सत्य चुदाई कथा संग्रह: कॉलेज टॉयलेट में चारू की चूत चुदाई-1

मेरा नाम विनोद है पर मैं अपना उपनाम ‘यंग हेल्पर’ से नेट पर बनी मेरी फ्रेन्ड्स हॉट लड़कियों से चैट करता हूँ। वो अपनी चुदाई की कहानियाँ मुझे विस्तार में बताती हैं फिर मैं उस चुदाई पर एक स्टोरी तैयार करता हूँ। इस तरह मेरी सारी कहानियां सच पर ही आधारित हैं। आप इन्हें सच मानें या न मानें ये आप पर निर्भर करता है।

हॉट और हॉर्नी पाठकों से मेरी एक अपील है कि कहानी पढ़ने से पहले लड़के अपना लंड पकड़ लें और लड़कियां अपनी चूत में उंगली डाल लें ताकि स्टोरी पढ़ने में ज़्यादा मजा आए और जब स्टोरी एक गरम मुकाम पर पहुँचेगी तो लड़कों को मुठ्ठ मारना और लड़कियों को फिंगर फक करना आसान रहेगा।

जिन लड़कियों को डिल्डो, मूली.. खीरा या लंबे बैंगन से अपनी गरम और टपकती हुई चूत को ठंडी करने का शौक हो.. वो अपनी चूत को ठंडी करने के लिए अपनी चूत में फिट कर लें।

मेरी एक और अपील है कि कहानी पढ़ने तक कितनी बार चूत या लंड झड़ा है वो यदि मेरे माध्यम से इस स्टोरी की चुदक्कड़ नायिका को बताएंगे.. उन सब को लेखक द्वारा लिखा हुआ ‘सत्य चुदाई कथा संग्रह’ मेल किया जाएगा।

अब आप चारू नाम की लेखिका की कहानी को सीधे उसी की कलम से पढ़िए।

मैं चारू मेरठ से हूँ.. मेरी उम्र है 23 साल.. रंग गोरा.. बदन लंबा है। मेरी फिगर 34-28-36 की है। मैं इस वक़्त बी.ए. के फाइनल इयर में हूँ। मेरी चूचियां एकदम गोल हैं और इसकी टिट्स नुकीली हैं। जो लोग मेरी चूचियों को देखते हैं तो मेरी काली मटकती आँखें खुश हो जाती हैं।

जब मैं चलती हूँ तो मेरे कन्धों तक कटे हुए बाल लहराते हुए मेरी कामुकता को बढ़ा देते हैं। झील की तरह गहरी मदहोश आँखें हैं। मेरे बदन में सेक्स अपील बहुत ज़्यादा है। मैं बहुत कामुक प्रवत्ति की लौंडिया हूँ। मुझे देखकर कई लड़के ये शेर बोलते थे-

‘स्कूल से निकलते ही किताबें सीने से लगा लेती हो, हम क्या मर गए जो खुद ही अपनी चूचियां दबा लेती हो।’

मैं यंग हेल्पर की अपील को ठुकरा नहीं सकती… इसलिए मैं पूरी नंगी बैठकर स्टोरी लिख रही हूँ।

मेरी दो उंगलियां चूत में हैं। मैं स्टोरी के अंत में बताऊँगी कि स्टोरी लिखते हुए मैंने कितनी बार फिंगर फक किया। आप भी शर्माएं नहीं.. सच सच लिखना कि मेरी इस कहानी को पढ़ते हुए आपने अपने लंड या चूत को कितनी बार झड़ाया है।

मैं जो स्टोरी बतानी जा रही हूँ.. वो बिल्कुल सच है। मैं क्लास 12 वीं में पढ़ रही थी, हमारे स्कूल का कैंपस बहुत बड़ा था।

उस दिन शनिवार को स्कूल में हमारा गेम्स का पीरियड था, मैं और मेरी क्लोज फ्रेण्ड रेशमा स्कूल ग्राउंड में क्रिकेट मैच देख रही थे। तभी मेरी चूत मुझसे कहने लगी कि मैं मूत से भरी पढ़ी हूँ.. मुझे जल्दी खाली करो।

मैंने अपनी चूत का आज तक कभी दिल नहीं दुखाया था.. तो आज क्यों दुखाती। तो मैंने अपनी चूत की चाहत अपनी फ्रेण्ड रेशमा को बोल दी। उसने हँसते हुए मुझसे कहा- जल्दी से जा.. और अपनी चूत का कहना मान।

मैं अपनी क्लास के नजदीक तीसरे फ्लोर पर वाले वॉशरूम में चली गई, वहाँ पर कोई 12-15 क्लॉज़ेट बने हुए हैं, मैं एक क्लॉज़ेट में घुसी तो देखकर सन्न रह गई। वहाँ मेरे स्कूल का राहुल अपना लंबा मोटा काला औजार पैन्ट की ज़िप खोलकर निकाले हुए खड़ा था और अपने सेल फ़ोन में कोई ब्लू फिल्म देख रहा था।

इससे पहले कि मैं चिल्लाती.. उसने पलक झपकते ही मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और मेरी आवाज मुँह में ही घुट गई। राहुल ने मुझसे कहा- तू मेरे सेल में ट्रिपल एक्स फिल्म को एन्जॉय कर ले तब मैं तुझको छोड़ दूँगा। उसने जबदस्ती वो फिल्म मुझे दिखा दी।

फिल्म में एक गंगबैंग हो रहा था, पांच काले आदमी एक गोरी लड़की के साथ सब तरह से चुदाई कर रहे थे। मैं तो उनके इतने लंबे और मोटे लंड देखकर ही परेशान हो गई, किसी का भी लौड़ा 10-11 इंच से कम लंबा और कोई 3-4 इंच मोटा नहीं था, उन सभी के लंड बिल्कुल भुजंग काले थे।

मैंने इस तरह की थोड़ी बहुत वीडियो रेशमा के साथ देखे थे.. पर ऐसी घमासान चुदाई की फिल्म नहीं देखी थी। इस फिल्म में एक ने अपना लंड उस लौंडिया की चूत में पेल रखा था.. दूसरे ने उसकी गाण्ड में घुसेड़ा हुआ था। तीसरे ने उसके मुँह में लौड़ा लगाया हुआ था और बाक़ी के दो अपना लंड उसकी चूचियों पर मसल रहे थे।

उस लड़की की मादक सीत्कारों ने मुझे भी गर्म कर दिया था। मुझे मजा लेता देख कर राहुल ने अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया।

मैं तो उसका लंड पकड़ते ही पागल सी हो गई थी। मेरी चूत अब तक गीली हो गई थी और राहुल समझ गया कि मैं अब गर्म हो रही हूँ.. तो उसने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मैं भी अब तक अपने आपको राहुल की हवाले कर चुकी थी और धीरे से सीत्कार कर रही थी, ‘आआहह.. उऊआअह..’ की महीन सी आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थीं।

तभी मुझे लगा कि मेरी क्लास की दो लड़कियां वॉशरूम में बातें करते हुई घुस रही हैं। तब राहुल ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया ताकि मेरी सीत्कार भरी आवाजें उनको ना सुनाई दे सकें।

मैं उनकी आवाज पहचान गई.. एक रेखा थी और दूसरी कामिनी थी। उनमें से कामिनी तो स्कूल में अपने बॉयफ्रेंड राजेश से चुदने के लिए बहुत बदनाम थी।

अब मैं उनकी बातचीत सुनाती हूँ।

रेखा- आज तो वॉशरूम में बिल्कुल सन्नाटा है.. तू कह रही थी कि राजेश के साथ चुदने का प्रोग्राम नहीं बन सका। मैं तो कहती हूँ.. तू अपनी चूत ठंडी करवाने के लिए यहीं बुला ले उसको.. और मजा ले ले। कामिनी- हट पागल.. मैं यहाँ क्यों चुदूँ.. कहीं पकड़ी गई तो?

रेखा- मैं वॉशरूम के बाहर खड़ी रहूँगी ये देखने के लिए कि कोई आ तो नहीं रहा। कामिनी- देख.. मैंने तो आज सुबह ही 9 इंच लम्बे और 3 इंच मोटे डिल्डो से अपनी चूत झाड़ ली है.. आज नहीं हो सकता ये सब! अगले शनिवार को मैं यहीं चुदूँगी।

फिर उन दोनों ने अपनी चूत से मूत करके हल्का कुछ किया और चली गईं।

उस वक़्त राहुल का मोटा काला लंबा लौड़ा मेरे मुँह में एक पिस्टन की तरह बिल्कुल फिट था। उनकी बातें सुनकर मेरे अन्दर चुदने की भावना भी तीव्र हो गई, मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई, उसके लंड से एक दो बूँद प्री-कम मेरे मुँह में निकलीं और मैं बिना कोई आवाज किए हुए उस प्री-कम को चाट गई।

जब उन दोनों लड़कियों के चलते हुए क़दमों की आवाज दूर हुई तो मैंने फट से राहुल का लौड़ा मुँह से बाहर निकाला और 2-4 गहरी साँसें लीं। तब तक राहुल ने अपने वस्त्र उतार दिए और मेरे कपड़े भी फटाफट उतार दिए।

अब मैंने उसके मोटे काले लंड को ध्यान से देखा। मैं एकदम से सहम गई कि इतना बड़ा लंड मुँह में तो बहुत मुश्किल से जा रहा था.. ये मेरी छोटी से चूत के टाइट छेद में कैसे फिट होगा.. पर मेरे अन्दर तो अब चुदने के भावना आ चुकी थी, मैं बेतहाशा अपनी चूत खुजा रही थी।

उन दोनों चुदक्कड़ लौंडियों की बातों ने भी मेरी चूत में.. और राहुल के लंड को एक नए जोश से भर दिया था। जब उनके चलने की आवाज दूर चली गई तो मैं और राहुल फिर से चुदाई के काम में लग गए। अब तक वो ट्रिपल एक्स फिल्म भी खत्म हो चुकी थी।

राहुल ने अपना लंबा और मोटा लंड जबरदस्ती मेरे मुँह में डाल दिया और मैं तो अब जैसे किसी भूखी कुतिया को हड्डी का टुकड़ा मिल जाता है.. उस तरह राहुल के लौड़े को चूस रही थी, राहुल भी आगे-पीछे होकर अपना लंड ज्यादा से ज्यादा चुसवा रहा था।

वो साथ ही साथ मेरे मम्मों को दबा रहा था, मम्मों के टिट्स को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था, मैं और ज्यादा हॉट होती जा रही थी। उन दोनों लड़कियों की बातें सुनकर मेरे अन्दर चुदने के भावना भी तीव्र हो चुकी थी। मेरी चूत में तेज खुजली शुरू हो गई थी।

कोई 5 मिनट लंड चूसते से मैं भी चुदने के लिए बिल्कुल बेकरार हो गई थी। उस वक़्त उसका मोटा काला लंबा लौड़ा मेरे मुँह में एक खीरे की तरह बिल्कुल फिट था।

राहुल ने मुझे इंग्लिश लेट्रिन सीट के ढक्कन को बंद करके उस पर बिठा दिया था और मेरी एक टांग अपने एक कंधे पर रखी.. मुझे अपनी तरफ खींचा ताकि मेरी चूत सीट की बिल्कुल कोने पर आ जाए। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर फिट किया और एक जोर का धक्का मार दिया, लंड फिसल कर मेरे गाण्ड की पास जाकर टेड़ा हो गया।

फिर उसने दोबारा लंड सैट करने की कोशिश की, मैंने राहुल का लंड एक हाथ से पकड़ा और दूसरी हाथ से अपने चूत के दोनों होंठों को चौड़ा किया और उसको निशाना लगाने के लिए इशारा किया।

क्योंकि अबकी बार मैं लंड को खुद एक हाथ से पकड़े हुए थी.. इसलिए निशाना बिल्कुल ठीक लगा और उसका लगभग आधा लौड़ा मेरी चूत के अन्दर घुसता चला गया।

मेरी चूत की माँ चुद गई थी मेरी आँखें दर्द से उबल पड़ी थीं।

उसने फिर अपनी गाण्ड को पीछे किया.. लंड थोड़ा बाहर निकाला और तेज़ी से दूसरा धक्का मेरी चूत में लगा दिया। इस बार उसका लगभग पूरा लंड मेरी चूत में चला गया। मेरी चूत फट गई।

प्रिय पाठको, उम्मीद है कि मेरी फ्रेण्ड चारू की इस कहानी को पढ़ने में आप सभी को मजा आ रहा होगा।

अपने मजे को ईमेल से जरूर लिखिएगा मेरा उत्साहवर्धन होगा [email protected] कहानी जारी है।