मेरा पहला पहला प्यार सिमरन

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दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन है, मेरी उम्र 23 साल.. लम्बाई 5 फुट 9 इंच.. रंग गोरा है। मैं कानपुर से हूँ पर पिछले 4 साल से दिल्ली में रह रहा हूँ!

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने अन्तर्वासना पर कई सेक्स कहानियाँ पढ़ी हैं.. जो मुझे बहुत पसंद आईं। मैं भी आज अपनी आपबीती लिखने जा रहा हूँ.. उम्मीद है आपको मेरी यह सच्ची घटना पसंद आएगी।

बात आज से ठीक 4 साल पहले की है.. जब मेरी उम्र 19 साल की थी। अपनी पढ़ाई ख़त्म करके मैं जॉब के सिलसिले में दिल्ली आया था। इतने बड़े शहर में आकर मुझे बहुत ही ज्यादा टेन्शन हो रही थी कि कहाँ रहूँगा.. क्या खाऊँगा.. आदि।

खैर.. काफी कोशिशों के बाद मुझे अपने रहने के लिए एक कमरा मिल गया.. जो कि दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में था। उस मकान में और भी किरायदार रहते थे, मकान-मालिक और किरायदारों की रिहाइश अगल-बगल में थी.. मगर दोनों घरों की छत एक ही थी।

घर में वो मकान-मालिक स्वयम्, उम्र 45 साल, उनकी बीवी, उम्र 42 साल, एक बेटा उम्र 22 साल और उनकी बेटी उम्र 19 साल की थी। सभी उसी घर में रहते थे.. उनका पूरे परिवार का स्वभाव बहुत अच्छा था।

मकान-मालिक की बेटी का नाम सिमरन था, उसके गोरे गाल, गुलाबी होंठ.. काली आँखें, लम्बे बाल.. उसकी छाती पर उभरे हुए दो गोल मम्मे.. उसके उठे हुए नितम्ब.. बिल्कुल भरा हुआ बदन था। उसका कद 5 फुट 6 इंच था.. वो देखने में किसी अप्सरा से कम नहीं थी। मेरे हिसाब से उसका बदन 34-30-36 का था.. कोई भी उसको एक बार देख़ता तो देख़ता ही रहता।

मैंने आज तक किसी भी लड़की को गलत नज़रों से नहीं देखा था.. मगर सिमरन को पहली नज़र में देखते ही उसकी प्यारी सी सूरत मेरे दिल में घर कर गई। मगर उसको अपने प्यार का इज़हार करने की मेरी हिम्मत नहीं होती थी। मुझे डर था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए।

मैं सुबह दस बजे काम पर निकल जाता था और शाम को 7 बजे ही घर आता था। जून का महीना होने के कारण अँधेरा भी लगभग 8 बजे तक ही होता था.. तो मैं शाम को दफ्तर से आने के बाद छत पर टहल लेता था। वहीं उसी छत पर सिमरन भी टहला करती थी जैसा कि मैंने आपको बताया कि हम दोनों कि छत एक ही है।

मैं उसको अपनी चोर निगाहों से देखा करता था।

एक दिन मैं उसी समयानुसार छत पर टहलने चला गया। सिमरन पहले से ही छत पर थी। उस दिन वो अपनी मम्मी के साथ थी..

उसकी मम्मी के बारे में बता दूँ.. वो भी एकदम माल लगती थीं। कोई उनको देख कर यह नहीं कह सकता कि उनकी एक 19 साल की बेटी भी है। मुझे छत पर आता देख आंटी ने मुझसे बात करने लगीं।

आंटी- अरे बेटे तुम छत पर क्या कर रहे हो? मैं- आंटी मैं तो रोज छत पर टहलने आता हूँ.. शायद आपने मुझे आज ही देखा है। आंटी- हाँ बेटे.. और बताओ क्या करते हो?

फिर मैंने बताया और हम इधर-उधर की बातें करने लगे और सिमरन भी वहीं पर खड़ी हमारी बातें बड़ी ध्यान से सुन रही थी। तब अंधेरा होते ही मैं नीचे आ गया।

दोस्तो.. मुझे यहाँ पर एक महीना पूरा हो चुका था.. तो मैं एक दिन सुबह दफ्तर जाने से पहले आंटी को किराया देने गया।

मैंने जैसे ही दरवाजे की घंटी बजाई सिमरन ने दरवाजा खोला.. दोस्तो क्या बताऊँ.. वो क्या लग रही थी।

वो अभी-अभी नहा कर आई थी.. उसने तौलिए को अपने सीने से अपनी जांघों तक लपेट रखा था, उसके बाल भीगे हुए थे और उसके बदन पर पानी की बूँदें ऐसी लग रही थीं कि जैसे उसके गोरे बदन पर किसी ने मोती बिखेर दिए हों।

काफी देर तक तो मैं उसके पूरे बदन को ऐसे ही निहारता रहा.. मानो लग रहा था जैसे मैं किसी सपने को देख रहा हूँ।

अचानक उसके शब्दों ने मेरा सपना तोड़ा- कुछ काम है क्या आपको? मैं- हाँ.. वो.. मैं.. वो मैं..

मेरे इस हकलाने के अंदाज से वो खिलखिलाकर हँस पड़ी और बोली- आराम से.. आराम से.. मैं- वो दरअसल आंटी को कमरे का किराया देना था। सिमरन- लाओ मुझे दे दो.. मम्मी कहीं गई हैं.. वो आएंगी तो मैं उन्हें दे दूँगी।

मैंने उसे पैसे दे दिए, वो फिर मुस्कुराकर अन्दर चली गई।

उस दिन उसका चेहरा बार-बार मेरे दिमाग में आ रहा था।

एक शाम को जब मैं छत पर गया.. तो सिमरन मुझे देखकर नीचे भागी। मैं सोच में पड़ गया कि आखिर हुआ क्या.. लेकिन 5 मिनट बाद वो फिर वापस आई और मुझे देखकर मुस्कुराई।

इस बार उसकी मुस्कराहट कुछ और ही थी और उसने अपनी मुट्ठी में एक कागज का टुकड़ा पकड़ा हुआ था।

कुछ ही देर बाद उसने वो कागज का टुकड़ा मेरी ओर फेंका.. उसे पढ़कर मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।

उसमें लिखा था ‘अर्जुन मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.. आज रात को साढ़े नौ बजे मैं छत पर तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।’

मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सिमरन भी मुझसे प्यार करती है। मैं नीचे आकर यह सोचने लगा कि कब साढ़े नौ बजेंगे।

खैर मुझे एक आईडिया आया.. गर्मी का मौसम होने की वजह से मैंने जल्दी से खाना खाया और नौ बजे ही अपना बिस्तर छत पर लगा लिया और टहलते हुए सिमरन का इंतज़ार करने लगा।

ठीक साढ़े नौ बजे सिमरन छत पर आई और मुझे देखते ही उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया। उसके आलिंगन में आते ही मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था.. जैसे मुझे उसकी बरसों से तलाश थी।

हम दोनों लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे को बांहों में लेकर खड़े रहे, उसके बाद मैंने ही उसको अपने से अलग किया।

सिमरन- अर्जुन मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ। मैं- सिमरन मुझे तो तुमसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। सिमरन- सच.. फिर आपने मुझे बोला क्यों नहीं? मैं- मैं डरता था.. कहीं तुम मुझसे नाराज़ न हो जाओ।

यह सुनकर उसने मुझे फिर से कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। तभी मैंने अपने होंठ उसके मुलायम रसीले होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।

इस समय मानो हम दोनों जन्नत की सैर कर रहे थे।

दोस्तो, यह मेरी ज़िंदगी का पहला चुम्बन था।

हम दोनों अपनी आँखें बंद करके एक-दूसरे के होंठ चूसने में लीन थे, तभी नीचे से उसकी मम्मी ने उसे आवाज़ लगाई और वो यह कह कर नीचे चली गई ‘कल फिर इसी समय छत पर मिलूँगी।’

उस दिन से हम दोनों रोज़ छत पर मिलने लगे और हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा। हम दोनों एक-दूसरे को इतना प्यार करने लगे कि हमें एक-दूसरे से एक पल की भी जुदाई बर्दाश्त नहीं थी, पर किस के अलावा मैंने उसके साथ कुछ भी नहीं किया था।

एक दिन कि बात है.. उसके किसी रिश्तेदार की शादी दिल्ली के भजनपुरा इलाके में थी। उसका पूरा परिवार शादी में गया.. मगर वो अपनी पढ़ाई का बहाना बना कर घर में ही रुक गई।

शाम को जब वो मुझसे मिलने आई तो उसने मुझसे कहा- अर्जुन आज मेरे घर पर कोई नहीं है.. सब शादी में गए हैं.. क्या आप आज रात मेरे यहाँ रुकोगे.. मैं आपसे पूरी रात बातें करना चाहती हूँ।

मैं- सिमरन.. तुम पागल हो क्या? अगर कहीं किसी ने देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी। सिमरन- कोई नहीं देखेगा.. बस आप दस बजे मेरे घर आ जाना.. मैं दरवाजा खुला रखूंगी और आज खाना मत बनाना.. आज रात का खाना हम साथ में खायेंगे। मैं- ठीक है..

रात ठीक दस बजे मैं उसके घर चला गया। उसने दरवाजा खुला रखा था। घर में प्रवेश करते ही मैंने जो देखा.. वो देखता ही रह गया। सिमरन मेरे सामने एक पिंक कलर की एक पारदर्शी शॉर्ट नाईटी पहने खड़ी थी।

क्या बताऊँ, वो क्या लग रही थी जैसे कोई परी जन्नत से उतर कर मेरे सामने खड़ी हो गई हो।

मुझे उसकी एक अदा बहुत अच्छी लगती थी। वो यह कि जब भी वो मुझे देखती थी.. दौड़ कर मुझे अपनी बांहों में जकड़ लेती थी। उस रात भी उसने ऐसा ही किया, वो दौड़कर आकर मेरे सीने से लिपट गई।

अपनी बांहों में भरते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह मुझे चूमने लगी। मेरा संयम खोता जा रहा था।

मैंने अचानक उसे अपनी गोद में उठाया और उसके बेडरूम में ले जाकर उसे बेड पर लिटा दिया। उसको लिटाने के बाद मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा। सिमरन भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी.. किस करते हुए।

मैं उसकी नाईटी के ऊपर से ही उसका दायां मम्मा दबाने लगा.. उसके सीने पर हाथ लगते ही वो एकदम सिहर उठी और एक प्यारी सी ‘आअह..’ निकाली।

फिर मैंने धीरे से उसकी नाईटी उतार दी अब वो सिर्फ गुलाबी ब्रा और पैंटी में थी। दोस्तों उस पल को बयान नहीं कर सकता कि वो कितनी खूबसूरत लग रही थी।

फिर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके सीने में चूमने चाटने लगा.. उसके पेट पर भी चुम्बन कर रहा था।

किस करते हुए मेरा दायां हाथ उसकी पैंटी पर चला गया.. उसकी पैंटी एकदम गीली हो चुकी थी। पूरा कमरा उसकी मादक सिसकारियों से गूँज रहा था।

अचानक वो एकदम से उठी और मुझे नीचे लिटाकर मेरे ऊपर बैठ गई और मेरी टी-शर्ट उतारने लगी। उसके बाद उसने मेरी सैंडो बनियान और मेरा लोअर भी उतार दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ अंडरवियर में था।

वो पागलों की तरह मेरी छाती पर किस करने लगी, उसने मेरे पूरे बदन पर अपनी चुम्मियों की बरसात कर दी। मेरे ऊपर झुक कर मुझे चूम ही रही थी कि तभी मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसके दोनों मम्मे आज़ाद कर दिए। अब मैं दोनों हाथ से उसके दोनों मम्मे दबाने लगा।

इतने में उसने मेरा अंडरवियर उतार दिया, मेरा लम्बा लण्ड उसके हाथ में था। कब उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया.. मुझे पता ही नहीं चला। मेरे लण्ड पर वो अपने मुँह को आगे-पीछे करने लगी। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था।

करीब 5 मिनट लंड चुसवाने के बाद जब मुझे लगा कि मेरा पानी छूटने वाला है.. तो मैंने उसे रोक दिया। मैंने सिमरन को नीचे लिटा दिया और मैं उसके पर लेट गया.. उसके मम्मों पर किस करने लगा।

कुछ देर तक मैं उसके दोनों प्यारे और बड़े-बड़े मम्मों से खेलता रहा.. कभी उन्हें दबाता.. तो कभी उन्हें अपने मुँह में भर लेता। सिमरन भी ‘आअह.. ऊह’ की कामुक आवाजें निकाल रही थी।

अचानक उसने मेरा सिर कस कर पकड़ा और मुझसे बोली- अर्जुन अब रहा नहीं जा रहा.. प्लीज करो न.. फिर क्या था इतना सुनते ही मैंने उसकी पैंटी निकाल दी और उसे एकदम नंगा करके मैं उसके ऊपर आ गया।

पैंटी उतरते ही उसने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं.. मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी गीली चूत पर लगाया और एक धक्का लगाया। इतने ही में सिमरन ज़ोर से चिल्लाई- आअह्ह्ह्ह्.. अर्जुन.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज निकालो इसे..

मैं समझ गया कि अभी तक सिमरन की सील नहीं टूटी थी- सिमरन, कुछ नहीं होगा पहली बार में थोड़ा दर्द होता है।

करीब एक मिनट रूककर मैं उसके मम्मों पर किस करने लगा.. जब सिमरन थोड़ी नॉर्मल हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। अब सिमरन को भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने धक्कों की गति तेज कर दी। पूरे कमरे में सिमरन की ‘आहें..’ गूँज रही थीं लम्बी सम्भोग क्रिया के बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया। हम दोनों एक साथ ही झड़े थे।

जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो उसमें खून लगा हुआ था।

उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में एक साथ स्नान किया.. फिर खाना खाया। उस रात हमने तीन बार सम्भोग किया और सुबह 5 बजे मैं अपने कमरे में आ गया.. ताकि कोई मुझे उसके घर में न देख ले।

उस रात के बाद हम दोनों का प्यार और भी गहरा हो गया। हम दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं.. हम रोज़ाना छत पर मिलते थे।

मगर शायद भगवान से हमारा प्यार देखा न गया.. भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक रोड एक्सीडेंट में मेरी सिमरन की मौत हो गई।

मैं आज भी सिमरन से बहुत प्यार करता हूँ.. जब भी उसकी याद आती है.. मैं जी भर के रोता हूँ।

दोस्तो, आप लोगों को मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी। मुझे मेल जरूर कीजिएगा। [email protected]

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