ग्रुप सेक्स के नए जोड़ीदार-6

शाम को घर में घुसते ही सभी ने एक दूसरे को हग किया।

विकास के गले लगते रोमा को सिहरन सी हुई पर विकास ने कोई जल्दीबाजी नहीं की और न ही उसका कोई अंग दबाया। यह रोमा को अच्छा लगा और उसका चेहरा चमक रहा था।

नीता और विकास उनके बेड रूम में गए और कपड़े बदल कर बाहर आये। नीता की फ्रॉक का गला काफी गहरा था और ढीला था इसलिए जब वो झुकती तो उसके मम्मे झलक दिखला रहे थे।

पर नीता के मम्मे तो सबने देखे थे, नहीं देखे तो विकास का लंड और रोमा की चूत और मम्मे! सब लोग ड्राइंग रूम में बैठे।

सनी ने कोई इंग्लिश म्यूजिक लगा रखा था।

रोमा बार ट्राली खींच लाई, ट्राली पर व्हिस्की के अलावा सॉफ्ट ड्रिंक भी थी और आइस क्यूब्स और गिलास थे। नीता और रोमा ने सॉफ्ट ड्रिंक ली और विकास और सनी ने व्हिस्की के पैग बनाये।

लड़कियों से कहा गया कि वो उनके पैग से एक सिप लेकर उन्हें दें। मैंने सिप लेकर सनी को पैग दिया जिसे रास्ते से ही विकास ने ले लिया और नीता का सिप किया हुआ पैग सनी ने ले लिया।

विकास ने हमारे न नुकुर करने के बावजूद भी थोड़ी सी व्हिस्की हम दोनों के गिलास में टपका दी।

हंसी मजाक का दौर और नशे का सुरूर आधे पौन घंटे तक चलता रहा…

मैं तो अपने सिप धीरे धीरे ले रही थी और विकास ने मेरे गिलास में व्हिस्की डाली भी थोड़ी सी थी पर नीता के गिलास में व्हिस्की ज्यादा पड़ी थी और उसे नशा भी हो रहा था।

बहुत अश्लील मजाक शुरू हो गए थे, नीता पालथी मारकर सोफे पर बैठ गई और उसकी चूत अपना जला दिखा रही थी। मेरे मुख से निकल गया- नीता, तुम्हारी मुनिया साफ़ नहीं दिख रही?

नीता अब नशे में आ गई थी, खड़ी हो गई और अपनी फ्रॉक पूरी ऊपर उठा ली, बोली- ले देख ले!सब हंस पड़े।

विकास ने नीता को अपने पास खींच कर उसकी चूत को चूम लिया और उसको अपनी गोदी में बिठा लिया।

मैं भी सनी की गोदी में बैठ गई और अपनी फ्रॉक को कंधे से गिरा लिया जिससे सनी मेरे मम्मी चूस सके। अब नंगे का खेल शुरू हो गया था। विकास ने पहले तो नीता को चूमना शुरू किया और उधर नीता ने अपने पैर से विकास की लुंगी हटा कर उसका लंड मुझे भी दिखा दिया। क्या मजबूत लंड था विकास का!

मुझे उसे देखते हुए सनी ने मुझे गोदी से उतरा और विकास की ओर धकेल कर मेरी ओर आँख मारी। मैं अब बेशर्म होकर विकास का लंड पकड़ कर उसे चूसने लगी और नीता अपनी फ्रॉक उतारकर सनी की लुंगी में घुस गई।

हम चारों नंगे हो चुके थे और वहीं कालीन पर सनी नीता के ऊपर चढ़ा हुआ उसे चोद रहा था और इधर विकास और मैं तो एक दूसरे को खा जाने के अंदाज में चुदाई कर रहे थे।

हम दोनों लड़कियों ने अपने हाथ से एक दूसरे को पकड़ा हुआ था और कभी कभी मम्मे भी दबा रही थी। मैंने कहा- मैं चाहती हूँ कि आज मुझे सनी और विकास दोनों चोदें।

अब सनी नीचे लेट गया और मैं उसके पेट पर अपनी पीठ के बल लेटी। सनी ने अपना लंड पीछे से मेरी चूत में कर दिया अब ऊपर से विकास आया और अपने लंड को सनी के लंड के साथ ही मेरी चूत में घुसा दिया।

मैं दर्द से चीखी पर दोनों जालिमों ने अपने लंड को नहीं निकाला और मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी। नीता मेरे मम्मे चूसने लगी और सनी अपनी उंगलियाँ नीता की चूत में कर रहा था। क्या मस्ती छा गई थी।

विकास ने अपना माल मेरी चूत में डाल दिया और अब सनी मेरे ऊपर चढ़ कर चुदाई करने लगा।

वो छूटने ही वाला था कि नीता आ गई और सनी का लंड खींच कर अपने मुख में कर लिया और सनी के छूटते उसका सारा माल गटक गई।

हम लोगों का ग्रुप सेक्स के सपने का पहला चैप्टर बखूबी ख़त्म हुआ।

खाना खाकर विकास और नीता घर गए और मैं और सनी एक बार और चुदाई का खेल खेलने की तैयारी करने लगे।

सुबह उठी तो चूत में दर्द था। आखिर दो दो लंड झेले थे मेरी शब्बो ने… मैंने थोड़ी वेजीनल क्रीम लगा ली, दोपहर तक आराम आ गया था। आज ऑफिस नहीं गई… समीर को झूठ बोल दिया कि आज कहीं कहीं जाना है।

एक दिन बाद रात को अचानक विकास और नीता बिना बताये आ गए, नाईट ड्रेस में ही थे, बोले की वाक पर निकले थे तो सोचा कॉफ़ी पी चलें। मैंने हंस कर कहा- यह क्यों नहीं कहते कि सोचा चुदाई का खेल खेल चलें। पर नीता बोली- नहीं आज नहीं… आज मैं छुट्टी पर हूँ, पीरियड्स आये हैं!

मैंने कहा- तुझे ही तो आये हैं, मुझे तो नहीं।

पर रात हो चुकी थी, कॉफ़ी पीकर वो चले गए और आज सनी भी थका था तो जल्दी सो गए।

सुबह उठी तो मोबाइल पर समीर का मैसेज था कि वो दस बजे आएगा, कहीं जाना नहीं है, बस उसका मन था आने का! जाहिर है समीर सनी के जाने के बाद आना चाहता था।

मैंने खूब सोचकर सनी को कहा कि समीर दस बजे करीब आएगा, कोई नई पॉलिसी है उन को बताने आ रहा है।

सनी ने चाय पीते हुए मुस्कुराकर मुझ से कहा- बुरा न मानो तो एक बात कहूँ? मैंने कहा- सनी कैसी बात करते हो, भला तुम्हारी बात का बुरा क्यों मानूंगी। सनी बोला- समीर, तुमसे आकर्षित हो रहा है, लोहा गर्म है, चोट कर दो। थोड़ी सी लिफ्ट ज्यादा दे दो, अगले हफ्ते प्रीति भी आ रही है, अगर ये दोनों भी हमारे ग्रुप में आ जायें तो मजा आ जायेगा।

सनी ने प्रीति की फोटो देख रखी है, इसलिए वो प्रीति में ज्यादा इंटरस्टेड था। मैं मुस्कुरा दी, अब उसे क्या बताती कि मैं और समीर तो गंगा नहा चुके हैं। हाँ यह मुझे यकीन था कि समीर मेरे को पाने की चाहत में प्रीति को सनी से चुदवा देगा।

सनी के जाने के कुछ देर में ही समीर आ गया, अंदर आते ही हम दोनों के होंठ मिल गए। आज मैं जान बूझकर समीर को चुदाई से दूर रखना चाहती थी। समीर ने जैसे ही मेरे ट्रैक सूट में हाथ डालना चाहा, मैंने कहा- जान आज नहीं, आज मैं छुट्टी पर हूँ।

समीर मुस्कुरा दिया। वो सोफे पर बैठ कर नई पॉलिसी निकालने लगा, मैं चाय नाश्ता ले आई… मुझे मालूम था कि समीर कुछ खा के नहीं आया होगा।

समीर का मनपसंद नाश्ता था… मैंने समीर को एक लम्बा किस दिया और नाश्ता शुरू करने को कहा। वो बहुत खुश होकर नाश्ता करने लगा।

उसने बताया की उसे मकान मिल गया है और वो आज शाम को आगरा जायेगा प्रीति को लाने, परसों आ जायेगा। समीर मुझे कुछ फोन नंबर और पते दे गया कि मैं इन लोगों से ऑफिस के एक स्टाफ के साथ जाकर मिल लूं और नई पॉलिसीज उन्हें समझा दूं।

जाते समय मैंने समीर को हग किया और वादा किया कि मैं उसके लिए हमेशा एक अच्छी दोस्त रहूंगी और उनके संबंधों से प्रीति और समीर के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। समीर ने एक प्रेमी की तरह मुझे जोर से चिपकाते हुए लम्बा किस दिया।

तीसरे दिन सुबह मैंने ही फोन करके समीर से पूछा कि आ गए क्या। उसने बताया कि आधे घंटे में पहुँच जाऊँगा।

मैंने साउथ इंडियन डिश बनाई थी, वो और चाय लेकर मैं और सनी समीर के घर पहुंचे। वो लोग अभी आये ही थे।

प्रीति पतली लम्बी सी और बहुत मिलनसार लड़की थी, वो मुझ से गले लगी और बोली- भाभी थैंक्स! आपने समीर का बहुत ध्यान रखा… समीर तो आपकी और भैया की तारीफ करते रहते हैं।

मैंने कहा- आज के बाद भैया और भाभी मत बोलना… हम सब दोस्त हैं, तुम हमारे नाम ले सकती हो… हम सबने चाय नाश्ता किया। सनी तो फैक्ट्री चला गया और समीर को पीछे के काम की जानकारी दी। फ़िर वो भी ऑफिस चला गया।

अब घर पर मैं और प्रीति थे। हमने फटाफट उनका सामान अनपैक किया और लगा दिया। सामान काफी था… लगाते लगाते दोपहर हो गई।

तभी डोर बेल बजी, समीर ने बर्गर और कोल्ड ड्रिंक भिजवाए थे।

इस बीच मैं और प्रीति खूब खुल चुके थे। मेरी और प्रीति की सलवार धुलाई और पोंछा लगाने में गीली हो गई थी। मैंने प्रीति से कहा- तू कपड़े बदल ले, मेरे तो अभी सूख जायेंगे।

प्रीति ने अपना सूटकेस खोल कर दो नाईट सूट्स निकाल दिये… हम कपड़े चेंज करके बेड पर बैठ कर ही खाने लगी और खाकर वहीं लेट कर गप्पें लगाने लगी।

मेरा मन था कि प्रीति के ज्यादा नजदीक आऊँ, पर फिर मैंने सोचा कि आज नहीं।

चार बजे करीब मैं वापस आने लगी और कपड़े बदल लिए। मैंने प्रीति को आँख मारकर कहा- आज तो सुहागरात मनेगी! प्रीति बोली- क्यों? मैंने कहा- नया मकान, नया बेड… और तुम दोनों इतनी दिनों से मिले भी कहाँ हो…

प्रीति शर्मा के हंस पड़ी… मैंने मौका देखकर प्रीति को होठों पर चूम लिया… हम दोनों को ही एक सिहरन सी हुई… प्रीति की आवाज थरथरा रही थी… वो हॉट फील कर रही थी… वो बोली- वादा करो हम हमेशा बहुत अच्छे दोस्त रहेंगे।

मैंने उसे अपने से चिपका कर कहा- वादा… अब उसने अपने होंठ मेरे होठों से चिपका लिए और अपनी जीभ से मेरी जीभ को चाटने लगी।

दो मिनट बाद हम अलग हुए और मैं घर आ गई… प्रीति बहुत अच्छी लगी मुझे और सब कुछ वैसे ही हुआ जैसे मैं चाहती थी… मुझे भी अब प्रीति को अपना ऐसे ही बनाना है जैसे नीता ने मुझे अपना बनाया। चाहे नीता को मैंने सनी दिया, पर नीता का एहसान तो मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी।

अगले दिन सुबह मैंने 10 बजे करीब प्रीति को फोन किया- सुहागरात कैसी रही? तो वो बोली- अब फोन पर क्या बताऊँ, यहाँ आ जा, कर के बता दूँगी…

प्रीति, जितना मैंने सोचा था, उससे ज्यादा मस्त थी। मैंने कहा- आज तू आ और अभी आ जा, खाना यहीं खायेंगे… वो बोली- अभी तो मैं नहाई भी नहीं हूँ!

मैंने कहा- मैं कौन सी नहाई हूँ, आ जा साथ साथ नहायेंगे। वो बोली- बड़ी बेशर्म है तू? मैंने कहा- नहाने में क्या बेशर्मी… जो तुझ पर है वही मुझ पर भी है…

वो हंस पड़ी, बोली- आ रही हूँ, पता लिखा… मैंने उसे अपना पता बताया और फटाफट पाव भाजी बना ली और एक कोल्ड कॉफ़ी की कैन फ्रीजर में रख दी।

मैंने दो फ्रॉक भी निकाल कर रख ली। बाथरूम को भी साफ़ करके दो फ्रेश टॉवल टांग दिये।

प्रीति आ चुकी थी, आते ही लिपट कर बोली- पहले तो चाय पिला, फिर गप्पें लगायेंगे।

यह तो कन्फर्म था कि अगले 4-5 घंटे हमें डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था। बस समीर का ही डर था, उसे मैंने कह दिया था कि वो फोन भी न करे।

चाय लेकर हम दोनों नीचे सेटी पर ही बैठ गई। रात की चुदाई पूरी प्रीति ने बड़ी बेशर्मी से सुना दी… मुझे बहुत मजा आया प्रीति की बात सुनकर…

प्रीति बोली- मैं तो सोने आई हूँ… रात भर समीर ने सोने नहीं दिया!

मैंने कहा- नहा ले, फिर सो लेना।

वो नहाने चली गई… मैं देखती रह गई… सोचा था साथ नहायेंगे… उसकी अन्दर से आवाज आई- क्यों? क्या शर्म आ रही है साथ नहाने मैं? मैं फटाफट बाथरूम में गई।

अन्दर वो वीट से अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही थी… क्या गोल गोल मम्मे थे बिल्कुल मेरे जैसे! मैंने भी कपड़े उतार लिए। वो मेरे मम्मे दबाते हुए बोली- तेरे मम्मों का तो समीर भी दीवाना है…

कहानी जारी रहेगी। [email protected]