खूबसूरत मैनेजर लड़की की पहली मस्त चुदाई

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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मोहित है और मेरी उम्र 27 साल है। मैं एक अच्छे खासे सुंदर जिस्म का मालिक हूँ। मैं गाजियाबाद में वैशाली का रहने वाला हूँ। मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई औसत से अधिक है।

बात 2010 की है.. मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए गुड़गाँव चला गया वहाँ, राजीव चौक के पास रूम किराए पर लेकर रहने लगा। एक अच्छी कपड़ों की कंपनी में मेरी जॉब भी लग गई.. जिसने अपने शोरूम हर जगह की मार्केट में खोले हुए थे।

एक शोरूम गुड़गाँव के सहारा मॉल में था जिस पर मैनेजर एक लड़की को रखा गया था।

मेरा काम दिल्ली एनसीआर के शोरूम पर कॉल करके बात करना होता था कि कहीं कोई दिक्कत तो नहीं है।

जब मैंने सहारा मॉल के शोरूम पर फोन किया.. तो उधर से किसी लड़की की प्यारी सी आवाज आई। मैंने उससे बात की और उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम निशा बताया।

मुझे उससे बात करना अच्छा लगा.. अब मैं उससे रोज बात करने लगा और कुछ दिनों में हमारी हँसी-मजाक भी होने लगी थी।

एक दिन मैंने उससे मिलने के लिए पूछा तो वो मान गई।

मैंने बॉस को फ़ोन करके छुट्टी ले ली और निशा से बोल दिया कि वो सीधे ऑटो लेकर राजीव चौंक आ जाए।

वो मान गई और 20 मिनट बाद उसने फ़ोन किया कि वो आ गई है। मैं वहाँ पहुँचा तो देखता ही रह गया। कसम से वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

मैंने ‘हाय हैलो’ की और उसे अपने रूम पर ले आया। हम दोनों इधर-उधर की ऑफिस व घर परिवार की बातें करने लगे।

फिर मैंने उससे कहा- आप बहुत सुन्दर लग रही हो। वो थोड़ी सी शर्मा गई।

मैंने उसके माथे पर चुम्बन ले लिया.. वो थोड़ी लजा गई। हम फिर बातें करने लगे..

थोड़ी देर बाद मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगा। वो थोड़ी शरमाई.. फिर मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया।

वो मुझे पीछे धकेलते हुए बिस्तर पर बैठ गई। मैं फिर उसको ‘सॉरी’ बोलते हुए पास में बैठ गया.. तो वो बोली- सॉरी क्यों?? मैंने कहा- कुछ नहीं.. और मैं थोड़ा भावुक हो गया।

उसने मेरा हाथ पकड़कर चूम लिया। बस फिर क्या था.. मैंने तो जैसे चुम्बन की झड़ी ही लगा दी.. उस पर गालों पर, माथे पर, गले पर और जोर से उसे अपनी बांहों में भर लिया।

फिर निशा भी मुझे किस करने लगी। हम दोनों एक-दूसरे के आगोश में खोते हुए जा रहे थे।

अब मैं अपना हाथ उसके मम्मे पर ले गया और हल्के से दबा दिया, उसने लम्बी सी सांस ली और अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया और उसे बिस्तर पर लिटा लिया और उसके ऊपर आ गया। अब वो भी गर्म होने लगी थी, उसने अपने हाथ मेरी कमर में डाल दिए और मुझे कसकर पकड़ लिया।

इसके बाद मैंने उसके मम्मों को टॉप के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।

जैसे ही उसकी गरम सांसें मेरी सांसों से टकराईं तो मैंने उसका टॉप ऊपर करके मम्मों को दबा दिया। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी, उसे देखते ही मेरा लंड फुंफकार मारने लगा।

मैंने उसकी ब्रा हटाकर उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। वो ‘आई लव यू मोहित.. आई लव यू मोहित..’ करने लगी।

वो कहने लगी- कभी मेरा साथ तो नहीं छोड़ोगे? मैं भी पूरे जोश में था और कहा- कभी नहीं।

हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा किस करने लगे। मैंने निशा की जीन्स भी खोल दी.. उसने नीचे पिंक रंग की पैंटी पहनी थी।

अब तो हमारे जनाब काबू से बाहर होने लगे। मैंने उसकी जीन्स निकालने के बाद पैंटी भी निकाल दी, अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी थी।

क्या मस्त बदन था दोस्तो उसका.. मैं तो जैसे उसे देखकर पागल सा ही हो गया था। मैंने अपनी शर्ट और जीन्स भी उतार दी।

मेरे फनफनाते लौड़े को देखकर वो बोली- हाय ये एकदम कितना बड़ा हो गया। मैंने कहा- देखती जाओ मेरी जान.. ये अब क्या कमाल करता है।

हम दोनों एक-दूसरे को लिपट गए और दुनिया की परवाह ना करते हुए चूमने लगे। मैं उसकी चूचियों को खूब दबा-दबा कर चूस रहा था। वो पूरी गर्म हो गई थी। उसने झट से मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और आगे-पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने कहा- इसे मुँह में लो मेरी जान। तो वो कहने लगी- छी.. ये तो गन्दी चीज है।

पर मेरे थोड़े जिद करने पर वो मान गई और कोई कपड़ा ढूँढने लगी।

मैंने अपना तौलिया उसे दे दिया। उसने मेरे लौड़े को तौलिए से साफ़ किया, फिर धीरे-धीरे चूसने लगी। मैंने जोश में कहा- आह्ह.. जोर-जोर से चूसो न इसे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

पर वो लंड से हटकर मुझे किस करने लगी, मैं भी उसे किस कर रहा था। मैं माथे से शुरू होकर उसे किस करता हुआ पेट तक आ गया। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा.. तो वो पूरी तरह गीली हो गई थी।

मैंने धीरे से एक उंगली चूत में डाल दी। वो सिसकारी भरने लगी। चूत बहुत टाइट थी, वो अभी तक शायद किसी से चुदी नहीं थी।

मैं उसके ऊपर 69 पोजीशन में आ गया और चूत में जीभ डालकर चाटने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चूत को मस्त करके चूसा.. तो उसने भी मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और ‘सपड़-गपड़’ चूसने लगी।

मुझे लगा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं जल्दी ही झड़ जाऊँगा क्योंकि हमें चूसते हुए देर हो चुकी थी। मैं वहाँ से हटकर निशा के ऊपर आ गया और उसकी चूची चूसने के बाद अपना लंड उसकी चूत पर लगा दिया।

वो कहने लगी- कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना? मैंने बोला- जान कुछ नहीं होने दूँगा।

मैंने लंड को थोड़ा अन्दर धकेला.. तो वो बिना शोर किया अपना मुँह खोलकर झेल गई। बोली- बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज रहने दो.. फिर कभी करेंगे।

पर मैंने कहा- जानू पहली बार में थोड़ा सा दर्द होगा.. बस फिर मजा आएगा। वो तैयार हो गई।

मैंने लंड को थोड़ा सा और धकेला तो लगभग आधा लंड अन्दर सरक चुका था। अब वो दर्द से कराहने लगी थी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।

अब मैंने लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर धीरे-धीरे हल्के-हल्के धक्के मारने लगा। उसे भी मजा आने लगा था। वो भी कभी दर्द की सिसकारियों और कभी मजे की सिसकारियों के साथ मेरा पूरा साथ दे रही थी।

फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोश में पता ही नहीं चला कि मेरा लम्बा लंड कब उसकी चूत में पूरा चला गया। मैं उसके ऊपर जबरदस्त धक्के मार रहा था।

इधर वो मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए थी और नोंच रही थी.. पर मुझे कुछ महसूस नहीं हो रहा था।

थोड़ी देर मैं वो कुछ ढीली सी पड़ गई तो मैं समझ गया कि वो झड़ गई है। मेरा भी झड़ने वाला था.. तो मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और 15-16 धक्कों के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और निढाल होकर उसके ऊपर लेट गया।

मैंने उसके कान में ‘आई लव यू’ कहा और हम दोनों 5 मिनट ऐसे ही पड़े रहे।

मैं उससे अलग हुआ तो देखा कि काफी चादर उसकी चूत से निकले हुए खून में सन गई है। वो उसे देखकर थोड़ा डर गई.. पर मैंने समझाया- ये कोई नई बात नहीं है.. ये पहली बार निकलता ही है जान।

हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ़ किया। फिर मैंने मेडिकल स्टोर से उसे ‘आई पिल’ लाकर दी।

इसके बाद तो हम 2 साल तक खूब चुदाई करते रहे। फिर मैंने पूर्वी दिल्ली में एक कंपनी ज्वाइन कर ली और गाजियाबाद की वैशाली में रहने लगा और निशा से मिलना-जुलना भी कम सा हो गया था।

फिर पता लगा कि निशा की भी कहीं शादी पक्की हो गई है। उसके बाद मैंने नई कंपनी में एक रिसेप्शनिस्ट को पटाया और उसे चोद कर खूब मजे किए। वो मैं अपनी अगली कहानी मैं बताऊँगा।

दोस्तो.. मैं एक बहुत अच्छा शायर भी हूँ।

‘हमारी प्यास का अंदाजा भी अलग है ऐ दोस्त,

कभी समुंदर भी ठुकरा देते हैं और कभी आंसू भी पी जाते हैं।’

मुझे ई-मेल करके जरूर बताइएगा कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी। [email protected]

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