कॉलेज गर्ल के साथ चुदाई के पल-3

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अब तक आपने पढ़ा..

मैं मानसी को चोदने की तैयारी कर रहा था.. तभी मुझे उसकी मदमस्त गांड देख कर आइडिया आया कि पहले इसकी गांड मार ली जाए।

अब आगे..

मैंने बचा-खुचा तेल उसकी गांड के छेद पर टपका दिया और उंगली से तेल फैलाते हुए उंगली गांड के भीतर डालने लगा। मानसी थोड़ा चिहुंकी.. लेकिन उसे मज़ा आ रहा था इसलिए कुछ नहीं बोली।

मैंने चुपके से अपने लंड को भी तेल से सरोबार कर दिया और मानसी की गांड पर टिका दिया और रगड़ने लगा। मानसी को लगा होगा कि मैं बस रगड़ कर छोड़ दूंगा।

फिर मैंने अपने लंड को मानसी की गांड के खड्डे की सीध में लाकर जोर से लंड उसकी गांड में पेल दिया। मानसी जोर से चीखी.. जबकि मेरे लंड का सिर्फ सुपारा ही अन्दर घुसा था.. वो अपने पैर पटकने लगी।

मैं एकदम रुक गया और मानसी की गांड में अपना लंड एडजस्ट होने दिया।

कुछ मिनट के बाद वो शांत हो गई और गाली बकते हुए बोली- मादरचोद, पहले बोलता न कि गांड मारनी है, मैं कौन सा मना करने वाली थी.. साले मेरी गांड का भुरता बना दिया चूतिये। मैं हँसते हुए बोला- मेरी प्यारी छिनाल रांड.. मुझे तेरी चीख सुननी थी।

मानसी बोली- भेन के लौड़े मैं तेरी हूँ और तू मेरा है.. मैं तुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करूँगी.. बस मुझे प्यार करते रहना। मेरी चूत और गांड के साथ मेरे बोबे भी तेरे हैं। मैंने कहा- बात बंद कर और यह बता कि लंड को और अन्दर घुसाऊँ या नहीं?

मानसी बोली- हराम के जने.. जब लंड का टोपा घुसा ही दिया है तो अब पूरा का पूरा घुसा कर मेरी गांड की सील तोड़ दे और अपनी मन की मुराद पूरी कर ले.. साले भोसड़ी के!

मैंने फिर उसकी गांड में और एक धक्का मारा और मानसी बोली- अब थोड़ा धीरे-धीरे कर.. लगता है कि मेरी गांड छिल गई है।

मैंने थोड़ा तेल मानसी की गांड के छेद के आजू-बाजू लगाया और लंड पेलने लगा। धीरे-धीरे पूरा लंड मानसी की गांड में सरका दिया। मानसी की गांड बहुत टाइट थी।

फिर मैंने थोड़ा रुक कर उसके चूचे दबाए और लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।

अब मानसी को भी मज़ा आने लगा और वो मेरी लय से लय मिलाने लगी जब मैं आगे धक्का मारता तो मानसी पीछे को धक्का मारती।

मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मानसी की ठुकाई पहली बार हो रही थी।

मैंने पूछा- छिनाल.. तू अब तक कितनों से ठुक चुकी है? मानसी बोली- लवड़े.. प्यार तेरे से किया है तो तेरे लवड़े से ही चुदवाऊँगी ना। कसम से पहली बार चुद रही हूँ और वो भी चूत में नहीं गांड में।

मैं बोला- जानू चिंता मत कर… आज तेरी चूत और गांड दोनों का भोसड़ा बना दूंगा.. तू ठीक से चल भी नहीं पाएगी। मानसी बोली- जान जो करना है कर.. बस मेरी आज बरसों की प्यास बुझा दे।

मैं मानसी के मम्मे दबाते हुए उसकी गांड पेल रहा था। इतने में मैंने एक हाथ उसकी चूत पर रखा और देखा कि उसकी चूत पूरी तरह से पनिया गई थी।

मैंने उसके दाने को छेड़ना शुरू किया.. जिससे वो उछलने लगी। कुछ मिनट की पेलमपेल से मेरा पानी निकलने वाला था। यह मैंने मानसी को बताया तो बोली- मुझे तेरा पानी पीना है.. इसीलिए पानी को गांड में मत निकालना।

नेकी और पूछ पूछ.. मैंने झट से लंड निकाला और उसे कपड़े से पोंछ कर उसके मुँह में दे दिया।

मैं उसके मुँह में अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा।

कुछ ही देर में मैंने सारी फ्रेश क्रीम मानसी के मुँह में उड़ेल दी और मानसी पूरा का पूरा माल चाट गई। उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर अच्छे से साफ़ कर दिया।

हम दोनों थक चुके थे लेकिन अभी प्रोग्राम बाकी था.. तो हम दोनों तेल साफ़ करने बाथरूम में घुसे और शावर के नीचे नहाने लगे। नहाते हुए हमारी मस्ती फिर से शुरू हो गई और मैंने मानसी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया, मानसी ने भी मेरे मुरझाए हुए लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया।

मानसी के लंड सहलाने से मेरी मूतने की इच्छा हुई तो मैंने उसे छोड़ने को कहा ताकि मैं मूत सकूँ।

मानसी बोली- मेरे मुँह पे मूतो। मैंने कहा- पागल हो गई हो? उसका जवाब आया- हाँ मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गई हूँ। मैं बोला- ले.. माँ चुदा.. मुझे तो मूतना है।

मैं मूतने लगा.. तो मानसी झट से नीचे बैठ गई और मेरी मूत को अपने चूचियों पे लेने लगी.. फिर उसने मुँह पे भी मूत की धार छुड़वाई।

मानसी का यह रूप देख कर मुझे भी उसके मूत से नहाने की इच्छा हुई.. तो मैंने उससे कहा- तुम भी मेरे शरीर पर मूतो।

मानसी मान गई और मैं बाथरूम के फर्श पर लेट गया और मानसी खड़े-खड़े मेरे ऊपर मूतने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. जब ‘श..स्स्स्स्स्..’ की आवाज़ के साथ उसका मूत मेरे शरीर पर गिर रहा था।

मैंने भी अपना मुँह उसकी मूत की धार के सामने कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा। उसका कुछ मूत मेरे मुँह में गया.. जो मैं निगल गया।

मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी। मानसी ने मेरे सर को पकड़ा और अपनी चूत पर दबाने लगी.. क्योंकि वो झड़ने वाली थी।

मैंने भी अपनी जीभ जोर से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और मानसी इतने में झड़ गई।

मैं तुरंत उठा और उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया। ऐसा करने से मानसी एकदम दोहरी हो गई.. क्योंकि चाटते हुए उसका पानी निकला और वो पूरी तरह संभल भी नहीं पाई थी कि मैंने लंड घुसा दिया था।

खड़े-खड़े मानसी को चोदते हुए उसके पैर दुखने लगे.. तो मैंने उसे उठा लिया और मानसी ने मेरी कमर में अपने पैर फंसा लिए। अब मानसी की चूचियां मेरी छाती से दब गईं।

मानसी ने अपने हाथ मेरी गर्दन में डाल दिया और उचक-उचक कर मेरा साथ देने लगी।

कुछ मिनट तक यूं ही चोदते-चोदते दोनों का पानी एक साथ छूट गया। फिर हम दोनों अच्छे से नहा कर बाहर आ गए।

मानसी बहुत थक चुकी थी और मैं भी थोड़ा आराम करना चाहता था। लेकिन भूख भी लगी थी।

मैं किचन में गया और दोनों के लिए मैगी बनाई.. साथ में कॉफ़ी भी बना ली।

वापस आया तो मानसी नंगी ही बिस्तर पर सो रही थी। मैंने मानसी को किस करते हुए जगाया और हम दोनों ने मैगी खाई और कॉफ़ी पी।

थोड़ी देर सोने के लिए एक-दूसरे से आलिंगनबद्ध हो गए।

करीबन तीन घंटे के बाद मेरी नींद टूटी तो देखा कि मानसी मेरे सोये हुए शेर को चूस कर जगाने की कोशिश कर रही है। इसी वजह से मेरी नींद भी खुली थी।

मैंने मानसी को मेरे ऊपर उल्टा होकर आने को कहा.. जिससे उसकी चूत मेरे मुँह के पास थी और मेरा लंड उसके मुँह के पास।

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई वैसे ही मानसी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

दोनों फिर उत्तेजित हो गए और मैंने शहद की शीशी निकाली और उसकी चूत पर डाल कर चाटने लगा।

फिर मैंने मानसी को पीठ के बल सीधा किया और थोड़ा और शहद उसकी चूत पर डाल कर उंगली से उसकी चूत के अन्दर तक फैला दिया और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का मारा।

शहद की वजह से घर्षण बढ़ गया और हमें मज़ा आने लगा।

मैंने उसे 20 मिनट तक चोदा होगा जिसमें मानसी दो बार झड़ गई और फिर मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।

इतनी चुदाई के बाद मानसी वाकयी सही से चलने लायक नहीं थी, मैंने उसे थोड़ी देर आराम करने को कहा।

फिर हम मेरे दोस्त के आने से पहले वहाँ से चले गए।

रात को मानसी ने बताया- मेरे पापा पूछ रहे थे कि लंगड़ा कर क्यों चल रही हो तो मैंने कह दिया कि पैर में मोच आ गई.. इसी वजह से लंगड़ा कर चल रही हूँ।

इसके बाद हमें चुदाई का मौका नहीं मिला.. पर हम जब भी मिले तो चूमा चाटी जरूर की। मानसी कहती कि तुम मुझसे शादी नहीं कर सकते तो क्या हुआ.. मैं तो तुम्हें अपना पति आजीवन मानूंगी।

कुछ सालों बाद मैंने वो शहर छोड़ दिया और बड़ौदा में बस गया। फिर मेरी मानसी से कभी बात नहीं हुई। कारण कि बड़ौदा आने के बाद मैंने अपना नंबर बदल लिया था और उसे नया नम्बर नहीं दिया था।

लेकिन मैं आज भी मानसी से प्यार करता हूँ.. इसलिए नहीं कि हमने काफी अच्छे से सेक्स किया.. बल्कि इसलिए क्योंकि मानसी एक बहुत अच्छी लड़की है जो मेरे जहन में बस चुकी है। आई लव यू मानसी।

दोस्तो, आपको कैसी लगी यह कहानी? जरूर बताइएगा। [email protected]

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