कमसिन क्लासमेट पूजा की चुदाई -3

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मैं मयंक एक बार फिर हाजिर हूँ अपनी आगे की दास्तान लेकर! मेरी पहली कहानी को बहुतों ने पढ़ा और बहुत मेल भी आए। आप सबको बहुत धन्यवाद जो आप लोगों ने कहानी को इतना पसंद किया।

अब तक आपने पढ़ा.. ‘ये ले साली रंडी.. ले मेरा लौड़ा.. खा.. यह ले साली कुतिया पूजा.. आह्ह्हह ह्हह..’ वो झड़ गई.. और मैं उसे जम कर चोदता रहा.. करीब 5 मिनट और चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। अब हम लोग आगे बढ़ते हैं..

उस दिन के बाद से हमें जब भी मौका मिलता.. हम दोनों चुदाई में लग जाते थे। उस वक़्त मुझे पता चला कि पूजा पहले से ही सेक्स करने के लिए कितनी उतावली थी और उस दिन जो भी हुआ.. वो सब वो बहुत पहले से करना चाहती थी।

वो बहुत ही गरम लड़की थी और उसे एकदम मस्त और गरम चुदाई ही ठंडा कर सकती थी। सच ये भी था कि चुदवाने में वो बहुत तेज थी.. जब भी मौका होता वो मुझे अपने घर बुला लेती.. या मेरे घर आकर मेरा लंड अपनी चूत में ले लेती थी। सब कुछ मस्त चल रहा था.. मगर मुझे उसकी मस्त गाण्ड मारनी थी.. मगर वो साली उस पर हाथ रखने नहीं देती थी। मैं जब भी बोलता.. तो ‘कभी और करेंगे..’ बोल कर टाल देती थी.. मगर मेरा ध्यान तो उसकी मस्त गाण्ड पर ही था।

कुछ दिन बाद उसकी नानी के घर से फ़ोन आया कि उसकी नानी की तबियत बहुत ख़राब है.. तो उसके पापा और मम्मी दोनों जल्दी जल्दी में निकल गए।

हम दोनों स्कूल में थे.. तो हमें कुछ नहीं पता था.. वापस आए तो मेरी मम्मी ने ये बात बताई और ये भी बोला कि उसकी मम्मी ने ये बोला है कि वो खाना यहाँ अपने घर खाएगी और रात को मैं उसके घर सोया करूँगा।

फिर वो खाना खाकर अपने घर चली गई और थोड़ी देर बाद उसने फ़ोन किया और मुझे आने को बोला। मैं अपनी माँ को बोल कर उसके घर के लिए निकला और जब उसके घर पहुँचा तो देखा कि बाहर का गेट खुला हुआ है।

मैं गेट बंद करके अन्दर गया। वो अन्दर नहीं थी.. तो मैं उसके कमरे की तरफ गया और कमरे का दरवाजा खोला।

अन्दर का नजारा ऐसा था कि किसी बूढ़े का भी लंड खड़ा हो जाता। पूजा बिस्तर पर अपने पेट के बल लेटी हुई थी और उसके मस्त बदन पर सिर्फ ब्लैक कलर की ब्रा.. जिसकी स्ट्रिप बहुत पतली थी और एक ब्लैक कलर की धागे वाली पैंटी चिपकी हुई थी।

उसकी पैंटी की डोरी उसकी मस्त और सुडौल गाण्ड के बीच मैं घुसी हुई थी और पीछे से उसकी गाण्ड एकदम नंगी लग रही थी। पीछे से उसके बदन पर सिर्फ ब्रा का पतला स्ट्रिप और पैंटी का पतला धागा था और पूरा जिस्म नंगा था।

यह देख कर मेरा लण्ड पैंट फाड़ कर बाहर आने को बेक़रार हो गया। मेरे लण्ड में दर्द होने लगा। इस बेपनाह हुस्न की मलिका को नाममात्र के कपड़ों में देख कर मैं पागल हो गया और उसकी मस्त गाण्ड को देख उसको मारने की इच्छा और भी प्रबल हो गई।

लंबी नंगी.. केले के तने सी शेप वाली टाँगें.. और उन टाँगों के अंत में एकदम उठी हुई पूरे गोल शेप में उसकी मतवाली गाण्ड.. और उस गाण्ड को अलग करने वाला एक चीरा.. जो उसके दोनों चूतड़ों को अलग किए हुए था। ऐसा लगता था कि दोनों गोलों को संभाल कर रखा हुआ था।

उसके ऊपर उसकी पतली सी कमर और उसके ऊपर उसकी नंगी पीठ जिस पर सिर्फ उसकी ब्रा की स्ट्रिप थी। उस पर उसकी सुराहीदार गर्दन.. ये सब मुझे पागल बना रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं अपना काबू खुद पर खो बैठा और अपना सारा कपड़े खुद निकाल कर उसके बदन पर जाकर अपना लण्ड उसकी फूली और निकली हुई गाण्ड पर सैट करके लेट गया।

हाय.. क्या मस्त अहसास था उसके नंगे जिस्म का अपने नंगे जिस्म पर..

मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा और अपने एक हाथ से उसके कान को सहलाने लगा। उसके कान और उसकी गर्दन उसकी कमजोरी थे.. और मैं उसको ही चूम और सहला रहा था।

वो धीरे-धीरे अपना आपा खो रही थी और उसके बदन की गर्मी उसके ऊपर चढ़ रही थी। उसकी बदन की गर्मी उसको पागल बना रही थी। वो नीचे से अपने बदन को हिला रही थी और गोल-गोल नचा रही थी।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की फांकों के बीच में घुसा हुआ था और उसकी पैंटी की डोरी से रगड़ खा रहा था। इस वजह से उसकी गाण्ड के छेद में भी रगड़ हो रहा था.. जिस वजह से उसकी गाण्ड का छेद बहुत गरम हो गया था, उसकी गर्मी मैं अपने खड़े लण्ड पर महसूस कर रहा था।

मैं उसको किस करते-करते अपनी कमर को चलाने लगा और अपने लण्ड को उसके गाण्ड के छेद पर ऊपर से नीचे रगड़ने लगा। ये हरकत हम दोनों को बहुत मस्त कर रही थी, वो इतनी मस्ता गई थी कि अपनी दोनों टाँगों को अलग कर.. मेरे लण्ड के लिए जगह बना रही थी।

फिर मैं उसकी गर्दन को चूसते हुए उसकी पीठ को चूमने लगा और उसकी ब्रा के स्ट्रिप को हटा कर पीठ की चिकनी चमड़ी को चूसने लगा। अब उसकी हालात और भी ख़राब हो गई। मैं उसके पीठ को चूस और चाट रहा था और उसके बगलों को भी.. वो एकदम से पागल हो गई और चिल्लाने लगी- चूस जाओ मेरे पूरे बदन को.. खा जाओ मुझे.. राण्ड बना कर मुझे चोदो.. जहाँ मन है वहाँ चोदो.. जैसे मन हो.. वैसे चोदो.. मगर मुझे चोदो राजा अपने लण्ड से..।

वो खुद अपनी एक चूची को दबाने लगी और जोर की आवाज निकाल रही थी ‘आआअह्ह ह्हह्ह ऊऊह्ह्ह.. म्म्म्म म्म्म्मम्म चूसो.. और गीला कर दो मेरे बदन को.. ह्ह्ह्म्म…’ मैं उसकी पीठ चूमते-चूमते उसकी कमर के पास आ गया और उस पर अपनी जीभ चलाने लगा।

अब तो उसकी हालात और भी ख़राब हो गई और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी.. जिसकी महक मेरे नाक में आई.. फिर मैं और जोर से उसकी कमर को चूसने लगा और अपने एक हाथ को आगे ले जाकर उसके निप्पल को मसलने लगा.. जिससे वो एकदम से मचल गई और अपना बदन मोड़ने लगी और ज़ोर से चीखने लगी ‘आआह्ह्ह्ह.. ऊह्ह्ह ह्ह् म्म्म म्मम्मम्म म्मह्ह्ह्ह्ह..’ उसकी चूत से पानी निकलने लगा।

कहानी बहुत मदमस्त होती जा रही है.. प्लीज़ कहानी पर अपने विचार जरूर दें। [email protected]

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