सर्दी की रात देसी भाभी की चूत के साथ

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मेरा नाम पंकज है। मैं 22 साल का एक बहुत ही आकर्षक बंदा हूँ।

यह घटना अभी कुछ दिनों पहले इसी जाड़े की है जब मैं अपने गाँव गया था।

मेरा गाँव बहुत बड़ा है.. वहाँ ज़्यादातर औरतें मेरी भाभी लगती हैं। उन्हीं में से एक हैं सुमन भाभी।

भैया सेना में हैं और उनका परिवार एक सयुंक्त परिवार है, भाभी देखने में बहुत सुंदर हैं। उनकी चूचियां बड़ी और ठोस हैं.. उनके चूतड़ भी बहुत ही आकर्षक हैं।

मैं जब अपने गाँव जाता हूँ तो बाहर सरकारी हैण्डपंप पर ही नहाता हूँ। इस बार नवम्बर की शुरूआत में मैं अपने गाँव गया था।

एक दिन मैं हैण्डपंप पर नहा रहा था तभी सुमन भाभी वहाँ पानी भरने आईं। मैं केवल अंडरवियर में था और मेरा लम्बा लंड थोड़ा खड़ा हुआ था।

भाभी की नज़र मेरे अंडरवियर पर ही थी। मैंने मज़ाक में धीरे से कहा- क्या देख रही हो भाभी?

उन्होंने कहा- कुछ नहीं.. ‘पम्प’ से पानी भरना है। मैंने कहा- तो भर लो.. मना किसने किया है.. जितना चाहो उतना ‘ले लो’। वो बोलीं- सबके सामने?

मैंने कहा- तो आप बताओ कैसे लोगी? वो आँख मार कर बोलीं- शाम को छत पर मिलना.. तब बताऊंगी कि कैसे लूँगी।

दोस्तो, ऐसा खुला ऑफर सुनकर भला किसे चैन मिलेगा।

किसी तरह शाम हुई.. किस्मत से उनकी छत और मेरी छत आपस में मिली हुई है।

ठंड में अँधेरा जल्दी हो जाता है। मैं शाम को 6 बजे ही छत पर पहुँच गया।

थोड़ी ही देर में वो भी आ गईं और बोलीं- आज रात को छत पर ही सोना। मैंने कहा- जल्दी आना.. मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा। वो बोलीं- तुम परेशान मत हो.. मैं जल्दी ही आऊँगी।

मेरा मन तो बल्लियों उछलने लगा।

किसी तरह खाना खा-पीकर मैं छत पर सोने चला गया।

समय बीतता जा रहा था, मेरी आँखों में नींद नहीं थी, मैंने सोचा कहीं भाभी मुझे बेवकूफ़ तो नहीं बना गईं।

करीब 11 बजे छत पर थोड़ी आहट हुई!

मैं चौकन्ना था.. देखा तो भाभी आ रही थीं।

उनके नजदीक आते ही मैंने कहा- इतनी देर लगा दी? वो बोलीं- सबके सोने के बाद ही आ पाई हूँ।

‘अब बताओ क्या काम है?’ वो बोलीं- पंकज, मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं.. अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ.. तुम्हारे भैया तो 6 महीने में एक बार ही आते हैं और उस पर भी मुझे उनसे बच्चा नहीं हुआ। गाँव वाले ताना देते हैं। तुम्हरी चाची भी ताने दे देकर मुझे परेशान करती हैं.. इसीलिए मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है।

मैं बोला- भाभी तुम चिंता मत करो.. मैं तुम्हें बच्चा दूँगा। इतना कहने के साथ ही मैंने उनका पल्लू नीचे गिरा दिया।

वो बोलीं- रूको.. मैं अपने बिस्तर बिछा कर दोबारा आती हूँ.. ताकि किसी को शक ना हो।

वो गईं और कुछ ही मिनट में ही वापस आ गईं। उनके आने तक मैंने अपना अंडरवियर उतार कर रख दिया था और केवल लुंगी में कंबल ओढ़ कर लेटा, अपने लंड को सहला रहा था।

भाभी आईं और अपनी साड़ी उतार कर मेरे कंबल में घुस गईं।

अब हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे, हमारे होंठ और लार आपस में मिल गई।

दोस्तो, क्या बताऊँ.. भाभी कितनी गर्म थीं। थोड़ी ही देर में उन्होंने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया था।

मेरे मुँह से ‘अहह..’ निकल रही थी।

भाभी बोलीं- चुप रहो.. कोई हमें सुन लेगा। मेरी ‘आहह..’ धीमी हो गई।

मैंने अपनी लुंगी और बनियान को उतार दिया और भाभी का पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे और कंबल के नीचे थे। भाभी मुझे जकड़े हुए किस कर रही थीं.. धीरे से मैं उन्हें लिटाकर उनकी चूचियों को चूसने लगा। क्या टाइट चूचियां थीं।

निप्पल चूसने की पुचुर-पुचुर की आवाज़ कंबल के अन्दर आ रही थी।

भाभी धीमे स्वर में बोल रही थीं- आह.. पंकज.. धीरे चूसो..

धीरे-धीरे मैं उनकी मखमली जाँघों से होते हुए उनकी बुर तक आ गया। लगता था उन्होंने अपनी बुर आज ही शेव की थी।

क्या रसीली बुर थी भाभी की.. बिल्कुल डबलरोटी सी फूली हुई। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने तुरंत अपना मुँह भाभी की चूत की दरार से सटा दिया।

भाभी चिहुंक पड़ीं। उनकी गर्म सांसें तेज हो रही थीं।

मैं भाभी की चूत को चूस रहा था- पुचह.. लिकक्कक.. पुच.. पकुहह..

दोस्तो, क्या स्वाद था भाभी की चूत का.. मैं बता नहीं सकता। वो अपने हाथों से मेरे सर को चूत पर दबा रही थीं।

मैंने जी भर के भाभी की चूत चाटी, वो भी ‘अह.. इश्स..’ करके मेरा साथ दे रही थीं।

अब उनसे रहा नहीं गया.. वो बोलीं- पंकज अब बस करो.. अब मुझे और मत तड़पाओ।

मैं उनका इशारा समझ गया और उनको सीधा करके भाभी की जाँघों को फैला क़र उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया। हय.. क्या टाइट चूत थी उनकी।

मैंने पूछा- भाभी तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है। वो बोलीं- जब सालों तक चुदेगी ही नहीं.. तो टाइट तो होगी ही।

मैंने उन्हें चोदना शुरू किया, धक्के लगाना शुरू किए.. नीचे से वो भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थीं।

‘फॅक.. फॅक..’ की आवाज़ कंबल के अन्दर आ रही थी। साथ में हमारी भारी साँसों की आवाज़ के साथ ‘ओह.. अह..’ की आवाज़ भी माहौल को गर्म कर रही थी।

पता नहीं वो कब से प्यासी थीं। थोड़ी देर वैसे ही चोदने के बाद वो बोलीं- जरा रूको..

अब भाभी ने एक तकिया अपने चूतड़ों के नीचे लगा लिया।

मैंने पूछा- ऐसा क्यों? भाभी बोलीं- इससे तुम्हारा लंड सीधा बच्चेदानी तक पहुँच जाएगा और तुम्हारा माल मेरी बच्चेदानी में ही गिरेगा।

अब मैंने भाभी को दोबारा चोदना शुरू किया और बीच-बीच में उन्हें किस भी करता जा रहा था। करीब एक घंटे की भाभी की चुदाई के बाद मैंने कहा- भाभी, मैं छूटने वाला हूँ। भाभी बोलीं- डाल दो। ‘पेट से हो गईं.. तो सबको क्या जबाव दोगी? ‘वो सब मेरा सरदर्द है तुम अभी रुको मत.. बस चोदते जाओ..’

मैंने ‘अयाया..’ की आवाज़ के साथ अपना पूरा माल भाभी की चूत में उड़ेल दिया।

वो भी संतुष्ट होकर मुझे चूमने लगीं और बोलीं- इसी हफ्ते तेरे भैया को आना है मैं उनसे चुदा लूँगी.. पर ये तो बताओ कि मुझे तुमसे बच्चा तो हो जाएगा ना? मैंने भैया के आने की बात सुन कर खुश होते हुए कहा- भाभी, तुम परेशान ना हो.. भगवान ने चाहा तो बच्चा ज़रूर होगा।

उस रात हम सोए नहीं और चार बार जम कर सेक्स किया।

सुबह जल्दी ही मैं शहर आ गया, क्योंकि उन्हीं दिनों भैया को भी आना था। वे एक दिन के लिए आकर चले गए, भाभी ने उनसे रात को समागम किया था।

फिर दोबारा एक हफ्ते बाद मैंने गाँव जाकर उनकी चुदाई का यही कार्यक्रम करीब 3 दिन लगातार चलाया।

आज भाभी मेरे बच्चे की माँ बनने वाली हैं। वो जब भी मिलती हैं.. मुझे धन्यवाद देना नहीं भूलती हैं।

भाभी कहती हैं- मुझे दूसरा बच्चा भी तुमसे ही चाहिए।

अब उनको ताने भी नहीं मिलते.. वो कहती हैं इस बच्चे का नाम भी तुम रखो।

आप सभी कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल कीजिएगा। [email protected]

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