पटाखा माल जवान पड़ोसन की चुदाई-2

दोस्तो मुझे आपके मेल मिले आपको यह कहानी बहुत पंसद आई.. मैं आपका तहे-दिल से धन्यवाद करता हूँ आगे की कहानी लिख रहा हूँ।

अगले दिन मैंने सुबह उसको फिर देखा और मेरा लंड उसको देखते ही 90 डिग्री के कोण पर खड़ा हो गया। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने उससे इशारा में कहा कि मुझे तुमसे मिलना है।

वो साली भी समझ चुकी थी कि ये साला मुझे चोद कर ही मानेगा। उसने उंगली के इशारे से कहा कि दो बजे मेरे मामा-मामी गांव जा रहे हैं। मैं अकेली रहूँगी।

मैंने कहा- ठीक है।

मैंने पूरी तैयारी कर ली थी.. पर मैंने सोचा कि अगर इसने उस दिन की तरह मना कर दिया.. तो मेरा तो काम लग जाएगा।

मेरे एक मित्र ने मुझे एक आइडिया दिया।

मैं ठीक दो बजे उसकी खिड़की के बाहर पहुँच गया.. वो नए कपड़े पहन कर खड़ी थी।

उसने मुझे अन्दर खींचा, मैंने देखा तो उसने मेरे लिए उसकी खटिया बिछा दी। मैंने जाते ही प्यार की उससे दो-चार बातें की और उसकी तरफ ऐसे टूट पड़ा। जैसे एक शेर अपने शिकार की तरफ टूट पड़ता है।

मैंने उससे कहा- अपने कपड़े उतार। पर वो पिछली बार की तरह का नाटक करने लगी और कहने लगी- ऊपर ऊपर से कर लो..

बस मैंने भी अपने मित्र के द्वारा दिया गया आइडिया आजमाया, मेरा मित्र मेरा सेक्स गुरू था।

मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा थोड़ी देर बाद वो मूड में आने लगी.. पर मैं जैसे ही उसके कपड़े उतारने लगता.. वो मेरे हाथ पकड़ लेती। मैंने कहा- मैं जा रहा हूँ और दुबारा वापस भी नहीं आऊँगा।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे नहीं जाने दिया।

मैंने भी कहा- मेरी एक शर्त है कि अगर तूने मेरे प्यार के बीच में मेरे हाथ पकड़े तो मैं उसी समय तेरे कमरे से बाहर चला जाऊँगा। उसने भी इशारों ही इशारों में मेरी शर्त को मंजूरी दे दी।

फिर क्या था.. मैं उसके जिस्म का मालिक बन बैठा था। मैंने उसको अपने जिस्म से कसके जकड़ते हुए चिपका लिया और उसके जिस्म पर कसके चुम्मियां लेते हुए प्यार से काटने लगा.. मैं जितना जोर से कर सकता था.. कर रहा था।

वो भी उतना ही तेज मुझे कसके पकड़ रही थी। अब हम दोनों के गुप्तांग एक-दूसरे को छू रहे थे।

वो पागल सी होने लगी थी और मुझे अपने जिस्म से बहुत तेज कस रही थी। मैंने आज तक अपने आपको ऐसे कभी जकड़े नहीं देखा था।

मैंने कहा- एक मिनट रूक.. मेरे को कुछ चुभ रहा है।

तब जाकर उसने मुझे छोड़ा.. मैं जाकर उसकी खटिया पर लेट गया और मैंने अपनी पैंट उतार दी। वो लालसा भरी निगाहों से मेरे खड़े खम्बे को देख रही थी।

मैंने धीरे से अपनी अंडरवियर भी उतार दी। मेरा खड़ा हुआ लंड देखकर वो दूर से ही मेरी तरफ ऐसे खिंची चली आई जैसे कि कोई प्यासे को कई सालों के बाद नल मिला हो। उसने मेरा लंड अपने हाथों में लिया और उसको कसके पकड़ लिया।

मैं डर गया और मैंने सोचा कि आज तो मैं गया ये साली लौड़ा उखाड़ने के मूड में दिख रही है। उसने दो सेकण्ड में मेरा लंड अपने मुँह में रख लिया और अपनी जुबान से उसकी टोपी को चाटने लगी।

मुझे जीवन में इतना मजा कभी नहीं आया था।

उसको मेरा लंड झाड़ कर फेंकने में एक मिनट नहीं लगा। मेरा पूरा पानी निकल चुका था। वो उसे गटक गई।

अब जबकि मेरा लंड अब ढीला पड़ चुका था.. फिर भी वो उसे चूसे जा रही थी।

थोड़ी देर बाद मेरे लंड को फिर ताकत मिल गई और वापस अपनी औकात पर आ गया।

अब उसे दर्द देने की मेरी बारी थी, तो मैंने उसको खटिया पर उल्टा लेटाकर और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

वो एकदम से चिहुंक गई। वो सोच रही थी कि कहीं ये मेरी गांड तो नहीं मारेगा। पर मैं किसी से कम नहीं था। मैंने उसकी सलवार कुर्ती निकाल दी और बाद में उसको पूरी नंगी कर दिया।

उसके जैसे ही दोनों कड़क निप्पल दिखे.. मैं उन पर टूट पड़ा और मैंने उनको कसके काट लिया। उसकी तो मानो जैसे जान ही निकल गई।

मुझे इस बात का ध्यान नहीं था, वो चिल्ला उठी थी।

फिर दो मिनट बाद मैंने फटाफट उसको सीधे से उल्टा कर दिया।

वो तो मानो चिहुंक गई.. उसने सोचा कि क्या इसको यह भी पता नहीं है कि चूत पीछे नहीं होती है। मैं भी उसकी भरी हुई गांड का दीवाना था।

जैसे ही मैंने उसे मोड़ा तो मुझे उसके दो गोल-गोल गुलाब जामुन जैसे दो कूल्हे दिखाई पड़े और एक सेकंड में ही मैं उन पर टूट पड़ा। उनको मैंने पहले चूमा.. फिर उन पर दांतों से काटना शुरू कर दिया।

वो तो सोच रही थी कहीं ये पागल तो नहीं हो गया है। सच में.. मैं तो उसकी गांड को देख-देख कर पागल होते जा रहा था।

मैंने फिर उसके बीच का सेंटर देखा और मुझे लगा कि पहले मुझे यहीं पर चुदाई की प्रैक्टिस कर लेनी चाहिए। सो मैंने उसकी गांड को चौड़ा कर दिया और उस पर थूक लगा दिया।

वो सोचने लगी कि पता नहीं ये क्या करने की सोच रहा है। पर मुझे उससे कुछ मतलब नहीं था। मैं तो उसकी गांड में लंड डालने को बेताब था।

मैंने अपना लंड पकड़ा और उसके छेद में डाल दिया और उसके ऊपर ही कूद पड़ा। वो तो मेरे इतने बड़े झटके से तड़प गई और चिल्लाने लगी।

मैंने उसका मुँह बंद करते हुए धक्के देने शुरू कर दिए। उसकी गांड जो सिकुड़ गई थी.. उसे लौड़े से जकड़ कर.. खींच कर चौड़ा कर दिया और उसके अन्दर तक पूरा हथियार घुसा दिया।

उसको भी थोड़ी देर बाद यह सब अच्छा लगने लगा और उसने खुद ही अपने चूतड़ चौड़े कर दिए।

मैं अपनी पूरी ताकत से अब धक्के देने लगा। फिर मेरा झड़ गया.. मैंने उसके चूतड़ों के बीच वाले काले भाग को मेरे वीर्य से पूरा भर दिया था।

अब मैं उसके ऊपर से हट गया और उसके साईड में जाकर लेट गया।

उसने अपनी गांड में हाथ डाला तो वो गुस्सा हो गई.. पर मेरा ध्यान अब उस पर नहीं था।

मैं ध्यान की मुद्रा में आ गया और अपने लंड को पुर्नजीवित करने लगा।

बाबाजी की दया से कुछ ही मिनट में मेरा लंड वापस अपनी ताकत से ऊर्जावान हो गया। अब मुझे उस पर मेरा गुस्सा निकालना था.. क्योंकि वो मेरे ध्यान में बड़ा विघ्न डाल रही थी।

मैंने उसको पकड़ा और उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरा। इतना करते ही वो पागल हो गई। मैंने देखा कि उसकी चूत तो पहली ही झड़ चुकी है।

मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और वो चुदास के मारे तड़पने लगी। अब मैं उसका दाना लगातार सहलाए जा रहा था।

वो सिसकारियां भरने लगी और पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया।

‘जब मुझे निकालना था उस पर खार.. तब मैंने चौड़ा किया उसका द्वार.. तनी जा रही थी मेरी तलवार.. मैंने कर दी छिद्र के उस पार..’

अब मैंने अपना लंड पूरी ताकत से एक ही बार में उसकी चूत में घुसा दिया

ये मेरा पहली बार था इसलिए ऐसा हुआ था। वो जोर से चिल्ला उठी। मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया।

उसने मुझसे कहा- मुझे दर्द हो रहा है बाहर निकालो.. मुझे अब यह सब नहीं करना है।

मैं वासना में भड़का हुआ था तो मैंने चूत में करारी ठोकर लगा दी। मतलब मैं उसके दर्द को नजरअंदाज करते हुए अपना काम किए जा रहा था।

कुछ देर की पीड़ा के बाद वो शांत हो चुकी थी।

मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मजा आने लगा था। वो धीरे-धीरे मादक आवाजें निकालने लगी ‘उफ आह.. उह..’

वो हाड़ौती क्षेत्र की थी इसलिए वो हाड़ौती में बड़बड़ाए जा रही थी। मैंने स्पीड बढ़ा दी.. तो वो बोली- अर म्हारा बाप रे.. आज तो काईं मार ही डालोगो के.. आह्ह.. बना दह म्हारी चूत को भोसड़ा.. आह उहइ.. उउउह.. अरी जीजी री मार नाख्यो.. कर ना पायो में ठंडो.. अश्यो घुसायो भाया न दंडो..

अब वो भी अपने कूल्हे मटकाने लगी थी।

मैंने तकिया उठाया और उसकी गांड के नीचे लगा दिया। इससे उसकी चूत उभर कर और ऊपर को आ गई।

‘हम दोनों जवानी की मस्ती में चूर.. उसका कसूर ना मेरा कसूर..’

वो अब मुझे पूरी ताकत से जकड़ने लगी थी और बोली- जतनो दम छ थारा मुसल्ड म, लगा द म्हारा घुसल्ड म..

वो एकदम से अकड़ गई और अपना पानी छोड़ने लगी। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी।

‘धक्के पर दिया धक्का.. और नो बॉल पर मार दिया छक्का..’

मैं लगातार पेले जा रहा था। मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था।

मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ? उसने बोला- जब छील दी तन म्हारी छाल.. तो निकाल द इ में ही थारो माल।

मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में उड़ेल दिया और उसके ऊपर गिर गया।

दस मिनट बाद जब मैं उठने लगा.. तो मैंने देखा कि उसकी खटिया खून से लथपथ हो चुकी थी।

उससे भी उठा नहीं जा रहा था। मैं खुश था कि मैंने ऐसी हाड़ौतन की चुदाई की.. जो कि सील पैक माल थी।

दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. इसका जवाब जरूर दीजिएगा।

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