ट्रेन में मिली आंटी ने सेक्स का मजा लिया

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दोस्तो.. मैं रजनीश हूँ, लोग मुझे राज के नाम से जानते हैं। अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है। अनुभवहीनता के कारण कुछ त्रुटियां हो सकती हैं इसलिए कृपया उनको नजरअंदाज करते हुए मुझे अपने मेल जरूर भेजें। अगर आपको कहानी पसंद आये या आप कुछ सुझाव देना चाहें तो आपका स्वागत है।

अब मैं अपने बारे में कुछ बता दूँ। मैं दिल्ली के पास का रहने वाला हूँ। एक स्वस्थ गोरा और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ। मेरे लंड का साइज़ भी अच्छा खासा लम्बा है.. जब पूरा खड़ा होता है.. तो इसकी मोटाई देखते ही बनती है। ये मैं बढ़ा-चढा कर नहीं लिख रहा हूँ.. जैसे कि कई कहानियों में होता है।

मेरी उम्र अभी 35 साल है और चूत चोदने में बहुत एक्सपर्ट हूँ। मैं अभी बैंगलोर में एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में हूँ।

बात तब की है.. जब मैं 22 साल का था और दिल्ली में एक कोर्स कर रहा था।

एक दिन मैं शाम को 7 बजे दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन में बैठा।

ट्रेन चलने में करीब आधा घंटा था और मेरी सीट पर कोई नहीं था। थोड़ी देर में एक आंटी वहाँ आईं.. जिनका एक 2 साल का बेटा था। उनके साथ एक और दस साल का लड़का था.. जो उनका बेटा नहीं था, क्योंकि वो उन्हें आंटी कह रहा था।

आंटी का भाई उन्हें छोड़ने आया था.. जो थोड़ी देर में चला गया। मेरी कोई दिलचस्पी आंटी में नहीं थी.. इसलिए मैं बाहर देख रहा था। मैंने देखा कि बाहर एक पंजाबी कपल खड़ा था.. जिनकी अभी-अभी शादी हुई थी.. वो कपल थोड़ा रोमांटिक या कहिए ‘हॉर्नी मूड’ में था।उन्हें किसी और ट्रेन में जाना था और वो दूसरे प्लेटफार्म की तरफ खड़े थे.. पर उनकी ट्रेन अभी आनी थी इसलिए मैं उन्हें देख पा रहा था।

वो आदमी इतना उतावला हो रहा था.. कि उसे आस-पास की कोई परवाह नहीं थी। वो तो अपनी बीवी की जाँघों पर हाथ फेरे जा रहा था और पीछे चूतड़ों पर भी हाथ फेर रहा था।

यह देखकर मुझे बड़ा उत्तेजक सा लगा और मैं उन्हें ही देखने लगा। इधर आंटी में मुझे उन्हें देखते हुए देखा तो वो भी उन्हें ही देखने लगीं।

जब तक ट्रेन नहीं चली.. वो और मैं उन्हें देखते रहे। मेरा हथियार खड़ा हो गया था.. लेकिन अब तक भी मुझे आंटी में कोई इंटरेस्ट नहीं था।

ट्रेन चलने के बाद उनके साथ जो दस साल का लड़का था.. वो ऊपर की सीट पर लेट गया और सो गया।

थोड़ी देर में मैंने देखा कि आंटी ने थोड़े पैर मोड़ से लिए और अब इस स्थिति में उनकी साड़ी में से उनके पैर घुटनों तक दिख रहे थे। उनके पैर एकदम गोरे थे.. मैं लालसा भरी निगाहों से देखने लगा।

उन्होंने भी वैसे ही पैर करे रखे.. मुझे थोड़ी शर्म आई तो मैं थोड़ा दूसरी तरफ देखने लगा। थोड़ी देर में आंटी ने थोड़ी और पोजीशन चेंज की और अब मैंने देखा तो उनकी जाँघों की छटा भी मुझे दिखाई देने लगी।

अब मुझे लगा कि कहीं ये मुझे तो नहीं दिखा रही है.. तो मैं कन्फर्म करने के लिए उन्हें लगातार देखने लगा। जब इस सबके बाद भी वो उसी पोजीशन में बैठी रहीं.. तो मैंने आगे बढ़ने की सोची।

मैंने अपना जैकेट निकाला और पैरों पर डाल लिया.. और धीरे-धीरे आगे हाथ बढ़ाने लगा। थोड़ी देर में मेरी उंगली उनके पैर को टच हुई। मैं उंगली से पैरों को सहलाने लगा।

उनकी तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आने पर.. मैंने हाथ को ऊपर बढ़ाना शुरू कर दिया। अब मैं धीरे-धीरे उनकी जांघों तक पहुँच गया था।

क्या बताऊँ उनकी इतनी मुलायम जांघें थीं.. कि मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था। यूं ही थोड़ी देर उनकी मखमली जांघें सहलाने के बाद मैं और ऊपर बढ़ा.. तो मेरे हाथ से उनकी झांटें टच हो गईं।

माय गॉड.. उन्होंने तो पैन्टी भी नहीं पहनी थी।

थोड़ा सा हाथ और सरकाने पर उनकी चूत से मेरी उंगली टच हो गई.. चूत एकदम गीली हो चुकी थी।

अब मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने एक उंगली चूत में डाल दी.. तो वो जरा हिलीं और उन्होंने मुझे देखा।

मेरी फट गई.. पर पता नहीं क्यों मैंने हाथ नहीं हटाया। वो खड़ी होने को हुईं.. तो मैंने अपना हाथ हटा लिया और बाहर देखने लगा।

मुझे लगा अब मेरी पिटाई होने वाली है.. पर उन्होंने अपने बैग से एक शाल निकाला और अपने पैरों पर डाल लिया और फिर बैठ गईं। अब उन्होंने मुझे देखा।

मुझे ऐसा लगा कि वो गुस्सा नहीं हैं.. तो मैंने डरते हुए धीरे से उनके पैर को टच किया। उनका कोई रिएक्शन नहीं मिलने पर मैंने शाल में हाथ डाल दिया तो आश्चर्यचकित रह गया। शाल के नीचे उनकी टाँगें एकदम नंगी थीं।

मैं एकदम जोश में आ गया और हाथ एकदम से चूत तक पहुँचा दिया। उन्होंने मुझे एकदम से देखा और मुस्कुरा दीं।

मैं एकदम से खुश हो गया.. और उनकी चूत के दोनों होंठ मसलने लगा। फिर चूत में एक उंगली डाल कर हल्का-हल्का अन्दर-बाहर करने लगा।

थोड़ी देर तक चूत में उंगली करने के बाद मैंने हाथ हटा लिया और उन्हें बाथरूम में आने का इशारा किया।

मैं आँख मारते हुए निकल गया। मैं बाथरूम के बाहर जाकर खड़ा हो गया और उनका वेट करने लगा।

करीब पांच मिनट मैंने वेट किया.. पर वो नहीं आईं.. तो मुझे लगा KLPD हो गई।

अब मैं वापस आने लगा.. तो अचानक वो मुझे आते हुए दिखीं। मैं वापस आ गया.. और वो तेजी से बाथरूम के पास आई.. तो मैंने अन्दर जाने का इशारा किया, वो घुस गईं।

मैं थोड़ी देर ये चैक करने के लिए बाहर खड़ा रहा कि किसी ने देखा तो नहीं और फिर कन्फर्म करके मैं भी अन्दर घुस गया।

अन्दर घुसते ही मैंने पूछा- इतनी देर क्यों की? तो उन्होंने कहा- बच्चे को दूसरे लड़के के पास सुलाकर आई।

मैं बस उन पर टूट पड़ा और किस करने लगा। वो भी मुझे किस करने लगीं।

किस करते-करते मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए.. और उनके मम्मों को चूसने लगा। करीब 36 साइज़ के चूचे थे.. बहुत गोरे और टाइट थे।

काफी देर चूसने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला.. तो उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगीं। वो कहने लगीं- तुम्हारा बहुत मोटा और टाइट है.. मेरे पति का तो ढीला सा है और पतला भी है।

यह सुनकर मैं खुश हो गया और उन्हें लौड़ा चूसने को कहा.. लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मैंने भी जोर नहीं दिया क्योंकि टाइम कम था।

मैं जल्दी से उनकी साड़ी और पेटीकोट उठा दिया लेकिन मुझे एंगल समझ में नहीं आ रहा था कि लौड़े को कैसे अन्दर डालूँ।

वो पलट कर आगे को झुक गईं और पेटीकोट कमर तक उठा लिया। मैंने अपने पैर फैला लिए तो मेरा लंड उनकी चूत के लेवल तक आ गया। मैंने लंड को चूत पर सैट किया और एक धक्का मारा।

आंटी की चूत ज्यादा टाइट नहीं थी.. तो मेरा अन्दर घुसता चला गया और आंटी के मुँह से ‘आह..’ निकल पड़ी।

अब मैंने उन्हें चोदना चालू कर दिया.. तो वो ‘आह.. उह..’ करने लगीं।

मैंने कहा- आवाज धीरे करो.. नहीं तो सबको पता चल जाएगा। उन्होंने अपनी साड़ी अपने मुँह में दबा ली और लौड़े का मजा लेने लगीं।

मैंने उनके ऊपर थोड़ा झुक कर उनके चूचे पकड़ लिए और उन्हें हचक कर चोदने लगा।

कसम से क्या मजा आ रहा था.. बता नहीं सकता। थोड़ी देर बाद आंटी ने पीछे हाथ करके मुझे पकड़ लिया और अपनी गांड मेरे लंड पर मारने लगी।

कुछ देर में वो झड़ गईं और अपनी चूत बंद करने खोलने लगीं। उनके एक मिनट के बाद मैं भी झड़ गया.. मेरा सारा माल उनकी चूत में ही निकल गया।

मैंने लौड़ा खींच लिया और उन्हें कसके गले लगा लिया। हम दोनों ने एक लम्बा किस किया।

फिर मैंने कहा- मैं बाहर देखता हूँ.. कोई नहीं हुआ तो आप निकल जाना.. बाद में मैं आता हूँ।

मैंने धीरे से चिटकनी खोली.. लेकिन दरवाजा नहीं खोला। धीरे से हल्का सा खोल कर देखा तो किस्मत से कोई नहीं था। मैंने उन्हें जाने को कहा, फिर दो मिनट के बाद मैं आ गया।

थोड़ी देर में आंटी सीट पर सो गईं और चादर ओढ़ ली। मैंने चादर के अन्दर हाथ डालकर फिर से उनके चूचों को सहलाना चालू कर दिया।

थोड़ी देर मैं मैंने उनके पास जाकर उनका नाम और पता माँगा। तब मोबाइल फ़ोन बहुत कम होता था, पर उन्होंने मना कर दिया।

उन्होंने कहा- बस इतना ही ठीक है, नहीं तो मेरा घर बर्बाद हो जाएगा।

मेरा स्टेशन आने वाला था, तो मैंने अपना बैग लिया और ट्रेन रुकने पर उतर गया। उतर कर खिड़की में देखा तो वो बैठ गई थीं। मैंने हाथ हिलाया तो उन्होंने भी हाथ हिलाया। शायद वो उदास लग रही थीं। लाइट कम होने से मैं उन्हें देख नहीं पाया.. पर आज भी मैं उस बात को नहीं भूला हूँ।

दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी पहली कहानी.. कृपया अपने कमेंट्स भेजिएगा।

[email protected] आपके मेल और सुझावों का इंतज़ार रहेगा।

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