सत्य चुदाई कथा संग्रह: बंगाली टीचर की चूत चुदी स्टूडेंट से-2

अब तक आपने पढ़ा.. राहुल ने मुझे दबोच लिया था और मेरे साथ वो कामोत्तेजक हरकतें कर रहा था। अब आगे..

मैंने अब आँख खोल कर देखा, वो भी अब नंगा हो गया था, उसका लंबा और बहुत मोटा लौड़ा ऊपर की तरफ उठा हुआ था, उसके केले नुमा लंड को देखकर मैं हैरान रह गई, मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि 18 साल के लड़के का इतना मजबूत लंड भी हो सकता है।

केले के जैसा टेढ़ा लंड तो मेरी कमज़ोरी था, टेढ़े केलेनुमा लंड से चुदने का स्वर्गिक स्वाद सिर्फ़ वो ही बता सकती है जिसकी चूत और गांड ऐसा मस्त लौड़े से खूब चुदी हो।

मेरे कॉलेज वाले बॉय फ्रेंड का लौड़ा भी ऐसा ही था.. पर यह लंड उससे कहीं ज्यादा लंबा और मोटा था। मैं मन ही मन चाह रही थी कि जल्दी से यह लौड़ा मेरी चूत में चला जाए।

खैर.. मैं पूरी तरह समर्पण कर चुकी थी। अब वो मेरे पाँव की तरफ गया और अपने मुँह से पहले मेरे दोनों पाँवों को चूमा.. फिर और ऊपर आया, मेरे टख़नों को चूमा.. फिर उसने मेरे दोनों केले के तने के समान सफेद गोरी मुलायम जाँघों को बहुत ही प्यार से चूमा, मेरे अन्दर एक नया कामुक सा करेंट लगा। यह लौंडा चूमने चाटने में मेरे पहले बॉय फ्रेंड का भी बाप था।

अब मैं पूरा होश खो चुकी थी। मैंने उसको बालों से पकड़ कर खींचा और उसका मुँह मेरी माल टपकाती हुई गर्म चूत पर लगा दिया। वो सटासट मेरी चूत चूसने में लग गया।

‘आआआहह.. उऊहह..’ मेरे मुँह से सीत्कार निकल रही थी और मैं उसका मुँह और जीभ अपनी चूत के अन्दर अपने हाथों से दबा रही थी।

मैंने खुद बिस्तर से तकिया उठाया और अपनी गांड के नीचे लगा दिया, अब मेरी चूत का मुँह अच्छी तरह से खुल गया था, मैं उसकी जीभ को अब ठीक चूत के अन्दर आता-जाता हुआ महसूस कर रही थी। कमरे में उसकी जीभ से चूत चाटने की मस्त आवाज आ रही थी ‘ल्लपल्लाप.. लप्प.. लप्प.. ताप्प..’

मेरी चूत चाटने की सरगम से मेरी सीत्कार ‘आआह.. हाय.. आहह.. मेरे राजा.. और ज़ोरे से चाट मेरी चूत को.. आअहह.. उउईहह..’ ताल मिला रही थी।

कुछ मिनट की ओरल चुदाई के बाद मैं बहुत जोर से चीख मार कर झड़ गई। हम दोनों हाँफ़ रहे थे और वहाँ की ठंड में भी हम दोनों पसीने से सराबोर थे।

अब राहुल मेरे बगल में आकर लेट गया और उसने मेरे को अपनी तरफ घुमा लिया। वो मेरे दोनों मोटे नुकीले मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था, उसका लम्बा और मोटा खड़ा लौड़ा मेरी टांगों के बीच में फंसा हुआ था।

मैं भी अब बेतहाशा उसको चूम रही थी, उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी, कह रही थी- मेरे राजा तुम इतनी अच्छी चुसाई करोगे मुझे सपने में भी गुमान नहीं था।

इस फोरप्ले को हमने कोई 20-25 मिनट तक खेला। अब मैं उसके लंड को अपने हाथों से सहला रही थी.. और फिर हम दोनों पूरी तरह फिर से गर्म हो गए।

राहुल ने उठ कर मुझे अपने बांहों में ले लिया और बिस्तर के पास खड़ा करके मुझे घोड़ी बना दिया। पहले मेरी गांड और चूत को 2-3 मिनट तक चूसा.. फिर अपने हाथ पर थूका और वो थूक मेरी चूत पर और अपने लंड पर लगा लिया।

अब उसने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर टिका कर एक तेज झटका दिया। उसका कुत्ते जैसा औजार मेरी चूत और गांड के बीच के स्थान पर टकराया और फिर लंड मुड़ कर ऊपर की तरफ चला गया।

उसने फिर से लंड को चूत के छेद पर सैट किया और फिर दूसरा धक्का ज़ोर से मारा। इस बार लंड फिर से फिसल कर गांड के आस पास रुक गया। अब उसको गुस्सा आ गया था। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

वो बोला- अब देखता हूँ कुतिया मेम तेरी चूत.. इस बार फाड़ ही दूँगा। मैं भी अब जल्दी से उसका खम्बे जैसा हथियार अपनी चूत में लेना चाहती थी.. इसलिए मैंने उसके हाथों में अपनी एक चूची को पकड़ा दिया और अपने एक हाथ से उसके गर्म हथियार को अपनी टपकती हुए चूत पर सैट कर लिया।

इसके बाद मैंने राहुल को निशाना लगाने के लिए उत्साहित किया, वो थोड़ा पीछे हटा और तेजी से झटका मार दिया, उसका लंड मेरी चूत में आधे से ज्यादा चला गया। मैं दर्द से बिलबिला उठी। उसने लंड को कोई 3 फिर इंच बाहर खींचा और एक तेज झटके से पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ चला गया।

मैं दर्द से चिल्ला रही थी.. पर वो तो साला मुझे एक कुतिया की तरह चोदे जा रहा था। अब मुझे भी उसके लंड का अपनी चूत के अन्दर-बाहर आने-जाने में मजा आने लगा था।

वो बोले जा रहा था- तू मेम नहीं कुतिया है.. बहन की लौड़ी.. हरामजादी तू तो पहले से ही चुदी हुई है.. मेरी रांड मेम.. आज तू भी याद करेगी कि दार्जीलिंग में राहुल का लंबा मोटा और सख्त लिंग मिला था।

मैं बोल रही थी- ओह्ह.. तेरे जैसे ही एक कुत्ते ने मेरी चूत चोद चोद कर फाड़ दी थी।

उसकी हर गाली मुझे ज्यादा मदहोश किए जा रही थी। मैं भी उसके हर झटके की रिदम में अपनी गांड को पीछे कर देती थी.. ताकि उसका लोहे जैसा गर्म टूल मेरी चूत में ज्यादा से ज्यादा मजा दे सके।

मैं बोले जा रही थी- चोद राहुल.. चोद अपने गुरू मेम की चुदासी चूत को.. बहन के लौड़े मेम को इस तरह चोद.. अपना लंड इतने झटके से पेल कि लंड चूत में से जाए और गांड से बाहर निकल आए।

वो बोले जा रहा था- तू कुतिया मेम.. साली अब तक कहाँ छुपी हुई थी। इतना सेक्सी बदन लेकर तू मेम नहीं है.. तू तो मुझे गर्म करने की मशीन है.. मैं जब भी क्लास में तुझे देखता हूँ.. तो मैं पढ़ाई भूल जाता हूँ और तुझे वहीं गिरा कर चोदने की सोचता रहता हूँ।

इस तरह कई मिनट की लम्बी और मस्त चुदाई के बाद मैं बोली- राहुल अब मैं झड़ने वाली हूँ.. आहह.. उम्म्म्म..

इतना बोलते ही मेरी चूत के दीवारों से जैसे पानी का झरना सा बहने लग गया और मैं अपने सुख को ‘उईईई.. आअहह..’ की आवाजों से ब्यान करने लगी थी।

राहुल बोला- मैं भी झड़ने वाला हूँ मेरी कुतिया.. मैं क्या तेरी चूत में ही झड़ जाऊँ? मैं बोली- नहीं.. मेरे मुँह में डाल दे अपने लंड की रबड़ी।

मैं चीख मार कर झड़ती रही और राहुल ने अपना खड़ा लौड़ा ज़ो मेरी चूत के रस से पूरा भीगा हुआ था.. तुरंत मेरी चूत से निकाला.. उसने मुझे अपने तरफ घुमाया और मेरे मुँह में ठूंस दिया।

उसके लंड से कोई 6-7 पिचकरियां निकलीं.. जो मैं सारा पी गई। थोड़ी सी रबड़ी मेरे मुँह से बाहर आ गई.. तो राहुल ने वो लपक कर अपने हाथ से साफ कर दी और चाट गया।

मैं बोले जा रही थी- वह क्या स्वर्गिक स्वाद है तेरी रबड़ी का.. मेरी चूत के प्यासे कुत्ते!

राहुल मुझे अपनी बांहों में उठा कर टॉयलेट ले गया और फिर वहाँ हमने एक दूसरे के अंगों लंड चूत को साफ किया। परमात्मा जाने कि मेरे पाँव में अब कोई दर्द क्यों नहीं था।

एक घंटा हमने आराम किया और फिर राहुल ने मेरी चूत को मिशनरी पोज़िशन में दुबारा चोदा। अब तक 3 बजने वाले थे और हमारे ट्रिप के लोगों का वापिस पहुँचने का वक़्त हो गया था इसलिए राहुल ने मुझे चूमने के बाद अपने कपड़े पहने और अपनी डोरमेट्री में चला गया।

मैं अब बहुत थक गई थी.. इसलिए मैंने भी गाउन पहना और तुरंत सो गई। उसके बाद वो ट्रिप 6 दिन तक और चला पर राहुल को मैं देखकर मुस्करा देती थी, वो नीचे नजरें किए हुए मुझे देखता रहता था।

मैं कोलकाता वापिस आकर कई बार चुदी। कभी स्कूल की लाइब्रेरी की छत पर.. कभी केमिस्ट्री लैब के स्टोर रूम में.. चूँकि मैं केमिस्ट्री की टीचर हूँ इसलिए स्टोर रूम की चाभी मेरी पास ही रहती थी। कभी राहुल के एक फ्रेंड के फार्म हाऊस पर भी चुदी। हाँ.. राहुल ने अपना वायदा निभाया और किसी को कानों-कान हमारी चुदाई के बारे में नहीं बोला। ये शायद उसका मेरे लिए रिस्पेक्ट या प्यार ही कहा जाएगा। एक बार स्कूल चौकीदार ने जरूर हम दोनों को चुदाई के बाद स्कूल लैब के स्टोर रूम से निकलते हुए देख लिया था। बस उसने हम दोनों को डाउट की निगाह से देखा था।

राहुल आगे की स्टडी के लिए राउरकेला चला गया। वो अब वहाँ बी.टेक. फाइनल इयर में है। अभी कुछ दिन पहले वो कोलकाता आया तो उसने मुझे फोन किया और मुझे कोलकाता बुलाया तो फिर से अभी हाल ही में मैंने उसके लंड को अपनी चूत में घुसवाया है।

तो पाठको, यह कहानी समाप्त करती हूँ। मैं कहानी लिखते हुए 3 बार झड़ चुकी हूँ। आप भी लेखक को मेल करना कि स्टोरी पढ़ते हुए कितने बार झड़े हो।

आपसे एक और रिक्वेस्ट है कि मेरी सेक्स स्टोरी के ऊपर गंदे से गंदे कमेंट्स लिखिए.. ताकि मैं उनको पढ़कर अपनी अगली चूत चुदाई की और ज्यादा गर्म स्टोरी लिख सकूं। आप अपने कमेंट्स लेखक की मेल आईडी पर भेज सकते हैं।

इतनी देर तक अपनी चूत में उंगली रखने के लिए लड़कियों का और अपना लंड पकड़े रखने के लिए लड़कों का बहुत धन्यवाद। [email protected]