बहन की चूत चुदास से रिश्ते बदल गए

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मेरा नाम मनोज कुमार है, मैं पटना में रहता हूँ।

यह मेरी पहली कहानी है।

बात उन दिनों की है.. जब मैं इंटर पास करके बीसीए की पढ़ाई के लिए अपने ननिहाल आ गया था।

वहाँ मेरे मामा की एक लड़की थी.. उसका नाम समीष्ठा था। वो इतनी खूबसूरत थी कि परी भी उसके आगे फीकी पड़ जाए।

मैं वहाँ कई साल बाद गया था.. इसलिए मुझे ज़्यादातर लोग पहचान नहीं पा रहे थे।

यहाँ आकर मैं पढ़ाई में पूरी तरह से लग गया था। मुझे क्या पता था कि यहाँ मेरे साथ वो सब कुछ होने वाला है, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं है।

मुझे समीष्ठा मन ही मन चाहने लगी थी.. पर मुझे कुछ भी पता नहीं था। वो हमेशा मुझसे बात करती और मेरे हाथ पकड़ लेती थी।

मुझे लगता था कि वो ऐसे ही पकड़ती है.. पर उसकी दीदी को शक हो गया था और उसने मेरे कॉलेज जाने के बाद उसे जम के डांट लगाई।

कॉलेज से जब मैं वापस आया तो देखा कि समीष्ठा रो रही है। मैंने पूछा- क्या हुआ? तो उसने सब कुछ बताया और आंगन में ही मुझसे लिपट कर रोने लगी।

मैंने पूछा- क्या तुम सच में मुझसे प्यार करती हो? तो उसने हामी में सर हिलाया। मैंने उससे कहा- तुम हमारा रिश्ता कैसे भूल सकती हो.. और मैं भी किसी और से प्यार करता हूँ।

पर उसे कुछ भी समझ में नहीं आया। वो अब मुझे सीधे-सीधे परेशान करने लगी।

मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा था.. पर मैं वहाँ से पढ़ाई छोड़ कर भाग भी नहीं सकता।

एक दिन जब मामा घर पर नहीं थे और मैं रात में अकेले सो रहा था.. तभी कुछ आवाज़ सी आई।

मैंने दरवाजा खोला तो समीष्ठा खड़ी थी। दरवाजा खुलते ही वो जल्दी से अन्दर घुस आई और मुझे किस करने की कोशिश करने लगी।

मैंने उसे धक्का दे दिया और ये सब करने से मना किया।

वो मुझे कहने लगी- तुम कैसे लड़के हो.. कि तुम्हारा मन ही नहीं करता? मैंने कहा- करता है.. पर तेरे साथ नहीं करता।

मैं उसे भगाना चाहता था.. पर वो जा ही नहीं रही थी। फिर वो बोली- आज तो मुझे बस यहीं सोना है।

वो यह कहते हुए मेरे पास लेट गई और बात करने लगी। मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैं भी बात करने लगा।

बात करते-करते वो मेरे ऊपर चढ़ जाती थी। उस जैसी खूबसूरत लड़की मेरे ऊपर बार-बार आ रही थी तो अब मैं शायद बदल रहा था।

मैं उसके भाई से बदल कर कुछ और होने लगा था.. पर जैसे-तैसे किसी तरीके से खुद को काबू किया।

वो रात बीत गई.. पर मुझे ना जाने क्या हो गया, अब मैं सारा दिन बस उसी के बारे में सोचता रहने लगा। शायद मेरे अन्दर का शैतान जाग गया था।

फिर एक दिन वो मेरे पास आई, आज मुझे उसने जैसे ही छुआ, मैंने पकड़ कर भयंकर तरीके से काफी देर तक उसे किस किया। वो एकदम से दंग रह गई। उसके होंठ बिल्कुल गुलाब के पंखुड़ी की तरह कोमल थे।

वो बोली- तुम इतना अच्छा किस कैसे कर लेते हो? मैंने बोला- गर्लफ्रेंड से सीख गया। ‘और क्या-क्या सीखे हो?’ ‘आज रात को कमरे में आना.. सब बता दूँगा।’

वो आँख मार कर चली गई।

रात जब वो आई.. तो ऐसा लग रहा था कि कोई हुस्न परी आ गई हो।

मैंने उसे झट से बिस्तर पर लिटाया और किस करने लगा। चूमने में ही वो बिल्कुल चुदने के लिए बेताब हो गई।

मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसका वो संगमरमर सा बदन देख कर मैंने तो बस अपना लंड उसकी चूत में डालना चाहा.. पर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

आहहहह.. क्या मज़ा आ रहा था… उसके होंठ मेरे लंड के चिकने वाले भाग को जब छू रहे थे.. तो मेरी तो सिसकारियां निकलने लगीं।

मैं उसके मम्मों को दबा रहा था.. जो छोटे-छोटे और बिल्कुल रुई के गोले जैसे थे।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत में लौड़ा डालना चाहा.. तो लौड़ा अन्दर जा ही नहीं रहा था। मैं समझ गया कि अभी ये किसी से नहीं चुदी है।

मैंने किसी तरह जैसे ही लंड के आगे वाला हिस्सा उसकी चूत में पेला.. तो वो चीख पड़ी।

मैंने उसके मुँह को एक हाथ से बंद किया और एक लंबा झटका लगा दिया, मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। उसकी चूत से खून निकल रहा था। बहुत दर्द की होने से वो बेहोश हो गई।

मेरा लंड तो जैसे बेचैन हो गया था। मैंने झट से पास रखे गिलास से पानी लेकर उसके मुँह पर मारा और उसके होश में आते ही फिर से उसकी चूत में धक्का मार दिया। वो तो दर्द के कारण चोदने के लिए मना कर रही थी। ये अब संभव नहीं था।

मैंने झटका देना शुरू किया। उसकी चूत और मेरे लंड से ‘छत्त.. फत्त..’ की आवाज़ आ रही थी।

उसके मुँह से बस यही निकल रहा था- आहह.. आहह.. आह.. उईईइ याहह पेलो.. ना..’ वो अकड़ गई और झड़ गई।

काफ़ी देर बाद मेरा माल निकलने वाला था.. तो मैं बोला- कहाँ गिराऊँ?

वो झट से लौड़ा हटा कर उठ कर बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी।

कुछ ही झटकों में मेरा पानी निकल पड़ा और वो मेरा सारा माल पी गई।

मैंने उसे रात भर में तीन बार चोदा। वो इसके बाद लंगड़ाती हुई अपने कमरे में चली गई।

सुबह वो चल भी नहीं पा रही थी। बड़ी मुश्किल से वो मेरे पास आई और अपना हाल बताया। मैंने दवा ला कर उसे दी। उसने बताया कि ब्लू फ़िल्में देख देख कर उसकी अन्तर्वासना इतनी बढ़ी हुई थी और लंड चुसाई, वीर्यपान आदि सब पोर्न देख कर सीखा।

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