वो भीगी-भीगी चूत चुदाई की भीनी-भीनी यादें-1

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हैलो दोस्तो.. खड़े लंडों को.. गीली चूतों को मेरा खुले दिल से प्रणाम।

मैं आशू.. अहमदाबाद से.. आज फ़िर आपके सामने अपनी एक नई कहानी लेकर हाज़िर हूँ।

मैं एक युवा लड़का हूँ और अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर रहा हूँ।

मेरी पिछली कहानी मैं.. मेरा चचेरा भाई और दीदी के बारे में मुझे बहुत सारे मेल मिले.. उसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया और आभार।

देखो दोस्तो.. मैं अपने बारे में कुछ गलत नहीं बताऊँगा.. पर मैं यह सोचता हूँ कि ऐसा जरूरी नहीं है कि चोदने के लिए अपना लण्ड 8-10 इन्च लंबा होना ही चाहिए। अगर लड़की को सही तरीके से ठोका जाए तो वो पूरी तरह से खुश और संतुष्ट हो सकती है।

हर एक चुदाई में प्यार होना बहुत जरूरी है। बिना प्यार के चुदाई में कुछ मज़ा नहीं आता क्योंकि चुदाई खुद एक बहुत पवित्र क्रिया है जो हम मनुष्यों को नसीब हुई है।

जिस तरह से आपने मेरी पिछली कहानी को पसंद किया था.. मैं आशा करता हूँ कि यह सच्ची और प्यारी कहानी आपको उससे भी ज़्यादा मज़ा देगी। अगर आप इसे प्यार से पढ़ेंगे तो अपको अच्छा लगेगा। ऐसे ही सिर्फ़ हाथ हिलाने से हाथ में ही दर्द होगा।

तो पढ़िए..

यह बात तब की है जब मैं पढ़ता था, मुझे अभी भी अच्छी तरह से याद है कि उस वक़्त आतिफ़ असलम का ‘वोह लम्हें, वोह बातें..’ गाना रिलीज़ हुआ था।

जिस तरह आपकी भी अपनी भीगी-भीगी यादें होंगी.. उसी तरह ये कहानी मेरे लिए भी खुद एक भीगी याद बनकर रह गई है.. जो कभी वापिस नहीं आएगी।

वैसे तो मेरा जन्मदिन जून में आता है और मेरे स्कूल की छुट्टियाँ भी मई-जून में ही होती थीं। उन छुट्टियों में मामा के घर पर कुछ पूजा का कार्यक्रम था, दूर-दूर से काफ़ी सारे रिश्तेदार आए हुए थे। मामा का घर भी काफ़ी बड़ा है, तीन मंजिल का है और छत भी काफी बड़ी है।

मैं अपने पूरे परिवार के साथ अपने मामा के घर गया था। हम लोग पूजा के कार्यक्रम के एक हफ़्ते पहले ही पहुँच गए थे। हमारा काफ़ी लंबा सफ़र था इसलिए हम सभी बहुत थक गए थे।

मामा जी के घर पहुँच कर सबसे संक्षिप्त मेल-मुलाक़ात हुई.. फिर मैं जल्दी से नहाने घुस गया और फ़्रेश हो गया।

फ़िर घर वालों से खूब बातें की.. और उनके हाल-चाल पूछे।

मैं अपने कज़िन्स के साथ मस्ती करने लगा और फ़िर शाम होते ही उनके साथ बाहर घूमने चला गया। हर रोज़ इसी तरह से मेरा पूरा दिन चला जाता।

जैसे-जैसे पूजा की तारीख नजदीक आ रही थी, वैसे ही घर में लोगों की चहल-पहल बढ़ रही थी। मैं घर में सबसे बड़ा था इसलिए मामा ने उनका आधा काम मुझ पर थोप दिया था। अब घर का बाकी सब कुछ अरेंज और मैनेज करने की जिम्मेदारी मेरी थी इसलिए मैं भी काफ़ी व्यस्त रहता था।

पूजा के ठीक एक दिन पहले एक परिवार आया.. जो हमारी तरह बहुत दूर से आया था। वो लोग छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे। शाम का वक़्त था। वो जैसे ही ऑटो से उतरे.. मैं उनका सामान उठाने के लिए गया। मुझे पता नहीं था कि वे कौन लोग हैं क्योंकि मैं पहली बार उनसे मिल रहा था।

जैसे ही मैं सामान उठा रहा था.. वैसे ही दो खूबसूरत लड़कियाँ ऑटो से उतरीं। मैं उन्हें देखकर एकदम दंग रह गया, वो दोनों ही बहुत खूबसूरत थीं.. पर मेरा बस एक पर ही दिल आ गया था, मैं उसको बस देखता ही रह गया और मन ही मन चाहने लगा।

शायद वो भी यह बात जान गई थी.. इसलिए उसने भी जवाब में एक प्यारी से मीठी से मुस्कुराहट दी। मेरा तो मानो जैसे दिल गार्डन-गार्डन हो गया था। तब से मैंने ठान ली कि इससे कुछ तो चक्कर चलाना पड़ेगा।

फ़िर मैं उनका सामान घर के अन्दर ले गया और उन्हें चाय-नाश्ता के लिए पूछा। उन्हें चाय-नाश्ता सर्व करके मैं अपने कामों में लग गया।

रात को खाने के बाद मैं ऐसे ही छत पर टहल रहा था.. तो मेरा कज़िन मेरे पास आया और इधर-उधर की बातें करने लगा। मैं भी बड़ा चालाक था सो मैंने भी उससे बातों-बातों में उस लड़की के बारे में जानने की कोशिश की।

तब मुझे पता चला कि वे लोग भी हमारे ही दूर के रिश्तेदार हैं। उस लड़की का नाम आईशा है.. और वह मुझसे करीब तीन साल बड़ी है।

मैं बस उसके बारे में सुनकर बहुत खुश था और अन्दर से बहुत अजीब फ़िलींग्स आ रही थीं। मैं उससे अन्दर ही अन्दर प्यार करने लगा था.. पर डर भी था।

उस वक़्त मुझे सेक्स के बारे में इतनी जानकारी नहीं थी.. बस मुझे इतना ही पता था कि जो भी हो रहा है, बड़ा अजीब लग रहा है। फ़िर मैं नीचे जाकर सो गया।

अगले दिन सुबह मामा ने मुझ पर कामों का बहुत बड़ा ढेर सौंप दिया। ये करो.. वो करो.. इतने बजे ये चीज़ वहाँ देकर आओ.. इतने बजे मेहमानों को वहाँ से लेकर आओ।

हे भगवान.. मैं इतना ज़्यादा थक चुका था कि क्या बताऊँ। अगले दिन घर पर पूजा थी.. पर अभी तक डेकोरेशन वाले नहीं आए थे। मैंने उन्हें कॉल किया और लम्बी डांट सुना दी।

उस वक्त आईशा, जो मेरे पीछे ही खड़ी थी.. ये सब सुन कर हँसने लगी। डेकोरेशन वाले आए और मैं भी उनकी मदद करने लगा क्योंकि काम बहुत सारा था और वक़्त बहुत कम।

उसके बाद मैंने दो-तीन लाईट सीरीज़ (लाईट की लड़ियाँ) लीं और छत पर उसे बिछाने चला गया। उस वक़्त मैं छत पे अकेला ही था।

मैं लाईट सीरीज़ लगा ही रहा था कि मुझे पीछे से आईशा की आवाज़ सुनाई दी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। शायद मुझे वहम हुआ था।

पर कुदरत का करिश्मा देखो यारो.. थोड़ी देर बाद सचमुच उसके आने की आहट सुनाई दी और मैंने जान लिया कि ये पक्का आईशा ही है। मैं हद से ज़्यादा खुश हो गया था।

फ़वो मेरे पास आई और हम ऐसे ही इधर-उधर की बातें करने लगे। मुझे उसकी आवाज़ से और अंदाज़ से पता चल गया था कि वो भी मुझसे बहुत कुछ कहना चाहती है.. पर नहीं बोल पा रही थी।

उतने में ही उसकी माँ ने उसे बुला लिया और वो चली गई। मुझे उसकी माँ पर बहुत गुस्सा आया.. पर मैंने खुद को कंट्रोल कर लिया।

फ़िर आज पूजा थी.. तो सब जल्दी उठ गए। मैं झट से तैयार हो गया और ऐसे ही बैठा था.. अपनी पिछ्ली रात के बारे में सोच रहा था। मेरी आँखें आईशा को ढ़ूँढ रही थीं।

उतने में मामा ने मुझे कैमरा देते हुए कहा- आज अपना घर बहुत सुंदर लग रहा है.. तू बाहर जाकर अपने पूरे घर की कुछ तस्वीरें खींच ले।

मैंने ‘हाँ’ में सिर हिलाया और अपने काम के लिए निकल पड़ा। वास्तव में घर तो इतना सुंदर लग रहा था कि मानो जैसे कि मैं जन्नत में आ गया हूँ।

फ़िर मैं घर की तस्वीरें खींच ही रहा था कि मुझे आईशा दिखाई दी, उसने मेरी तरफ़ देखा और हल्की से मुस्करा दी।

मुझे भी यह देखकर दिल में कुछ-कुछ होने लगा।

मैं भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा और उसकी तस्वीरें खींचने लगा। मैं भी फ़िर इस तरह से तस्वीरें खींच रहा था कि उन तस्वीरों में घर भी आए और आईशा भी आए.. ताकि किसी को कुछ शक भी ना हो। ये सब उसे भी समझ आ गया था।

इस तरह मैंने खूब सारी तस्वीरें ली। उस दिन वो बहुत खुश लग रही थी।

फ़िर समय अनुसार हमारा पूजा का कार्यक्रम सुबह दस बजे शुरू हो गया। हम लोग सब पूजा में बैठे थे और आईशा ठीक मेरे बगल में बैठी थी। यह देखकर मैं बहुत खुश हो गया और हम साथ में पूजा करने लगे।

फ़िर गलती से मेरा घुटना उसके घुटने को लग गया.. पर उसने कुछ नहीं कहा। फ़िर मैंने अपना घुटना उसके घुटने को लगा कर ही रखा.. वो तब भी कुछ नहीं बोली। अब मैं समझ गया था कि मुझे अब हरी झंडी मिल गई है।

उस वक़्त हम सब लोग हाथ जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में बैठे हुए थे। उसी मुद्रा में मैंने हल्के से उसे अपनी कोहनी मारी.. तो वो हँस दी। उसे भी मेरे साथ रहना अच्छा लग रहा था।

फ़िर मैंने उसे आँख मारी.. तो वो शर्मा गई। यह देखकर मेरे दिल में उसके लिए उमड़-उमड़ कर प्यार आ रहा था.. पर मैं उसे बता नहीं सकता था।

उसके बाद शायद दोपहर तक पूजा चली और फ़िर सब खाना खाकर आराम करने चले गए। हम बच्चा पार्टी को वैसे भी छुट्टियों में नींद नहीं आती.. इसलिए हम लोग घर में बैठ कर गेम खेल रहे थे।

मैं और आईशा शतरंज खेल रहे थे और बाकी कज़िन्स साँप-सीड़ी.. लूडो वगैरह खेलने में लगे हुए थे। वो सेक्सी और खूबसूरत तो थी ही.. पर बहुत स्मार्ट और चालाक भी थी। उसने मुझे बस चार चालों में ही हरा दिया और मुझे चिढ़ाने लगी।

मैं उसको देखकर ही खुश हो रहा था क्योंकि वो जब भी मेरी वजह से खुश होती थी.. तो मुझे उसके लिए और प्यार बढ़ जाता। ऐसा लगता था कि अभी उसे होंठों पर चुम्बन कर लूँ। पर नहीं.. अभी जल्दबाज़ी ठीक नहीं थी.. अभी तो बहुत कुछ होना बाकी था।

फ़िर शाम कैसे ढल गई.. पता ही नहीं चला। फ़िर रात को हमने खाना खा लिया और पूरी बच्चा पार्टी छत पर टहलने चली गई।

मैं और आईशा भी साथ-साथ टहल रहे थे। वो भले ही मुझसे तीन साल बड़ी थी.. पर हमारी हाईट एक जैसी ही थी। अब हम दोनों एक-दूसरे से एकदम खुल गए थे और बहुत कुछ शेयर भी कर रहे थे। हम दोनों की एक-दूसरे से बहुत पटने लगी थी। हम दोनों के दिल में बहुत कुछ चल रहा था.. पर कोई बयान नहीं कर पा रहा था।

फ़िर हमारी मम्मियों ने सोने के लिए बुला लिया तो हम सब सोने चले गए। बहुत सारे मेहमानों के होने की वजह से अन्दर कमरों में जगह ही नहीं थी इसलिए हम बच्चे लोग हॉल में ही सो गए थे.. जो कि साईड से पूरा खुला हुआ था।

हमारे सोने की व्यवस्था कुछ ऐसी थी कि पहले मैं सोया था.. फ़िर मेरे तीन-चार कज़िन्स और फ़िर आईशा की बहन और आखिरी में वो सोई थी।

मेरी तरफ़ तो पूरा बंद था दीवार की वजह से.. पर आईशा की तरफ़ खुला हुआ था। मुझे नींद नहीं आ रही थी। हम सभी को लेटे हुए बस आधा घण्टा ही हुआ था कि बारिश शुरू हो गई। वैसे भी मई-जून के महीने में बारिश खूब ज़ोरों से आती है।

मैंने आँखें खोलीं.. तो देखा कि सब लोग सो गए है पर आईशा की तरफ़ से खुला होने की वजह से उस पर थोड़ी बूँदें गिर रही थीं। मुझे लगा कि थोड़ी देर में बारिश रूक जाएगी.. पर दो मिनट में बारिश ने बहुत खतरनाक रूप ले लिया।

वो गहरी नींद में थी.. पर वो बारिश की वजह से गीली हो रही थी.. जो उसे नहीं पता था।

मुझे लगा कि उसे सर्दी-ज़ुकाम हो जाएगा इसलिए कुछ करना चाहिए। उसके पीछे थोड़ी जगह थी.. तो मैं वहाँ चला गया और उसे पीछे लेट गया। उसे शायद थोड़ा महसूस हुआ था.. पर वो अभी भी सो रही थी।

दोस्तो, मैं उसके पीछे लेट तो गया था पर उसकी चुदाई कैसे कर पाऊँगा.. ये अभी मुझे समझ नहीं आ रहा था।

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