मस्त देसी भाभी की चुदास-1

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दोस्तो.. मेरा नाम राज शर्मा है। दिल्ली में रहता हूँ। मेरी उम्र 28 साल है, लम्बाई 5 फिट 6 इंच है और मैं अर्न्तवासना पर हिन्दी सेक्स कहानी का नियमित पाठक हूँ। आप सब लोगों ने मेरी पिछली कहानियों को बहुत सराहा और बहुत सारे मेल किए इसके लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

अर्न्तवासना से मेरी सेक्स कहानियों को पढ़कर बहुत से लोग फेसबुक पर मुझसे जुड़कर मेरे बहुत अच्छे दोस्त बने.. इसके लिए भी बहुत धन्यवाद।

जिन्होंने मेरी पहले की कहानियाँ नहीं पढ़ीं, वो ‘चूत चुदाने को बेताब पड़ोसन भाभी’ और ‘एक ही घर की सब औरतों की चुदाई..’ जरूर पढ़ें।

यह नई कहानी गाँव की एक भाभी की है, उनका नाम सुनीता है, उनकी उम्र 28 साल है, वो दो बच्चों की माँ है। वे कद में थोड़ी छोटी हैं।

गाँव में शादी जल्दी हो जाने के कारण उनकी उम्र बहुत कम लगती है। गाँव में खेतीबाड़ी करने के कारण शरीर हमेशा मस्त बना रहता है। सलवार-कमीज में तो उनका गदराया हुआ बदन कुवारी लड़कियों को भी फेल कर दे। उनकी चूचियां कुछ बड़ी थीं, जो किसी का भी लौड़ा खड़ा करने के लिए काफी हैं।

एक बार जब मैं गाँव गया तो वो मुझे एक गाँव की शादी में मिलीं। देखने में अच्छी लगीं.. मन किया कि काश यह माल पट जाए, तो इसकी लेने में बहुत मजा आएगा।

दोस्तों से पता किया तो पता चला कि वो हमारी दूर की रिश्तेदारी में से ही थीं.. बस मेरा काम बन गया। मैंने उनसे जान पहचान बढ़ाई और शादी के माहौल में थोड़ी ही देर में वो मुझसे घुल-मिल गईं।

थोड़ी ही देर के हँसी-मजाक में हम दोनों काफी खुल गए, फिर मैंने उनका नम्बर माँगा। तो बोलीं- क्या करोगे नम्बर का? मैंने बोला- भाभी जी पहले नम्बर दो तो सही.. रोज आपसे मीठी-मीठी बातें करूँगा, जैसे अभी कर रहा हूँ.. जिससे दोनों का मन लगा रहेगा।

कुछ देर की आनकानी के बाद उन्होंने अपना नम्बर दे दिया। इस बीच मैं उनसे हँसी-मजाक करता रहा।

इसी बीच मौका देख कर मैंने पीछे से उनके चूतड़ सहला दिए। एक बार को तो वो चौंक गईं.. फिर मुस्कुराने लगीं। अब रास्ता साफ हो गया था।

मैं उनसे सट कर बैठ गया और उनकी जाँघों को सहलाने लगा.. पर जगह ठीक नहीं थी, गाँव में इससे ज्यादा कुछ ना हो सका। वहाँ सभी मुझे पहचानते थे, इसलिए इतने में ही सन्तोष करके मैं दिल्ली वापस आ गया।

अगले ही दिन मैंने उन्हें फोन किया। वो बोलीं- कौन हैं आप? मैं बोला- आपका प्यारा देवर.. इतनी जल्दी भूल गईं मुझे, आप परसों ही तो मिली थीं।

सुनीता- ओह आप हो.. कहो कैसे याद किया। मैं बोला- भाभी आपको भूला ही कब था जो याद किया। आप हो ही इतनी सुन्दर कि आपको भुलाया ही नहीं जा रहा। सुनीता- ओह जनाब मुझ पर लाइन मार रहे हैं.. क्या इरादा है।

मैं बोला- इरादा तो नेक है भाभी। सच कह रहा हूँ आपका चेहरा हर वक्त नजरों के सामने था, सपनों में भी आप ही आप नजर आती हो। क्या करूँ आपसे बात किए बिना मन ही नहीं माना।

फिर इस तरह हमारी रोज बातें होने लगीं। उनकी और मेरी अच्छी बनने लगी।

धीरे-धीरे बातें सेक्स की तरफ भी जाने लगीं- भाभी, आपकी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है?

सुनीता- क्या बताएं राज.. मैं गाँव में सास-ससुर के साथ रहती हूँ। तुम्हारे भाई वहीं दिल्ली में काम करते हैं। छः महीने में 20 दिन के लिए आते हैं। बाकी समय तो खुद पर कन्ट्रोल करती हूँ।

मैंने कहा- अच्छा.. ‘मन’ नहीं करता क्या आपका। सुनीता- करता तो है.. पर क्या करूँ, वो पास तो हैं नहीं.. तो उंगली से ही काम चलाना पड़ता है। मैं- भाभी जी उसमें ‘वो’ मजा कहाँ.. जो असली लौड़े को चूत के अन्दर लेने में आता है। ‘हम्म.. सो तो है..’ ‘तो किसी और से करवा लो।’

सुनीता- नहीं यार यहाँ ऐसा नहीं कर सकती। कहीं पकड़ी गई तो पूरे गाँव में बदनामी हो जाएगी। मैं- अच्छा मन तो है.. पर गाँव में चुदवाने से डरती हो। सुनीता- हाँ जी, यही समझ लो।

मैं- अच्छा चुदाई की बात करने में तो कोई डर नहीं है ना। सुनीता- नहीं.. इसमें कैसा डर। तुम मुझसे रोज खुलकर चुदाई की बातें कर सकते हो।

फिर हम रोज ही सेक्स की बातें करने लगे। दोनों बातों-बातों में रोज एक-दूसरे का पानी गिराने लगे।

एक बार मैंने पूछा- भाभी आपकी चूत कैसी है। वो बोली- एकदम गुलाबी है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं- भाभी जी इतने साल चुदने के बाद भी गुलाबी कैसे रहेगी। मैं नहीं मान सकता। सुनीता- तो आकर देख लो.. गुलाबी ना निकली तो कहना। मैं- अच्छा अगर देखने के बाद पसंद आ गई तो। सुनीता- तो जो मरजी कर लेना जी।

मैं- भाभी जी तब तो देखनी ही पड़ेगी आपकी गुलाबी चूत। भाभी एक बात कहूँ फोन में आपको बहुत चोद लिया, मैं आपको सचमुच में चोदना चाहता हूँ। मेरा लौड़ा अब आपकी चूत में जाने को तड़फ रहा है। कब तक ऐसे एक-दूसरे का पानी निकालेंगे। मैं सचमुच में आपकी चूत में पानी निकालना चाहता हूँ। आपको हचक कर चोदना चाहता हूँ।

सुनीता- राज, मैं भी तुमसे चुदना तो चाहती हूँ, पर गाँव में ये संभव नहीं है। कहीं बाहर ही ये हो सकता है.. देखो कब मुलाकात होती है।

कहावत है न कि जब सच्चे मन से किसी की लेनी चाहो तो ऊपर वाला भी खुद ही जुगाड़ कर देता है।

इसी बीच यूपी में हमारे एक रिश्तेदार की लड़की की शादी फिक्स हो गई। भाभी जी को भी निमंत्रण था, मैंने उन्हें वहाँ आने के लिए मना लिया। बस भाभी के मेरे लण्ड के नीचे आने के दिन नजदीक आने लगे।

आखिरकार वो दिन भी आ ही गया। मैं एक दिन पहले ही लड़की वालों के घर पहुँच गया और वहाँ का पूरा इन्तजाम देखा। आखिर मुझे भाभी को चोदने की जगह भी तो फिक्स करनी थी ताकि उन्हें चोदने में कोई परेशानी ना हो और वो बिना डर के चुदवा सकें।

उनके घर के थोड़ी ही दूरी पर गन्ने के खेत थे। मैं पहले दिन ही जाकर खेत के अन्दर चोदने की जगह बना कर आ गया था। वहाँ हम दोनों को कोई नहीं देख सकता था।

वैसे भी शादी के माहौल में कौन खेतों के अन्दर तक आएगा।

अगले दिन सुबह-सुबह वो भी आ गईं।

पूरे दिन हम शादी की तैयारियों में व्यस्त रहे। फिर शाम को मैं उन्हें घुमाने के बहाने अपने साथ ले गया और वहाँ से कुछ दूर पैदल चलने के बाद पीछे मुड़कर देखा कि कोई हमारा पीछा तो नहीं कर रहा है। जब पक्का हो गया कि सभी शादी में ही उलझे हुए हैं.. तो मैंने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें गन्ने के खेतों के बीच ले गया।

सुनीता- देवर जी मुझे यहाँ क्यों लेकर आए हो। मैं- भाभी जी आपको मालूम तो है। मुझे आपकी गुलाबी चूत देखनी है। सुनीता- नहीं नहीं.. यहाँ नहीं। यहाँ कोई आ गया और किसी ने देख लिया तो?

मैं- भाभी जी यहाँ खेतों के बीच में कोई नहीं आता है। वैसे भी यहाँ हम दोनों को कोई नहीं जानता, मान जाओ ना.. फिर ऐसा मौका कभी नहीं मिलेगा और आपकी चूत देखने को ही तो आपको यहाँ शादी में बुलाया है। किसी को पता नहीं चलेगा, तुम चिन्ता ना करो।

थोड़ी देर मनाने के बाद वो मान गईं। वैसे भी उन्हें पता तो चल ही गया था कि आज कुछ न कुछ तो होकर ही रहेगा।

मैंने अपना गमछा बिछाकर उन्हें अपने पास बिठाया। थोड़ी देर हाथों को सहलाकर उनके होंठों में अपने होंठ रख दिए। वो भी महीनों की प्यासी थीं और अपने गाँव से चुदने ही आई थीं।

उन्होंने मुझे जकड़ लिया, मैंने भी अपने हाथों से उनकी चूचियों को दबाना शुरू किया और कपड़ों के ऊपर से ही उनकी चूत सहलाने लगा। वो भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थीं।

कुछ ही मिनट की चुसाई के बाद हम दोनों अलग हुए.. दोनों का बुरा हाल था, मेरा लण्ड पैंट में तम्बू बन गया था, दोनों ने फटाफट अपने-अपने कपड़े उतार कर साइड में रख लिए। आग दोनों तरफ बराबर लगी थी।

फिर मैंने देखा वाकयी उनकी चूत गुलाबी थी। मैं- वाह भाभी.. आपकी चूत तो सचमुच में गुलाबी है। इसे देखकर तो मजा आ गया। सुनीता- राज क्या करूँ.. ज्यादा चुदी नहीं है ना.. पूरे साल में 30 दिन तो कुल चुदती है ये, बाक़ी साल भर सूखी रहती है.. तो गुलाबी तो होगी ही। मैं- चिन्ता न करो भाभी.. आज मैं इसे पूरी तरह से तर कर दूँगा.. देखो मेरा लौड़ा इसे सींचने के लिए कब से तैयार खड़ा है।

फिर हम दोनों 69 में आ गए.. वो मेरा लौड़ा चूस रही थीं और मैं उनकी गुलाबी चूत को चूस रहा था। वो मेरा लौड़ा लगातार ऐसे चूसे जा रही थीं, जैसे मूली समझ कर खा जाना चाहती हों।

उनकी चूत चूसने में और उनके चूचियां दबाने में बहुत मजा आ रहा था। चूत में जीभ की रगड़ से वो कुछ ही देर में झडने लगीं.. मैंने उनका सारा पानी पी लिया।

मैंने भी उनके मुँह में ही धक्के लगाने शुरू कर दिए। कुछ ही समय में मेरा लावा भी उनके मुँह में गिरने लगा जिसे वो पूरा चाट-चाट कर साफ कर गईं। हम दोनों को ही इस ओरल सेक्स चूसा चुसाई में बहुत मजा आया।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद वो फिर से मेरा लौड़ा सहलाने लगीं, मेरा हथियार फिर से खड़ा हो गया था।

सुनीता- अब ना तड़पाओ राज, डाल दो इसे मेरी चूत के अन्दर.. ये लण्ड खाने को कब से तड़फ रही है। वो अपनी टांगें फैलाकर जमीन पर लेट गईं।

मैंने भी अपने लौड़े पर थूक लगाया और उनकी चूत के दाने पर रगड़ने लगा।

वो तो पागल सी हो गईं.. उन्होंने खुद मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर लगा लिया और ऊपर को जोर लगाने लगीं।

मैंने भी लण्ड को चूत पर दबाना शुरू किया.. चिकनी चूत होने के कारण लण्ड को रास्ता बनाने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। लण्ड पूरा अन्दर जाते ही उनके मुँह से एक लम्बी ‘आह..’ निकली।

चूत वाकयी में टाइट थी, शायद बहुत समय बाद चुदने के कारण ऐसा था। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए।

दोनों को बहुत मजा आ रहा था। वो उछल-उछल कर मेरा साथ दे रही थीं, हर धक्के के साथ उनकी मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं- आहह आहह.. राज और जोर से.. मैं कब से इसे अपने अन्दर लेने को तड़फ रही थी.. आहहह आहह.. जोर से पेलो राज..

‘आहह.. भाभी.. मैं खुद कई दिन से तुम्हें चोदना चाह रहा था.. आखिर आज आप मेरे लण्ड के नीचे आ ही गईं.. कसम से लाजवाब हो भाभी.. आपने तो दिल खुश कर दिया.. लो और लो..’ मैं उन्हें हचक कर चोदने लगा।

उन्होंने भी चुदाई के खूब मजे लिए, फिर एकदम से वो अकड़ गईं- आहह आहहह.. मैं आ रही हूँ राज.. और जोर से चोदो..

कुछ ही देर में उन्होंने पानी छोड़ दिया।

अब तो उन्हें चोदने में और भी मजा आने लगा, उनकी चूत में लण्ड के अन्दर-बाहर होते समय ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज गूंज रही थी और उनके मुँह से कामुक सिसकारियाँ माहौल को मस्त बना रही थीं।

मैंने उन्हें हर तरीके से चोदा.. उन्होंने दो बार और पानी छोड़ दिया।

अब मेरा लौड़ा भी जवाब देने लग गया, मेरा भी होने वाला था- भाभी मेरा होने वाला है.. बोलो कहाँ गिराऊँ। मैंने धक्के तेज कर दिए।

सुनीता- राज, अन्दर ही गिरा दो.. कब से चूत सूखी पड़ी है.. इसे अपने पानी से सींच दो.. मैं तुम्हें अपने अन्दर महसूस करना चाहती हूँ। डरने की कोई बात नहीं, मैंने आपरेशन करा रखा है।

मैं- दिल खुश कर दिया भाभी आपने तो.. चूत के अन्दर माल गिराने का तो मजा ही और है.. वैसे भी मुझे अन्दर गिराने में बहुत मजा आता है।

मैंने कुछ ही झटकों के बाद अपना सारा पानी उनकी चूत के अन्दर भर दिया और थोड़ी देर बाद लण्ड बाहर निकाल कर उनके बगल में लेट गया।

मैं- बोलो भाभीजान.. मजा आया कि नहीं.. चूत की खुजली मिटी की नहीं..

सुनीता- राज आज बड़े दिनों बाद चूत को इतना सुकून मिला। मेरी कई दिनों से बंजर जमीन आज तुम्हारे पानी से तर हो गई। सच में बहुत मजा आया तुम बहुत अच्छा चोदते हो.. कहाँ से सीखा ये सब?

मैं- आप जैसी भाभियों की ही दुआ है। उन्होंने ही सिखाया। भाभी मजा आया हो तो एक राउण्ड और हो जाए। देखो मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। इसे एक बार और अपनी चूत की सवारी कर लेने दो।

अब भाभी का उतावलापन देखने लायक था और वो सब अगले भाग में देखते हैं।

आपको कहानी कैसी लगी। अपनी राय मेल कर जरूर बताईएगा। आप इसी आईडी से मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। आपकी अमूल्य राय एवं सुझाओं की आशा में आपका राज शर्मा

[email protected] कहानी जारी रहेगी।

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