अक्तूबर 2016 की लोकप्रिय कहानियाँ

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प्रिय अन्तर्वासना पाठको अक्तूबर महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…

मेरा नाम फेहमिना इक़बाल है, 26 साल की हूँ, मैं दिखने में बहुत खूबसूरत हूँ और मेरी बहन भी बहुत खूबसूरत है, मेरी हाईट 5’4″ है, रंग गोरा है। मेरे बूब्स बहुत बड़े तो नहीं है, मेरा साईज 32-27-34 है।

मेरे कॉलेज में मुझे सारे लड़के लाईन मारते थे और मुझे देखकर अपने लंड को हिला हिला कर पानी निकालते हैं।

उस समय की बात है जब मैं जॉब की वजह से अलग शहर में रहती थी। मेरे मम्मी – पापा और साहिल अलग शहर में रहते थे और आयेशा होस्टल में रह कर पढ़ रही थी।

मैं यहाँ रहकर जॉब करती थी और साहिल अपने लिए जॉब ढूंढ रहा था मगर उसको उस शहर में कोई जॉब नहीं मिल रही थी तो पापा ने मुझसे कहा कि साहिल को भी अपने साथ रख लो, उसको जॉब ढूंढने में हेल्प करो। पहले तो मुझे लगा कि अगर मेरा भाई यहाँ आ जाता है तो मेरी आज़ादी मुझसे छीन जायेगी क्योंकि यहाँ मुझे कोई रोकने वाला नहीं था।

कॉलेज के बाद मेरे 2 बॉय फ्रैंड भी बने थे और मैंने उन दोनों के साथ सेक्स के मज़े लिए थे मगर अलग अलग! मैं अपने बॉयफ्रेंड से मिलने जब मर्जी हो तब जा सकती थी।

दोस्तो, जैसे मैंने आपको बताया कि मैं जॉब करती हूँ तो वहाँ जो मेरा बॉस था, वो साला बहुत ठरकी था वो मुझे लाइन मारता था और मैंने अपने तरक्की के लिए अपने दोनों बॉस से चुदवा भी लिया था, वो दोनों मुझे मेरे घर आकर चोदते थे क्योंकि मैं अपने फ्लैट में अकेली रहती थी।

एक दिन की बात है, मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ फिल्म देखने गई थी। फिल्म देखने के बाद हमारा चुदाई का प्लान था, वैसे मैं कई बार उससे चुदवा चुकी थी।

उस दिन उसने मुझे मेरे घर पर बहुत चोदा मगर अचानक मेरा बॉस आ गया तो मेरे बॉयफ्रेंड को पता चल गया कि मैं अपने बॉस से चुदवाती हूँ। तो उसने मुझसे रिश्ता तोड़ दिया।

अब बस मैं अपने बॉस से चुदवाती थी मगर मेरा भाई मेरे पास रहने आ गया तो मैंने कुछ दिन से बॉस से नहीं चुदवाया था।

हम दोनों भाई बहन के मन में किसी के लिए कोई गलत फीलिंग नहीं थी, हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे मगर भाई बहन वाला।

भाई को मेरे पास आये हुए एक महीना हो गया था मगर उसे जॉब नहीं मिली थी तो वो घर पर ही रहता था इसलिए मैं बॉस को नहीं बुला सकती थी।

मेरी चूत भी अब लंड मांग रही थी मगर मैं कुछ नहीं कर सकती थी।

पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…  

मेरे पड़ोस में एक़ लड़की अवन्तिका रहती है। उसका फिगर 38-29-36 है, हाइट पाँच फीट एक इंच है.. उम्र 21 साल की है। उससे मेरा दो साल से अफेयर चल रहा है।

मेरी अवन्तिका बहुत ही प्यारी और सुलझी हुई एक देसी भारतीय लड़की जैसी है जो सिर्फ अपने ब्वॉयफ्रेंड से बेइन्तिहा प्यार करती है। ज़िंदगी के यह 2 साल कैसे निकले.. मैं आपको इस कहानी में बताने जा रहा हूँ।

बात 2011 के बारिश के सीज़न की बात है। मैं और अवन्तिका हम दोनों की बाल्कनी आमने-सामने ही है और इस वर्ष हम दोनों ही नए थे और इधर इस घर में रहने आए थे।

मेरी सुबह रोज उसी को देख कर हुआ करती थी और वो भी मुझे देख कर उतना ही खुश हुआ करती थी। पहली मुलाकात

यह सिलसिला दो महीना चला और वो दिन आ ही गया.. जब हमारी मुलाकात हुई।

यहाँ के एक मशहूर चौराहा वीआईपी चौक पर उसकी एक्टिवा स्कूटर का पिछला टायर पंचर था.. उस वक्त बहुत पानी गिर रहा था और रात के आठ बाज रहे थे।

अवन्तिका ब्लू डेनिम जीन्स और पिंक टी-शर्ट में बारिश में भीगी हुई बला की खूबसूरत लग रही थी। मुझे उसे आज देखते ही प्यार हो गया और मैं एक अलग ही दुनिया में खो गया।

वो मेरे पास आई और उसने कहा- मानस, क्या मेरी मदद करोगे? मैं तुरंत सपनों की दुनिया से अचानक होश में आया और तुरंत जवाब दिया- हाँ वाइ नॉट..

मैंने अपनी गाड़ी पास के ही एक पेट्रोल पंप पर रखी और उसकी गाड़ी का पंचर सुधारवाया। तभी हमने मोबाइल नंबर्स एक्सचेंज किए.. फिर हम दोनों घर आए।

उसका रात को तकरीबन 11 बजे फोन आया और उसने अगले दिन सीसीडी में कॉफ़ी पर बुलाया, उसने आने का वादा ले लिया।

मैं निर्धारित समय जो कि चार बजे था.. सीसीडी छोटापारा पहुँच गया।

जैसे ही मैं सीसीडी पहुँचा.. मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। वो वहाँ पर एक घुटनों से ऊपर की लाल रंग की स्कर्ट और ब्लू टी-शर्ट में मौजूद थी। मैं उसे देखे कर एक अलग ही दुनिया में खो गया।

पर उसने अचानक से मुझे हाथों पर एक च्यूंटी काटी.. मैं तुरंत होश में आया और जो शब्द मेरे मुँह से पहला निकला वो था- अवन्तिका आई लव यू.. उसने कहा- धत बदमाश…

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एक लड़की जिसका नाम कुसुम केशरवानी था, अभी वो अमेरिका में रहती है, शादीशुदा है पर वो इलाहाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर एक गांव की रहने वाली थी।

वो अमेरिका कैसे पहुँची, क्या हुआ उसके साथ…

मैं राहुल श्रीवास्तव मुम्बई से एक बार फिर अपनी हिंदी सेक्स कहानी के साथ अन्तर्वासना के पाठको के साथ मुखातिब हूँ!

जब मेरी दूसरी कहानी इस मंच पर आई तो मुझे काफी इमेल्स मिले… और सभी को मैंने जवाब भी दिए। उन्ही में से एक लड़की, जो अमेरिका से थी, से बराबर ईमेल का बहुत दिन तक आदान प्रदान होता रहा।

उस लड़की ने अपनी आप बीती मुझे बताई कि वो इलाहाबाद से अमेरिका कैसे पहुँची और मुझसे कहा कि आप दुनिया को बतायें। परन्तु उस वक़्त मैं अपनी नई कहानी में व्यस्त था और ऑफिस में भी काम ज्यादा था तो उस कहानी को लिख नहीं पाया।

यह कहानी मूल रूप से कुसुम जी की है, उनके अंग्रेज़ी में लिखे शब्दों को मैंने हिंदी सेक्स कहानी के रूप में लिखा है। परंतु उसका मूल स्वरूप नहीं बदला है।

एक लड़की जिसका नाम कुसुम केशरवानी था, अभी वो अमेरिका में रहती है, शादीशुदा है पर वो इलाहाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर एक गांव की रहने वाली थी। वो जो रोज़ इलाहाबाद आती थी जॉब करने…

मैं चाहता हूँ कि आगे की कहानी आप कुसुम के शब्दों में ही सुन लीजिये!

मेरा नाम कुसुम है, मैं आज आपको अपनी जिंदगी की वो बात बता रही हूँ जो कोई नहीं जानता जिसे मैं और मेरे ससुर ही जानते हैं। बाकी आप सब बतायें कि क्या गलत था और क्या सही!

राहुल श्रीवास्तव जी का शुक्रिया जो उन्होंने मेरी मदद की और मेरे जीवन की यह सच्चाई आपकी सामने हिंदी सेक्स कहानी के रूप में पेश की।

मैं कुसुम 20 साल की हूँ, गेहूआं रंग है, मेरा सीना 34 कमर 30 और चूतड़ 33 है। मैं सांवली तो नहीं पर गोरी भी नहीं हूँ। मेरे चेहरे में कोई खास आकर्षण नहीं था, जो कुछ आकर्षण था वो मेरे शरीर की बनावट और मेरी छाती में था, मैं अभी तक किसी पुरुष के स्पर्श से वंचित थी।

गांव में रहने के कारण मेरा शरीर भरा भरा था, पर गांव के और पारिवारिक बंधनों के कारण किसी पुरुष को अपना मित्र नहीं बना पाई। शादी में भी कई तरह की रुकावट थी एक तो गरीब घर, दूसरा पढ़ी लिखी और नौकरी वाली लड़की सबसे बड़ी बाधा थी। ज़ाहिर है कि मैं अभी भी अपनी सपनों के राजकुमार के इंतज़ार में अपनी जवानी बर्बाद कर रही थी।

ऐसा नहीं था कि मेरा मन नहीं मचलता था, पर क्या करें, सोच कर दिल को समझ देती थी।

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आपने मेरी पिछली कहानी मेरी कुंवारी गांड की शामत आ गई पढ़ी और उसका मिला जुला रेस्पॉन्स मिला, बहुत बहुत धन्यवाद।

जब मेरी गांड एक बार फट गई तो उसके बाद तो पतिदेव हर 2-3 में ही मेरी गांड को बजाकर रख देते। अब मुझे भी गांड की चुदाई में मजा आने लग गया, इतना कि कई बार मेरी गांड खुद ही उनके लंड से चुदने के लिए बेताब हो जाती है।

मेरी गांड जो पहले समतल थी, अब कुछ उभर भी आई है।

यह कहानी जन्माष्टमी के अगले दिन की है। मैं राखी से लगभग डेढ़ माह पहले मेरे मायके गई हुई थी, क्योंकि मेरा स्वास्थ्य कुछ ठीक न होने की वजह से मैं पूरे साल नहीं गई थी।

मेरा मन नहीं कर रहा था इतनी जल्दी जाने के लिए, पर मायके वालों की जिद थी कि मैं जल्दी ही आऊँ! और पतिदेव ने भी मेरी एक नहीं सुनी।

लेकिन मैं इतने दिनों तक उनके लंड के बिना कैसे रही, बता नहीं सकती। फोन सेक्स करना चाहा, पर उन्होंने फोन पर ही मुझे बहुत तेज डाँट दिया। हस्तमैथुन करके इतने दिन और रात निकाल दिए।

जन्माष्टमी से दो दिन पहले पतिदेव मुझे मेरे घर ले आये। मैं बहुत खुश हुई, लेकिन मेरी सास-ससुर और बच्चे उनके मायके गए हुए थे।

घर आकर सबसे पहले मैंने चूत के बाल साफ़ किए, उसके बाद कमरे की सफाई करने लग गई जो कि पतिदेव ने मेरी गैरमौजूदगी में पूरा बिखेर दिया था।

रात को मैं पूरी नंगी होकर आईने के सामने खड़ी होकर खुद के पूरे बदन को बहुत देर निहारती रही।

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जवानी की देहलीज पर क़दम रखते ही मैं अपनी चूचियों और अपनी चूत में अजीब सा खिंचाव महसूस करने लगी थी। नहाते वक्त जब अपने कपड़े उतार कर अपनी चूचियों और चूत पर साबुन लगाती तो बस मजा ही आ जाता।

हाथ में साबुन लेकर चूत में डाल कर थोड़ी देर अन्दर बाहर करतीं और दूसरे हाथ से चूचियों को रगड़ती… आह… खुद को बाथरूम में लगे शीशे में देख कर बस मस्त हो जाती! बड़ा मजा आता था! लगता था कि अपनी चूत और चूचियों से ऐसे ही खेलती रहूँ।

एक दिन माँ नहाने को गई, पापा 15 दिन के लिये कहीं बाहर गये हुए थे, मैंने सोचा कि देखती हूँ क्या हर औरत मेरी तरह ही बाथरूम में अपनी चूत और चूचियों से खेलती है?

मैं बाथरूम के दरवाजे के एक छेद से अन्दर झांकने लगी। माँ ने अपनी साड़ी उतारी, फ़िर ब्लाउज के ऊपर से ही अपने आप को शीशे में निहारते हुए दोनों हाथों को अपनी चूचियों पर रख कर धीरे धीरे मसलने लगी।

माँ ने चूचियों पर अपना दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया… शीईईई… माँ ने अपने होंठों पर दाँत गड़ाते हुए सिसकारी ली, फ़िर ब्लाउज के बटन एक एक करके खोलने लगी।

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