ट्रेन में मिली एक लड़की संग मस्ती-3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

माधुरी मेरे सामने नग्न हो चुकी थी

मैंने भी अपनी पैन्ट उतारी और उसके ऊपर लेट कर उसको चुम्बन करने लगा। माधुरी का बदन ढीला पड़ने लगा, वो भी मुझको चुम्बन कर रही थी।

हम दोनों एक-दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। मैंने उसके बेपरवाह होने का फायदा उठाया और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में दे दिया, फिर थोड़ा नीचे आ कर उसकी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा।

माधुरी मेरे दो तरफ़ हमलों से पागल हो रही थी। वह जोर-जोर से ‘अह.. आह.. ऊह.. मम्म..’ की आवाजें निकालने लगी।

मेरी उंगली उसकी चूत को सहला रही थी और मुँह में उसकी एक चूची थी। मैं कभी उसकी चूत के लिप्स को खींचता और कभी उसको जोर से रगड़ देता।

माधुरी- आह आह.. स्स्सस.. राहुल अब बस करो.. मत तड़पाओ आओ न..

मैंने उसका हाथ अपने जॉकी के ऊपर रखा.. तो पहली बार उसने हटा लिया, मैंने फिर उसका हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख कर उसे दबाने का इशारा किया।

इस बार उसने हाथ नहीं हटाया और बस ऐसे ही उसको पकड़े रही। तभी मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, माधुरी इस हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुँह से ‘आह’ निकल गई।

मैंने ‘फिंगर-फ़क’ शुरू कर दिया। माधुरी कुनमुनाई- स्स्स्स हाँ.. बस करो ना..? कितना तरसाते हो.. माधुरी ने मेरा लण्ड सहलाना शुरू कर दिया था।

मैंने भी मौका देख कर अपना जॉकी निकाल फेंका, माधुरी के सामने मैं भी नग्न था। मेरा लम्बा लण्ड देख कर उसकी आँखें फ़ैल सी गईं।

मैं उसकी जांघों के बीच आ कर बैठ गया और उसकी दोनों टांगें फैला कर उसके चूतड़ के नीचे एक पिलो लगा दिया.. जिससे उसकी चूत उभर आई।

अब झुकते हुए मैं उसकी चूत को अपनी पूरी जीभ निकाल कर चाटने लगा.. जिससे वो ज्यादा गर्म होने लगी। माधुरी- आहह.. उउह.. उउह..

धीरे से मैं 69 में हो गया मेरा लण्ड उसके होंठों को टच कर रहा था। अनजाने में उसका मुँह खुला और मेरा लण्ड उसके मुँह में था।

एक बात है दोस्तो.. शादीशुदा नारी को चोदने का अलग ही मज़ा है.. उसको मालूम होता है कि मर्द क्या चाहता है।

हम दोनों ही उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहे थे.. हम धीरे-धीरे चरम की तरफ बढ़ रहे थे, हमारी घुटी-घुटी सी आवाजें हम दोनों की काम ज्वाला को भड़का रही थीं ‘हिस्स..ईह ऊहह.. आह.. हम्म आह.. स्स्स्स..’

तभी मुझको लगा कि माधुरी का बदन कांपने लगा है, मैं समझ गया कि वो अब नज़दीक है। मेरी जीभ और तेजी से उसकी चूत में घर्षण करने लगी।

तभी माधुरी ने कस कर मेरे सर को जांघों में बांध लिया.. कि मुझको साँस लेना मुश्किल हो गया। वो कई बार चूतड़ उछाल कर शांत हो गई।

पर अभी मेरा नहीं हुआ था, मैंने उसकी चूत का रस चाट-चाट कर पी लिया, मैंने पूरी चूत को चाट कर साफ कर दिया और फिर उसके ऊपर आकर उसकी चूची को मसलने लगा, कभी मैं उसके निप्पल को खींचता.. तो कभी जोर से काट लेता।

कुछ ही पलों बाद माधुरी फिर से तैयार थी और मैं भी! एक बार फिर मैंने उसकी चूत को चाट कर गीला किया और लण्ड को चूत के मुहाने पर लगा कर रगड़ने लगा।

माधुरी बेचैन थी और मैं उसको तड़पा रहा था ‘राहुल डाल भी दो.. अब क्यों तड़पा रहे हो.. आओ न राहुल फ़क मी.. राहुल..’

मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा और धीरे से धक्का लगाया और लण्ड का टोपा उसकी चूत के अन्दर जा कर फंस गया। माधुरी- अह्ह्ह्ह्ह.. ओह माँ ओई.. अहह अहह.. आह.. धीरे से राहुल.. आपका बहुत मोटा है.. आराम से करो..

अब सिर्फ और सिर्फ कमरे में सिसकती.. मचलती और कामुक आवाज़ों का शोर था। मेरा लण्ड उसकी चूत में फिट हो चुका था, माधुरी आँख बंद करके मुझे अपने अन्दर समेट रही थी, सांसों को थाम रही थी। मैंने झुककर उसकी चूची को मुँह में भर लिया। फिर मैंने उसके निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

वो ‘आआह्ह.. ह्हह्ह.. हाआआ.. आह्हह्ह.. ह्हहाह्ह.. ह्हह..’ कर रही थी।

मैं उसे चूसता ही रहा.. उसके चूतड़ में हरकत शुरू हो गई। मेरा लण्ड भी हरकत में आ गया।

दोस्तो क्या चूत थी उसकी.. मस्त 36 D साइज की चूची.. मेरे हर धक्के से उछल जाती थीं.. वो सिसकारी भर रही थी ‘अहाआआ अस्स..’

मेरे लण्ड के प्रहार से वो सिसकारी भर के ‘ऊऊऊउ माँ.. इऊऊउ ऊईईई ई..मा.. गया अआअ आआआ..’ जैसी आवाज़ निकाल रही थी।

मैं थोड़ा रुक गया तो माधुरी बोली- रुक क्यों गए.. करो न.. मज़ा आ रहा है.. ऐसे तो कभी मेरा पति नहीं करता है.. वो तो कुछ झटकों में ही खल्लास हो जाता है.. पर तुम तो मस्त चुदाई करते हो.. करो न राहुल।

वो मुझसे मिन्नतें करने लगी ‘और देर मत करो.. जल्दी शुरु करो..’ यह सुन कर मेरा जोश बढ़ गया, मेरा लण्ड.. जो आराम से चूत में बैठा था.. उसे भी जोश आ गया।

मैंने फिर से पूरे लण्ड को निकाल कर बेदर्दी से धक्का लगा कर उसकी चूत में घुसा दिया। वो इस बार जोर से चिल्ला उठी- आआ आआआ आआअह्ह ऊउई ईईई.. मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है।

कुछ मिनट तक मैं उसको उसी पोजीशन में चोदता रहा। उसे भी मजा आ रहा था.. वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी।

मैंने उसे और जोर से चोदना शुरू कर दिया, थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और शान्त पड़ गई लेकिन मेरा नहीं हुआ था मैंने लण्ड निकाला.. उसकी पैंटी से लण्ड और चूत को पोंछ कर उसको घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी सूखी चूत में लण्ड घुसा दिया।

बाहर से सूखी चूत और मेरा सूखा लण्ड जैसे ही चूत में घुसा.. वो जोर से चिल्लाई- रा..हु..ल.. धीरे से यार.. क्यों बेदर्द बन कर कर रहे हो… मज़ा आ रहा है और प्यारा-प्यारा दर्द भी हो रहा है.. आह्ह.. कसम से मैंने ऐसा कभी नहीं महसूस किया।

मेरी स्पीड बढ़ती गई.. वो ‘आआह्ह.. ह्हह्ह.. ह्हह..’ करती रही। जैसे ही मेरी ठोल पड़ती.. वो सिसकारी भरने लगती- अहाआआ अस्सस्स.. शह्हह्हस..

कुछ मिनट के बाद वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ.. मेरा लण्ड चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था, मेरे हर धक्के पर वो चिल्ला रही थी ‘ऊऊऊउ माँ..इऊऊउ ऊईईई ई मा’

मैं कभी उसकी चूची को चूसता.. तो कभी उसके निप्पल को काट लेता.. चुदाई लगतार चल रही थी.. लण्ड चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था। मेरे अंडकोष चूत के होंठों को चूमते हुए ठोक रहे थे।

मैंने स्वर्गानन्द में गोते लगाते हुए अपने कूल्हे ऊपर उठा-उठा कर लण्ड को अन्दर-बाहर किए जा रहा था। उसके छूट जाने की बात को सुन कर भी मैं उसे चोदता रहा।

एक मिनट के बाद मुझे भी लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ, मैंने कहा- थोड़ा रुको.. मेरा भी हो जाएगा.. कहाँ निकालूँ? माधुरी- अन्दर ही निकालो.. मेरा सेफ टाइम है।

अब माधुरी के कूल्हे तेजी से चलने लगे, एक मिनट बाद उसकी चूत बिल्कुल जकड़ गई और मेरा लण्ड उसी के अन्दर फंस कर रह गया, चूत का मुँह खुल और बंद हो रहा था, उसकी कमर ऊपर सी हो गई.. पैरों से उसने मुझको बांध लिया।

मैं समझ गया कि वो दोबारा झड़ने को हो चुकी है और अब वो देर तक नहीं रुक पाएगी।

कुछ धक्कों के बाद मेरा संयम का बाँध भी टूट गया और मैंने जोर ‘आहहलह’ कहते हुए अपना सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया। उसने भी उसी पल मुझे जोर से जकड़ लिया और भी साथ में ही झड़ गई।

मेरी और उसकी सांसें असामान्य थीं.. सो हम दोनों ही पता नहीं कितनी देर तक वैसे ही पड़े रहे।

फिर मैं उठ कर बाथरूम गया.. और लण्ड को साफ करके अच्छे से धोया और वापस आ कर उसके बगल में लेट गया। मैंने उसको बाँहों में ले लिया उसके बालों में कंघी करता हुआ पूछा- माधुरी तुम ठीक तो हो न?

माधुरी- हम्म.. हाँ ठीक हूँ.. राहुल तुम सच में बहुत अच्छे लवर हो.. जानते हो मेरा पति कभी भी इतना कुछ नहीं करता और इतनी देर तो वो अन्दर रख भी नहीं पाता और जैसे उसका हो जाता है.. वो पीठ फेर कर सो जाता है, मुझे तब बहुत ख़राब लगता है।

दोस्तो, कभी सेक्स के बाद अपने पार्टनर को अकेला मत छोड़िए.. इस तरह का व्यवहार उसको पीड़ा पहुँचाता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

माधुरी की शर्म अब मिट चुकी थी.. वो वैसे ही नग्न मेरी बाँहों में सिमटी पड़ी थी। मैं उसके चूची और निप्पल से खेल रहा था, वो मेरा लण्ड सहलाते हुए बातें कर रही थी।

मेरा लण्ड एक बार फिर सर उठाने लगा था, वो भी गर्म हो रही थी। मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो चमक रही थीं।

मैंने उसकी चाह देखी तो मैं समझ गया कि उसका एक बार फिर मन है चूत चुदवाने का!

दोस्तो, अच्छे सेक्स पार्टनर की लवर की यही पहचान है.. जो अपने पार्टनर की आँखों की भाषा.. उसके जिस्म की भाषा को समझ कर उसके कहे बिना सब कुछ समझ ले।

एक बार हम फिर से एक-दूसरे की बाँहों में खो गए। किस.. चुम्मा चाटी.. काटना मसलना चूसना.. लव बाईट देना.. वो सब करते हुए एक बार फिर हम दोनों ने सम्भोग की पराकाष्ठा को पा लिया और बेसुध से एक-दूसरे की बाँहों सो गए।

फिर 4 बजे मेरी आँख खुली.. मेरी ट्रेन 5 बजे की थी। मैंने माधुरी को जगाया जो अभी भी नग्न थी। वो अपनी हालत देख कर पहले शरमाई और उठ कर बाथरूम में चली गई।

बिस्तर पर उसका कामरस और मेरा रस बिखरा पड़ा था, चादरों की सिलवटें रात भर की चुदाई की दास्तान बयान कर रही थीं।

मैंने अपना सामान पैक किया, तब तक माधुरी भी बाहर आ गई। अब वो नाइटी में थी, मैंने उसको बाँहों में लिया.. हल्के से किस करके बोला- मेरी ट्रेन का टाइम होने वाला है।

माधुरी- राहुल मैं तुमको कभी भूल नहीं पाऊँगी.. यह रात मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार और हसीन रात थी.. जब भी तुम इधर से गुजरो.. मुझे याद कर लेना और मैं तुम्हारी बाँहों में आ जाऊँगी।

फिर उसने मुझको स्टेशन छोड़ा और मैं ट्रेन पकड़कर मुंबई आ गया।

दोस्तो, यह थी मेरी ट्रेन में मिली अनजान लड़की के संग मस्ती की दास्ताँ… इस बात को करीब दो महीने हो चुके हैं, हम दोनों अभी भी संपर्क में हैं।

मैंने उसको इस बात के लिए राज़ी कर लिया है कि वो मेरे साथ अपने बुटीक की शॉपिंग के लिए दिल्ली चले।

अगर हम दोनों फिर कभी साथ हुए तो इस कहानी का अगला भाग फिर लिखूंगा। तब तक आप मेरे लिए दुआ करना कि हम दोनों फिर मिलें।

मैं एक अनुभवी सेक्स पार्टनर हूँ यदि किसी को अपनी अतृप्त काम की आग को बुझाने के विषय में कुछ पूछना हो तो वो मुझसे मेल पर संपर्क कर सकता है। आपकी आलोचना और प्यार का इन्तजार रहेगा। आप हमको मेल कर सकते हो.. फेसबुक या व्हाट्सप्प पर कुछ भी शेयर कर सकते हो। अपनी प्रोब्लम डिसकस कर सकते हो। मेरी कोशिश रहेगी कि आपकी मेल्स का रिप्लाई दूँ।

आपका राहुल श्रीवास्तव [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000