांप गया और बिना कुछ बोले वो नीचे को सरका और मेरी टांगों को फैला के उसने चूत से मुंह लगा दिया। जीभ जैसे ही चूत में घुसी, मेरी सीत्कार निकल गई।

‘राजे मादरचोद… जल्दी से घुसा लौड़ा… एक बार चोद दे फिर आराम से चूसियो… बहनचोद एक बार मेरी गर्मी झाड़ दे फिर जो तेरा दिल करे वो करियो मेरे साथ… तेरी रखैल है ये माया… जो भी तू करेगा वो मेरी ख़ुशी… बस हरामज़ादे अब देर न कर!’

मेरे से ज़रा भी रुका नहीं जा रहा था। मैं चाहती थी कि एक सेकंड भी देरी न हो और राजे का लौड़ा चूत में घुसके उसको टुन्न कर दे।

अब तक मैं बहुत अधिक गर्म हो गई थी। खैर गर्म तो मैं अक्सर ही रहती हूँ मगर अब बेहद गर्म हो गई थी। दोस्तो, मेरी चुदास की कोई सीमा नहीं है।

खैर राजे ने मेरी टाँगें चौड़ी करीं, घुटनों के बल टांगों के बीच में बैठ कर लण्ड का सुपारा चूत के मुंह से लगाया और एक ज़बरदस्त शॉट मारा तो लौड़ा रस से तर बुर में घुसे चला गया।

मस्ती में मैंने ज़ोर से ‘आह आह आह… बेटीचोद राजे… अहहा… अहा… अहा… राजे तेरी माँ को चोदूँ… अहा… अहा… अहा’ की पुकार लगाई।

राजे टाँगें पीछे फैला के मेरे ऊपर लेट गया और मैंने अपनी टाँगें उसकी टांगों से लपेट लीं। राजे का भार अपने ऊपर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

यारो, चुदाई में जब मैं अपने आशिक के वज़न से दब जाती हूँ तो बड़ा सुकून महसूस होता है। राजे का भार होगा कोई अस्सी किलो का तो खूब आनन्द आ रहा था उसके नीचे पड़े होने में।

उसके बाद मस्त चुदाई शुरू हुई। पहले तो राजे ने मुझे बहुत तड़पाया, हरामी कुत्ता धक्का लगाए बिना सिर्फ लण्ड को तुनके देता रहा। उसके नीचे दबी थी तो मैं भी चूतड़ ज़्यादा नहीं उछाल पा रही थी।

उसने मेरी गर्दन में हाथ डाल के मेरे होंठों से होंठ चिपका रखे थे और उनको बेसाख्ता चूसे जा रहा था, इसलिए मैं कुछ बोल भी न सकती थी। कभी कभी एक हाथ से मम्मे दबा देता था।

मेरी जीभ उसके मुंह में घुसी हुई थी और उसकी मस्त चुसाई का मज़ा ले रही थी। सिर्फ यह दिल कर रहा था कि राजे ज़ोर ज़ोर से झटके मार के चोदे परन्तु मैंने उसको उसके ढंग से चोदने दिया।

आखिर वो इतनी सारी रानियों को चुदाई में प्रसन्न चित्त रखता है तो उसकी चुदाई का स्टाइल अच्छा ही होगा… चोदने दो मादरचोद को जैसे वो चाहे। उसके बाद तो मैं होऊँगी और मेरा गुलाम राजे, साले को जैसा चाहूंगी वैसा चोदेगा कमीना।

लेकिन मुझे दिल में मानना तो पड़ रहा था कि जैसे वो मस्त मस्त धीमे धीमे चोद रहा था उसमें मज़ा तो खूब आ रहा था।

मुझसे जितने धक्के नीचे से लग सकते थे मैं उतने लगा रही थी और राजे का लण्ड बार बार तुनक तुनक करता तो चूत में एक सुरसुराहट सी होती। बीच में एक दो तगड़े धक्के भी टिका देता।

चूत से रस बेतहाशा बहने लगा था, मेरी उत्तेजना का अब ठिकाना न था… यार ये राजे की बदमाशी है न? न मुंह से कुछ बोल सको, न चूतड़ ज़्यादा उछाल सको! साले ने मुझको बिल्कुल जाम कर दिया था।

अपनी तड़प कम करने के लिए मैंने टाँगें राजे की टांगों से और कस के लिपटा लीं। लो ! बहनचोद इससे तो मेरे चूतड़ जो थोड़े बहुत उछल रहे थे वो भी बंद हो गए। लेकिन मज़े की तो मादरचोद पराकाष्ठा हो चली थी।

हमें चुदाई करते हुए करीब बीस पचीस मिनट तो हो चुके होंगे। मैं बिंदास मंद मंद चुदाई के मज़े के समन्दर में गोते लगा रही थी। उत्तेजना की ज़ोरदार तेज़ लहरें मेरे जिस्म में दौड़ रही थीं। ये लहरें हर पल तीव्र से तीव्रतर होने लगी थीं।

इधर राजे भी अब चुदाई की गति बढ़ाने लगा था। धक्के ज़्यादा गहरे नहीं थे सिर्फ उनकी रफ़्तार बढ़ गई थी। मेरी टाँगें भी राजे को कभी टाइट जकड़ लेती तो कभी थोड़ा सा ढीला कर देतीं।

खुल बंद खुल बंद खुल बंद… फिर राजे ने मेरी जीभ को भी तेज़ तेज़ चूसना शुरू कर दिया… आह आह आह आह… बहनचोद मज़े में मेरी गांड फटी जा रही थी… धक्के और अधिक गति से लगने लगे… रस से ओवर फुल चूत में खूब पिच पिच पिच करता हुआ लण्ड आगे पीछे हो रहा था।

हम दोनों के बदन बुरी तरह से चिपके हुए थे, टांगों से टाँगें, मुंह से मुंह, उसकी बाहें मेरी गर्दन के नीचे और मेरी बाहें उसकी पीठ पर! इसी प्रकार मदमस्त राजे मुझे चुदाई का भरपूर आनन्द दे रहा था।

उसके भरी बदन के नीचे दबी मैं अब आसमान में उड़ान भर रही थी, झड़ने के लिए मैं विचलित थी। जिस तरह से हम लिपटे थे उसमें मैं कुछ भी न कर सकती थी सिवाय एक काम के… वो यह कि मैंने हवस की पराकाष्ठा में राजे की पीठ पर नाख़ून मार मार के अनगिनत खरोंचे मार दीं।

बाद में मैंने जब उसकी पीठ पर बेहिसाब लाल लाल लकीरें देखीं तो पता लगा कि मैंने क्या हाल किया था। मादरचोद राजे के कान पर जूं भी न रेंगी परन्तु वो जान गया कि अब समय आ गया है कि मुझे चरम सीमा के उस पार भेज दे।

अब मुझसे सहन होना कठिन था… राजे भी शायद यह समझ गया था, उसने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी। मैं भी टाँगें बार बार बंद खोल बंद खोल बंद खोल कर के उसका साथ देने लगी।

मेरे मुंह से घूं घूं घूं हो रही थी। राजे ने हरामी ने जीभ न छोड़ने की जैसे कसम खा रखी थी। मगर बहनचोद करूँ क्या मुझे भी तो मज़ा बहुत आ रहा था।

इससे पहले मेरी जीभ कभी इतने प्यार से न चूसी गई थी, बल्कि किसी ने कभी मेरी जीभ चूसी ही नहीं थी। मेरा बहुत दिल हो रहा था कि मैं ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करूँ, किलकारियाँ भरूँ लेकिन जीभ फंसी हुई थी तो बस घूं घूं घूं करते हुए मैंने उसकी पीठ को लहूलुहान कर डाला।

राजे ने अब मेरी जीभ को आज़ाद कर दिया तो गले की पूरी ताकत से मैंने सी सी सी सी करके अपनी भयंकर काम वासना को सम्भाला। उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और मेरे मम्मे भींच लिए, इतने ज़ोर से उनको निचोड़ा कि क्या बताऊँ। अब उसने मम्मों पर अपने पंजे गाड़ के जो ज़बरदस्त धक्के पेले हैं तो पलंग की भी चूलें हिल गईं। मैं तो चार तगड़े धक्कों के बाद ही यूँ झड़ी जैसे किसी नदी का बाँध टूट गया हो।

राजे भी बीस पच्चीस शॉट ठोक के झड़ गया, दोनों के दोनों बाँहों में सिमटे बेहोश से पड़ गए। मैं इस मदमस्त चुदाई का मज़ा लेकर मस्ती में राजे से लिपटी हुई थी कि दरवाज़े पर ठक ठक ठक हुई।

मुझे कहाँ सुनाई पड़ रहा था मैं तो मधुर मिलन के बाद कि खुमारी में थी। लेकिन ठक ठक ठक फिर से हुई।

इस बार मैं हड़बड़ा के उठी, देखा तो मैं अकेली ही थी, स्वप्न में चुदाई कर रही थी।

जांघें झाँटें बहुत गीली गीली महसूस हुई, हाथ लगा कर देखा तो चूत से रस बेतहाशा बहा था, यहाँ तक कि बिस्तर की चादर भी भीग गई थी।

तभी फिर से ठक ठक ठक हुई, उठ कर दरवाज़ा खोला तो काम वाली थी। ‘बीबी जी कब से खटखटा रही हूँ… आपकी तबियत ठीक है न बीबी?’ उसने पूछा।

तबियत तो मेरी मस्त थी परन्तु अब जब समझ आया कि वो मस्त चुदाई सपने में हुई थी तो तबियत कुछ कुछ बिगड़ने लगी थी। लेकिन मैं क्या जानती थी कि सपना कुछ ही घंटों में सच हो जाएगा।

काम वाली अपने काम में लग गई।

इधर मैंने राजे को फोन लगाया- राजे मादरचोद तू कब आएगा… बेटी के लौड़े मुझे तेरी याद बहुत ज़्यादा सता रही है… भोसड़ी वाले, अपनी मालकिन को तू भूल गया लगता है कमीने… तुझे दुरुस्त करना पड़ेगा बहनचोद!

राजे खिलखिला के हंसा- अरे मेरी मालकिन… अभी दो घंटे में मिलेंगे ना!

मैंने खीज के कहा- मैं तेरी माँ चोद दूंगी हरामज़ादे… अभी मैं ज़रा भी मज़ाक के मूड में नहीं हूँ… दो घंटे में मिलेंगे… तेरी बहन की चूत कुत्ते!

राजे बोला- मैं मज़ाक नहीं कर रहा जान… मैं रास्ते में हूँ… तूने कहा था न आजकल तो अकेली है तो मैंने सोचा चलो अपनी रानी को सरप्राइज दूँ… लेकिन अब तूने सब उगलवा लिया तो अब सरप्राइज काहे का!

मैंने अब भी विश्वास न करते हुए कहा- झूठा कहीं का… खा तो मेरी कसम? ‘तेरी कसम माया रानी…अभी दो घंटे में जब तेरी चूत चूसुंगा न तभी यकीन होगा बहन की लौड़ी तुझे… तू तैयार हो जा कुतिया… मैं होटल पैलेस में रुकूंगा… कितनी दूर है तेरे घर से?’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने खुश होकर कहा- यह होटल तो मेरे घर के नज़दीक ही है राजे… मुश्किल से 2 किलोमीटर होगा… लेकिन तू वहाँ बाद में जाना… पहले मुझे और काम है तेरे से मादरचोद!

‘जैसी आज्ञा माया रानी जी की… बोलिए क्या करना है?’

मैंने कहा- सुन साले… तू दिल्ली से आएगा न… तो शहर से कुछ पहले एक बड़ा सा ढाबा दिखेगा फौजी ढाबा… उसको पार करके करीब दो ढाई सौ गज़ के बाद एक चौड़ी सड़क बाएं को जाती मिलेगी… उसके थोड़ा सा आगे जाते ही मैं मिलूंगी… वहाँ से मैं तुझे गाइड करूंगी कि आगे क्या करना है।

‘जैसी माया रानी की आज्ञा!’

अब मेरे मन में धुन थी कि रात वाला सपना साकार करना है… ज्यों का त्यों! थोड़ा सा फर्क रहेगा क्योंकि सपने में रात में चुदाई हुई थी परन्तु अब राजे से मुलाकात दिन में होगी… लेकिन इतनी मामूली सी बात से क्या अंतर पड़ता है!

बस मुझे एक बात ध्यान रखना पड़ेगी कि दिन के समय मैं राजे के आने से एक दो सेकंड पहले ही चूतड़ खोल के बैठूँ। सूसू तो करनी थी नहीं क्यूंकि वो तो राजे मादरचोद का स्वर्ण अमृत है, ज़मीन में कर दिया तो कमीना बहुत नाराज़ होगा।

जैसा प्लान किया था वैसा ही हुआ। मैं वही रात वाले कपड़े पहन के उसी स्थान पर चली गई जहाँ स्वप्न में राजे मुझे मिला था।

जैसे ही राजे का फोन आया कि उसने फौजी ढाबा क्रॉस कर लिया है तो मैंने झट से स्कर्ट उठाई और नंगी गांड सड़क की तरफ करके बैठ गई।

राजे आया और मुझे उठकर आलिंगन में बांध लिया। मैंने कहा- देख राजे, रात मैंने एक सपना देखा था जिसमें तूने मुझे चोदा था… इत्तेफ़ाक़ से तू आ गया तो अब वो सपना सच करना है… इसलिए अब तू जो मैं कहूं, वो बिना सवाल किये माने जा… सबसे पहले तो गाड़ी किसी ठीक सी जगह पर पेड़ के नीचे लगा और फिर ड्राइवर को थोड़ी दूर भेज दे।

राजे ने बिना कुछ कहे ड्राइवर से कहा कि सड़क के किनारे जहाँ भी कोई खुली ज़मीन दिखे वहाँ गाड़ी लगा दे। ड्राइवर ने थोड़ी दूर आगे जाकर सड़क की साइड में एक छोटे से मैदान में एक पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ी खड़ी कर दी और खुद डैशबोर्ड से एक पिस्तौल निकाल के पैंट में घुसाकर कुछ दूर एक अन्य पेड़ के नीचे बैठ गया।

फिर तो बहनचोद हूबहू स्वप्न वाला सारा का सारा सीन दुबारा खेला गया, गाड़ी में भी और फिर घर पर भी! फर्क सिर्फ दो तीन चीज़ों में रहा।

एक तो राजे मेरे लिए पायजेब का एक सुन्दर सेट लाया था जो मैंने सपने में नहीं देखा था। साले ने पायजेब पहना के मेरे पैरों को इतना प्यार किया कि मैं बता नहीं सकती। जब चुदाई हुई तो पायजेब से झुन झुन झुन झुन की आवाज़ ने चुदास में अंधाधुंध इज़ाफ़ा कर दिया।

दूसरे उसने घर में रख हुआ शहद मेरे चूचों, पेट, नाभि, झाँटें, चूत और टांगों पर लगा के चाट चाट के मुझे अनगिनत बार स्खलित किया। मैंने भी लौड़े पर शहद लगा कर चूसने का आनन्द उठाया। यह भी मैंने सपने में नहीं देखा था।

राजे तीन दिन रहा, इन तीन दिन में उसने चोद चोद के मेरा पूरा का पूरा रस निचोड़ डाला, कभी घर में तो कभी पैलेस होटल में! शायद नौ या दस बार चुदी, दो या तीन बार गांड मरवाई और चार पांच बार उसका लौड़ा चूस के लण्ड की मलाई का स्वाद चखा। मादरचोद ने मेरे दूधों और जांघों को मसल मसल के रगड़ रगड़ के ढीला कर दिया।

अभी तक उठती हूँ तो एक बार टाँगें कांप जाती हैं। जब जब उन तीन दिनों के बारे में सोचती हूँ तो चूत रस छोड़ने लगती है। ये हरामज़ादी तो बहुत बहुत खुश थी राजे का लौड़ा बार बार घुसवा कर!

दोस्तो, कैसी लगी मेरी चुदाई की यह कहानी? चुदासी चुदक्कड़ माया

माया रानी के शब्द समाप्त

हाँ तो यारो, इस प्रकार चुदक्कड़ माया रानी का सुहाना सपना साकार हुआ।

आपकी प्रतिक्रिया का हमेशा की भांति इंतज़ार रहेगा, फिर मिलेंगे! चूत निवास [email protected]

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