सत्य चुदाई कथा संग्रह: बंगाली टीचर की चूत चुदी स्टूडेंट से-1

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हैलो मेरा नाम विनोद है.. पर मैं अपने उपनाम ‘यंग हेल्पर’ से नेट पर बनी मेरी फ्रेन्ड्स हॉट लड़कियों से चैट करता हूँ। वो अपनी चुदाई की कहानियाँ मुझे विस्तार में बताती हैं फिर मैं उस चुदाई पर एक स्टोरी तैयार करता हूँ। इस तरह मेरी सारी कहानियां सच पर ही आधारित हैं। आप इन्हें सच मानें या न मानें ये आप पर निर्भर करता है।

अब आप शिवानी नाम की लेखिका की कहानी को सीधे उसी की कलम से पढ़िए।

हाय.. मैं शिवानी राँची से हूँ। मैं एक क्वालिफाइड केमिस्ट्री की टीचर हूँ। मैं 11वीं और 12वीं क्लास को पढ़ाती हूँ।

किसी गलतफहमी में न रहें.. मैं चुदाई करना और करवाना नहीं.. बल्कि स्कूल की पढ़ाई पढ़ाती हूँ।

मेरी उम्र 32 साल है। मेरा रंग गोरा बदन लंबा, मेरी फिगर 34-28-36 की है। मेरी टिट्स नुकीली हैं। जब मैं चलती हूँ तो मेरे नागिन से लंबे बाल मेरे चूतड़ों पर एक सांप की तरह लहराते हैं। उस वक्त ऐसा लगता है कि एक काला नाग मेरी गरम गांड में घुसना चाहता हो। मेरी नीली आँखें झील सी गहरी हैं.. आँखों में मदहोश कर देने वाली सेक्स अपील है। मेरे बदन में सेक्स अपील बहुत ज़्यादा है। मेरा नाम भले शिवानी हो.. पर मेरे कॉलेज टाइम से ही मजनूँ टाइप छोकरों ने मेरा नाम ‘चुदक्कड़ शिवि’ रखा हुआ था।

मेरा मायका कोलकाता में है। मैं एक हॉट बंगला माल हूँ। मैं यहाँ बता दूँ कि बंगाली लड़की मछली (फिश) खाने के वजह से बहुत सुंदर और सेक्सी हो जाती है। मेरी शादी आज से 4 साल पहले हो गई थी और मैं अपने पति के पास रहने के लिए राँची आ गई।

मैं बहुत कामुक प्रवत्ति की हूँ। मेरी पहली चुदाई कॉलेज टाइम में ही मेरे से 3 साल छोटे स्टूडेंट ने की थी। पिछले दस सालों में मैं सैकड़ों बार डिफरेंट वेराइटी के कई लौड़ों से चुद चुकी हूँ। उसमें फ्रेंड्स द्वारा चुदाई.. फ्रेंड्स की फ्रेंड्स द्वारा चुदाई.. और तो और मैं अपने से छोटी उम्र के मतलब 18-19 साल के स्टूडेंट्स द्वारा भी चुद चुकी हूँ। मैंने डिफरेंट वेराइटी के लंड.. जिनका साइज 6 से 9 इंच लंबा और 2 से 3 इंच मोटा है अपने ‘लव होल’ में कम से कम 500-600 बार लिए हुए हैं। मैंने काले लंड.. एकदम गोरे चिट्टे लंड.. सीधे लंड.. और केलेनुमा घुमावदार लंड की वेराइटी अपनी चूत में ली हुई है।

मैं लेखक की अपील को ठुकरा नहीं सकती थी.. इसलिए मैं पूरी नंगी बैठकर स्टोरी लिख रही हूँ। मेरी दो उंगलियां चूत में हैं।

मैं जो स्टोरी यहाँ बताने जा रही हूँ.. वो बिल्कुल सच है। ये मेरी शादी से पहले की घटना है जो मेरे साथ तब हुई थी.. जब मैं राँची में टीचर थी। वहाँ स्कूल में कुछ बदमाश स्टूडेंट्स का ग्रुप था.. जो मुझे किसी ना किसी बहाने तंग करता रहता था। उनमें से एक लड़का राहुल भी था। वो अच्छा सुंदर स्मार्ट बॉय था.. पर पढ़ने-लिखने में बिल्कुल निकम्मा था।

जब भी मैं उसके सामने आती तो उसकी निगाहें हमेशा मेरी नाभि या मम्मों पर ही टिकी रहती थीं। वो मेरे मटकती हुई गांड को भी बहुत कामुक निगाहों से देखता था और गंदे कमेंट्स देता था।

एक दिन तो हद हो गई। मैं स्कूल में सीढ़ियों से उतर रही थी। मैंने वायल की साड़ी पहनी हुई थी.. जो कुछ ज्यादा ही फूली हुई थी। तब राहुल और उसका गैंग नीचे खड़ा था। राहुल ने शायद नीचे से मेरी टांगों और पैन्टी के दर्शन कर लिए थे।

मेरी टांगों पर कुछ ज्यादा बाल हैं.. तो उसने मेरी तरफ देखते हुए कमेंट्स दिया कि लड़कों को फ्रेंच दाड़ी और लड़कियों को कोई एनफ्रेंच (हेयर रिमूविंग क्रीम) बहुत शोभा देती है।

मैं खून का घूँट पीकर रह गई। नहीं तो मेरा मन था कि उस कुत्ते के बच्चे को अभी स्कूल से सस्पेंड करवा दूँ। पर यदि मैं इस बात को प्रिन्सिपल तक पहुँचाती तो इसमें मेरी भी बदनामी होती.. इसलिए मैं चुप रह गई।

फिर कोई एक महीने बाद हमारा स्कूल टूर दार्ज़ीलिंग गया। जिसमें 12 लड़के.. 5 लड़कियां थीं। एक मेल टीचर और मैं अकेली फीमेल टीचर थी।

वहाँ हम एक होटल में रुके, लड़के और लड़कियों को अलग-अलग डोरमेट्री में ठहरा दिया गया, मेल टीचर को एक रूम.. और मुझे एक रूम ठहरने के लिए मिल गया।

पहले दिन हम वहाँ लोकल साइट सीईंग के लिए पहाड़ों पर घूमने गए। वापिसी में मेरे पाँव में बहुत जोर की मोच आ गई थी.. और मैं बहुत दर्द वाला सूजा हुआ पाँव लेकर होटल वापिस पहुँची थी।

मेरे पाँव की गरम पानी से सिकाई की गई और वोलिनी क्रीम लगाकर मैं सो गई। सुबह उठी तो पाँव में दर्द और भी ज्यादा था। मैंने अपने साथी टीचर और स्टूडेंट्स को कह दिया कि मैं आज घूमने नहीं जा पाऊँगी। सब लोग तैयार होकर चले गए।

मैं कोई 9 बजे नहाने के लिए टॉयलेट में गई। नहाते हुए मुझे महसूस हुआ कि टॉयलेट की विंडो से मुझे कोई देख रहा है। मैंने झाँक कर कई बार बाहर देखा तो मैंने वहाँ किसी को नहीं देखकर ये महसूस किया कि शायद विंडो का परदा हवा से उड़ रहा होगा।

टॉयलेट से नहा कर मैं नंग-धड़ंग ही निकल आई, कमरे में लगे दर्पण के सामने खड़ी हो गई और तौलिए से अपनी गीले बाल पौंछने लगी। मैं अपनी गदराए हुए बदन.. मोटे गोल भरवां नुकीले मम्मे और गोल गांड को घूम-घूम कर मिरर में देख रही थी.. साथ में यह गाना भी गुनगुना रही थी।

‘सजना है मुझे.. सजना के लिए..’

तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे पीछे कोई खड़ा हुआ है। मैंने पीछे देखा तो मेरे होश उड़ गए… मेरे पीछे राहुल खड़ा था और मैं पूरी नंग-धड़ंग उसके सामने खड़ी थी।

मैंने अपने हाथ वाले तौलिये से अपना शरीर ढकने की कोशिश की और उसको बहुत गुस्से से कहा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई.. मेरे रूम में आने की.. तुम घूमने नहीं गए क्या?

वो बोला- मैम, मैं तो आपका टॉयलेट इस्तेमाल करना चाहता हूँ.. क्योंकि बाहर वाले टॉयलेट में पानी नहीं आ रहा है। मुझे भी फीवर है इसलिए मैं भी नहीं गया हूँ। आपने खुद अपने दरवाजे को बोल्ट नहीं किया था.. सिर्फ़ उड़का कर रखा था।

इसी के साथ ही उसने आगे बढ़ते हुए मेरे नंगे सेक्सी शरीर को अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे मुँह.. गरदन और कन्धों पर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। इस तरह के अटैक से कैसे निपटना है, मैं सोच ही रही थी कि उसने मुझे पास पड़े हुए बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे शरीर से तौलिया अलग कर दिया।

मैंने अपने नंगे बदन को बेडशीट से ढकने के कोशिश की.. पर वो मेरे से ज्यादा ताकतवर था, उसने मेरे शरीर से बेडशीट अलग कर दी। वो बेतहाशा मेरी सेक्सी जिस्म को चूम रहा था, मैं अपने को उससे छुड़ाने की भरसक कोशिश कर रही थी और साथ मैं उसको बहुत गुस्से से डांट भी रही थी।

‘मैं तुम्हें स्कूल से निकलवा दूँगी.. मुझे छोड़ दो.. मैं तुम्हारी टीचर हूँ। टीचर गुरू होता है.. तुम्हें अपने गुरू की इज्ज़त करनी चाहिए। तुम मेरा जबर चोदन करने पर क्यों आमादा हो.. मैं तुम्हारी कंप्लेंट करूँगी।’

पर मेरी अनुनय-विनय का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि मेरी हर डांट पर वो और ज्यादा मतवाला होता जा रहा था। वो बोला- मैं तो जा ही रहा था.. पर मेम आप मुझे पागल कर देती हो.. मेम मैं आपका दीवाना हूँ.. मेम प्लीज मुझे माफ़ कर दो.. मैं आपके बिना नहीं रह सकता। यह बात सिर्फ़ हम दोनों में सीक्रेट रहेगी।

वो न जाने कितनी अंट-शंट बातें कह रहा था। उसकी इन हरकतों से मुझे एक पुरानी चुदाई याद आ गई।

मैं अब से तीन साल पहले अपने कॉलेज के एक फ्रेंड से खूब चुदती थी.. और आज इसके स्पर्श ने मेरे शरीर में एक नया करेंट सा जगा दिया था, मेरे सारे जिस्म में एक नई लहर दौड़ने लगी थी। मैं अब सिर्फ़ दिखावे के लिए उसका विरोध कर रही थी, अब मेरे अन्दर बैठा हुआ कामदेव जाग उठा था और मैं उसके इस कामुक हमले का मन ही मन स्वागत कर रही थी, मैं खुद चाह रही थी कि वो मुझे और ज्यादा ताक़त से कुचले।

मुझे थोड़ी देर में ही असीम आनन्द की अनुभूति होने लगी थी, मैंने अपने आँखें बंद कर ली थीं और वो मेरी सारे शरीर को बेतहाशा चूमे जा रहा था। उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड के छेद के पास से फिराना शुरू कर दिया और चूत के छेद के ऊपर होते हुए मेरी झांटों से होते हुए ऊपर ले जाता था।

मैं राहुल की इस तरह मुझे गर्म करने की तरीके से बहुत खुश हो रही थी और चाह रही थी कि वो मुझे और जोर से मसले व कुचल दे, मुझे एक फूल की तरह कुचल दे। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

राहुल की इन कामोत्तेजक हरकतों के बाद मेरी चुदाई किस तरह हुई इसका वर्णन मैं अपने अगले भाग में करूँगी।

आप सभी से अनुरोध है कि मुझे या विनोद की मेल पर अपने कमेंट्स जरूर भेजें। [email protected] कहानी जारी है।

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