पड़ोसन दीदी के दूध का कर्ज-2

अब तक आपने पढ़ा..

मेरे पड़ोस में रहने वाली दीदी मुझे अपने बाजू में बिठा कर मेरे साथ अठखेलियाँ कर रही थीं। तभी वो मेरा खड़ा लंड देख कर गुस्सा हो गईं।

अब आगे..

मैं- नहीं दीदी.. मैंने जानबूझ कर नहीं किया.. यह अपने आप ही हो जाता है। दीदी- ऐसे-कैसे अपने आप हो जाता है? जरूर आपने ही किया होगा। मैं- नहीं दीदी सच में.. मैं तो आपके बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता हूँ। उस वक़्त मेरा गला पूरा सूख चुका था।

दीदी- अच्छा, मेरे बेटे का मेरे लिए खड़ा भी होता है। इतने में उन्होंने अपना राईट हैंड मेरे लंड पर रख दिया और हल्के से उसे पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगीं।

मेरी तो जैसे सारी दुनिया ही बदल गई कि ये क्या हो रहा है। मैं- दीदी ये सब ठीक नहीं। दीदी- मुझसे क्यों शर्माते हो, बड़ी हूँ मैं आपसे।

मैं- पर दीदी अगर किसी को पता चला तो बहुत पिटाई होगी। दीदी- अपने बेटे को मैं क्यों पिटने दूँगी और मैं किसी को क्या बताऊँगी? पर पहले मुझे अपने बेटे का लंड देखना है देखूँ तो सही.. किसने मेरे सामने सिर उठाया है।

उनके इस बिंदास अंदाज पर मैं कुछ नहीं बोला और ना ही अपनी पैन्ट खोली। मैं- दीदी नहीं मुझे कुछ भी नहीं करना।

इतने में दीदी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और पैन्ट नीचे कर दी। अब वो मेरी चड्डी सरका कर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़े हुए थीं और बड़े ही गौर से उसे देख रही थीं।

मैं दीदी के चश्मे में से उनकी उस काली आँखों में चमक देख सकता था। दीदी- तेरा तो बहुत अच्छा है, दीदी से क्यों छुपा कर रखता है इसे?

इतने में उन्होंने एक किस बिल्कुल मेरे लंड के मुँह पर कर दिया, जिससे मेरे लंड से एक-दो बूँदें बाहर को आने लगीं.. रस देख कर दीदी हंसने लगीं।

दीदी- आप कुछ और कहते हो.. और आपका लंड तो कुछ और ही बोल रहा है। मैं चुप रहा और इधर-उधर देखने लगा जैसे मेरा इन चीजों में कोई इंटरेस्ट ना हो।

दीदी ने इतने में एक और किस किया। मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा। उन्होंने मुझे एक आँख मारी और सारा का सारा मेरा लंड मुँह में डाल लिया। मैं तो जैसे नशे के सातवें आसमान पर था।

यह मेरा पहली बार था.. इसलिए मैं एक-दो मिनट से ज्यादा न टिक सका और दीदी के मुँह में ही निकल गया।

दीदी ने अब मेरा लंड मुँह से निकाला और मेरा पानी भी बाहर थूका।

दीदी- बता तो देता कि छूटने वाला है.. अपनी दीदी के मुँह में पानी गिराना अच्छा लगता है? मैं- नहीं दीदी वो बस मजा आ रहा था और मैं आपको रोकना नहीं चाहता था। दीदी अभी मेरा हो गया.. अभी और मन नहीं कर रहा.. मुझे जाना है।

दीदी के मन में पता नहीं क्या आया और मेरा मुरझाया हुआ लंड उन्होंने फिर से मुँह में ले लिया। थोड़ी मेहनत के बाद उसमें फिर से जान आ गई।

दीदी- अभी तो नहीं न जाने का मन कर रहा? मैं- नहीं दीदी। दीदी- तो फिर मुझे खुश नहीं करेगा क्या?

उनके इतना कहते ही मैंने उनको सोफे पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया मैं उनके पिंक टॉप के ऊपर से ही उनके मम्मों पर खूब सारे किस करने लगा।

दीदी- ऊपर से ही करेगा.. या कुछ उतारेगा भी?

मैंने दीदी का टॉप उतार दिया। उनके पिंक टॉप के नीचे पिंक निप्पल मुझ पर जादू करते जा रहे थे। मैं तो मानो पागल ही हो गया था। उन्हें देखते हुए कभी एक निप्पल चूस रहा था और कभी दूसरा.. और वो मेरे सिर पर प्यार से हाथ फिराते हुए जा रही थीं।

कुछ मिनट चूचे चूसने के बाद मैं उठा- दीदी मुझे कुछ और भी करना है। दीदी- और क्या करना है आपने मेरे साथ?

मैंने दीदी को अपना हाथ पकड़ाया और एक साथ से उन्हें खड़ा किया। अब मैं दीदी को सिर्फ एक स्कर्ट में देख रहा था सफ़ेद स्कर्ट में मेरी प्यारी सफ़ेद सी दीदी बहुत मस्त लग रही थीं।

मैं- दीदी मुझे आपकी स्कर्ट को भी उतारना है। दीदी- भला मैं अपने बेटे को कैसे मना कर सकती हूँ.. आ जाओ मेरे पास।

मैंने उनको दोनों हाथों से पकड़ लिया और एक ज़ोर से होंठों पर किस कर दिया। किस करते-करते ही हम वापिस सोफे पर जा गिरे। इस बार मेरा राईट हैंड उनकी स्कर्ट के अन्दर अपना रास्ता ढूँढ रहा था और वो भी अपनी टाँगों को खोलते हुए मेरे हाथ को चूत का रास्ता दिखा रही थीं।

हम लोग लगातार किस कर रहे थे। मेरा हाथ अब उनकी पैन्टी के ऊपर से उनकी चूत सहला रहा था। मुझे उनकी पैन्टी काफी गीली सी फील हुई, पर मुझे क्या था.. मैं तो मजे ले रहा था।

दीदी- ऊपर से ही करते रहेगा.. या अन्दर भी हाथ डालेगा। मैं- जरूर दीदी।

अब मैंने दीदी की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया। दीदी की चूत बिल्कुल साफ़ थी.. एक भी बाल नहीं था।

मैं- दीदी मुझे आपकी चूत देखनी है। दीदी- आपको शर्म नहीं आएगी अपनी दीदी की चूत देखते हुए।

वो एक स्माइल देने लगीं।

दीदी- चलो, फिर उतारो मेरी पैन्टी.. अभी दिखाती हूँ।

मैंने दीदी की पैन्टी से हाथ बाहर निकाला और उसको नीचे को खींच दिया। दीदी ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी, उन्होंने पिंक पैन्टी जॉकी की पहन रखी थी।

मैं- दीदी आपकी कलर चॉइस तो बहुत अच्छी है।

इतने में मैं आगे बढ़ा और दीदी की पैन्टी नीचे करने लगा। दीदी की चूत किसी मक्खन की टिकिया लग रही थी। चूत के बीचों बीच में एक लाइन और अन्दर सब पिंक-पिंक दिख रहा था।

मैं- दीदी अब समझा.. आपको पिंक क्यों इतना पसंद है। आपकी चूत भी पूरी पिंक है। दीदी- मजाक तो बहुत अच्छा कर लेता है तू.. अब दिखा इसके अन्दर उंगली भी इतनी अच्छी कर लेता है क्या?

मैं यह मौका कहाँ छोड़ने वाला था, मैंने उनकी पैन्टी नीचे उतारी और चूत में उंगली करने लगा।

मैं- दीदी आपसे एक बात पूछूँ.. मुझे सच तो बताओगी ना? दीदी- मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूंगी। मैं- आप पहले किसी से चुदवा चुकी हैं?

दीदी- हाँ.. अपने मंगेतर से दो बार चुदवा चुकी हूँ। बस अब उनसे शादी हो जाएगी फिर मैं सिर्फ उनकी ही बन कर रहूँगी। मैं- आपकी तो पांच-छह महीनों में शादी हो ही जाती.. तो फिर मुझसे क्यों?

दीदी- लड़कियों को तुझ जैसे शर्मीले लड़के बहुत पसंद होते हैं। वैसे भी मैंने कभी नहीं सोचा था कि तेरे साथ ऐसा करूँगी। पर जैसा-जैसा मन करता गया.. मैं करती गई और वैसे भी तेरे लिए तो अच्छा ही है.. कम से कम अब मेरा बेटा लड़कियों से शर्माएगा तो नहीं ना।

इतना कह कर दीदी ने अपनी चूत से मेरी उंगली निकाली और फिर मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगीं। दीदी- इससे आगे बढ़ने का क्या कोई इरादा नहीं आपका?

मैंने अपनी पैन्ट और चड्डी पूरी तरह निकाल दी। अब मैं उनके ऊपर आ गया और उनकी चूत में लंड डालने लगा। दीदी को अभी मेरी तरफ देख कर हँसी आई।

दीदी- आपको अभी ज्यादा कुछ नहीं पता।

फिर मुझे नीचे आने को कहा और मेरे नीचे आते ही उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर टिकवा लिया। जैसे ही लौड़े को रास्ता मिला, वो अन्दर घुस गया। दीदी की चूत काफी कसी हुई थी। मेरा लंड तो उनकी चूत के अन्दर ऐसे फिट हो गया.. जैसे ये चूत सिर्फ मेरे लिए ही बनाई गई हो। वो एहसास मैं कभी नहीं भूल सकता। मेरा लंड पूरी मस्ती में था और मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मेरे लंड पर गुदगुदी कर रहा हो। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं दीदी के दोनों मम्मों को हाथों में पकड़ रखे थे और ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। साथ ही मैं दीदी को ज़ोर से किस किए जा रहा था।

दीदी भी मेरा साथ ऐसे दे रही थीं.. जैसे आज मेरे होंठ नोंच ही डालेंगी।

फिर मैं ऊपर आ गया। अभी उन्हें चोदते हुए कुछ ही मिनट हुए थे कि मेरे शरीर में एक तेजी से बिजली दौड़ी और मेरा पानी दीदी की चूत में निकल गया।

मैं निढाल होकर गिर गया।

दीदी- आपका हो गया क्या? मैं- हाँ जी दीदी।

फिर दीदी ने मुझे एक किस दिया और मुझे अपने ऊपर से उठा दिया और वो बाथरूम की तरफ जाने लगीं। मैं बस जाते हुए उनकी मटकती हुई गांड देख रहा था जिनके ठुमकने से मेरे दिल की धड़कन और तेज़ कर रही थी। इतने में दीदी बाथरूम में चली गईं और मैं बाहर उनके इंतज़ार में सोफे पर ही सो गया।

बाद में शायद दो घंटे बाद उन्होंने मुझे उठाया, वो अभी मेरे सामने ब्लैक लैगी और रेड टॉप में खड़ी थीं। दीदी- आपके मम्मी पापा का फ़ोन आया था.. चलो तैयार हो जाओ।

मैं उठा और दीदी को किस करने कर लिए आगे बढ़ा। दीदी ने मुझे रोका और प्यार से एक चपत मेरे चेहरे पर लगा दी- चलो मेरे राजा, पहले तैयार हो जाओ अभी.. पापा-मम्मी से वेट करवोगे क्या?

अब मैं तैयार हो गया।

कुछ देर तक मैं दीदी की यादों में लेटा हुआ था। मम्मी-पापा का वेट भी कर रहा था। तभी गेट पर बेल बजी.. और पापा-मम्मी और दीदी की फैमिली भी आ गई।

मम्मी ने खुद से गेट खोला और सामने दीदी ही खड़ी थीं।

मम्मी- इसने तंग तो नहीं किया न? दीदी- अरे नहीं, ये तो बस सोता रहा.. मैंने इसके लिए आइसक्रीम बनाई थी.. पर ये सो रहा था इसलिए उठाना ठीक नहीं समझा।

इतने में दीदी ने आइसक्रीम मम्मी को पकड़ाई और अन्दर चली गईं।

मम्मी ने मुझे आइसक्रीम पकड़ाई और चली गईं।

मैंने आइसक्रीम की तरफ देखा तो ये स्ट्रॉबेरी फ्लेवर था.. पर मुझे क्या मेरे लिए तो ये पिंक आइसक्रीम थी।

उसके बाद मुझे कभी दीदी के साथ कुछ करने का मौका नहीं मिला और जब मौका मिला तो दीदी की शादी हो चुकी थी और उन्होंने कुछ करने से बिल्कुल मना कर दिया। बस एक छोटा सा लिप किस देकर वो चली गईं। शायद वो अपने पति से बेवफाई नहीं कर सकती थीं।

अब दीदी अपने पति के साथ यूएसए में सैटल हैं और मैं आज भी उनके साथ बिताए हुए पल नहीं भुला पाता हूँ।

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